21 जुलाई 2021 का दिन भारतीय मिसाइल तकनीक प्रोग्राम के लिए गर्व का विषय बन गया। इस दिन भारत ने स्वदेशी Akash-NG मिसाइल का दूसरा सफल परीक्षण किया। इस परीक्षण का आयोजन भारतीय रक्षा एवं अनुसन्धान संगठन (DRDO) और भारतीय वायु सेना के तत्वाधान में एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) चांदीपुर, उड़ीसा में किया गया। Akash-NG ने न केवल अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त किया बल्कि इसकी परीक्षण उड़ान डेटा को कैप्चर करने के लिए लगाए गए इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम, रडार और टेलीमेट्री जैसे कई रेंज स्टेशनों के अनुरूप उत्तम प्रदर्शन भी किया। इसके सफल परीक्षण के बाद केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जी ने ख़ुशी और गर्व जाहिर करते हुए , DRDO और भारतीय वायु सेना को बधाई दी है। इस बात की जबरदस्त सम्भावना है कि Akash-NG भारतीय सेना कि ताकत में अभूतपूर्व वृद्धि करने वाली है। आज के इस लेख में हम आपको नयी पीढ़ी की मिसाइल Akash-NG के सम्बन्ध में हर जरुरी जानकारी देने वाले हैं। तो दोस्तों हमारे इस लेख नयी पीढ़ी की आकाश मिसाइल (Akash-NG) के साथ जुड़े रहिये।
इस लेख में हम आपके लिए आये हैं –
- आकाश मिसाइल (Akash-NG)
- जानियें क्या खास है आकाश -NG में?
- जानें क्या है आकाश मिसाइल?
- मिसाइल किसे कहते हैं?
- भारत की प्रमुख मिसाइलें.
- जानियें क्या है IGMDP?
- जानियें कौन हैं मिसाइलमैन ऑफ़ इंडिया?
आकाश मिसाइल (Akash-NG)
- Akash-NG भारत के पास पहले से मौजूद आकाश मिसाइल का एडवांस्ड या प्रवर्धित संस्करण है।
- Akash-NG एक मीडियम रेंज सतह से हवा में मार कर सकने में सक्षम मिसाइल है।
- Akash-NG का निर्माण हवा में तेजी से उड़ने वाले यूएवी(ड्रोन), विमान और मिसाइल जैसे लक्ष्यों को नष्ट करने के उद्देश्य से किया गया है।
- Akash-NG का विकास एवं प्रारूप निर्माण भारतीय रक्षा अनुसन्धान संगठन(DRDO) तथा रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (DRDL) ने मिलकर तैयार किया है।
- Akash-NG का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (BEL) तथा भारत डायनामिक लिमिटेड (BDL) ने मिलकर किया है।
- भारत सरकार से Akash-NG विकसित करने के लिए सितम्बर, 2016 में मंजूरी प्रदान की तथा ₹470 करोड़ का फण्ड भी जारी किया था।
- Akash-NG के तहत पहली बार इसका सफल परीक्षण DRDO द्वारा 25 जनवरी 2021 को चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) मे किया गया था।
जानियें क्या खासियत है Akash -NG में?
- Akash -NG एक हल्के भार वाली मिसाइल है , इसकी लंबाई 560 सेंटीमीटर तथा चौड़ाई 35 सेंटीमीटर है।
- Akash -NG 60 किलोग्राम के विस्फोटक वारहेड को ले जाने की क्षमता रखती है।
- Akash -NG को आत्मनिर्भर भारत के तहत विकसित किया गया है। इसके निर्माण में 96% तक स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
- Akash -NG की अधिकतम मारक क्षमता 70 KM दुरी तक है तथा ये 18000 फ़ीट की ऊंचाई तक के लक्ष्य को भेद सकती है।
- आकाश मिसाइल पूरी तरह से गतिशील है और वाहनों के चलते काफिले की रक्षा करने मे सक्षम है। इसकी मारक क्षमता में वृद्धि के लिए इसमें ड्यूल पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर का इस्तेमाल किया गया है।
Also Read: Missile Journey of India
जानें क्या है आकाश मिसाइल?
- आकाश मिसाइल , Akash -NG का पूर्ववर्ती रूप है , इसे ही प्रवर्धित करके नई पीढ़ी की आकाश मिसाइल Akash -NG को विकसित किया गया है।
- आकाश मिसाइल का विकास DRDO ने किया है। इसका निर्माण आयुध निर्माण फैक्ट्री , भारत डायनामिक्स लिमिटेड तथा भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड के द्वारा मिलकर किया जाता है।
- आकाश मिसाइल में लड़ाकू जेट विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर करने की क्षमता है।
- आकाश मिसाइल भारत की प्रथम स्वदेशी ज़मीन से हवा में वार करने वाली मिसाइल है। साल 2009 से आकाश मिसाइल देश सेवा में समर्पित है।
- आकाश एक सुपरसोनिक मिसाइल है इसकी अधिकतम गति 2.5MAC है तथा यह 30 km तक के क्षेत्र में वार कर सकती है।
- आकाश को साल 2009 में भारतीय वायु सेना में और साल 2015 में भारतीय थल सेना में शामिल किया गया था।
- अभी तक आकाश मिसाइल के मार्क-1, मार्क-2 तथा Akash-NG संस्करण आ चुके हैं। DRDO वर्तमान में इसके आकाश प्राइम संस्करण पर कार्य कर रहा है, जिसके जल्द ही पूरा होने के आसार लगाए जा रहे हैं।
मिसाइल किसे कहते हैं?
- मिसाइल को शुद्ध हिंदी में प्रक्षेपास्त्र कहते हैं। प्रक्षेपास्त्र का संधि-विच्छेद करें तो प्रक्षेप +अस्त्र प्राप्त होता है।
- प्रक्षेप का अर्थ होता है ‘हवा में फेंकना’ और अस्त्र को हथियार कहा जाता है। अतः इसका शाब्दिक अर्थ ‘हवा में फेंकने योग्य हथियार’ निकल कर आता है।
- मिसाइल का मतलब ऐसा हथियार है, जो किसी दूर स्थित लक्ष्य के भेदने में सक्षम होता है। यह स्व-चालित होता है तथा इसे दूर से नियंत्रित किया जा सकता है।
- मिसाइल एक प्रकार का रॉकेट ही होती है किन्तु इसमें इसे निर्देशित करने के लिए एक गाइडेड सिस्टम लगा रहता है।
- प्रक्षेप पथ के आधार पर मिसाइलों को दो भागों में क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों में बांटा जाता है।
- क्रूज मिसाइल को दागने के बाद निर्देशित करके उसकी दिशा को बदला जा सकता है। किन्तु बैलेस्टिक मिसाइल की दिशा को दागने के बाद बदला नहीं जा सकता है।
- मिसाइलों का वर्गीकरण इनको दागने के आधार पर भी किया जाता है। जैसे – सतह –से-सतह पर, सतह-से-हवा में, सतह-से-पानी में आदि।
- किसी भी मिसाइल के मुख्य चार भाग होते हैं। पहला इंजन, दूसरा फ्लाइट सिस्टम ,तीसरा दिशा निर्देशन यन्त्र तथा चौथा वारहेड।
भारत की प्रमुख मिसाइलें
अग्नि
- यह एक बैलिस्टिक प्रकार की सतह-से-सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जा सकने में सक्षम है।
- अग्नि मिसाइल के विकास पर भारत ने साल 1999 में कार्य करना शुरू किया था तथा इसका प्रथम परीक्षण साल 2002 में किया गया था।
- अग्नि मिसाइल के अभी तक कुल 5 संस्करण अग्नि -1,2,3,4,5 नाम से आ चुके हैं।
- अग्नि श्रेणी की मिसाइल में सबसे ज्यादा मारक क्षमता अग्नि 5 मिसाइल की है। यह भारत की पहली अंतर महाद्वीपीय मिसाइल है इसकी मारक क्षमता 5000 km है।
पृथ्वी
- पृथ्वी भारत की प्रथम स्वदेशी सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है। भारतीय सशस्त्र सेनाओं की जरुरत के हिसाब से इसके तीन संस्करण बनाये गए हैं।
- पृथ्वी-1 मिसाइल भारतीय थल सेना के लिए तैयार किया गया संस्करण है। इसकी मारक क्षमता 150KM है तथा यह 1000kg विस्फोटक ले जाने की क्षमता रखती है।
- पृथ्वी 2 मिसाइल भारतीय वायु सेना के लिए तैयार की गयी है। इसकी मारक क्षमता 350KM तथा यह 500Kg विस्फोटक ले जाने मे सक्षम है।
- पृथ्वी 3 मिसाइल भारतीय नौसेना के लिए तैयार किया गया संस्करण है। इसकी मारक क्षमता 350KM तथा यह 1000Kg विस्फोटक ले जाने मे सक्षम है।
ब्रह्मोस
- ब्रह्मोस माध्यम दूरी की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसकी अधिकतम गति 2.8 Mac है, यह रडार की नजरों से भी बचकर निकलने में सक्षम है।
- ब्रह्मोस भारत और रूस का संयुक्त प्रक्रम है। भारत के रक्षा एवं अनुसन्धान संगठन तथा रूस की एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिया ने मिलकर इसे तैयार किया है।
- ब्रह्मोस परमाणु सम्पन्न मिसाइल है , इसकी मारक क्षमता 500 km है तथा ये 200kg के विस्फोटक को ले जाने मे सक्षम है।
- ब्रह्मोस को भारत की तीनो सेनाओं में सम्मिलित कर लिया गया है। इसे ज़मीन, हवा ,पानी तीनो स्थानों से दागा जा सकता है।
नाग
- नाग मिसाइल भारत की प्रथम स्वदेशी एंटी-टैंक मिसाइल है। इसकी मारक क्षमता 4 किलोमीटर है।
- नाग मिसाइल दागो और भूल जाओ सिद्धांत मे कार्य करती है। इसे एक बार दागे जाने के बाद पुनः निर्देशित कराने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
- नाग मिसाइल को हेलीकाप्टर से भी दागा जा सकता है। इसके हेलीकॉपटर से दागे जाने वाले संस्करण का नाम हेलिना है।
जानियें क्या है IGMDP?
- भारत ने जुलाई 1983 मे स्वदेशी मिसाइल के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के उद्देश्य के साथ समन्वित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम (इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम-IGMDP) की स्थापना की थी।
- इसकी स्थापना का उद्देश्य निर्देशित प्रक्षेपास्त्र, अर्द्ध स्वचालित प्रक्षेपास्त्र तथा गति के आधार पर निर्देशित प्रक्षेपास्त्र बनाने की प्रौद्योगिकी विकसित करना था।
- स्वदेशी तकनीक से मिसाइल बनाने की जिम्मेदारी रक्षा एवं अनुसंधान संगठन DRDO को सौपी गयी। अभी तक DRDO द्वारा जितनी भी मिसाइलों का विकास किया गया है वो सब IGMDP के अंतगर्त किया गया है।
- IGMDP के तहत सबसे पहली स्वदेशी मिसाइल पृथ्वी है , इसके बाद अग्नि ,ब्रह्मोस, नाग, त्रिशूल , धनुष , आकाश आदि की लम्बी श्रृंखला है।
जानियें कौन हैं मिसाइल मैन ऑफ़ इंडिया?
- भारत के पूर्व राष्ट्रपति ,एक महान वैज्ञानिक और हम सब के प्यारे डॉ A P J अब्दुल कलाम साहब को भारत का मिसाइल मैन कहा जाता है।
- अब्दुल कलाम साहब को बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत मे ‘मिसाइल मैन’ के रूप मे जाना जाता है।
- एक परमाणु वैज्ञानिक और मिसाइल विशेषज्ञ के रूप में कलाम साहब ने भारतीय रक्षा एवं अनुसन्धान संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दोनों को अपनी सेवायें प्रदान की थी।
- आपकी वैज्ञानिक सेवा, शिक्षा , लेखन तथा सामाजिक कार्यों के लिए भारत सरकार ने साल 1997 मे आपको सर्वोच्च नागरिकता पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया था।
- कलाम साहब का जन्म 15 अक्टूबर 1931 मे रामेश्वरम में हुआ था। कलाम साहब के कार्यों का कद्रदान केवल भारत ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व था।
- नासा तथा कई महत्वपूर्ण वैश्विक संगठनों के आमंत्रण के बाद भी कलाम साहब ने देश सेवा को सबसे ऊपर रखा था। ये कलाम साहब का समर्पण ही था की आज भारत विश्व में मिसाइल तकनीक में आत्मनिर्भर बन चुका है।
- 27 जुलाई 2015 को कलाम साहब हमें छोड़कर हमेशा के लिए चले गए। उनके निधन पर एक चीनी प्रोफेसर का बयान था कि कलाम साहब भारत के ही नहीं सम्पूर्ण विश्व के वैज्ञानिक थे , उनका चला जाना सम्पूर्ण विश्व के लिए क्षति है।
चलते चलते
साल 1960 से भारत का मिसाइल अनुसंधान में शुरू हुआ सफर साल 1983 से होता हुआ , पृथ्वी मिसाइल तक पहुंचा। यहाँ से एक नए मिसाइल युग का शुभारम्भ हुआ जो अग्नि, नाग,ब्रह्मोस, पिनाक , शौर्य , धनुष , आकाश, त्रिशूल से होता हुआ अब अग्नि -6 पर कार्य कर रहा है। भारत अब मिसाइल केवल अपनी रक्षा के लिए ही नहीं बल्कि निर्यात के लिए भी बना रहा है। भारत की मिसाइलों की विदेश में मांग बढ़ रही है। अब भारत मिसाइल तकनीक मे रक्षा से आर्थिक सम्पन्नता की और बढ़ रहा है। भारत की मिसाइल तकनीक मे वर्तमान स्थिति के लिए हम कर्जदार है उन तमाम कलाम साहब सरीखे भारतीय वैज्ञानिकों के जिनकी देशभक्ति और सेवा के कारण आज हम गर्व महसूस कर रहे हैं।