कोई पदचिह्नों पर चलता है तो कोई पदचिह्न बनाता है, मगर सूरमा इस जग में वही कहलाता है, जो इस दुनिया में पूजा जाता है। भारतीय इतिहास में ऐसे ही कई राजनेता हुए हैं, जिन्होंने अपने व्यक्तित्व से लेकर अपनी कार्यशैली, विचार, संवाद की कला और नेतृत्व करने की क्षमता तक में अपना लोहा मनवाया है और जिसकी वजह से केवल इस देश के ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के लोग उनके कायल हुए बिना नहीं रह सके हैं। तो चलिए मिलवाते हैं आपको भारतीय इतिहास के ऐसे ही सर्वश्रेष्ठ 10 राजनेताओं से जिनके बारे में जानना हमारे, आपके और सभी के लिए है जरूरी।
1. पंडित जवाहरलाल नेहरु
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में तो रहा ही है, लेकिन भारत के आजाद होने के बाद इसके औद्योगिक विकास में जो उन्होंने योगदान दिया और दुनिया के साथ रिश्ते को मजबूत करने की दिशा में जो उनकी ओर से कदम उठाए गए, उनके लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में उन्होंने अपनी समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष छवि को बरकरार रखते हुए जनता की सेवा की। नेहरू के बारे में कहा जाता है कि वो जो कहते थे, उसे जरूर पूरा करते थे। भारत आज जिस मुकाम पर है, उसकी नींव रखने का श्रेय नेहरू को ही जाता है। पंचवर्षीय योजना और भारतीय योजना अयोग नेहरु की ही देन रहे हैं। योजना आयोग को मोदी सरकार ने नीति आयोग में परिवर्तित कर दिया है।
2. भीमराव आंबेडकर
भारतीय संविधान का पिता बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर को ही माना जाता है। आज जो भारत गणतंत्र दिवस मनाता है, यह आंबेडकर की ही तो देन है। आंबेडकर ना केवल एक महान राजनेता, बल्कि एक कुशल इतिहासकार, दार्शनिक और क्रांतिकारी लेखक भी रहे हैं। देश से छुआछूत की प्रथा को समाप्त करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। साथ ही उन्होंने भारत में बौद्ध धर्म की भी समीक्षा की थी। विशेषकर दलित समुदाय के लिए जो आंबेडकर ने काम किया है, उसकी वजह से दलित उन्हें भगवान समान मानते हैं।
3. सरदार वल्लभभाई पटेल
लौह पुरुष कहलाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री रहे हैं। आजादी के बाद देश की बिखरी रियासतों को एक करके भारत की एकता और अखंडता को बरकरार रखने में जो पटेल ने योगदान दिया, उसका यह देश हमेशा ऋणी रहेगा। यह पटेल की कूटनीतिक क्षमता ही थी कि देश की कई रियासतें चाह कर भी भारत से अलग ना हो सकीं। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बारदोली सत्याग्रह के लिए भी उन्हें याद किया जाता है। उसी वक्त सत्याग्रह में शामिल महिलाओं की ओर से उन्हें सरदार की उपाधि भी प्रदान की गई थी। स्वतंत्र भारत के प्रथम गृह मंत्री रहे सरदार पटेल को भारत के राजनीतिक एकीकरण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है।
4. अटल बिहारी वाजपेयी
प्रखर वक्ता, ईमानदार प्रधानमंत्री और वीर रस के कवि के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी हमेशा याद रखे जाएंगे। गैर कांग्रेसी सरकार के वे पहले ऐसे राजनेता रहे, जिन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर 5 वर्षों का अपना कार्यकाल पूरा किया। जिस बहादुरी के साथ उनके शासनकाल में भारत ने अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया और इसके बाद जिस तरीके से उन्होंने अमेरिका जैसे ताकतवर व अन्य पश्चिमी देशों के दबाव के सामने भारत का मस्तक किसी भी तरीके से नहीं झुकने दिया, उसके लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। वाजपेयी को ऐसे सर्वमान्य नेता के रूप में भी याद रखा जाएगा, जिनका ना केवल सत्ता पक्ष, बल्कि विपक्ष के नेताओं ने भी हमेशा सम्मान किया।
5. लाल बहादुर शास्त्री
पंडित जवाहरलाल नेहरु के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री के तौर पर नेहरु की समाजवादी योजनाओं को जारी रखने का काम किया और देश में कृषि क्षेत्र व किसानों के उत्थान के लिए जो काम किया, उसे अभूतपूर्व करार दिया गया। उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया। साल 1962 के युद्ध में भारत को चीन से हार मिली थी, लेकिन शास्त्री के प्रधानमंत्री रहने के दौरान 1965 के युद्ध में भारत ने जिस तरीके से पाकिस्तान को परास्त किया, उसने भारतीय जनता के बीच निराशा के माहौल को समाप्त करके उसके मूड को तरोताजा कर दिया। इस तरीके से वे देश के ऐसे हीरो भी बन गए, जिन्हें यह देश कभी भुला नहीं पाएगा।
6. सुभाष चन्द्र बोस
‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का उद्घोष करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस भले ही बेहद कम समय के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य रहे, लेकिन भारतीय सेना पर उनका खास प्रभाव पड़ा था। वे देश के उन गिने-चुने नेताओं में शामिल रहे, जिन्होंने भारत से ब्रिटिश हुकूमत को समाप्त करने के लिए सैन्य विद्रोह का समर्थन किया था। बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज ने भारत को आजाद कराने के लिए कड़ा संघर्ष किया। भारत में अंग्रेजों को हराने के लिए बोस ने जापान से भी मदद मांगी थी। भले ही उनकी सेना अंग्रेजों को सीधे तौर पर भारत से भगा पाने में कामयाब नहीं हो सकी, मगर ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने माना था कि सुभाष चंद्र बोस की गतिविधियों ने भारत से अंग्रेजों के लौटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
7. इंदिरा गांधी
भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के तौर पर 11 वर्षों तक देश में शासन करने वाली इंदिरा गांधी को भारत में हरित क्रांति को प्रोत्साहित करने के लिए जाना जाता है। वे जवाहर लाल नेहरु की एकमात्र संतान भी थीं। ना केवल कांग्रेस के अंदर उनका एक अलग ही रुतबा था, बल्कि भारतीय जनता से भी भावनात्मक तौर पर वे इस कदर जुड़ी थीं कि ऐसा जुड़ाव तक किसी भी राजनेता का देश की जनता के साथ नहीं देखा गया। इंदिरा गांधी की नीतियों की ही देन थी कि भारत तेजी से विकास के रास्ते पर चल पड़ा। आपातकाल की वजह से इंदिरा गांधी विवादित जरूर रहीं और कथित तौर पर ऑपरेशन ब्लू स्टार की वजह से उनकी हत्या भी हुई, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि जब-जब भारत में क्रांतिकारी बदलाव की बात की जाएगी, तब-तब इंदिरा गांधी को सदी की देश की सबसे महान प्रधानमंत्री के रूप में याद किया जाएगा।
8. डॉ. राजेंद्र प्रसाद
स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उल्लेखनीय योगदान देने के अलावा भारतीय संविधान को आकार देने के लिए भी हमेशा याद किया जाएगा। वे भारत की संविधान सभा के अध्यक्ष भी रहे थे। आज तक वे भारत के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति रहे हैं, जिन्होंने राष्ट्रपति के तौर पर दो कार्यकाल पूरे किए हैं। राष्ट्रपति के तौर पर 1962 में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्हें भारत रत्न की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था। वर्ष 1934 के मुंबई अधिवेशन में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे। बाद में जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, तब एक बार फिर से वे 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। डॉ राजेंद्र प्रसाद को इसलिए भी याद रखा जाएगा कि राष्ट्रपति रहने के दौरान उन्होंने ना तो कभी प्रधानमंत्री और ना ही कभी कांग्रेस को अपने संवैधानिक अधिकारों में दखल देने दिया।
9. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम
भारत के ‘मिसाइल मैन’ के रूप में जाने जानेवाले डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम इस देश के महान वैज्ञानिक होने के अलावा सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति भी रहे। विशेषकर युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता देखते ही बनती थी। उन्होंने वर्ष 2020 तक भारत के विकसित देश के रूप स्थापित होने का भी सपना देख रखा था। पोखरण परमाणु परीक्षण में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। भारत से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए उन्होंने वर्ष 2011 में ‘व्हाट कैन आई गिव’ अभियान भी शुरू किया था। इन सब के अलावा कलाम कुशल वक्ता, शिक्षक और लेखक भी थे, जिनकी ऊर्जा हमेशा युवाओं को प्रेरित करती रहेगी।
10. राजीव गांधी
देश में विज्ञान और तकनीकी को बढ़ावा देने एवं संचार क्रांति लाने वाले प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी को याद किया जाता है। महज 40 वर्ष की उम्र में देश का सबसे युवा प्रधानमंत्री चुने जाने वाले राजीव गांधी को लाइसेंस राज समाप्त करने का भी श्रेय जाता है। ऐसा माना जाता है कि भारत आज विकास के मामले में जिस मुकाम पर पहुंचा है, यदि राजीव गांधी जिंदा रहते तो इस मुकाम को देश करीब दो दशक पहले ही हासिल कर लेता।
इन सभी राजनेताओं का जीवन इस बात का गवाह है कि राजनीति करते हुए किस तरह से देश की सेवा की जा सकती है, किस तरह से देश की सूरत बदली जा सकती है और किस तरह से देश के लिए ही अपने जीवन को समर्पित किया जा सकता है। ये राजनेता आज हमारे बीच भले ही न हों, मगर इनका जीवन हमें देश के लिए बेहतर कल के निर्माण के लिए हमेशा ही प्रेरित करता रहेगा।