ज़िंदगी वो जो आप बनाएं By प्रीति शेनॉय: कहानी उम्मीद और निश्चय की

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ज़िंदगी वो जो आप बनाएं By प्रीति शेनॉय book summary आप यहां पढ़ने जा रहे हैं, जो जीवन के घने अंधकार के बीच भी इसे चीरते हुए आपको आगे बढ़ने और सफल होने की राह दिखाएगी।

ज़िंदगी में हम हमेशा उत्साह से भरे हुए ही नहीं रहते हैं। कई बार हमारी ज़िंदगी में ऐसे पल भी आते हैं, जब हम खुद को हतोत्साहित महसूस करते हैं। ऐसे में जो चीज हमें जीवन के इस अंधकार से बाहर निकालती है, वह है उम्मीद की किरण। इसी तरह की एक उम्मीद की किरण जगाने का काम प्रीति शेनॉय ने अपनी किताब ‘ज़िंदगी वो जो आप बनाएं’ के जरिए किया है, जिसमें उन्होंने एक ऐसी लड़की की कहानी बताई है, जो कि न केवल अपनी ज़िंदगी की हीरो बन जाती है, बल्कि वह आपको भी अपनी ज़िंदगी का हीरो बनने के लिए प्रेरित करती है।

Zindagi Wo Jo Aap Banaayen book summary हम आपके लिए यहां इसलिए लेकर आए हैं, ताकि इसे पढ़कर आप इस किताब की अहमियत को समझ सकें और इसे खरीद कर पढ़ने के बाद अपने अंदर के हीरो को पहचान कर अपनी ज़िंदगी को सही दिशा दे सकें।

लेखिका के बारे में

प्रीति शेनॉय भारत की सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक हैं। वर्ष 2008 में उन्होंने 34 बबलगम्स एंड कैंडी नामक एक किताब से अपने लेखन की शुरुआत की थी, जिसमें उन्होंने असल ज़िंदगी की घटनाओं के बारे में बताया था। प्रीति शेनॉय की किताब जिंदगी वो जो आप बनाएं इसके 3 साल के बाद आई थी और यह उनकी ज़िंदगी की दूसरी किताब थी। वर्ष 2013 से प्रीति शेनॉय लगातार भारत की सबसे प्रभावशाली सेलिब्रिटीज की फोर्ब्स की लिस्ट के लिए नॉमिनेट होती आई हैं।

जिंदगी वो जो आप बनाएं By प्रीति शेनॉय book summary

जिंदगी वो जो आप बनाएं में प्रीति शेनॉय ने केरल की एक लड़की की कहानी बताई है। किताब में लिखी गई कहानी 80 के दशक के दौरान की है। इस किताब को जब आप पढ़ना शुरू करते हैं, तो इसमें सबसे पहले आपको मानसिक चिकित्सालय के दर्शन होते हैं। यहां इस किताब की सबसे प्रमुख पात्र और कहानी को सुना रही अंकिता शर्मा से आपकी मुलाकात होती है, जिसकी उम्र 21 साल की है। अंकिता न केवल बहुत ही सुंदर है, बल्कि वह एक स्मार्ट लड़की भी है। अंकिता के माता-पिता उसकी इच्छा के विरुद्ध उसे मेंटल हॉस्पिटल लेकर पहुंचे हैं। यहां से इस कहानी की शुरुआत होती है।

फ्लैशबैक में यह देखने के लिए मिलता है कि अंकिता किस तरह से वैभव के साथ चिट्ठियों का आदान-प्रदान करती है। वैभव अंकिता का बचपन का दोस्त है। साथ ही वैभव से अंकिता प्यार भी करती है। वैभव आईआईटी दिल्ली में पढ़ाई कर रहा है। इसके बाद कहानी में यह पढ़ने के लिए मिलता है कि अंकिता को सेंट इजनिस कॉलेज फॉर गर्ल्स में एडमिशन मिल गया है। यहां पर अंकिता एक बहुत ही मेधावी स्टूडेंट के रूप में उभरी है और न केवल सभी परीक्षाओं में वह बेहतर प्रदर्शन कर रही है, बल्कि अन्य गतिविधियों में भी वह सबसे आगे चल रही है। कुल मिलाकर कॉलेज में अंकिता की छवि एक ऑलराउंडर के रूप में बन गई है। जिसे देखो वही अंकिता की तारीफ करता हुआ नजर आता है। अंकिता ने कॉलेज में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा लिया है। तभी तो आर्ट्स क्लब की सेक्रेटरी चुने जाने में उसे जरा भी देर नहीं होती है।

अंकिता का स्वभाव ही ऐसा है कि वह बहुत जल्दी ढेर सारे दोस्त भी कॉलेज में बना लेती है। जैसे-जैसे अंकिता को कॉलेज में कामयाबी मिलती जाती है, वैसे-वैसे वैभव के प्रति उसका आकर्षण घटता चला जाता है। अब अंकिता का झुकाव अभिषेक की तरफ हो जाता है, जो कि दूसरे कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है। अभिषेक अब अंकिता के दिल में वैभव की जगह ले लेता है। इसके बाद दोनों का मिलना-जुलना और साथ में बाहर जाना शुरू हो जाता है। इस तरह से 3 साल बीत जाते हैं। इसके बाद अंकिता एमबीए करना चाहती है और उसे बॉम्बे में अपने सपनों के कॉलेज में एडमिशन भी मिल जाता है।

अंकिता के परिवार के हिसाब से भी यह सही ही होता है, क्योंकि उसके पिता का प्रमोशन हो जाता है और उन्हें बॉम्बे शिफ्ट होना पड़ता है। इस तरीके से अंकिता अपने परिवार के साथ बॉम्बे रहने के लिए पहुंच जाती है। इसके बाद अभिषेक से अंकिता का ब्रेकअप हो जाता है। अंकिता से अलग होना अभिषेक को सहन नहीं हो पाता है। वह शराब का आदी हो जाता है। इसके बाद वह आत्महत्या कर लेता है।

अंकिता जब मुंबई में रह रही होती है, तो भले ही वह अपनी जिंदगी पर फोकस करके आगे बढ़ना चाहती है, लेकिन धीरे-धीरे डिप्रेशन अंकिता को खाना शुरू कर देता है। अंकिता धीरे-धीरे पूरी तरीके से डिप्रेशन में डूब जाती है। यहां तक कि वह आत्महत्या करने की भी कोशिश करती है। इसके बाद अंकिता को बाइपोलर डिसऑर्डर होने का पता चलता है। इसकी वजह से अंकिता को मेंटल हॉस्पिटल में एडमिट कराने की नौबत आ जाती है। यहीं पर फ्लैशबैक खत्म हो जाता है।

जब आप इस किताब को पढ़ते हैं, तो आप यह पाते हैं कि बाद में अंकिता डिप्रेशन से उबर जाती है। साथ ही 15 साल बीत जाने के बाद अंकिता के हाथ में 6 डिग्रियां होती हैं। इतना ही नहीं, अंकिता की शादी भी हो जाती है और वह खुशहाल जिंदगी व्यतीत करती है।

क्यों पढ़ें जिंदगी वो जो आप बनाएं By प्रीति शेनॉय?

हिंदुस्तान टाइम्स में जो नीलसन लिस्ट रिलीज की गई थी, उसके मुताबिक वर्ष 2011 में प्रीति शेनॉय की किताब ‘जिंदगी वो जो आप बनाएं’ सर्वश्रेष्ठ किताबों की सूची में शामिल थी। साथ ही वर्ष 2011 में टाइम्स ऑफ इंडिया की ऑल टाइम बेस्ट सेलर्स में भी यह किताब शामिल की गई थी। इस किताब को आपको इसलिए पढ़ना चाहिए, क्योंकि इसमें प्यार की और उम्मीद की कहानी तो है ही, साथ ही इसमें यह भी देखने के लिए मिलता है कि एक लड़की किस तरीके से अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर अपनी किस्मत को भी मात देकर उसे बदल देती है।

किताब में लिखी गई एक लाइन कि “आपको दूसरों को मारने का कोई अधिकार नहीं है, तो ऐसे में खुद की जान लेने का अधिकार आपको कैसे हैं” सोचने पर मजबूर करती है। उसी तरह से एक और लाइन “मैं अपने भाग्य की मालकिन हूं, मैं अपनी आत्मा का नेतृत्व करने वाली हूं” भी प्रेरित करती है। किताब में लिखी गई एक और बात जो आपको पसंद आएगी वह है “हम वैसे ही बनते हैं, जैसा हमारे विचार हमें बनाते हैं। इसलिए आप जो सोचते हैं, उस पर ध्यान दीजिए। विचार जिंदा रहते हैं। वे बहुत दूर तक जाते हैं।

और अंत में

Zindagi Wo Jo Aap Banaayen book summary हमने आपको यहां बता तो दी है, लेकिन आप इस कहानी से तभी प्रेरित हो पाएंगे, जब आप इस किताब को खरीद कर इसे पूरा पढ़ेंगे। यह किताब आपको इसलिए एक बार जरूर पढ़नी चाहिए, क्योंकि कहीं-न-कहीं इसे पढ़ते वक्त आपको इस बात का एहसास होगा कि कहानी में बताई गई कई तरह की परिस्थितियां आपके जीवन में भी घटित होती रहती हैं। ऐसे में इन कठिन परिस्थितियों से पार पाते हुए आप अपनी किस्मत से लड़कर और उसे हराकर किस तरीके से अपने सपनों की मंजिल को प्राप्त कर सकते हैं, यह इस किताब में बखूबी बताया गया है।

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