क्या छात्रहित में 12वी की परीक्षा रद्द करने का निर्णय सही है?

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How to Prepare for CBSE Class 12th Accountancy
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1 जून 2020 को केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण के मद्देनजर 12वी की बोर्ड परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया। उसके बाद CBSE बोर्ड तथा कई राज्य स्तरीय बोर्ड के द्वारा भी 12वी की परीक्षा रद्द करने के निर्णय लिए गए हैं। केंद्र सरकार एवं CBSE बॉर्ड के इस निर्णय का कई नामी-गिरामी स्कूलों के द्वारा समर्थन किया गया है और केंद्र सरकार का कोरोना की वजह से परीक्षा न कराये जाने का निर्णय ठीक भी है। किन्तु इस निर्णय से एक छात्र के जीवन में क्या प्रभाव पड़ सकता है या यह निर्णय एक छात्र को किस-किस प्रकार से प्रभावित कर सकता है। इस विषय पर बात और चिंतन करने की जरुरत है। आज के इस लेख में हम चर्चा करेंगे “क्या छात्रहित में 12वी की परीक्षा रद्द करने का निर्णय सही है?

इस लेख मे आपके लिए है –

  • · भूमिका
  • · पृष्ठभूमि
  • · 12वी की परीक्षा रद्द करने का छात्र जीवन पर प्रभाव
  • · छात्र जीवन पर सकारात्मक प्रभाव
  • · छात्र जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव

भूमिका

· केंद्र सरकार के 12वी की परीक्षा रद्द करने का निर्णय आते ही कई सारे विद्याथियों, अभिभावकों, टीचर्स के चेहरे खिल गए , क्योकि साल भर कोरोना संक्रमण के लॉक डाउन के चलते स्कूलों में पढ़ाई बाधित हुई है।

· देशभर में 12वी तथा 10वी की कक्षायें सुचारु रूप से नहीं चल पायी हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता को देखते हुए तथा तीसरी लहर की चेतावनी के चलते 12वी की परीक्षायें रद्द करने का निर्णय किया है।

· सरकार के इस निर्णय का CBSC बोर्ड तथा राज्यों के शिक्षा बोर्डो ने भी समर्थन किया है। उत्तराखण्ड , उत्तर-प्रदेश , हरियाणा , मध्य-प्रदेश , झारखण्ड ,हिमांचल प्रदेश आदि राज्य 12वी की परीक्षा कैंसिल करने का निर्णय ले चुके हैं।

· वैज्ञानिको तथा चिकित्सको के अध्ययन के बाद कोरोना की तीसरी लहर को बच्चों के लिए हानिकारक बताया गया है। ऐसे समय में केंद्र सरकार का बच्चों के ‘भविष्य से ज्यादा उनके स्वास्थ्य का ख्याल करना’ सरकार की सजीवता और जीवंतता को दर्शाता है।

· कांग्रेस नेत्री प्रियंका गाँधी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश चंद्र पोखरियाल को पत्र लिखकर 12वी की परीक्षा कैंसिल करने की मांग की थी। इसके अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भी परीक्षा को कैंसिल करने की बात सामने रखी थी।

पृष्ठभूमि

· 1 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, स्मृति ईरानी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा राज्यों के शिक्षा मंत्री और शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों के साथ एक बैठक में भाग लिया और 12वी की परीक्षा के सम्बन्ध में इन लोगो से सुझाव, सलाह -मशवरा किया।

· इस बैठक में सभी विकल्पों पर विचार के बाद 12वी कक्षा की बोर्ड परीक्षा को रद्द करने का फैसला किया गया है।

· इस बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि छात्रों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है , कोरोना के बीच बच्चों पर तनाव डालना ठीक नहीं है।

· पीएम ने कहा कि कोरोना काल के माहौल में बच्चों को तनाव देना उचित नहीं है, बच्चों की जान खतरे में नहीं डाल सकते हैं।

· सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 31 मई को 12वी की परीक्षा को लेकर जवाब माँगा था। इसके लिए केंद्र सरकार ने 2 दिन का समय माँगा था , जिसके बाद 1 जून को 12वी की परीक्षा को लेकर निर्णय लिया गया।

· पहले इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश चंद्र पोखरियाल करने वाले थे , किन्तु उनकी अचानक से तबियत ख़राब होने के बाद उन्हें AIIMS दिल्ली में भर्ती कराया गया। जिसके चलते इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की गयी है।

· बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि बीते साल की तरह, यदि कुछ छात्र परीक्षा देने की इच्छा रखते हैं, तो स्थिति अनुकूल होने पर सीबीएसई द्वारा उन्हें ऐसा विकल्प प्रदान किया जाएगा। बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि छात्रों का स्वास्थ्य और सुरक्षा सर्वोपरि है और इससे कतई समझौता नहीं किया जा सकता।

· केंद्र व सीबीएसई ने कहा है कि समय के अनुसार उचित क्राइटीरिया के तहत मार्किंग की जाएगी और रिजल्ट तैयार होगा।

12वी की परीक्षा रद्द करने का छात्र जीवन पर प्रभाव

केंद्र सरकार के 12वी की परीक्षा रद्द करने का लाखो छात्रों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसके सम्बन्ध में कुछ तर्कों को हम आपके सामने रखने जा रहें हैं।

छात्र जीवन पर सकारात्मक प्रभाव

· देश में अभी 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के लिए कोरोना टीकाकरण की व्यवस्था नहीं है। जिसके चलते छात्रों का टीकाकरण नहीं हो पाया है। ऐसे में छात्रों एवं टीचर्स में कोरोना संक्रमण का खतरा देखते हुए , केंद्र सरकार का 12वी की परीक्षा रद्द करना एक स्वागत योग्य निर्णय हैं।

· ज्ञात हो CBSE बोर्ड ने मंत्रिमंडल को दो विकल्प सुझाये थे , पहला विकल्प था सभी विषयों की परीक्षा घटे हुए एग्‍जाम पैटर्न पर आयोजित करना, और दूसरा विकल्प था केवल महत्‍वपूर्ण विषयों की परीक्षा आयोजित करना। साथ में कुछ राज्यों के बोर्डो ने परीक्षा को 90 मिनट समयांतराल का करने का पक्ष भी रखा था। लेकिन सरकार ने छात्रों का स्वास्थ्य सर्वोपरि रखकर यह निर्णय लिया है।

· साल भर कोरोना के चलते छात्रों की पढ़ाई बाधित रही है ,यद्यपि बीच में विद्यालयों को खोलकर 12वी के छात्रों के विद्यालय आने की व्यवस्था की गयी थी। किन्तु कोरोना के चलते विद्यालय प्रशासन ने कोरोना संक्रमण से सम्बंधित किसी प्रकार की जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया था , जिसके चलते बहुत सारे अभिभावकों ने अपने बच्चे विद्यालय नहीं भेजे थे। जिसके चलते छात्र और अभिभावक अपने बच्चो की पढ़ाई और परीक्षा के लिए चिंतित थे।

· कोरोना गाइड लाइन के चलते छात्र ट्युशन भी नहीं ले पाए थे , वे केवल ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई पर ही निर्भर रहें हैं। ऑनलाइन पढ़ायी वैकल्पिक व्यवस्था जरूर है किन्तु विद्यालयी या ट्युशन क्लास जितनी प्रभावी नहीं हैं। इसके कारण भी छात्रों तथा अभिभावकों में मानसिक तनाव था।

· इस निर्णय का सबसे बड़ा फायदा उन छात्रों को हुआ है , जो इस समय कोरोना बीमारी से पीड़ित हैं या जिन्हे पहले कोरोना बीमारी हुई थी और वो अपनी पढ़ायी नहीं कर पाए हैं।

· इस निर्णय सभी टीचर्स के लिए राहत भरा रहा है , क्योकि हाल ही में राज्यों में पंचायती चुनाव के दौरान बहुत से टीचर कोरोना के शिकार हो गए थे। इस वजह से टीचर्स वर्ग भी मानसिक परेशानी से गुजर रहा था।

· 12वी की परीक्षा रद्द होना का फायदा उन स्कूल्स को भी मिला है, जिन्होंने ऑनलाइन पढ़ायी के नाम पर साल भर छात्रों से मोटी-मोटी रकम वसूली है। ऐसे स्कूल्स की प्रतिष्ठा पढ़ायी और एग्जाम रिजल्ट्स के लिए दाव पर लगी रहती है , अब एग्जाम रद्द होने से परीक्षा परिणाम की चिंता से मुक्त हो गए हैं।

· एक परीक्षा रद्द होने के बाद अगली परीक्षा है, पिछली परीक्षा का रिजल्ट किस आधार पर बनाया जाये। इसके लिए केंद्र सरकार ने भरोसा दिलाया है की उचित मूल्यांकन मापदंड अपनाकर परीक्षा फल यानि रिजल्ट तैयार किया जायेगा। बहुत से लोगो ने पिछली परीक्षाओं को आधार बनाकर इस परीक्षा का परिणाम तैयार करने का सुझाव दिया है।

· केंद्र सरकार ने कहा है कि, यदि किसी छात्र को ऐसा लगता है की वह परीक्षा लेकर अच्छे अंक अर्जित कर सकता है , तो उनके लिए बाद में परीक्षा का इंतेजाम किया जायेगा।

छात्र जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव

उपरोक्त सभी पहलू परीक्षा रद्द किये जाने के पक्ष में हैं। किन्तु जैसा की सब जानते हैं हर सिक्के के दो पहलू होते हैं , ठीक उसी प्रकार से इस निर्णय के कुछ प्रतिकूल पहलू भी हैं जो छात्रों के जीवन पर प्रभाव डालेंगे। आइये उनके बारे में जानते हैं।

· केंद्र सरकार द्वारा कही गयी बात के अनुसार और कुछ लोगो के सुझाव के अनुसार , 12वी की परीक्षा का रिजल्ट तैयार करने के उपलब्ध आधार 10 में अंक , 11वी में अंक और 12वी के ऑनलाइन यूनिट टेस्ट , एग्जाम और असाइनमेंट हैं। इनके आधार पर रिजल्ट तैयार करना बहुत ही मेहनत का काम होगा ।

· एक अहम् परीक्षा का परीक्षाफल उससे की पहले की परीक्षाओं के आधार पर तैयार करना छात्रों के साथ सम्पूर्ण न्याय नहीं होगा। छात्र 12वी की परीक्षा को अन्य परीक्षाओं की अपेक्षा बहुत सीरियस तरीके से लेते हैं क्योकि यही परीक्षा उनके भविष्य की दिशा तय करती है।

· यदि 10वी की परीक्षा के अंक को आधार बनाया जाता है , तब उन छात्रों का क्या होगा जिन्होंने 10वी में अलग सब्जेक्ट्स पढ़े हैं तथा बारहवीं में उनके अलग सब्जेक्ट्स हैं। जैसे -10वी में किसी छात्र के साइंस के सब्जेक्ट्स थे और वह 12वी में कॉमर्स के सब्जेक्ट्स से पढ़ायी कर रहा है , इस स्थिति में साइंस सब्जेक्ट्स के नंबर्स के आधार पर कॉमर्स सब्जेक्ट्स के नंबर देना तर्क असंगत लगता है।

· दिल्ली विश्वविद्यालय और अन्य विश्वविद्यालय जो अपने कॉलेजेस में एडमिशन का आधार 12वी के अंको की मेरिट लिस्ट रखते हैं। ऐसे कॉलेज में उन छात्रों का एडमिशन लेना कठिन हो जायेगा जिनके कोरोना बीमारी के चलते यूनिट टेस्ट या इंटरनल एग्जाम में अच्छे नंबर नहीं आ पाए हैं।

· आम तौर पर देखा जाता है कि बच्चे पढ़ाई के लिए बाहरी ट्यूशन्स का सहारा लेते हैं , टूशन का सिलेबस एनुअल एग्जाम के अनुसार सेट रहता है और उन लेसंस पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है जिसमे अधिक क्वेश्चन पूछे जाते हैं। जबकि स्कूल में यूनिट टेस्ट और इंटरनल एग्जाम पेपर उनके द्वारा पढ़ाये गए सिलेबस के अनुसार सेट किये जाते हैं। इस स्थिति में यदि किसी बच्चे के यूनिट टेस्ट और इंटरनल एग्जाम पेपर में कम नंबर्स आये तो उसका रिजल्ट भी उसी हिसाब से तैयार कर दिया जायेगा, जबकि वो बच्चा टियूशन में एनुअल पेपर के हिसाब से अच्छी तैयारी कर रहा है।

· बहुत सारे विद्यार्थियों का लक्ष्य 12वी एग्जाम और प्रतियोगिता एग्जाम दोनों होता है, वे इसी हिसाब से तैयारी करते हैं, ऐसे में वे स्कूल की पढ़ायी और यूनिट टेस्ट , इंटरनल एग्जाम परीक्षा के नंबर्स पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। जैसे- कोटा में कोचिंग के साथ पढ़ायी करने वाले छात्र, ऐसे छात्रों के लिए 12वी कि परीक्षा रद्द होना एक दुखदायी अनुभव हो सकता है।

· बहुत से विद्यार्थी साल भर मेहनत करते हैं जिसे वे अच्छे नंबर्स से पास हो जिससे इसके आधार पर उनको अपना करियर चुनने में आसानी हो। ऐसे विद्यार्थियों के लिए पेपर्स कैंसिल होना दुःख और अवसाद का कारण बन सकता है।

· 12वी का रिजल्ट आपकी परीक्षा से पहले अंतिम तैयारी पर निर्भर करता है , यूनिट टेस्ट और इंटरनल एग्जाम कभी भी परीक्षा की अंतिम तैयारी का स्वरुप नहीं हो सकते हैं। अतः इन्हे अंतिम तैयारी मानकर रिजल्ट तैयार करना अतार्किक लगता है।

· JEE एडवांस जैसी प्रवेश परीक्षा जिसमे 12वी मे 75% होना जरुरी है, ऐसी परीक्षाओं के लिए छात्रों का मूल्यांकन यूनिट टेस्ट और इंटरनल एग्जाम के आधार पर करना अनुचित प्रतीत होता है।

चलते चलते

दोस्तों, हम केंद्र सरकार के 12वी की परीक्षा के रद्द किये जाने के निर्णय का स्वागत करते हैं। इस लेख में हमने केवल केंद्र सरकार के निर्णय के प्रभाव का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है। इस लेख में प्रस्तुत किये गए विचार मेरे निजी विचार हैं, ये अध्ययन हमारे छात्रों के जीवन को प्रभावित कर भी सकता है या नहीं भी कर सकता है। यदि आप हमारे अध्ययन से इत्तेफाक रखते हैं या आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो, तो इसे अपने दोस्तों तक शेयर अवश्य करें।

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