कई ऐसी दुर्लभ बीमारियां हैं, जिनकी चपेट में जब कोई आ जाता है, तो उसका इलाज कराना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, क्योंकि यह बहुत ही महंगा हो जाता है। विशेषकर गरीब तबके के लोग इतना महंगा इलाज नहीं करवा पाते हैं और इसकी वजह से उनकी मौत हो जाती है। ऐसे में हाल ही में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से दुर्लभ बीमारियों को लेकर एक नीति मसौदा यानी कि National Policy for Rare Diseases 2020 को जारी किया गया है। इसके अनुसार ‘राष्ट्रीय आरोग्य निधि’ योजना के अंतर्गत सरकार की ओर से दुर्लभ बीमारियों का शिकार हो गये लोगों के एकमुश्त इलाज के लिए 15 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी।
National Policy for Rare Diseases 2020 का उद्देश्य
सबसे प्रमुख उद्देश्य इस नीति मसौदे का वैसे निर्धन लोगों को 15 लाख रूपये तक की आर्थिक सहायता मुहैया कराना है, जिनके लिए गंभीर और दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए इसमें होने वाले खर्च का वहन कर पाना संभव नहीं है। लंबे अरसे से दरअसल इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही थी और इसे लेकर मांगें भी उठ रही थीं। आखिरकार ने इसकी जरूरत को समझते हुए इसे जारी करने का फैसला किया। इस मसौदे को National Policy for Rare Diseases 2020 का नाम प्रदान किया गया है। इसके क्रियान्वयन के लिए सरकार की ओर से भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी कि ICMR की भी स्थापना किये जाने का प्रस्ताव है। आयुष्मान भारत योजना के तहत जो लाभार्थी आयेंगे, उनके डेटाबेस को तैयार करने का काम इसी परिषद के जिम्मे सौंपा जायेगा। दुर्लभ रोग नीति मसौदे का लाभ देश के करोड़ों गरीब लोगों को मिल पायेगा।
National Policy for Rare Diseases 2020 से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
- दुर्लभ बीमारियों की पहचान भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की ओर से ही की जायेगी और इन बीमारियों के उपचार के लिए जो वित्तीय मदद मुहैया कराई जायेगी, उसकी सीमा 15 लाख रुपये तक की होगी।
- National Policy for Rare Diseases 2020 के मसौदे में यह भी बताया गया है कि इसके तहत अलग-अलग डिजिटल प्लेटफॉर्म भी स्थापित किये जाने का प्रस्ताव है, जिनके जरिये स्वचेछा से क्राउड-फंडिंग का अभियान भी चलाया जायेगा।
- अधिकतम संख्या में लोग स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले सकें, इसके लिए उन्हें वित्तीय मदद उपलब्ध कराने के लिए एक वैकल्पिक तंत्र स्थापित करने की इच्छा सरकार की ओर से जताई गई है। डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाने का विचार इसी का एक हिस्सा है।
- दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित मरीजों के इलाज पर जो खर्च आयेगा, उसे पूरा किया जायेगा उस दान से जो ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्राप्त किये जाएंगे। इसका अर्थ यह हुआ कि आमजन, जो स्वेच्छा से इस नेक कार्य में सहयोग करना चाहेंगे, उनकी छोटी-छोटी मदद लेकर निर्धन मरीजों के दुर्लभ बीमारियों के इलाज की व्यवस्था सरकार की ओर से की जा रही है।
- योजना की एक और बड़ी खासियत यह भी है कि केवल गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवार ही इस मसौदे के तहत मिलने वाले लाभों से लाभान्वित नहीं होंगे, बल्कि आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन समृद्धि योजना में जो प्रावधान किये गये हैं, उनके अनुसार देश की लगभग 40 फीसदी आबादी इस योजना का लाभ उठाने के पात्र होंगे।
- साथ ही National Policy for Rare Diseases 2020 के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का यह भी उद्देश्य है कि देश के कुछ चिकित्सा संस्थानों को इस तरह के उत्कृष्ट केंद्रों के तौर पर अधिसूचित किया जाए, जहां केवल दुर्लभ बीमारियों के ही इलाज की पूरी व्यवस्था हो।
समझिए, आखिर क्या है दुर्लभ रोग?
ऐसी बीमारियां जो जानलेवा हैं, गंभीर हैं और पुरानी भी हैं, वे दुर्लभ रोगों की श्रेणी में आ जाती हैं। बीमारियां अलग हैं, तो इनके लक्षणों में भी भिन्नता देखी जाती है। कई बार तो जिंदगी भर मरीज इससे छटपटाते रहते हैं। इतना ही नहीं, इनकी वजह से मरीज निःशक्त तक बन जाते हैं। उनकी क्षमता धीरे-धीरे खत्म होने लगती है। कुछ परिस्थितियों में ये जान तक ले लेते हैं। दुनियाभर में इस वक्त लगभग 700 ऐसी बीमारियां हैं, जिन्हें दुर्लभ रोग की श्रेणी में रखा जाता है। इनमें से कुछ श्वसन व पाचन तंत्र को बुरी से प्रभावित करने वाली सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसी मशहूर बीमारियां भी शामिल हैं। नाम के अनुसार ये बीमारियां दुर्लभ होती हैं यानी कि कम देखी जाती हैं। दरअसल, दुर्लभ रोगों में तो 80 फीसदी आनुवंशिक ही होते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक देश में इस वक्त 56 से 72 मिलियन लोग दुर्लभ बीमारियों की चपेट में हैं। इनके बारे में जागरुकता के अभाव की वजह से इससे पीड़ित मरीजों को कई बार समाज में भेदभाव का भी शिकार होना पड़ता है।
इसे कहते हैं क्राउड-फंडिंग
जब आप किसी विशेष चीज जैसे कि किसी परियोजना के लिए या कोई व्यापार शुरू करने के लिए या फिर समाज के कल्याण के लिए लोगों से छोटी-छोटी रकम जुटाना शुरू करते हैं तो इसे ही दरअसल क्राउड-फंडिंग के नाम से जाना जाता है। क्राउड-फंडिंग के लिए सोशल मीडिया और वेब आधारित प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल अधिक किया जाता है। जो इसके लिए दान दे सकते हैं, उन्हें इसकी वजह भी बताई जाती है।
निष्कर्ष
निस्संदेह National Policy for Rare Diseases 2020 केंद्र सरकार की ओर से शुरू की जा रही एक सराहनीय पहल है, जिसके सफल होने पर देश का कोई भी व्यक्ति दुर्लभ बीमारियों का शिकार होने पर पैसे न होने पर इलाज के अभाव में दम नहीं तोड़ेगा।