12 मार्च 2021 को Quad समूह देशों का पहला शिखर सम्मलेन वर्चुअल माध्यम से आयोजित किया गया था। इस सम्मलेन मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन , जापानी प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने भाग लिया था। इस सम्मलेन मे चारो देशों ने Covid -19 वेक्सीन, जलवायु परिवर्तन तथा उभरती प्रौद्योगिकी पर चर्चा की थी। किन्तु इस सम्मलेन को लेकर चीन की बैचेनी और बयान ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। चीन का बयान आया कि-दुनिया के देशों को किसी तरह का एक्सक्लूसिव ब्लॉक नहीं बनाना चाहिए और न ही किसी तीसरे पक्ष के हितों पर निशाना साधना या उसे नुकसान पहुँचाना चाहिए। इससे पहले भी चीन विभिन्न बयानों के जरिये Quad समूह देशों को ऐसे किसी भी कदम से बचने की नसीहत दे चुका है जिससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता भंग हो। दोस्तों आज के इस लेख मे हम Quad समूह और इसको लेकर चीन की चिंता पर विस्तार से बातें करने वाले हैं। तो चलिए शुरू करते हैं-
इस लेख मे हम बात करेंगे –
- क्वाड समूह क्या है?
- जानें कैसे आया Quad अस्तित्व में?
- जानें इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में क्या है Quad की भूमिका?
- जानें भारत के लिए Quad क्यों जरुरी है?
- भारत की Quad को लेकर चिंतायें?
- आख़िर क्यों है चीन Quad को लेकर चिंतित?
- निष्कर्ष
Quad समूह क्या है?
- Quad ग्रुप या समूह भारत, जापान , अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया के बीच एक चतुष्पक्षीय (Quadrilateral) गठबंधन समूह है। क्वाड का अर्थ होता है – ‘क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग’।
- मानचित्र में जब क्रमश भारत,जापान , अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया को रेखाओं की सहायता से मिलाया जाये, तो एक चतुर्भुज की आकृति बनकर सामने आती है। यहीं से Quad समूह के नाम को लिया गया है।
- Quad ग्रुप का उद्देश्य इंडो – प्रशांत क्षेत्र में शांति और शक्ति की बहाली करना और संतुलन बनाए रखना है तथा एक स्वतंत्र और समावेशी क्षेत्रीय वास्तुकला को एक दूसरे के साथ साझा करना है।
- Quad समूह अंतर्राष्ट्रीय कानूनों पर आधारित ‘स्वतंत्र, मुक्त एवं समृद्ध’ भारत-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने तथा भारत-प्रशांत क्षेत्र और क्षेत्रों में मौजूद चुनौतियों से निपटने के प्रति संकल्पबद्ध है।
- Quad ग्रुप की अवधारणा साल 2007 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने दी थी। उस समय ‘स्वतंत्रता एवं समृद्धि के आर्क’ के रूप में इस विचार को प्रस्तुत किया गया था।
- किन्तु उस समय विभिन्न राजनीतिक गतिविधियों के चलते यह विचार संगठन का रूप नहीं ले पाया था। साथ में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सरकार ने विभिन्न कारणों के चलते इसमें रूचि कम कर दी थी।
- साल 2017 में मनीला में आसियान शिखर सम्मेलन के एक दिन पूर्व ‘भारत-ऑस्ट्रेलिया-जापान-अमेरिका’ संवाद के साथ Quad ग्रुप अस्तित्व में आया था।
जानें कैसे आया Quad अस्तित्व में?
- साल 2004 जब पूरा हिन्द महासागरीय क्षेत्र सुनामी की त्रासदी झेल रहा था। इस त्रासदी से उस समय लगभग 2,30,000 लोगों ने अपनी जान गँवाई थी।
- इस त्रासदी से निपटने के बाद तात्कालिक अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश की और से एक बयान आया था। उन्होंने बयान में अमेरिका , जापान ,भारत और ऑस्ट्रेलिया को लेकर एक संगठन बनाने की बात सामने रखी थी। जो सुनामी जैसे संकट में फंसे लोगों को बचाने, राहत पहुंचाने, बेघर लोगों के पुनर्वास, बिजली, कनेक्टिविटी और बंदरगाहों को बहाल करने का कार्य करेगा।
- आगे चलकर साल 2007 में इसी विचार को मूल में रखकर जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने Quad ग्रुप की आवश्यकता पर जोर देते हुए सामुद्रिक क्षेत्रों में बचाव एवं रक्षा कार्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जतायी थी।
- साल 2008 मे ऑस्ट्रेलिया चीन के राजनीतिक दबाव मे आकर इस संगठन से पीछे हटने लगा था। अमेरिका भी संयुक्त राष्ट्र संघ मे अपने विभिन्न रणनीतिक अभियानों मे चीनी सहयोग पर निर्भरता के चलते इस संगठन मे नहीं जुड़ पा रहा था।
- साल 2012 मे जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे द्वारा फिर से चारो देशो को एक मंच मे लाने का प्रयास किया गया लेकिन उस समय भी बात नहीं बन पायी।
- साल 2017 मे एक नये उद्देश्य के साथ भारत,जापान ,अमेरिका तथा जापान आसियान सम्मलेन के दौरान फिलीपींस की राजधानी मनीला मे एकजुट हुए। इस बार उद्देश्य था इंडो-पैसिफिक क्षेत्र मे चीन के बढ़ते प्रभाव को अंकुश मे रखना।
- साल 2017 मे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र मे चीनी गतिविधियों के कारण भारत-ऑस्ट्रेलिया -जापान -अमेरिका का व्यापार मार्ग प्रभावित होने की सम्भावना के चलते Quad ग्रुप की स्थापना की गयी।
जानें इंडो–पैसिफिक क्षेत्र में क्या है Quad की भूमिका?
- पैसिफिक ओसियन के साउथ चीन सागर में चीन ने अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानूनों को ताक में रखकर छोटे -छोटे कृत्रिम द्वीपों का निर्माण किया है। चीन इन द्वीपों का तेजी से सैन्यीकरण कर रहा है।
- चीन की समुद्री तट रेखा से लगे देशों को भी चीन धमका रहा है तथा मनमाने ढंग से अन्य देशो की समुद्री सीमा पर खुद का अधिकार जता रहा है। चीन की इन हरकतों से उसके तमाम पड़ोसी देश परेशान हो गए हैं।
- कई बार चीन का पैसिफिक क्षेत्र में अधिकार को लेकर अमेरिका से भी विवाद हुआ है। असल में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र अमेरिका -जापान-ऑस्ट्रेलिया -भारत का व्यापारिक समुद्री मार्ग है। चीन की इन हरकतों का असर इस मार्ग में भी पड़ने लगा है।
- Quad ग्रुप के माध्यम से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की चारों प्रमुख आर्थिक शक्तियों- भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने चीन को यह संदेश देने की कोशिश भी की है कि क्षेत्र में उसके दबदबे को स्वीकार नहीं किया जाएगा और उसे कोई भी कदम अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार उठाना होगा।
- Quad ग्रुप के द्वारा चीन को एकपक्षीय सैन्य नीतियों को त्यागने तथा पडोसी देशो से सहयोग एवं विचार-विमर्श परिपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने के लिए बाध्य किया जा सकता है।
- चीन इस क्षेत्र में एकतरफा निवेश एवं संधियां कर रहा है , जोकि उसके पड़ोसी देश तथा अन्य देशों के लिए खतरा बन रहीं हैं। Quad ग्रुप के द्वारा उसके इस तरीके के मनमाने व्यवहार पर नियंत्रण रखा जा सकता है।
- चीन के बढ़ते कदमो के विरोध में Quad समूह के चारो देश भारत,जापान,अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया आपसी सहयोग से ऐसी स्वतंत्र, सुरक्षात्मक ,आर्थिक नीतियां बनाये जिससे पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते अतिक्रमण को रोका जा सके।
- Quad समूह के माध्यम से अमेरिकी राष्ट्रपति ने पहले भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के समान विचारधारा वाले देशों को एकजुट होकर साथ में आने का न्योता दिया था। Quad समूह समान विचारधारा वाले देशों के लिए सूचनाओं के साझाकरण तथा परस्पर हितो से सम्बन्धी नीतियों पर सहयोग करने हेतु एक अवसर प्रदान करता है।
- Quad ग्रुप के सदस्य देश एक खुले और मुक्त इंडो-पैसिफिक दृष्टिकोण को साझा करते हैं तथा विकास और आर्थिक परियोजनाओं, स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देते हैं।
जानें भारत के लिए Quad क्यों जरुरी है?
- भारत का चीन से साथ आये दिन सीमा को लेकर विवाद होता रहता है या यूँ कहें भारत चीन की अतिक्रमण नीति का शिकार है। ऐसी स्थिति में भारत को जरुरत है ऐसे वैश्विक संगठनो का हिस्सा बनने की जो उसके हितो की रक्षा करने में सक्षम हों।
- चीन जिस तरह से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी पैठ बढ़ा रहा है। इससे निकट भविष्य में भारत के व्यापारिक समुद्री मार्गों के प्रभावित होने का खतरा बढ़ गया है। Quad ग्रुप से जुड़ने के बाद भारत की समुद्री हितों की रक्षा सुनिश्चित हो गयी है।
- Quad के माध्यम से भारत चीन की बढ़ती शक्ति को संतुलित कर नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था को पुनः स्थापित कर सकता है।
- Quad समूह से जुड़ना भारत के लिए अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए एक प्रतिसंतुलित शक्ति के रूप में कार्य कर सकती है।
- Quad समूह भारत के लिए पूर्वी एशिया में विकसित देशों के साथ मजबूत सम्बन्ध बनाने, रणनीतियों का समन्वयन करने तथा सामरिक हितों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण आधार बन सकता है।
- Quad समूह चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के खिलाफ एक बहुत बड़ा हथियार साबित हो सकता है। ज्ञात हो भारत ने चीन के BRI प्रोजेक्ट्स में शामिल होने से मना कर दिया था।
- भारत चीन द्वारा हिन्द महासागर मे भारत को घेरने के लिए चलायी जा रही ‘स्ट्रिंग्स ऑफ़ पर्ल्स’ योजना का जवाब Quad समूह के द्वारा बेहतर तरीके से दे सकता है। चीन को यह बताना बेहद जरुरी है की यदि वह हिन्द महासागर मे अपनी गन्दी नियत का खेल, खेल सकता है तो भारत भी उसे पैसिफिक सी मे घेरने की क्षमता रखता है।
भारत की QUAD को लेकर चिंतायें?
- चीन भारत का व्यापार मे सहयोगी देश भी है। भारत का चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार करीब 5.62 लाख करोड़ रुपये का है। Quad समूह की सदस्यता से व्यापार मे विपरीत असर पड़ सकता है।
- भारत अभी तक अपनी गुटनिरपेक्षता की नीति पर कायम रहा है। लेकिन जिस तरह से चीन और उसके सहयोगी देश Quad समूह को देखते हैं उससे भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति का हनन हो सकता है।
- रूस के हित Quad समूह से प्रभावित होते हैं। भारत-रूस के सम्बन्ध पहले से ही बहुत समृद्ध रहें हैं। भारत की Quad समूह मे सहभागिता रूस और भारत के संबंधों को प्रभावित कर सकती है।
- भारत Quad समूह के सैन्यीकरण के पक्ष मे नहीं है। जबकि जापान-अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया आपस मे सैन्य सम्बन्ध भी है। Quad समूह को एक सैन्य साझेदारी संगठन का रूप देने की इन राष्ट्रों की कोशिश रहती है।
- जापान -अमेरिका मालाबार युद्धाभ्यास मे ऑस्ट्रेलिया को शामिल करके इसे Quad समूह के सैन्य रूप को सामने लाने की तैयारी कर रहे हैं।मालाबार युद्धभ्यास भारत-जापान-अमेरिका का संयुक्त नौसैनिक युद्धभ्यास है।
- भारत एशिया महाद्वीप मे चीन और रूस के साथ बहुत से मंचों मे राजनैतिक ,कूटनैतिक और आर्थिक सम्बन्ध साझा करता है।जैसे- एशिया विकास बैंक, ब्रिक्स , शंघाई सहयोग संगठन आदि। भारत के Quad समूह मे सक्रीय भागीदारी से उसके विभिन्न मंचो पर चीन और रूस के साथ सम्बन्ध प्रभावित हो सकते हैं।
- अमेरिका और चीन के बीच आर्थिक विकास की जंग चल रही है उनके बीच के सम्बन्ध जग-जाहिर हैं। इसकी बहुत तीव्र संभावना हैं की आगे चलकर अमेरिका भारत को भी इस लड़ाई मे खींचेगा।
आख़िर क्यों है चीन Quad को लेकर चिंतित?
- चीन Quad समूह को खुद के खिलाफ अमेरिका की साजिश के तौर पर देखता है। उसे लगता है कि Quad के जरिए अमेरिका उसके अस्तित्व को मिटाना चाहता है।
- चीन को ये भी लगता है कि Quad समुद्र में चीन के आसपास अपने वर्चस्व को बढ़ाना चाहता है और भविष्य में चीन इस समूह के निशाने पर होगा।
- चीन Quad समूह को नाटो का एशियाई संस्करण मानता है। उसे लगता है कि Quad में शामिल भारत, अमेरिका और जापान, जैसे शक्तिशाली देश उसके खिलाफ मिलकर किसी रणनीतिक साजिश को रच रहे हैं।
- चीन Quad समूह को लेकर पहले से ही विरोधी रहा है। वह समय-समय पर Quad पर टिप्पणी करने से बांज नहीं आता है। कुछ समय पूर्व उसके एक मंत्री ने Quad समूह को समुद्र के पानी मे झाग की संज्ञा दी थी। उसका मानना है की समय आने पर Quad समूह हवा से उड़ जायेगा।
- मालाबार युद्धभ्यास मे Quad देशो की सेनाओं द्वारा नौसैनिक युद्धाभ्यास किया जाना चीन को अखरने लगा है। दरअसल चीन पिछले 2 दशकों से दक्षिणी चीन सागर और पूर्वी चीन सागर मे बहुत से सैन्य गतिविधियाँ संचालित कर रहा है।
निष्कर्ष
चीन और Quad के बीच भारत की भूमिका बहुत ही संवेदनशील होने वाली है। एक तरफ चीन ज़मीनी सीमा पर अतिक्रमण करके नये-नये दावे पेश करता रहता है। दूसरी तरफ उसने अरब सागर मे ग्वादर पोर्ट जैसे कई ठिकाने बना कर भारत को घेरने की चाल चली है। चीन के साथ भारत सख्ती के साथ पेश नहीं आ सकता है इसके पीछे वजह है भारत का चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार, भारत तथा विश्व बहुत से पदार्थों के लिए चीन पर निर्भर हैं। चीन विश्व को 60% दुर्लभ वस्तुओं का निर्यात करता है। चीन की ‘व्यापार करो और राज करो’ नीति विश्व के समझ मे अब आने लगी है। चीन इस बात को भली-भांति अमल मे ला चुका है कि सम्पूर्ण विश्व को नियंत्रित करने के लिए उसकी आर्थिक स्थिति को नियंत्रित करना होगा और विश्व का 90% व्यापार समुद्र से होता है। अतः चीन की नजर विश्व के महत्वपूर्ण व्यापारिक समुद्र मार्गो पर है। भारत के राजनैतिक विशेषज्ञों के सामने यह एक बहुत बड़ी चुनौती है कि किस प्रकार से चीन के साथ संबंधों को प्रभावित किये बिना Quad समूह मे भागीदारी सुनिश्चित की जाये।