कौन हैं लवलीना बोरगोहेन? | Who is Lovlina Borgohai?

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Who is Lovlina Borgohai
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टोक्यो ओलम्पिक-2020 का आयोजन कोरोना के चलते काफी प्रभावित रहा है। बावजूद इसके जापान ने इसका सफल आयोजन करके दुनिया को एक सकारात्मक सन्देश दिया है। भारत के लिहाज से देखा जाये तो यह ओलम्पिक हमारे लिए काफी सकारात्मक ऊर्जा लेकर आया है। विशेषकर भारत की लड़कियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए देश को 3 पदक दिलाये। आज के इस लेख मे हम ऐसी ही भारत की एक बेटी के बारे मे जानकारी देने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने पहले ही ओलम्पिक मे मात्र 23 साल की उम्र मे देश को बॉक्सिंग मे कांस्य पदक दिलाया है। हमारा आज का यह लेख  देश की नयी बॉक्सिंग सनसनी लवलीना बोरगोहेन को समर्पित है।  तो चलिए जानते हैं कौन हैं लवलीना बोरगोहेन

आज के इस लेख मे आपके लिए है

  • लवलीना बोरगोहेन का प्रारंभिक परिचय.
  • लवलीना बोरगोहेन का बॉक्सिंग करियर.
  • लवलीना बोरगोहेन की उपलब्धियां.
  • लवलीना बोरगोहेन का पहला ओलम्पिक सफर.
  • लवलीना बोरगोहेन –ओलम्पिक के बाद बदल गयी जिंदगी.
  • भारत के अन्य ओलम्पिक विजेता बॉक्सर्स(मुक्केबाज़).

लवलीना बोरगोहेन -प्रारंभिक परिचय

  • लवलीना बोरगोहेन का जन्म 2 अक्टूबर 1997 को गोलाघाट, असम में हुआ था।
  • इसके पिता जी का नाम टीकेन बोरगोहेन तथा माता का नाम मामोनी बोरगोहेन है। इसके पिता एक बिज़नेस मैन तथा माता का गृहणी हैं।
  • लवलीना बोरगोहेन के परिवार में उनकी दो जुड़वाँ बहनें भी हैं जिनका नाम लिचा और लीमा है। ये दोनों भी किकबॉक्सिंग में राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रह चुकी हैं।
  • लवलीना ने भी अपनी बड़ी बहनो के समान अपना करियर किकबॉक्सिंग से प्रारम्भ किया था। आगे चलकर स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) के मार्गदर्शन में उन्होंने अपना करियर बॉक्सिंग में बनाया।

लवलीना बोरगोहेन का बॉक्सिंग करियर

  • साल 2012 में लवलीना ने अपने बॉक्सिंग करियर की शुरुआत स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) के मुख्य कोच पदुम बोरो के मार्गनिर्देशन में की थी।
  • इसके बाद लवलीना ने मुख्य महिला बॉक्सिंग कोच शिव सिंह से बॉक्सिंग का प्रशिक्षण हासिल किया।
  • मुख्य कोच पदुम बोरो के प्रशिक्षण के दौरान लवलीना ने जूनियर और सीनियर लेवल पर कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पदक एवं पुरस्कार जीते है।

लवलीना बोरगोहेन की उपलब्धियां

  • लवलीना का अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सिंग में पदार्पण साल 2017,जून  में प्रेसिडेंट्स कप, अस्थान, कज़ाकिस्तान मे हुआ था। इस प्रतियोगिता में उन्होंने  75 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता था।
  • इसी साल नवम्बर मे  वियतनाम ,एशियाई मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप मे भी उन्होंने कांस्य पदक जीता था।
  • साल 2018, फरवरी में हुए अंतराष्ट्रीय मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप मे उन्होंने वेल्टरवेट श्रेणी मे  स्वर्ण पदक जीता था।
  • लवलीना के जीवन में सबसे पहला महत्वपूर्ण अवसर साल 2018 में राष्ट्रमंडल खेलों के लिए वेल्टरवेट श्रेणी में चुना जाना था। हालाँकि इन खेलों में लवलीना क्वाटरफाइनल में  ब्रिटेन की सैंडी रयान के हाथों पराजित हो गयी थी।
  • राष्ट्रमंडल खेलों की पराजय से सबक लेते हुए लवलीना ने जबरदस्त वापसी करते हुए जून 2018 मे  मंगोलिया में उलानबातर में बॉक्सिंग में रजत पदक जीता था।
  • इसके बाद लवलीना ने सितम्बर 2018 मे पोलैंड मे 13वीं अन्तराष्ट्रीय सिलेसियन चैंपियनशिप मे  कांस्य पदक पर कब्ज़ा जमाया था।
  • नवंबर 2018 में लवलीना ने दिल्ली में आयोजित ए०इ०बी०ए० महिला विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप मे वेल्टरवेट (69 कि०ग्रा०) वर्ग में कांस्य पदक जीता था।
  • मार्च 2020 में लवलीना ने एशिया/ओसनिया ओलंपिक क्वालीफ़ायर मुक्केबाज़ी टूर्नामेंट मे मुफतुनाखोंन मेलिएवा को 5-0 से हरा कर टोक्यो ओलम्पिक 2020 का टिकट कटा लिया।
  • साल 2020 में लवलीना बोरगोहेन को बॉक्सिंग में विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।

लवलीना बोरगोहेन का पहला ओलम्पिक सफर

  • 27 जुलाई को अपने पहले मुकाबले मे उन्होंने जर्मनी की नेदिन एपेट्ज को 3-2 से हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी।
  • 30 जुलाई को क्वार्टर फाइनल में चीनी ताइपे की निएन चिन चेन को 4-1 से हराकर भारत के लिए पदक जीतना सुनिश्चित कर लिया था।
  • 4 अगस्त 2021 को सेमीफाइनल मुकाबले में लवलीना के सामने को तुर्की की मौजूदा विश्व चैंपियन बुसेनाज सुरमेनेली थी। इससे पहले इन दोनों का आमना-सामना कभी नहीं हुआ था। इस मैच में लवलीना को  5-0 से हार का सामना करना पड़ा।
  • यह लवलीना का पहला ओलम्पिक है। उनके पास पाने को सबकुछ था , इसका उन्होंने भरपूर फायदा भी उठाया है। सेमी फाइनल में उनसे कुछ गलतियां हुई हैं। जिनसे वे सीख़ लेते हुए आने वाले भविष्य में अपना प्रदर्शन बेहतर करेंगी।

लवलीना बोरगोहेनओलम्पिक के बाद बदल गयी जिंदगी

  • लवलीना के घर तक जाने वाली सड़क कच्ची और कीचड़ से भरी रहती थी। जब से लवलीना ने ओलम्पिक में पदक जीता है, उनके स्वागत के लिए पूरी सड़क को स्थानीय विधायक द्वारा लोकनिर्माण विभाग की मदद से बना दिया गया है।
  • असम कांग्रेस ने लवलीना को ओलम्पिक में पदक जीतने के लिए 3 लाख रूपये के इनाम की घोषणा की है।
  • BCCI ने ओलम्पिक में कांस्य पदक विजेता को 25 लाख रूपये के ईनाम की घोषणा कर चुका है।
  • लवलीना असम की तरफ से पहली महिला बॉक्सर और ओलम्पिक पदक विजेता खिलाड़ी हैं। असम सरकार द्वारा आने वाले समय में लवलीना को किसी ओहदेदार सरकारी पद प्रदान किया जा सकता है।

भारत के अन्य ओलम्पिक विजेता बॉक्सर्स(मुक्केबाज़)

एमसी मैरीकॉम

  • साल 2001 में महिला बॉक्सिंग की दुनिया में कदम रखने वाली एमसी मैरीकॉम ने साल 2012 लंदन ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया था।
  • एमसी मैरीकॉम का जन्म 24 नवम्बर 1982 मे काङथेइ, मणिपुर मे हुआ था। उन्होंने मणिपुरी बॉक्सर डिंग्को सिंह से प्रेरित होकर बॉक्सिंग को कैरियर के रूप में चुना था।
  • एमसी मैरीकॉम ने विश्व गैर-व्यावसायिक बॉक्सिंग में रिकॉर्ड लगातार चार बार स्वर्ण पदक जीता है। उनकी इस उपलब्धि पर एआइबीए ने उन्हें मॅग्नीफ़िसेन्ट मैरी” टैग दिया है।
  • एमसी मैरीकॉम के नाम 6 बार विश्व चैंपियनशिप में  स्वर्ण, एशियाई गेम्स में 1 स्वर्ण, राष्ट्र मंडल खेल मे 1 स्वर्ण, एशियाई चैम्पियशिप मे 5 स्वर्ण पदक हैं।
  • एमसी मैरीकॉम की बॉक्सिंग खेल में असाधारण उपलब्धि के लिए भारत सरकार ने उन्हें साल 2020 पद्म विभूषण, साल 2013 पद्म भूषण तथा साल 2006 पद्मश्री से सम्मानित किया था।

विजेंद्र सिंह

  • साल 2004 मे अन्तर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी का सफर प्रारम्भ करने वाले विजेंद्र सिंह ने बीजिंग ओलम्पिक 2008 मे भारत को पहली बार मुक्केबाजी मे कांस्य पदक दिलाया था।
  • विजेंद्र सिंह का जन्म 29 अक्टूबर 1985 को हरियाणा के कालूवास, भिवानी मे हुआ था। उन्होंने मुक्केबाज राज कुमार सांगवान से प्रेरित होकर मुक्केबाजी मे कैरियर बनाया।
  • विजेंद्र सिंह के नाम विश्व चैंपियनशिप मे 1 कांस्य, राष्ट्रमंडल खेलो मे 2 रजत , 1 कांस्य तथा एशियाई खेलों मे 1 स्वर्ण, 1 कांस्य पदक है।
  • विजेंद्र सिंह की खेल उपलब्धियों के लिए भारत सरकार ने उन्हें साल 2009 मे “राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड” तथा साल 2010 मे पद्मश्री अवार्ड” से सम्मानित किया था।

चलतेचलते

दोस्तों, लवलीना बोरगोहेन, मीराबाई चानू, हिमा दास और न जाने ऐसे ही कितने गुमनाम हीरे हमारे देश के पास हैं , जरूरत है बस उन्हें पहचानने और तराशने की।

मैं यहाँ पर पहचानने की शब्द इसलिए उपयोग कर रहा हूँ, क्योकि लवलीना बोरगोहेन, मीराबाई चानू, हिमा दास सरीखे कई अनमोल हीरे बहुत ही कम मूलभूत सुविधाओं और तंगहाल आर्थिक परिस्थितियों के साथ अपने कैरियर की शुरुआत करते हैं। इन प्रतिभाओं के पास खान- पान, यातायात, प्रशिक्षण कोर्स फ़ीस, खेल सम्बन्धी सामान आदि के लिए भी धनराशि नहीं होती है। इसमें से कोई लिफ्ट लेकर प्रशिक्षण केंद्र तक पहुँचता है, कोई पैदल ही पहुँचता है , किसी के माता-पिता उसकी आवश्यकता पूर्ति के लिए एक वक्त का खाना खाते हैं और किसी को पोषक खाना भी नसीब नहीं होता है। इनकी इस स्थिति से उठकर किसी योग्य प्रशिक्षक या प्रशिक्षण संस्थान तक पहुंचना भी अपने आप मे एक ओलम्पिक ही है। हमें हर्ष है की हमारी बेटियों ने इस ओलम्पिक मे शानदार प्रदर्शन करके देश की अन्य युवा खेल प्रतिभाओं के लिए एक उदाहरण सेट कर दिया है, जिसने राज्य सरकारों तथा केंद्र सरकार का ध्यान इस ओर खींच दिया है।

अब सरकार खेलों के प्रति ओर अधिक जागरूक नजर आ रही है, इसके पूरे आसार है कि जल्द ही देश मे बहुत सी स्पोर्ट्स सुविधायें मिलने वाली हैं और आने वाले समय मे हमारे देश से बहुत से मैडल निकलने वाले हैं। इसी आशा के साथ कि हमारा देश आने वाले समय में ओलम्पिक मैडल तालिका मे टॉप 5 मे प्रदर्शन करते नजर आये और भारत क्रिकेट के समान अन्य खेलों में भी बादशाहत कायम करे। इसी के साथ हम आज का यह लेख यही समाप्त करते हैं। धन्यवाद! 

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