क्या है भारत – चीन डोकलाम विवाद?

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भारत – चीन डोकलाम विवाद आखिर है क्या? हिंदी चीनी भाई -भाई कहने वाला चीन क्यों डोकलाम पर हमेशा विवाद करता है । दरअसल यह एक त्रिकोण-जंक्शन है । जहाँ  भारत, चीन और भूटान की सीमा मिलती है। दोनों देशों की सेनाएँ पिछले महीने भर से ज्यादा समय से यहाँ डटीं हैं । वर्तमान में डोकलाम पर  चीन के पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन गर्मी) का कब्जा है । चीन इसे तिब्बत सिल्क रोड का हिस्सा मानते हुए दावा करता है । इस विवाद के बारे में अधिक जानकारी लेते हैं:

१). त्रिकोण -जंक्शन बिंदु पर बदलाव एवं सुरक्षा विषय :

३५००किमी.  लम्बी है भारत – चीन सीमा ।  जिसे भारत डोकलाम, भूटान डोक ला और चीन  डोकलांग कहा जाता है। १९६२ में इसी विवाद पर युद्ध भी हो चुका है । भारत भूटान का साथ देता है । चीन यहाँ अकेले सड॒क निर्माण करना चाहता है। जिससे  एकतरफा त्रिकोण -जंक्शन में बदलाव हो रहा है ।जो भारत की सुरक्षा हेतु खतरा है क्योंकि पूर्वोत्तर राज्यों को भारत से जोड़ने वाली सड़क चीन के जद में आ जाएगी। भारत इसे २०११ के समझौते का उल्लंघन मानता है ।चीन और भूटान दोनों ही इस इलाके पर अपना दावा करते हैं।  भूटान और चीन में कोई राजनयिक समझौता न होने के कारण भारत को भूटान के ऐसे मामले में सैन्य एवं राजनयिक सहयोग करता है ।

२). चिकन नेक पर चीन की नज़र:

डोकलाम में सड़क निर्माण का भारत इस लिए भी विरोध करता है कि अगर चीन ने यह सड़क बना ली तो उत्तर पूर्वी राज्यों को देश से जोड़ने वाली २० किमी. चौड़े इलाके पर चीन की बढ़त हो जाएगी भारतीय सैन्य भाषा में इस इलाके को चिकन नेक कहा जाता है ।भारत में यह इलाका सेवन सिस्टर के नाम से जाना जाता है ।चीन को यह बात नागवार गुजरती है ।

३). सैनिकों ने बनाया मानव दीवार:

पिछले दिनों चीनी सेना ने  लालटेन आउट पोस्ट पर भारतीय बंकरों पर निशाना सीधा था ।इसके जबाब में भारत ने तो कोई हमला नहीं किया पर सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच धक्का मुक्की हुई थी । इसके बाद भारतीय सेना ने चीन के सैनिकों को रोकने के लिए मानव दीवार बनाई और चीन की १९६२  की धमकी पर यह करारा जबाब भी दिया कि वो १९६२ था और आज २०१७ है ।चीन इस बात को ना भूले और अपना रवैया सही रखे और संयम बरते ।

उपर्युक्त बिंदुओं के पर हमने यह जाना कि भारत – चीन डोकलाम विवाद की वस्तु स्थिती का सार यह है कि भारत की सुरक्षा और चीन की अतिक्रमणात्मक है जिसकी वजह से समय पर यह मुद्दा ज्वलंत होता रहता है ।चीन अपने इस विध्वंसक नीति से जहाँ एक ओर भूटान पर अधिग्रहण की कोशिश  में लगा है वहीं भारत की सुरक्षा को ध्वस्त कर एक तीर से दो निशाना सधाने का प्रयास विगत कई वर्षों से लगातार करता रहा है इस वार तो उसने भाषाई तौर पर भी अपने सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार किया है । एक रिर्पोट के अनुसार १०,०००सैनिकों को चीन ने हिंदी भाषा  सिखाई ताकि युद्ध की स्थिती में  चीन को यह काम आ सके।

 

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