नमस्कार दोस्तों, आज हम जिस शख्सियत की बात करेंगे वो किसी पहचान की मोहताज नहीं थी वो दिल्ली की राजनीति में अपने आप में बहुत बड़ा कद रखती थी। दिल्ली को पुरानी से नई, और नई से आधुनिक बनाने में जिन शख्सियतों का योगदान रहा है उनमे इस शख्सियत का नाम अग्रणीय रूप से लिया जाता है। दिल्ली को मेट्रो से जोड़ने से लेकर कॉमनवेल्थ-2010 खेलो का सफल आयोजन तक हर क्षेत्र मेँ दिल्ली को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने मे इस महिला का अभूतपूर्व योगदान रहा है। उस शख्सियत का नाम है शीला दीक्षित, जिनका हाल ही मेँ निधन हो गया है। परन्तु शीला जी अपने कार्यो के लिए हमेशा लोगों के दिलों मेँ रहेंगी।
प्रारंभिक जीवन
- शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च सन 1938 मे पंजाब के खत्री ब्राह्मण परिवार मे हुआ था।इनकी 12वी तक की पढ़ाई जीसस एंड मेरी कॉन्वेंट स्कूल, दिल्ली मे हुई। शीला जी ने ग्रेजुएशन तथा पोस्ट-ग्रेजुएशन दिल्ली विश्विद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज से इतिहास विषय से की थी।
- यही पोस्ट-ग्रेजुएशन के दौरान शीला जी की मुलाकात विनोद दीक्षित जी से हुई थी, ये दोनों सहपाठी थे। आगे चलकर विनोद दीक्षित के साथ ही शीला जी का विवाह सन 1962 मे हुआ। उनसे शीला जी की दो सन्तान पुत्र संदीप एवं पुत्री लतिका है। विनोद दीक्षित उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले से सम्बन्ध रखते थे। विनोद दीक्षित जी उत्तर-प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी थे। विनोद दीक्षित के पिता उमा शंकर दीक्षित कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता थे, उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री, राजयपाल (कर्नाटक, पश्चिम बंगाल) जैसे महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दी थी।
- राजनीति मे आने से पहले से ही शीला जी सामाजिक सेवाओं मे सक्रीय रही। 70 के दशक मे वह युवा महिला संगठन की अध्यक्ष बनी। तथा सन 1978 मे कपड़ा निर्यातकर्ता संगठन की सचिव पद पर भी रही थी। उनका का राजनीतिक सफर सन 1984 से प्रारम्भ हुवा और उनके राजनीतिक गुरु उमाशंकर दीक्षित थे।
राजनीतिक जीवन
- शीला जी प्रथम बार 1984 मे कन्नौज लोकसभा सीट से संसद चुनी गयी। इन्होने राजीव गाँधी की सरकार मे राज्यमंत्री पद की जिम्मेदारी निभायी, साथ ही संसद मे कार्यान्वय समिति के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी निभायी थी। इसी दौरान (1984 -89) शीला जी ने सयुंक्त राष्ट संघ मे महिला सुरक्षा एवं अधिकारों के लिए भारत का नेतृत्व किया।
- सन 1990 मे शीला जी ने उत्तर प्रदेश मे महिलाओ की सुरक्षा के लिए प्रदर्शन तथा आंदोलन करके अपने साथियों के साथ 23 दिन जेल मे बिताये थे। सन 1998 मे उन्हें दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। 1998 के विधानसभा चुनावो मे कांग्रेस की सत्ता मे वापसी हुई और शीला दीक्षित को दिल्ली की बागडोर सौपी गयी, इसके बाद शीला जी के राजनीतिक करियर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वो रिकॉर्ड लगातार 15 वर्षों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी रही। इसी दौरान दिल्ली मे मेट्रो निर्माण को संस्तुति देना, कॉमनवेल्थ गेम को संचालन करना , दिल्ली मे फ्लाईओवर का जाल बिछाना जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य उनके द्वारा किये गए।
- सन 2013 के विधानसभा चुनाव मे उन्हें अरविन्द केजरीवाल से हार का सामना करना पड़ा। जिसके के बाद उन्हने ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया था। इसके पश्चात 2014 में उनको केरल का राज्यपाल बनाया गया। जीवन के अंतिम दिनों मे उन्हें फिर से दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गयी। शीला जी को 2008 मे सर्वश्रेठ मुख्यमंत्री का अवार्ड भी मिला था।
राजनीतिक योगदान
एक राजनीतिक कार्यकर्त्ता के रूप मे शीला जी के देश सेवा के प्रति निम्न योगदान रहे।
- सन 1970 मे दिल्ली मे काम करने वाली महिलाओं के लिए 2 महिला छात्रावासों का निर्माण करवाया।
- गार्मेंट्स एक्स्पोर्टर्स एसोसियेशन के सचिव पद पर रहते हुए तैयार कपड़े के लिए उच्च कीमत वाले बाजार का निर्माण किया।
- कन्नौज से सांसद रहते हुवे वहां अग्रलिखित कार्यो को कार्यान्वित किया था।
– हरदोई नगर को जिला मुख्यालय से जोड़ने हेतु गंगा नदी मे पुल का निर्माण करवाया। जिसका उद्घाटन राजीव गाँधी जी ने किया था।
– लोगो के मनोरंजन के लिए तिर्वा मे दूरदर्शन रिले केंद्र की स्थापना करवाई।
– स्थानीय टेलीफोन एक्सचेंज को आटोमेटिक करवाया।
– पक्षी विहार का निर्माण।
– विनोद दीक्षित अस्पताल का निर्माण तथा उसमे सीएचसी सुविधाएं उपलब्ध करवाई।
– कन्नौज जिले मे इत्र तथा सुगंधित तेल का केंद्र निर्माण।
- इंदिरा गाँधी स्मारक ट्रस्ट की सचिव रहते हुवे पर्यावरण केंद्र की स्थापना एवं ग्रामीण रंगशाला , नाट्य-शाला का विकास।
राजनीतिक विवाद
जैसे की हर चीज़ के विभिन्न पहलु होते हैं उसी प्रकार शीला जी की राजनीतिक पारी के कुछ विवाद भी सुर्खियों मे रहे थे।
- जैसे राजीव रतन आवास योजना फण्ड को अपने पार्टी के विज्ञापन मे खर्च करना, जेसिका लाल हत्या कांड के दोषी मनु शर्मा को पैरोल दिलवाना।
- 2010 मे कैग (CAG ) ने इन्हे स्ट्रीट लाइट मामले मे दोषी करार दिया था।
- इसके अतिरिक्त 2016 मे पानी टैंकर मामले मे भी इनका नाम उछाला गया था।
चलते-चलते
विगत 20 जुलाई 2019 को दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट हॉस्पिटल मे हृदय सम्बन्धी बीमारी के कारण शीला दीक्षित जी का निधन हो गया। शीला जी दल-बदल की राजनीति से दूर रहती थी, जीवन के अंतिम क्षणों तक उन्होंने कांग्रेस पार्टी का साथ दिया था। उनके निधन की खबर सुनकर राहुल गाँधी का कहना था की कांग्रेस पार्टी ने अपनी एक बहादुर बेटी को खो दिया है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शीला जी के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि देश ने एक जननेता खो दिया है। दिल्ली के विकास के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। वास्तव मे हमने शीला जी के रूप मे एक झुंझारू शख्सियत तथा एक दूर-दर्शी नेत्री खो दी है।
sheila dixit ke bare me aapne jankari acchi di hai but grammer ke hisab se bhasha me kai galti dikh rhi hai. rajniti shabd vi bar bar galat dikh raha.
Thanks Archana for bringing that up, राजनीति is corrected, we will look into the other stuff too.
good compilation
Thanks Rani, don’t forget to share.