राष्ट्रपति कहें या महामहीम, इस पद को लेकर भारत की राजनीति में कई तरह की बातें की जाती हैं. एक सवाल भी पूछ लिया जाता है. वो सवाल ये है कि भारत राष्ट्रपति चयनित होते हैं या फिर नियुक्त किये जाते हैं? इस सवाल के दो जवाब हो सकते हैं. पहला जवाब अगर आप सैधांतिक देना चाहते हैं तो बोलेंगे कि चयनित किया जाता है. लेकिन अगर जवाब व्यवहारिक होगा तो कहा जा सकता है कि सत्ताधारी पार्टी के द्वारा नियुक्त किया जाता है. इसके पीछे का तर्क ये है कि राष्ट्रपति के चुनाव से पहले ही पता चल जाता है कि अगले राष्ट्रपति कौन होने वाले हैं?
कुछ भी हो लेकिन इस बात से मुकरा नहीं जा सकता है कि राष्ट्रपति इस देश का सबसे बड़ा संवैधानिक पद है. सैधांतिक तौर पर देश का प्रथम नागरिक राष्ट्रपति ही होते हैं. आज़ादी से लेकर आज तक अंकों की गणित के हिसाब से इस देश ने 14 राष्ट्रपतियों को देखा है. आज इस लेख में आप भारत के 5 राष्ट्रपतियों के बारे में पढ़ने वाले हैं.
इस लेख के मुख्य बिंदु-
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
- डॉ. जाकिर हुसैन
- डॉक्टर ए.पी.जे अब्दुल कलाम
- प्रणब मुखर्जी
1. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
जन्मः 1884, मृत्युः 1963, कार्यकालः 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति थे. इसी के साथ ये लगातार दो बार राष्ट्रपति के पद पर निर्वाचित हुए थे.
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में भी पद को ग्रहण किया था.
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान था.
- 1946 एवं 1947 मे राजेन्द्र प्रसाद ने कृषि और खाद्यमंत्री का दायित्व भी निभाया था.
- सम्मान में उन्हें सब राजेन्द्र बाबू कहकर पुकारा करते थे.
- राजेन्द्र बाबू पढ़ने-लिखने में बहुत अच्छे थे. एक बार का वाकया है. जब एग्जामिनर ने उनकी एग्जाम शीट को देखकर लिख दिया था कि ‘The Examinee is better than Examiner.’
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को ब्रिटिश प्रशासन ने 1931 के ‘नमक सत्याग्रह’ और 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान जेल की सजा सुना दी थी. इसके बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा था.
- आज़ादी के बाद जब 26 जनवरी 1950 को देश गणतंत्र हुआ. उसके बाद डॉ. राजेन्द्र प्रसाद इस देश के प्रथम राष्ट्रपति के तौर पर चुने गये थे. इसके बाद साल 1957 में वो दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गये थे. बता दें कि राजेंद्र प्रसाद एकमात्र नेता रहे, जिन्हें 2 बार राष्ट्रपति के लिए चुना गया.
- साल 1962 में जब राष्ट्रपति पद से हट गये. उसके उन्हें भारत सरकार की तरफ से सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा गया था.
2. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
जन्मः 1888, मृत्युः 1975
कार्यकालः 13 मई 1962 से 13 मई 1967
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति से राष्ट्रपति का सफर तय करने वाले पहले व्यक्ति हैं.
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है.
- साल 1933 से 1937 तक लगातार पांच बार साहित्य के नोबल पुरस्कार के लिए नामित होने वाले भारत के इकलौते राष्ट्रपति.
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन स्वतंत्र भारत के पहले उप राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तीर्थ स्थल तिरुतनी ग्राम में हुआ था.
- शिक्षा और राजनीति में योगदान के लिए डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को साल 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
- साल 1962 ही वो साल था जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में इस बात की घोषणा हुई थी कि 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जायेगा.
- साल 1962 में ही डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को सम्मान के तौर पर ब्रिटिश अकादमी का सदस्य बनाया गया था.
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को इंग्लैंड सरकार के द्वारा आर्डर ऑफ़ मेरिट का सम्मान दिया गया था.
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने धर्म शास्त्र के ऊपर अनेक किताबों को भी लिखा था.
- 17 अप्रैल 1975 को लंबी बीमारी के कारण डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का निधन हो गया था.
3. डॉ. जाकिर हुसैन
जन्मः 1897
मृत्युः 1969
कार्यकालः 13 मई 1967 से 3 मई 1969
स्वतंत्र भारत के लोकतंत्र के तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन का जन्म 8 फरवरी 1897 को हैदराबाद के एक पठान परिवार में हुआ था. जन्म के कुछ बरस बाद ही इनके परिवार ने हैदराबाद को छोड़ दिया था. अब इनका परिवार उत्तरप्रदेश में रहने लगा था. इनका प्रारम्भिक पढ़ाई इस्लामिया हाई स्कूल इटावा में हुई थी. आगे की पढ़ाई इन्होने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से की थी.
- डॉक्टर जाकिर हुसैन पहले निर्वाचित मुस्लिम राष्ट्रपति थे.
- इनकी उम्र उस समय बस २३ वर्ष की थी. जब इन्होने अपने सहपाठियों के साथ मिलकर नेशनल मुस्लिम यूनिवर्सिटी जामिया मिलिया इस्लामिया की नींव रखी थी.
- इसके तुरंत बाद वो अर्थशास्त्र में पीएचडी करने के लिए जर्मनी के लिए रवाना हो ये थे.
शिक्षा और राजनीति के फील्ड में उत्कृष्ट काम करने के लिए इन्हें 1963 में डॉ.जाकिर हुसैन को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया था.
- 3 मई 1969 को जाकिर हुसैन का निधन हो गया था. वह भारत के पहले राष्ट्रपति हैं जिनकी मृत्यु अपने ऑफिस में ही हुई थी.
- जामिया मिलिया इस्लामिया के परिसर में ही जाकिर हुसैन को दफनाया गया था.
4. डॉक्टर ए.पी.जे अब्दुल कलाम
जन्म- 1931, निधन: 27 जुलाई 2015, शिलांग, मेघालय.
कार्यकालः 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007
- रामेश्वरम् (तमिलनाडु) में 15 अक्टूबर 1931 को एक ऐसे बच्चे का जन्म हुआ था. जिसे भविष्य में जाकर जनता का प्रेसिडेंट बनना था. जी हां, डॉक्टर ए.पी.जे अब्दुल कलाम की इतनी ज्यादा लोकप्रियता है कि इन्हें जनता का प्रेसिडेंट ही कहा जाता है. इसके साथ ही साथ इन्हें मिसाइल मैन ऑफ़ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है.
- इनका पूरा नाम डॉक्टर अबुल पाकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम था.
- साल 1962 में पहली बार कलाम ने isro में कदम रखा था. यहां प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में उन्होंने भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एसएलवी-3) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल किया था.
- डॉक्टर ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने ही स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाईन किया था.
- डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साल 2002 में इस देश के राष्ट्रपति के तौर पर चयनित हुए थे. उस समय इनके खिलाफ लक्ष्मी सहगल ने चुनाव लड़ा था.
- इस देश का राष्ट्रपति बनने से पहले उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ काम किया था. वहां पर वो ऐरोस्पेस इंजिनियर थे.
- डॉक्टर ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने साल 1998 में भारत के पोखरण-II परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण योगदान भी दिया था.
- 1990 से 2002 तक उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में भी काम किया था.
- के.आर. नारायणन के बाद डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने थे.
- संयुक्त राष्ट्र ने साल 2015 में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जन्मदिन को “विश्व छात्र दिवस” के रूप में मान्यता दी थी.
5. प्रणब मुखर्जी
जन्मः 11 दिसंबर 1935
- प्रणब मुखर्जी का 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के बीरभूम के छोटे से गांव मिराती में हुआ था.
- भारत के पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा, राज्यसभा, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में 6 दशकों तक देश की सेवा की है.
- साल 1963 में प्रणब मुखर्जी ने अपने करियर की शुरुआत की थी. तब वो कोलकाता में डिप्टी अकाउंटेंट-जनरल (पोस्ट और टेलीग्राफ) के कार्यालय में एक अपर डिवीजन क्लर्क के रूप में पदस्त हुए थे.
- राजनीति में आने से पहले प्रणब मुखर्जी देशर डाक (मातृभूमि की पुकार) मैगजीन में पत्रकार के रूप में काम किया करते थे.
- साल 1969 में प्रणब मुखर्जी ने राजनीति में कदम रखा था.
- प्रणब मुखर्जी 5 बार संसद के सदस्य के तौर पर चुने गये थे.
- साल 2019 में प्रणब मुखर्जी के अप्रतिम योगदान के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था.
- इसके अलावा भी उन्हें 2008 में पद्म विभूषण, 1997 में सर्वोत्तम सांसद और 2011 में भारत में सर्वोत्तम प्रशासक के रूप में सम्मानित किया गया था.
- आपको बता दें कि प्रणब मुखर्जी को सभी लोग प्रणब दा के नाम से पुकारा करते थे.
- इसके साथ ही आपको अवगत करा दें कि विश्व के कई विश्वविद्यालयों ने प्रणब मुखर्जी को डॉक्टरेट की मांड उपाधि से नवाज़ा है.