Kanya Shikhsa Pravesh Utsav इस उद्देश्य से शुरू किया गया है कि 11 से 14 साल की स्कूल की पढ़ाई छोड़ चुकीं किशोरियों को शिक्षा प्रणाली में एक बार फिर से वापस लाया जा सके।
यह सवाल कि What is ‘Kanya Shikhsa Pravesh Utsav’ प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बन गया है, क्योंकि हाल ही में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार की ओर से यह महत्वपूर्ण योजना शुरू की गई है। कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव अभियान इस लक्ष्य के साथ शुरू किया गया है कि 11 से 14 वर्ष तक की उन किशोरियों, जो कि किन्हीं वजहों से स्कूल की पढ़ाई छोड़ चुकी हैं, उन्हें एक बार फिर से शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए, ताकि शिक्षित होकर वे भी स्व के साथ अपने परिवार समाज और इस देश के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकें। यह एक राष्ट्रव्यापी अभियान है और इसकी सफलता के लिए विभिन्न मंत्रालय, विभाग और राज्य मिलजुल कर आपस में सामंजस्य स्थापित करते हुए काम करेंगे।
Kanya Shikhsa Pravesh Utsav: क्यों पड़ी आवश्यकता?
- कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव अभियान को शुरू किए जाने की वजह खुद इस अभियान के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी संभालने वाले बाल विकास मंत्रालय में महिला एवं बाल विकास सचिव इंदेवर पांडे ने बताई है। अभियान को शुरू किए जाने की घोषणा के वक्त उन्होंने भारत में बालिकाओं की शिक्षा से संबंधित कुछ बड़े ही चिंताजनक आंकड़े पेश किए।
- उन्होंने बताया कि देश में वे बालिकाएं, जो कि आंगनबाड़ी में पोषण, पोषण शिक्षा एवं कौशल विकास के लिए इस वक्त जा रही हैं, उनकी संख्या सिर्फ 4 लाख है। इंदेवर पांडे ने यह भी बताया है कि किशोर बालिका योजना (SAG) के अंतर्गत वर्ष 2018-19 के दौरान लाभार्थी किशोरियों की संख्या 11 लाख 88 हजार थी, लेकिन वर्ष 2021 में यह संख्या तेजी से घटी और यह 5 लाख 3 हजार पर घटकर आ गई। इसका मतलब यह हुआ कि किशोर बालिका योजना ज्यादा प्रभावी नहीं रह गई है।
- साथ ही पांडे ने यह भी जानकारी दी है कि पोषण 2 और सक्षम आंगनवाड़ी योजनाओं के अंतर्गत अब सिर्फ 14 से 18 साल की आयु वर्ग की ही किशोरियों को शामिल किया जाएगा। वे किशोरियां, जिनकी उम्र 11 से 14 साल की होगी, नई स्कूली शिक्षा में आंगनवाड़ी प्रणाली में अब वे शामिल नहीं की जाएंगी।
- इसी तरह से यह देखने को मिला कि शिक्षा के प्रति लड़कियों का रुझान तेजी से घटा है। विशेषकर कोरोना महामारी के दौरान इस संख्या में और तेजी से कमी आई है।
- किशोरियों की शिक्षा को लेकर चिंताजनक हालात केवल भारत में ही नहीं हैं। यूएन वूमेन वेबसाइट को यदि आप देखें, तो यहां उपलब्ध आंकड़े आपको यह बताते हैं कि इस दुनिया में जो 79 करोड़ 60 लाख अनपढ़ हैं, उनमें से दो तिहाई से भी अधिक संख्या महिलाओं की है।
- दुनियाभर में सिर्फ 39 फीसदी ग्रामीण लड़कियां ही ऐसी हैं, जो सेकेंडरी स्कूल तक की पढ़ाई करती हैं। वर्ष 2020 में जब से दुनियाभर में कोविड-19 महामारी फैली है, उसके बाद 1 करोड़ 10 लाख से भी ज्यादा लड़कियां पढ़ाई के लिए स्कूल नहीं लौटी हैं।
यूं संचालित होगा कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव अभियान
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय मिलकर कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव अभियान को चला रहे हैं। इस अभियान को चलाने की जिम्मेवारी कई मंत्रालय, विभाग और अलग-अलग राज्य मिलकर उठाएंगे।
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत ही कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव अभियान को चलाया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत सबसे पहले 4 लाख से भी ज्यादा स्कूल नहीं जा रहीं किशोरियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और उन तक इसका लाभ पहुंचाने की कोशिश की जाएगी।
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत देशभर के अलग-अलग राज्यों के 400 से भी ज्यादा जिलों में कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव अभियान को चला कर वहां जमीनी स्तर तक योजना की पहुंच बनाई जाएगी। साथ ही किशोरियों के स्कूलों में नामांकन के लिए समुदायों एवं परिवारों को जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
- अभियान के तहत जागरूकता फैलाने के लिए वित्त पोषण भी किया जाना शामिल है। समग्र शिक्षा अभियान में लगी कार्यकर्ताओं एवं आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को इस चीज के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा कि स्कूल नहीं जा रहीं किशोरियों की वे काउंसलिंग करें और वे उन्हें स्कूल जाने के लिए प्रेरित भी करें।
- समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत जो पैसे प्राप्त हो रहे हैं, इसका इस्तेमाल इस अभियान को चलाने के लिए किया जाएगा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की इस अभियान में विशेष भूमिका होने वाली है।
- देशभर में संचालित हो रहे आंगनबाड़ी केंद्र का निरीक्षण इस अभियान के अंतर्गत होगा और स्कूल से बाहर जितनी भी किशोरियां हैं, उन सभी के आंकड़े एकत्र करने की कोशिश की जाएगी।
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के लागू हो जाने के बाद जितनी भी लड़कियां स्कूली शिक्षा से दूर हो गई हैं, एक बार फिर से शिक्षा प्रणाली में उन्हें लौटाए जाने का लक्ष्य कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव अभियान के अंतर्गत निर्धारित किया गया है।
Kanya Shikhsa Pravesh Utsav केंद्रीय मंत्री की नजर से
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव अभियान की शुरुआत के दौरान यह बताया कि महिलाओं एवं लड़कियों के लिए काम करने की जरूरत को सरकार पूरी तरीके से समझती है और इस आवश्यकता को स्वीकार भी करती है। स्मृति ईरानी ने यह भी कहा कि सरकार लगातार स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल निर्माण, वित्तीय साक्षरता और सुरक्षा में निवेश करने में जुटी है। साथ ही किशोरियों एवं लड़कियों को सशक्त बनाने की दिशा में भी सरकार काम कर रही है। अपने देश में बच्चों एवं युवाओं के बीच लिंग समानता का दृष्टिकोण विकसित करने के लिए भी सरकार प्रतिबद्ध है।
चलते-चलते
Kanya Shikhsa Pravesh Utsav अभियान की सफलता के लिए सरकार के साथ-साथ आमजनों को भी प्रयास करने की जरूरत है, क्योंकि स्कूल छोड़ चुकीं किशोरियां यदि एक बार फिर से अपनी पढ़ाई पूरी कर पाती हैं, तो इससे उनके साक्षर होने का लाभ उनके परिवारों को तो मिलेगा ही, साथ में यह समाज और यह देश भी लाभान्वित हो पाएगा।