देश का सबसे ऊंचा हर्बल गार्डन

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herbal garden uttarakhand

हिमालय की गोद मे बसे खूबसूरत उत्तराखण्ड राज्य के वन अनुसंधान केन्द्र ने राज्य में देश का सबसे ऊंचा हर्बल गार्डन बनाने का कीर्तिमान स्थापित किया है। भारत का सबसे ऊंचा हर्बल गार्डन चमोली जिले के अंतगर्त माणा गांव के निकट समुद्रतल से 11000 फ़ीट की ऊंचाई पर बनाया गया है। आइये आज के इस लेख में हम भारत के सबसे ऊँचे हर्बल गार्डन के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।

भारत का का सबसे ऊंचा हर्बल गार्डन

  • देश का सबसे ऊँचा हर्बल गार्डन उत्तराखण्ड में बद्रीनाथ धाम के निकट माणा गांव के पास माणा वन पंचायत की चार एकड़ भूमि में विकसित किया गया है।
  • 21 अगस्त 2021 को देश के सबसे ऊँचे हर्बल गार्डन को देश को समर्पित किया गया है , इस अवसर पर माणा गांव के सरपंच पीतांबर मोलपा द्वारा इसका विधिवत रूप से उद्घाटन किया है।
  • इसे वन अनुसंधान केन्द्र, उत्तराखंड ने Compensatory Afforestation Fund Act Scheme के तहत बनाया गया है।
  • इस हर्बल गार्डन में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पायी जाने वाली 40 से अधिक दुर्लभ जड़ी-बूटियों, आयुर्वेदिक महत्व की प्रजातियों तथा अल्पाइन प्रजातियों को संरक्षित किया गया है।
  • हर्बल गार्डन को चार भागों में विभाजित किया गया है, जिसमे पहला भाग में, भगवान बद्री विशाल से सम्बंधित प्रजातियों को संरक्षित किया गया है।
  • हर्बल गार्डन के दूसरे भाग में, अष्टवर्ग जड़ी-बूटी समूह की आठ प्रजातियों को संरक्षित किया गया है। तीसरे भाग में, सौसुरिया कुल से सम्बंधित पादप व प्रजातियां संरक्षित हैं।
  • हर्बल गार्डन के चौथे भाग में, अल्पाइन श्रेणी की दुर्लभ प्रजातियों को सम्मिलित किया गया है।
  • इस हर्बल गार्डन में भारतीय हिमायली क्षेत्र की सभी दुर्लभ, विलुप्तप्राय और संकटग्रस्त प्रजातियों को भी संरक्षित किया गया है।
  • हर्बल गार्डन के प्रथम भाग में, बद्री भगवान को समर्पित या अर्पित की जाने वाली पादप सामग्री जैसे –बदरी तुलसी, बदरी बेर, बदरी वृक्ष और भोजपत्र वृक्ष आदि संरक्षित की गयी हैं।
  • बद्री बेर और बद्री तुलसी का आयुर्वेदिक महत्व भी है, बद्री बेर को स्थानीय भाषा में अमेश’ कहा जाता है। ये न्यूट्रिशन से भरपूर होता है।
  • इसके दूसरे भाग में, अष्टवर्ग समूह की आठ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां जैसे- रिद्धि (हैबेनेरिया इंटरमीडिया), वृधि (हैबेनेरिया एडगेवर्थी), जीवक (मलैक्सिस एक्यूमिनाटा), ऋषभक (मैलैक्सिस मुस्सिफेरा), काकोली (फ्रिटिलारिया रायली), क्षीर काकोली (लिलियम पालीफाइलम), मैदा (प्लायगोनाटम सिरिफोलियम) और महामैदा (बहुभुज वर्टिसिलैटम) आदि संरक्षित हैं।
  • काकोली, क्षीर काकोली और ऋषभक ये तीनो ही बहुत दुर्लभ प्रकार की जड़ी-बूटी हैं। महामैदा का उपयोग च्यवनप्राश बनाने में किया जाता है।
  • हर्बल गार्डन के तीसरे भाग में, सौसुरिया कुल से सम्बंधित कमल की प्रजातियां सम्मिलित हैं। जिसमे ब्रह्मकमल, फेनकमल, नील कमल और कूट आदि को संरक्षित किया गया है।
  • ब्रह्मकमल, उत्तराखण्ड राज्य का राजकीय पुष्प है, यह उच्च हिमालयी क्षेत्रों में चट्टानों पर पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Saussurea obvallata है।
  • ब्रह्मकमल, उत्तराखण्ड के अतिरिक्त अन्य हिमालयी क्षेत्रों हिमाचल, कश्मीर, उत्तर-पश्चिम भारत में भी पाया जाता है। हिमाचल में इसे दूधाफूल, कश्मीर में गलगल और उत्तर-पश्चिमी भारत में बरगनडटोगेस आदि नामो से इंगित किया जाता है।
  • हर्बल गार्डन के चौथे और अंतिम भाग में, उच्च हिमालयी बुग्याल क्षेत्रों(अल्पाइन क्षेत्रों) में पाये जाने वाले अति दुर्लभ पादप एवं हर्ब की प्रजातियों को संरक्षित किया गया है।
  • इस भाग में औषधीय महत्व के अतीश, मीठा विष, छोटा अतीश, वन ककड़ी, चोरु, पाषण भेद, कुटकी, थुनेर का वृक्ष, तानसेन का वृक्ष, रिक्चा आदि शामिल हैं।
  • देश के सबसे ऊँचे हर्बल गार्डन को वन अनुसंधान केन्द्र, हल्द्वानी टीम ने संजीव चतुर्वेदी, मुख्य वन संरक्षक के मार्गनिर्देशन में 3 साल की कड़ी मेहनत से तैयार किया है।

सीमांत माणा गांव

  • माणा उत्तराखण्ड के चमोली जिले में समुद्रतल से 3,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गांव है। इसका प्राचीन नाम मणिभद्रपुर है।
  • माणा गांव भारत-तिब्बत बॉडर पर भारत का अंतिम गांव है , इससे आगे महान हिमालय की पर्वत श्रेणियाँ स्थित है। माणा गांव के नाम पर भारत-तिब्बत सीमा पर एक दर्रा भी स्थित है जिसे माणा दर्रा कहते हैं। प्राचीन काल में इस दर्रे से तिब्बत के साथ व्यापार किया जाता था।
  • माणा गांव के समीप महाभारत कालीन गणेश, व्यास, विष्णु गुफा भी स्थित है। कहा जाता है कि वेदों और महाभारत काव्य की रचना यहीं की गयी थी।
  • मूल रूप से माणा गांव के निवासी भोटिया जनजाति है , जो बद्रीनाथ धाम की दर्शन यात्रा के समय यहां निवास करते हैं। यह गांव बद्रीनाथ धाम से 4 किलोमीटर की दूरी पर है।

उत्तराखण्ड

  • विस्तृत हिमालयी श्रेणियां, कलकल करती नदियां, चौड़े बुग्यालों की कतार, वीर जवानो की धरा उत्तराखंड भारत का सत्ताईसवाँ राज्य है।
  • उत्तराखंड राज्य की स्थापना 9 नवम्बर 2000 को उत्तर-प्रदेश से पृथक करके की गयी थी। राज्य की राजधानी देहरादून तथा हाईकोर्ट नैनीताल में स्थित है।
  • भारत के धार्मिक महत्व के चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम तथा बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम उत्तराखण्ड में स्थित है।
  • उत्तराखण्ड राज्य का पौराणिक इतिहास रामायण और महाभारत कालीन रहा है। पुराणों में इसे मानसखण्ड के नाम से जाना जाता था।
  • उत्तराखंड राज्य कुमायूं और गढ़वाल दो मंडलों में बांटा गया है। राज्य में कुल जिलों की संख्या 13 है। जनसँख्या की दृष्टि से राज्य देश में 19वे स्थान पर है।
  • उत्तराखंड राज्य सीमा चीन और नेपाल दो देशों से लगती है। इसके अतिरिक्त हिमांचल, उत्तर-प्रदेश राज्यों के साथ उत्तराख्नण्ड अपनी राज्यीय सीमाएं साझा करता है।
  • राज्य में भारतीय सैन्य अकादमी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, आईआईएम सरीखी अनेक राष्ट्रीय महत्व के संस्थान स्थित हैं।
  • भारत का पहला लाइकेन पार्क भी उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले की मुनस्यारी तहसील में स्थित है। यह लगभग डेढ़ एकड़ में फैला हुवा है तथा यहाँ 80 से ज्यादा लाइकेन की प्रजातियां संरक्षित की गयी हैं।

चलते चलते

उत्तराखंड राज्य सामरिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से भारत के लिए बहुत महत्व रखता है। राज्य का अधिकांश क्षेत्र चीन तथा नेपाल के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाता है। राज्य से कई नदियां निकल कर देश को उपजाऊ बनाती हैं, राष्ट्रीय नदी गंगा का उद्गम स्थान उत्तराखंड ही है। उत्तराखंड से कुमाऊँ और गढ़वाल दो रेजिमेंट्स भारत की सेवा में हैं। ऐसे ही बहुत से तथ्य हैं जिसमे उत्तराखण्ड देश का प्रतिनिधित्व करता है। हमारे जो पाठक सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहें हैं उनके लिए भारत का सबसे ऊंचा हर्बल गार्डन कहां है”?, यह प्रश्न महत्वपूर्ण बन जाता है। इसी आशा के साथ की आपको हमारे द्वारा दी जा रही जानकारी पसंद आ रही है , हम यह लेख यहीं समाप्त करते है। जय हिन्द !

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