ज़िंदगी के तमाम रहस्यों को सुलझाती किताब ‘रहस्य- द सीक्रेट’ by रोंडा बर्न 

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हम जो चाहते हैं, हमें वही हासिल होता है। हम कभी उस चीज को हासिल नहीं कर पाते, जिनके बारे में हमारी सोच नकारात्मक होती है। यानी जिस मुकाम को हासिल करने से पहले ही हम उसमें फेल होने के बारे में सोचने लगते हैं, जाहिर तौर पर हम उस टास्क को पूरा नहीं कर पाते। इसे ऐसे समझिए कि पानी में जाल डालने से पहले ही अगर हम ये सोचने लगेंगे कि जाल में मछली नहीं फंसेगी, तब निश्चित तौर पर हम मछली नहीं पकड़ पाएंगे। या मैदान में उतरने से पहले ही बल्लेबाज ये सोच लें कि आज उसे किसी भी हाल में जल्दी आउट नहीं होना है, तब शायद वो अपनी टीम के लिए मैच जिताऊ पारी नहीं खेल पाएगा। इसके उलट अगर बल्लेबाज ये सोचता है कि आज उसे शतक मारना ही है, तो वो निश्चित तौर पर अच्छी पारी खेलेगा। कुल मिलाकर देखें तो हमारी जिंदगी में आने वाली कामयाबी हमारे विचारों और सोच में ही छिपी है और हमारे जीवन के इन्हीं रहस्यों से पर्दा उठाती है… रोंडा बर्न की किताब ‘रहस्य- द सीक्रेट’।

कामयाब जिंदगी की उम्मीदों को उड़ान देती… रोंडा बर्न

हमारी ज़िंदगी में ऐसा कुछ भी नहीं जिसे हम पूरी ईमानदारी से चाहें और उसे हासिल ना कर सकें। मूल रूप से ऑस्ट्रेलिया की रहने वाली लेखिका रोंडा बर्न अपनी किताब रहस्य के जरिए ‘आपको’ यही समझाना चाहती हैं तभी तो उन्होंने कहा है कि ये किताब उन्होंने  ‘आप’ के लिए ही लिखी है। एक कामयाब लेखिका होने के साथ-साथ रोंडा बर्न एक टेलीविजन राइटर और प्रोड्यूसर भी हैं। साल 2006 में उन्होंने ‘द सीक्रेट’ नाम से एक फिल्म भी बनाई थी जो एक जबरदस्त हिट साबित हुई। बाद में उन्होंने इस फिल्म को किताब की शक्ल दे दी और उसका भी नाम ‘द सीक्रेट’ ही रखा। उम्मीद के मुताबिक इस किताब ने भी सफलता के झंडे गाड़ दिए जिसे आप इस बात से बाखूबी समझ सकते हैं कि अबतक इस किताब की 3 करोड़ से भी ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं और 50 से भी ज्यादा भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है।

किताब रहस्य- द सीक्रेट की ख़ासियत

रोंडा बर्न की बेस्ट सेलर किताब ‘द सीक्रेट’ का हिंदी संस्करण है ‘रहस्य’ जो साइंटिफिक थ्योरी ‘लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ यानी ‘आकर्षण के नियम’ पर आधारित है। लेखिका ने इस किताब में इसी रहस्य से पर्दा उठाया है कि जिन चीजों के बारे में हम सोचते हैं उसे ही हासिल करते हैं। अगर हमारी ये सोच सकारात्मक होगी, तभी नतीजे भी दिल को सुकून और खुशी पहुंचाने वाले मिलेंगे। यानी अगर हम बंग्ला और गाड़ी के बारे में सोचेंगे तभी ये सारी चीजें हासिल कर पाएंगे। वहीं दूसरी तरफ अगर हम गरीबी या किसी और खराब परिस्थिति के बारे में ही सोचते रहेंगे तो हमारे सामने हालात दिन ब दिन और मुश्किल होते चले जाएंगे और डर-डर कर जीने लगेंगे। मतलब की हमें जिंदगी को हमेशा पॉजिटिव नज़रिये से ही देखना चाहिए। किस्मत को कोसना या उसपर रोने जैसी कोई चीज नहीं होती। यही वजह है कि रोंडा बर्न कहती हैं कि आज मौजूदा वक्त में हम जो कुछ भी हैं, वो बीते कल में रही हमारी सोच और हमारे विचारों का ही आईना है।

मुश्किल डगर से आसान सफ़र तक

लेखिका रोंडा बर्न मानती हैं कि अपनी किताब रहस्य में उन्होंने जीवन के जिन मुश्किल रहस्यों को बेपर्दा किया है, दरअसल उस राज़ से सैकड़ों साल पहले पर्दा उठ गया था। बहुत से लोगों ने वैज्ञानिक सिद्धांत ‘लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ यानी ‘आकर्षण के नियम’ का इस्तेमाल करके दुनिया में अपना नाम हमेशा, हमेशा के लिए अमर कर लिया, फिर चाहे उन्हें इसके बारे में मालूम हो या नहीं। आसान भाषा में कहें तो इसी नियम में हमारी जिंदगी की सच्चाई और क़ामयाबी के तमाम राज़ छिपे हैं। वास्तविक जीवन में इस सिद्धांत की मदद से हम अपनी सेहत को बेहतर कर सकते हैं, अपनी प्रॉपर्टी-पैसे को बढ़ा सकते हैं और जितना चाहें उतना खुश भी रह सकते हैं। लेखिका के मुताबिक कई प्रभावशाली लोग जैसे न्यूटन, एडिसन, शेक्सपीयर, डा विंची और आइंस्टीन जैसे लोगों ने अपने जीवन में इस सिद्धांत के महत्व को पहले ही समझ लिया था। उन लोगों ने अपने जीते जी इस सिद्धांत की काफी मदद ली और इसके सहारे ही कामयाबी की उन ऊंचाइयों तक पहुंच गए जहां पहुंचना हर इंसान की चाहत होती है।

क्या है आकर्षण का नियम’ ?

अपनी किताब ‘रहस्य’ के जरिए रोंडा बर्न आकर्षण के नियम को बहुत ही रोचक ढ़ंग से समझाती हैं। वो कहती हैं कि पसंद ही पसंद को आकर्षित करता है। इसका मतलब ये है कि अगर हमें किताबें पढ़ना पसंद है तो हम नई नई किताबों के बारे में जानकारी हासिल करेंगे, अच्छी किताबें ढ़ूंढ़ ढ़ूंढ़ कर पढ़ेंगे। वहीं दूसरी तरफ अगर हमें बंदूकों या गोला बारुद का शौक़ है तो हम ऐसे हथियारों की जानकारी हासिल करेंगे। इसे दूसरे शब्दों में ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर हम अच्छे इंसान है तो अक्सर हमारा वास्ता अच्छे इंसानों से ही होगा और अगर हम बुरे इंसान हैं तो बुरे लोग ही हमारी तरफ आकर्षित होंगे।

अपनी किताब ‘रहस्य’ में रोंडा समझाती हैं कि इस दुनिया में जैसे हर चीज की अपनी फ्रीक्वेंसी होती है वैसे ही हर इंसान की भी अपनी एक फ्रीक्वेंसी होती है। हम इंसान हर वक्त एक ट्रांसमिशन टावर की ही तरह अपने विचारों की फ्रीक्वेंसी को छोड़ते रहते हैं। इसलिए अगर हमें अपनी जिंदगी में बदलाव लाना है, तो अपने विचारों को बदलकर इस फ्रीक्वेंसी को बदलना ही पड़ेगा। ‘रहस्य’ के मुताबिक यह नियम रामबाण की तरह काम करता है जो आपकी हर मनोकामना पूरी करेगा। कुल मिलाकर देखें तो ‘रहस्य’ आपको हर वक्त सकारात्मक सोचने का गुर सिखाती है। दरअसल होता ये है कि ज्यादातर लोग बजाए ये सोचने के कि उन्हें क्या चाहिए, ये सोचने लगते हैं कि उन्हें क्या नहीं चाहिए। ऐसे वक्त में भी ‘लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ काम करने लगता है। अगर आप यह कहते हैं कि मैं अपनी जिंदगी में बंग्ला या गाड़ी के बिना भी खुश हूं, तब भी आप इन चीजों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे होते हैं। ‘रहस्य’ ये भी समझाती है कि हमारा विचार ही हमारे आने वाले भविष्य की रूपरेखा तय करता है।

तीन कदमों में बदल जाएगी ज़िंदगी- पूछो, भरोसा करो और हासिल करो

‘आकर्षण के नियम’ का इस्तेमाल करने के लिए लेखिका रोंडा बर्न हमें तीन स्टेप को अपनाने की सलाह देती हैं ताकि हमें कामयाबी मिल सके।

पहला स्टेप है- पूछो…

आपको अपनी लाइफ़ में कुछ भी हासिल करने के लिए सबसे पहले उसे पूरे दिल से मांगना होगा। आपको ये तय करना होगा कि आपको असल में अपनी जिंदगी में क्या क्या चाहिए। आपको बिना किसी सीमा के खुल कर ये तय करना होगा कि आपको क्या क्या चाहिए। जैसे आपको अगर दौलत चाहिए, शोहरत चाहिए, आलीशान बंग्ला चाहिए, बड़ी गाड़ी चाहिए तो इनके बारे में जितना हो सके उतना सोचें।

दूसरा स्टेप है- भरोसा करो…

अब आपको ये भरोसा करना होगा कि पहले स्टेप में आपने खुद से जो भी मांगा है, जो भी हासिल करने की इच्छा जताई है वो सब आपको जरूर हासिल होगा। आपको ये भरोसा करना होगा कि आप अपनी हर ख्वाहिश को जरूर पूरा कर लेंगे।

तीसरा स्टेप है- हासिल करो…

अब आपको ये सोचना होगा कि जो कुछ भी ख्वाहिश आपने जाहिर की है, जिन चीजों को पाने की आपकी हसरत रही है, वो सारी चीजें आपको मिल गई हैं। उन्हें हासिल करके आपको जैसी खुशी मिलेगी उस खुशी को आप महसूस करें। यानी आप ये सोचें कि आपको दौलत, शोहरत, बंग्ला और गाड़ी सब मिल गए हैं। ‘रहस्य’ समझाती है कि ऐसा करने से हमें धीरे धीरे अमीरपन का एहसास होने लगेगा।

वैसे इन सबके बावजूद एक अहम बात ये है कि हमें ये सबकुछ हासिल करने के लिए पूरी ईमानदारी और लगन के साथ मेहनत भी करनी होगी। ऐसा नहीं है कि सिर्फ इन तीन स्टेप्स को अपनाकर हम बैठे बैठे कामयाब हो जाएंगे क्योंकि इन स्टेप्स की मदद से हमें मौके तो जरूर मिलेंगे लेकिन उन मौकों को भुनाने के लिए मेहनत भी हमें ही करनी ही होगी।

जीने का नया नज़रिया देती रहस्य

रोंडा बर्न की किताब ‘रहस्य’ हमें जिंदगी जीने के असल मायने समझाती है। ये हमें बताती है कि कैसे जीवन में सकारात्मक सोच रखकर आगे बढ़ा जा सकता है और तरक्की पाई जा सकती है। वैसे भी अगर हम अपनी सोच पॉजिटिव रखें, अपने ऊपर भरोसा रखें और हमेशा अच्छा महसूस करें, तो निश्चित तौर पर हमें इसके फायदे ही फायदे होंगे। कोई नुकसान तो बिल्कुल नहीं होगा। मौजूदा वक्त में वैसे भी कोरोना, लॉकडाउन, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी की वजह से हर तरफ नेगेटिविटी फैली है। लोग काफी हताश हैं। ऐसे वक्त में खुद को संभालने के लिए रोंडा बर्न की किताब ‘रहस्य’ किसी संजीवनी से कम नहीं जो हमारे जीवन से निराशा को दूर भगा देगी और हमारे भीतर नई और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगी।

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