एशियन यूथ चैंपियनशिप में भारत की ‘स्वर्णिम यात्रा’, मिले 6 गोल्ड मेडल

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Asian Youth Championships

Asian Youth Championships में gold medals का सपना लेकर पहुंचे भारत के 6 खिलाड़ियों को इसमें कामयाबी मिली और उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर भारत की झोली में डाल दिये।

Asian Youth Championships में gold medals की तो इस बार भारतीय मुक्केबाजों ने झड़ी लगा दी, क्योंकि भारत के खाते में एक या दो नहीं, पूरे 6 गोल्ड मेडल्स इस चैंपियनशिप में आये हैं। इससे यह साबित हो गया है कि भारतीय खिलाड़ियों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। जरूरत बस इस बात की है कि उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए उन्हें उचित वातावरण मिले और साथ में उन्हें पर्याप्त प्रोत्साहन व संसाधन भी मिले। इस लेख में हम आपको एशियन यूथ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल्स जीतने वाले भारतीय खिलाड़ियों के साथ उनके उम्दा प्रदर्शन के बारे में भी बताने जा रहे हैं, जिन्हें पढ़कर आपकी भी छाती गर्व से फूल उठेगी।

दोस्तों, इस बार एशियन यूथ चैंपियनशिप का आयोजन दुबई में हाल ही में किया गया। भारत के लिए यह चैंपियनशिप इसलिए खास रही, क्योंकि इस चैंपियनशिप में भारत को केवल 6 स्वर्ण पदक ही नहीं मिले, बल्कि भारत 9 रजत और 5 कांस्य पदक भी अपने नाम करने में कामयाब रहा। स्वर्ण पदकों की बात करें, तो निश्चित रूप से इस मामले में नारी शक्ति का दबदबा रहा, क्योंकि 6 स्वर्ण पदकों में से 4 तो उन्होंने ही अपने देश की झोली में डाल दिये। इन खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन पर आज उनके परिवार और राज्य के साथ पूरा देश नाज कर रहा है।

प्रीति दाहिया का दमखम

इस कड़ी में सबसे पहले हम बात करते हैं, प्रीति दाहिया की, जिन्होंने 60 किग्रा वर्ग में एशियन यूथ चैंपियनशिप में गोल्ड पदक जीता और अपना नाम इतिहास में दर्ज करवा लिया। कजाखस्तान की जुल्दिज शायकमेतोवा को प्रीति दहिया ने शानदार खेल का प्रदर्शन दिखाते हुए 3-2 से शिकस्त दे दी। इसमें कोई शक नहीं कि 16 जून, 2004 को फतेह नगर में जन्म लेने वालीं और महज 12 वर्ष की उम्र में ही अपना बॉक्सिंग करियर शुरू कर देनी वालीं प्रीति दाहिया देश की अगली महिला स्टार खिलाड़ी बनने जा रही हैं। प्रीति अपने सपनों को पूरा करने के लिए और अपने देश का नाम आगे भी रोशन करने के लिए कितनी मेहनत कर रही हैं, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि वे हर हफ्ते अपने कोच महेंद्र सिंह ढाका से 20 घंटे की ट्रेनिंग लेती हैं। प्रीति दाहिया ने वर्ष 2018 में भारतीय महिला स्कूल राष्ट्रीय खेलों में रजत पदक भी जीता था।

स्नेहा कुमारी ने भी कर दिखाया कमाल

Youth Asian champion बनने का लक्ष्य लिये भारत ने एशियन यूथ चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था और भारत की उम्मीदों को पंख लगाने का काम प्रीति दाहिया के अलावा किन्नौर के सांगला की रहने वालीं स्नेहा कुमारी ने भी किया, जिन्होंने कि 66 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर अपने देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। स्नेहा ने एशियन यूथ चैंपियनशिप में यूएई की रहमा खलफान अलमुर्शिदी पर विजय हासिल की। यह पहला मौका नहीं है, जब स्नेहा ने बॉक्सिंग में पदक जीतकर अपने देश का मान बढ़ाया है, बल्कि इससे पहले बीते अप्रैल में स्पेन के मर्सिया में भी हुए यूथ एवं जूनियर बॉक्सिंग प्रतियोगिता में स्नेहा ने 63 किलोग्राम वर्ग में जबर्दस्त खेल का प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीतने में कामयाबी हासिल की थी। उससे पहले जब अंडर 19 स्कूल नेशनल बॉक्सिंग प्रतियोगिता का आयोजन तेलंगाना में हुआ था, वहां भी स्नेहा कुमारी का प्रदर्शन देखने लायक था, क्योंकि अद्भुत खेल कौशल का परिचय देते हुए स्नेहा ने यहां भी रजत पदक यानी कि सिल्वर मेडल अपने नाम कर लिया था।

इन सबके अलावा स्नेहा मोहाली में हुई जूनियर नेशनल बॉक्सिंग प्रतियोगिता में रजत पदक, जबकि खेलो इंडिया नेशनल गेम्स में कांस्य पदक पर भी कब्जा जमाकर अपने परिवार के साथ इस देश को उन पर नाज करने का मौका दे चुकी हैं। स्नेहा सांगला के एक सरकारी स्कूल की छात्रा भी हैं। स्नेहा की मां सर्जन देवी और पिता मनोज कुमार नेगी को इस बात का पूरा भरोसा है कि उनकी बेटी एक दिन ओलिंपिक में भी भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतकर लायेगी।

खुशी ने गोल्ड जीतकर दोगुनी की देश की खुशी

Asian Youth Championships में भारत की खुशी दोगुनी करने का काम खुशी ने किया, जिन्होंने कि कजाखस्तान की डाना दीडे को 75 किग्रा वर्ग में 3-0 से पराजित करके भारत के लिए एक और गोल्ड मेडल जीत लिया। खुशी का सपना है कि वर्ष 2024 में होने जा रहे पेरिस ओलिंपिक में वे भारत के लिए गोल्ड मेडल जीत कर लाएं। खुशी के मुताबिक मैरी कॉम की वे बहुत बड़ी फैन हैं और उनसे प्रेरणा लेकर वे अगले ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही हैं। पटियाला के चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली खुशी इसके लिए अभी से ही कठिन प्रशिक्षण ले रही हैं, ताकि ओलिंपिक के वक्त तक वे स्वर्ण पदक पर अपनी दावेदारी जताने के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकें।

नेहा, विश्वामित्र चोंगथम और विशाल ने भी लगाया गोल्ड पर मुक्का

Asian Youth Championships में भारत की नेहा भी 54 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रहीं और इस तरह से उन्होंने देश का मान बढ़ा दिया। भारत की आधी आबादी ने चैंपियनशिप में अपना दमखम दिखाते हुए भारत के लिए 4 स्वर्ण पदक तो जीते ही, भारत के दो और खिलाड़ियों विश्वामित्र चोंगथम और विशाल भी गोल्ड पर मुक्का लगाने में पीछे नहीं रहे। विश्व युवा चैंपियनशिप में पुरुष वर्ग में कांस्य पदक हासिल करने वाले विश्वामित्र चोंगथम ने इस बार एशियन यूथ चैंपियनशिप में 51 किग्रा वर्ग में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत लिया और देश को उन पर गर्व करने का मौका दे दिया। उसी तरह से विशाल ने भी 80 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर देश को गद्गद कर दिया।

स्वर्ण तो नहीं, मगर रजत और कांस्य जीतकर इन्होंने भी बढ़ाया देश का मान

म्हिला वर्ग में 57 किग्रा वर्ग में प्रीति और 63 किग्रा वर्ग में खुशी सिल्वर मेडल हासिल करने में कामयाब रहीं। उसी तरह से 81 किग्रा वर्ग में तनीषा संधू, 50 किग्रा वर्ग में तमन्ना, 52 किग्रा वर्ग में सिमरन और 48 किग्रा वर्ग में निवेदिता ने रजत पदक हासिल करके भारत के पदकों की संख्या को और बढ़ा दिया। दूसरी ओर पुरुषों के वर्ग में 71 किग्रा वर्ग में जयदीप रावत, 48 किग्रा वर्ग में विश्वनाथ सुरेश और 63.5 किग्रा वर्ग में वंशज अपने देश के लिए रजत पदक जीतने में सफल रहे।

एशियन यूथ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल्स हासिल करने के लिए खेल रहे भारत ने 6 गोल्ड मेडल तो जीते ही, साथ ही 75 किग्रा वर्ग में दीपक, 92 किग्रा से अधिक के वर्ग में अमन सिंह बिष्ट, 67 किग्रा वर्ग में दक्ष और 92 किग्रा वर्ग में अभिमन्यु पुरुष वर्ग में भारत को कांस्य पदक दिलाने में कामयाब रहे। उसी तरह से महिला वर्ग में 70 किग्रा वर्ग में लशु यादव ने कांस्य पदक जीतकर देश का मान बढ़ा दिया। एशियन यूथ चैंपियनशिप में भारत का प्रदर्शन मंगोलिया के उलानबटार में आयोजित पिछली एशियाई यूथ चैंपियनशिप से बेहतर रहा, जहां भारत को 5 स्वर्ण पदक के साथ कुल 12 पदक मिले थे।

पदक जीतने पर मिलने वाली राशि एक नजर में

एशियन यूथ चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता को जहां, 6 हजार अमेरिकी डॉलर मिले हैं, वहीं रजत पदक विजेता को 3 हजार अमेरिकी डॉलर और कांस्य पदक विजेता को 1500 अमेरिकी डॉलर की राशि पुरस्कार में मिली है।

चलते-चलते

Asian Youth Championships में gold medals भारत के लिए जीतकर लाने वाले सभी खिलाड़ियों पर यह देश सिर्फ इसलिए नाज नहीं कर रहा कि इन्होंने भारत को पदक दिलाये हैं, बल्कि इन खिलाड़ियों पर इस देश को फक्र इसलिए भी है कि इन खिलाड़ियों ने सीमित संसाधनों के बावजूद अपनी मेहनत के बल पर यह उपलब्धि हासिल की है। इन सभी खिलाड़ियों से यही उम्मीद है कि आने वाले वक्त में ये भी ओलिंपिक में भी भारत के लिए मेडल्स जीतकर लाएं।

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