शिक्षा क्षेत्र में बदलाव के लिए सरकार ने उठाए ये महत्वपूर्ण कदम

4877
Education initiatives by Indian Government


आज़ादी के बाद भारत सरकार की ओर से लगातार कई ऐसी योजनाओं को लागू किया गया, जिससे देश की तरक्की हो सके। केंद्र हो या राज्य, सभी सरकारों ने भारत की तरक्की में अहम भूमिका निभाने वाली मूलभूत सुविधाओं जैसे- खाना, मकान, रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया है। लेकिन अभी भी अगर हम साल 2010 के आंकड़ों पर नज़र डाले, तो 29.8 प्रतिशत भारतवासी गरीबी रेखा से नीचे अपना गुजर बसर कर रहे हैं। किसी भी देश के निर्माण में वहां की साक्षरता का बहुत बड़ा योगदान होता है। हमारे देश में भी शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बहुत सी योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया है। तो आइए जानते हैं भारत में शिक्षा में सुधार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कुछ प्रमुख कदमों के बारे में।

शिक्षा में सुधार के लिए सरकार की पहल

सीबीएसई से एनटीए

सीबीएसई की जगह अब एनटीए यानी कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी, राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाएं नीट, जेईई मेन्स, यूजीसी नेट, प्रबंधन से जुड़ी सीमैट और फार्मेसी से जुड़ी जीपैट परीक्षाओं का आयोजन का आयोजन करेगी। केंद्र सरकार ने स्टेट बोर्ड और अन्य बोर्ड वाले स्टूडेंट्स को ध्यान में रखते हुए सीबीएसई की जिम्मेदारी एनटीए को सौंप दी। एनटीए राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं का आयोजन साल में दो बार कर रहा है। एनटीए से देश भर के लगभग 40 लाख छात्रों को फायदा हुआ है।

स्कूल बैग के बोझ को सीमित किया

दिल्ली सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए कक्षा 1 से 10 तक के बच्चों के स्कूल बैग के बोझ को सीमित करने का निर्देश जारी किया। जिसमें कक्षा 1 और 2 के छात्रों के बस्ते का बोझ डेढ़ किलो से ज्यादा नहीं हो सकता। तीसरे से लेकर पांचवी के बच्चों के बैग का बोझ दो से तीन किलो होगा। वहीं कक्षा छह और सातवीं के छात्रों के बैग का बोझ चार किलो हो सकता है। जबकि कक्षा आठवीं और नवीं के छात्रों के बैग का बोझ साढ़े चार किलो और दसवीं के बच्चों के बैग का वजन पांच किलो होना चाहिए।

‘नो डिटेंशन पॉलिसी’

एक बड़ी बहस के बाद जुलाई 2018 में लोकसभा में ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म करने के लिए विधेयक पास किया गया। लोकसभा में इस पॉलिसी को खत्म करने के लिए राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंप्लसरी एजुकेशन (दूसरा संशोधन) बिल 2017 पारित हो गया। दरअसल 22 राज्यों ने इस पॉलिसी के कारण शिक्षा का स्तर गिरने की बात कहते हुए इसके खात्मे की मांग केंद्र सरकार से की थी। इसके बाद संशोधन का फैसला लिया गया था।  संशोधित बिल के तहत अब कक्षा पांच और आठ में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले छात्रों को एक और मौका दिया जाएगा।

सीबीएसई बोर्ड परीक्षा के नतीजे अब गूगल पर

सीबीएसई ने बोर्ड एग्जाम के नतीजे जारी करने के लिए सर्च इंजन गूगल से करार किया।  जिसके अनुसार बोर्ड परीक्षा के नतीजे घोषित होने के बाद सीधे गूगल पर देखे जा सकेंगे। अब परीक्षार्थियों को अपना रिजल्ट देखने के लिए आधिकारिक वेबसाइट cbse.nic.in और cbseresults.nic.in पर नहीं जाना होगा, गूगल पर टाइप कर सीधे अपना रिजल्ट देख सकेंगे। गूगल पर रिजल्ट जारी होने से उम्मीदवारों को काफी फायदा होगा। गूगल पर रिजल्ट आने से आप बिना किसी दिक्कत के आसानी से रिजल्ट देख सकेंगे।

2021 से विश्वविद्यालय के शिक्षकों के लिए पीएचडी होनी आवश्यक

केंद्र सरकार ने शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए शिक्षकों को लेकर एक बड़ा ऐलान किया। जिसके तहत साल 2021 से कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर (चयन ग्रेड) के प्रमोशन के लिए पीएचडी डिग्री अनिवार्य कर दी गई है। बिना पीएचडी की डिग्री के कोई यूनिवर्सिटी में पढ़ा नहीं सकेगा। साथ ही शिक्षकों को पहले इंडक्शन प्रोग्राम भी पूरा करना होगा। टीचर और प्रोफेसर के लिए न्यूनतम शिक्षा का प्रावधान करने से शिक्षा के स्तर में सुधार होगा।

पीएम की रिसर्च फेलोशिप

1 फरवरी 2018 को केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप योजना की शुरुआत की गई। जिसके तहत हर साल प्रमुख संस्थानों के हजार होशियार छात्रों को चुना जाएगा और उन्हें पीएचडी करने के लिए फेलोशिप दी जाएगी। केंद्र सरकार की इस पहल से देश की तरक्की के साथ- साथ गरीबी छात्रों को मदद भी मिलेगी।

शिक्षा के स्तर को बेहतर करने के लिए देश में सरकार की ओर से कई योजनाओं को भी लागू किया गया है। आइए जानते हैं क्या है वो प्रमुख योजनाएं।

सर्व शिक्षा अभियान

सर्व शिक्षा अभियान’ भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसकी शुरुआत साल 2001-02 में अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा की गई थी।  इसके तहत 6-14 साल के बच्चों की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के प्रावधान को मौलिक अधिकार बनाया गया। इसमें 8 मुख्य कार्यक्रम हैं। जिसमें आईसीडीएस, आंगनवाड़ी और केजीबीवीआई भी शामिल है।

कस्तुरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना की शुरूआत 2004 में हुई। जिसमें सारी लड़कियों को प्राथमिक शिक्षा देने का सपना देखा गया, बाद में यह योजना एसएसए के साथ विलय हो गई।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

ये भारत में बेटियों के लिए चलाए जाने वाला सबसे प्रसिद्ध और बड़ी योजना है। योजना की शुरुआत 22 जनवरी, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के महेन्द्रगण जिले से किया था। इस योजना के तहत बेटियों की अस्तित्व बचाने की कोशिश गई है।

साक्षर भारत मिशन

अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 8 सितम्बर, 2009 के अवसर पर इस मिशन का आगाज किया गया। इस कार्यक्रम का लक्ष्य प्रौढ़ शिक्षा, विशेषकर महिला शिक्षा को बढ़ावा देकर मजबूत बनाना है।

निष्कर्ष

शिक्षा स्तर को बढ़ाने के लिए भारत सरकार लगातार कार्यरत है। इनके अलावा भी बहुत सी ऐसी योजनाएं और कार्यक्रम हैं, जिसके जरिए सरकार शिक्षा क्षेत्र में बदलाव लाने की कोशिश कर रही है। ताकि हमारे देश पूर्ण रुप से साक्षर देश बन सके। हमारा ये लेख आपको कैसा लगा, नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के जरूर बताएं।

Leave a Reply !!

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.