‘ड्रोन रूल्स, 2021’ का मसौदा तैयार

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Drones in India


देश मे ड्रोन  के बढ़ते चलन और सीमा पर ड्रोन की बढ़ती घुसपैठ के मद्देनजर नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ड्रोन रूल्स, 2021′ का मसौदा तैयार किया है। मंत्रालय ने इस नए मसौदे को लोगों की राय एवं सुझाव के लिए 5 अगस्त तक लोगों के बीच रखा है। मंत्रालय ने इस मसौदे को पहले से मौजूद कानून मे जरुरी अपडेट के बाद तैयार किया है। आम लोगों के आवश्यक सुझावों के बाद ड्रोन रूल्स, 2021′ को अधिसूचित किया जायेगा। आइये जानते हैं नए मसौदे ड्रोन रूल्स, 2021′ मे क्या-क्या नियम शामिल हैं।

इस लेख मे हम लायें हैं –

  • क्यों लाया गया नया ड्रोन नियम, 2021?
  • जानें क्या कहता है नया ड्रोन नियम, 2021?
  • UAS(यूएएस) नियम, 2021 का स्थान लेगा ड्रोन नियम, 2021
  • क्या होते हैं ड्रोन?
  • ड्रोन से सम्बंधित रोचक तथ्य 

क्यों लाया गया नया ड्रोन नियम, 2021?

  • हाल ही मे, जम्मू-कश्मीर के एयरबेस मे आतंकी हमले मे ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है। इस घटना के बाद सीमा पर भी ड्रोन की घुसपैठ देखी गयी है।
  • आतंकियों द्वारा ड्रोन को नये आतंकी हथियार के रूप मे उपयोग किया जाने लगा है। हाल ही मे सीमा पर ड्रोन की घुसपैठ को सेना द्वारा नाकाम किया गया है।
  • देश मे अनेक अवसरों पर ड्रोन का उपयोग अत्यधिक मात्रा मे किया जाने लगा है, जैसे – सामान डिलीवरी, मेडिसिन डिलीवरी, शादी-विवाह, चुनावी प्रचार, फिल्मांकन आदि।
  • हाल ही मे, मंत्रिमंडल मे विस्तार स्वरुप ज्योतिरादित्य सिंधिया नये नागरिक उड्डयन मंत्री बनाये गए हैं। अभी कुछ समय पूर्व ही श्रीनगर एयरबेस मे हुए ड्रोन आतंकी हमले के बाद नये नागरिक उड्डयन मंत्री पर त्वरित कार्यवाही का दबाव होना स्वाभाविक ही है। ऐसे मे पहले से बने नियमो मे बदलाव करना जरुरी था।

जानें क्या कहता है नया ड्रोन नियम, 2021?

नागर विमानन मंत्रालय ने विश्वास, स्वप्रमाणन एवं बिना किसी दखल के निगरानी के आधार पर भारत में ड्रोन का आसानी से इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए मसौदा नियम जारी किए हैं, जो इस प्रकार से हैं।

  • ड्रोन नियम, 2021 – ड्रोन संचालित करने के लिए भरे जाने वाले प्रपत्रों की संख्या ‘ड्रोन नियम-2021’ के मसौदे में 6 कर दिया गया है जो की मानव रहित विमान प्रणाली (यूएएस) नियम, 2021 में वर्णित 25 प्रपत्रोंन की तुलना में काफी कम है।
  • ड्रोन नियम, 2021 मसौदा नियमों में शुल्क का ड्रोन के आकार से कोई संबंध नहीं होगा।
  • नये नियमो के अनुसार – मसौदे मे विभिन्न स्वीकृतियों की आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया है, जिनमें रखरखाव का प्रमाण पत्र, अनुरूपता का प्रमाण पत्र, आयात मंजूरी, ऑपरेटर परमिट, मौजूदा ड्रोन की स्वीकृति, अनुसंधान एवं विकास संगठन का प्राधिकार और छात्र दूरस्थ पायलट लाइसेंस शामिल हैं।
  • नये मसौदे के अनुसार ग्रीन जोन में 400 फुट तक और हवाई अड्डे की परिधि से  8 -12 किमी(येलो जोन) के बीच के क्षेत्र में 200 फुट तक उड़ान के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
  • मसौदा नियमों के अनुसार, माल पहुंचाने के लिए ड्रोन गलियारे विकसित किए जाएंगे और देश में ड्रोन के अनुकूल नियामक व्यवस्था की सुविधा के लिए एक परिषद की स्थापना की जाएगी।
  • माइक्रो ड्रोन (गैर-व्यावसायिक उपयोग के लिए), नैनो ड्रोन और आरएंडडी (अनुसंधान और विकास) संगठनों के लिए किसी पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी।
  • भारत में पंजीकृत विदेशी स्वामित्व वाली कंपनियों के ड्रोन संचालन पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।
  • रिसर्च और डेवलपमेंट संस्थाओं के लिए उड़ान योग्यता प्रमाण पत्र, विशिष्ट पहचान संख्या, पूर्व अनुमति और दूरस्थ पायलट लाइसेंस की कोई जरूरत नहीं है।
  • ड्रोन नियम, 2021 के तहत ड्रोन का कवरेज 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम किया गया। इसमें ड्रोन टैक्सियां ​​भी शामिल होंगी।
  • ड्रोन निर्माता सेल्फ सर्टिफिकेशन रूट के जरिये डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर अपने ड्रोन की विशिष्ट पहचान संख्या जेनरेट कर सकते हैं।
  • ड्रोन नियम, 2021 के तहत अधिकतम जुर्माने को घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है। हालांकि, यह दूसरे कानूनों के उल्लंघन के संबंध में लगाये गये दंड पर लागू नहीं होगा।

UAS(यूएएस) नियम, 2021 का स्थान लेगा ड्रोन नियम, 2021

  • फ़िलहाल तो ड्रोन नियम, 2021 लोगों की आम राय और सुझाव के लिए जनता के बीच रखा गया है। सुझाव देने की समय-सीमा 5 अगस्त 2021 रखी गयी है।
  • एक बार लोगो की राय प्राप्त हो जाये तो ड्रोन नियम, 2021 मसौदे को अधिसूचित  कर दिया जायेगा। इसके बाद ये ड्रोन परिचालन के लिए पहले से मौजूद यूएएस नियम, 2021 का स्थान लेगा।
  • UAS (यूएएस) नियम, 2021 को 12 मार्च 2021 मे लागू किया गया था। इस नियम को उस वक्त जारी किया गया था। जब कोरोना वायरस और पेंडमिक ने तकनीक के इस्तेमाल से ह्यूमन इंटरफेयरेंस कम करने की दिशा में काम करने को  प्रेरित किया था।
  • ड्रोन डेटा संग्रह के लिए कम लागत, सुरक्षित और त्वरित हवाई सर्वेक्षण प्रदान करते हैं और बिजली, खनन, रियल्टी और तेल और गैस की खोज जैसे उद्योगों के लिए उपयोगी हैं।
  • UAS (यूएएस) नियम, 2021 के अनुसार ड्रोन का इस्तेमाल सामान की डिलेवरी के लिए नहीं किया जा सकता था। इसका इस्तेमाल सर्वे के लिए, फाटाग्राफी के लिए, सुरक्षा और विभिन्न जानकारी एकत्र करने के लिए ही किया जा सकता था।

क्या होते हैं ड्रोन?

  • चालक रहित छोटे विमान या हेलीकाप्टर को ड्रोन कहते है, जिन्हे दूर रहकर नियंत्रित किया जाता है। प्रायः ड्रोन को रिमोट या कंप्यूटर की मदद से संचालित किया जाता है।
  • ड्रोन को मानव रहित विमान (Unmanned Aerial Vehicle-UAV) भी कहा जाता है। इनका उपयोग ऊंचाई से सम्बंधित कार्यो को करने में होता है।
  • ड्रोन को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • नैनो ड्रोन- 250 ग्राम से कम वजनी ड्रोन्स को नैनो ड्रोन कहा जाता है।
  • माइक्रो ड्रोन-  250 ग्राम से अधिक और 2 किलो ग्राम से कम वजनी ड्रोन्स को माइक्रो ड्रोन कहा जाता है।
  • स्मॉल ड्रोन– ऐसे ड्रोन्स जिनका वजन 2 ग्राम किलो से  25 किलो ग्राम के मध्य में होता है , स्मॉल ड्रोन कहलाते हैं।
  • मीडियम ड्रोन– वे ड्रोन जिनका वज़न 25 किलो ग्राम से अधिक लेकिन 150 किलो ग्राम से कम होता है।
  • लार्ज ड्रोन- वे ड्रोन जिनका वज़न 150 किलो ग्राम से अधिक होता है।
  • इसके अतिरिक्त ड्रोन्स को सामान्य उद्देश्य ड्रोन्स तथा एडवांस्ड ड्रोन्स में भी बांटा जा सकता है। सामान्य उद्देश्य ड्रोन्स का इस्तेमाल किसी भी आम नागरिक द्वारा दैनिक कार्यों के निष्पादन हेतु किया जाता है। जबकि एडवांस्ड ड्रोन्स का उपयोग सैन्य गतिविधियों में किया जाता है।

ड्रोन से सम्बंधित रोचक तथ्य

  • ड्रोन का शाब्दिक अर्थ –नर मधुमक्खी होता है। ड्रोन्स परिचालन के लिए दिसम्बर 2018 को ड्रोन नीति (Drone Policy) बनायी गयी थी।
  • लिखित रूप से सर्वप्रथम साल 1935 में ब्रिटेन की रॉयल एयरफोर्स ने रेडियो तरंगों से संचालित और निर्देशात्मक ड्रोन का प्रामाणिक इस्तेमाल किया था।
  •  Drone Policy  के अनुसार ड्रोन चलाने हेतु व्यक्ति का 18 वर्ष का होना आवश्यक है। 18 वर्ष से काम उम्र का व्यक्ति ड्रोन नहीं चला सकता है।
  • ड्रोन चलाने हेतु व्यक्ति की शैक्षिक योग्यता कम से कम 10वी पास होनी चाहिए।
  • ड्रोन चलाने से पहले इसके फ्लाइंग जोन की जानकारी होनी आवश्यक है। ये इस प्रकार से है।
  • रेड जोन – हवाई अड्डों से सम्बंधित आस-पास के क्षेत्र को रेड जोन कहा जाता है। यहाँ ड्रोन उड़ान की अनुमति नहीं होती है।
  • येलो जोन -हवाई अड्डों से कुछ किलोमीटर की दूरी का क्षेत्र जहाँ पर ड्रोन के परिचालन हेतु अनुमति लेनी अनिवार्य होती है। 
  • ग्रीन जोन – हवाई अड्डों से काफी दूर का क्षेत्र जहाँ ड्रोन परिचालन के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है।
  • नो ड्रोन ज़ोन  – सामरिक महत्व के कुछ ऐसे क्षेत्र भी होते हैं जहाँ ड्रोन परिचालन की अनुमति नहीं होती है। जैसे – देश की सीमा का क्षेत्र , सचिवालय , संसद , हवाई अड्डे आदि।
  • ड्रोन के परिचालन के सम्बन्ध में Directorate General of Civil Aviation (DGCA) दिशा निर्देश जारी करता है।
  • नैनो ड्रोन्स के अतिरिक्त सभी ड्रोन्स के परिचालन के लिए विशिष्ट पहचान संख्या (Unique Identification Number-UIN) प्राप्त करना आवश्यक है।
  • किसी विदेशी नागरिक को Unique Identification Number-UIN जारी नहीं किया जा सकता है। अतः कोई विदेशी नागरिक भारत में नैनो ड्रोन्स के अतिरिक्त अन्य ड्रोन नहीं उड़ा सकता है।
  • आम तौर पर ड्रोन केवल दिन के समय में उड़ा सकते हैं। रात्रि के समय इसके परिचालन के लिए स्थानीय प्रशासन से विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है।  
  • पहले जब ड्रोन का अविष्कार नहीं हुआ था। तब पतंगों या क्रेन्स के माध्यम से ऊंचाई वाली फोटोग्राफी की जाती थी।
  • इजराइल को ड्रोन्स के निर्माण में सबसे अधिक महारथ हासिल है। विश्व में सबसे ज्यादा ड्रोन्स का निर्माण इज़राइल ही करता है।
  • साल 1980 मे इराक-ईरान के युद्ध मे पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था।
  • सबसे पहले सशस्त्र ड्रोन का इस्तेमाल अमेरिका ने ओसामा-बिन लादेन की खोज के लिए किया था।
  • वर्तमान मे खेल के मैदानों, शादी विवाहों , चुनावी प्रचार, फिल्मांकन आदि कार्यों मे ड्रोन का इस्तेमाल आम हो गया है।
  • लड़ाकू विमानों को रिटायरमेंट के बाद ड्रोन विमानों मे बदल दिया जाता है।
  • भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और डीआरडीओ संस्थान ड्रोन के अनुसन्धान और विकास मे कार्य करते हैं।

चलते चलते

वर्तमान मे ड्रोन मानव के लिए विज्ञान की दोधारी तलवार है, अर्थात इसके इस्तेमाल के फायदे और नुकसान दोनों बराबर हैं। एक ओर बाढ़ राहत कार्य, भूकंप राहत कार्य, सैन्य अभियान,फिल्मांकन, इमरजेंसी इक्विपमेंट डिलीवरी,नागरिक सुरक्षा, ट्रैफिक नियंत्रण, जासूसी आदि कार्यों मे इसका उपयोग मानवता की भलाई के लिए होता है। लेकिन दूसरी ओर यदि यह तकनीक गलत हाथों मे पड़ जाये तो ये मानव सुरक्षा के लिए घातक सिद्ध हो जाती है। आतंकवादी गतिविधियों मे इसका उपयोग किया जाने लगा है। ड्रोन इस्तेमाल के फायदों और नुकसान की समीक्षा का कार्य हम आपके ऊपर छोड़ते हुए इस लेख को यहीं समाप्त करते हैं। यदि आपको हमारे द्वारा दी जा रही जानकारी पसंद आ रही है तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें। धन्यवाद !

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