कौन थे श्रीकुमार बनर्जी ?

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srikumar banerjee
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 23 मई 2021 को भारत के ‘परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व -अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग’ के पूर्व -सचिव श्रीकुमार बनर्जी का दिल का दौरा पड़ जाने से 75 साल की आयु में नवी मुंबई में निधन हो गया है। इनके निधन पर प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा –श्रीकुमार बनर्जी एक बड़े संरक्षक और संस्था निर्माता थे, भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। आज के इस लेख में हम परमाणु और पदार्थ एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र के शीर्ष वैज्ञानिक श्रीकुमार बनर्जी के बारे में बात करंगे। तो चलिए शुरू करते है लेख कौन थे श्रीकुमार  बनर्जी ?’

इस लेख में हम लाये हैं÷

  • कौन थे श्रीकुमार बनर्जी ?
  • पद , सम्मान एवं नियुक्तियां 
  • परमाणु ऊर्जा आयोग’ क्या है?
  • परमाणु ऊर्जा विभाग’ क्या है?

कौन थे श्रीकुमार बनर्जी ?

● श्रीकुमार बनर्जी भारत के शीर्ष पदार्थ एवं प्रौद्योगिकी तथा परमाणु ‘ वैज्ञानिक थे। इनका निधन 23 मई 2021 को हो गया है , उनके करीबियों के मुताबित उन्होंने पिछले महीने ही कोरोना से जंग जीती थी।

● श्रीकुमार बनर्जी  भारत में सामग्री विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अग्रणी विशेषज्ञों में से एक हैं और उन्होंने कई संबंधित क्षेत्रों, बुनियादी और साथ ही अनुप्रयोग उन्मुख में उत्कृष्ट योगदान दिया है।

● श्रीकुमार बनर्जी ने अपने प्रतिभा से भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव जैसे पदों को गौरवान्वित किया था।

● श्रीकुमार बनर्जी का जन्म  25 April 1946 को हुआ था। उन्होंने साल 1967 में आईआईटी खड़गपुर से धातु विज्ञान इंजीनियर(Metallurgical engineer) से बीटेक की डिग्री ऑनर्स के साथ उत्तीर्ण की थी।

● साल 1968 में श्री बनर्जी भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र’ (BARC) की Metallurgy Division से जुड़े तथा उन्होंने प्रतिष्ठित बीएआरसी ट्रेनिंग स्कूल के 11वें बैच के अफसर के रूप में बीएआरसी में सेवा शुरू की थी।

साल 1974 में उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से Metallurgical इंजीनियरिंग के साथ PhD की डिग्री पूर्ण की थी। वे भारत में लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी के प्रबल समर्थक थे।

● श्रीकुमार बनर्जी ने अपने करियर के दौरान, प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 300 से अधिक वैज्ञानिक पत्र प्रकाशित किए थे।

● डॉ. बनर्जी  इंडिया एकेडमी ऑफ साइंसेज, इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी, नेशनल एकेडमी ऑफ सांइसेज इंडिया, इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग, महाराष्ट्र एकेडमी ऑफ साइंसेज और थर्ड वर्ल्ड एकेडमी ऑफ साइंसेज के फेलो भी थे।  

● डॉ. बनर्जी को प्रेशराइज्ड हैवीवाटर रियेक्टरों में इस्तेमाल होने वाले दाब टयूब में इस्तेमाल होने वाले फैब्रीकेशन शेडयूल के विकास का आधार तैयार करने का श्रेय भी जाता है।

पद , सम्मान एवं नियुक्तियां

● 30 अप्रैल 2004 को श्रीकुमार बनर्जी को भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र’ (BARC) का निदेशक नियुक्त किया गया था। इस पद पर उनका कार्यकाल 6 वर्षों का रहा था,  19 May 2010 को श्री बनर्जी इस पद से सेवामुक्त हो गए थे।

● 1 दिसंबर 2009 से लेकर  30 अप्रैल 2012. तक डॉ. बनर्जी ने भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव पद’ पर सेवायें दी थी।

● 21 मार्च 2014 को डॉ. बनर्जी को  IIT खड़गपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का अध्यक्ष बनाया गया था। इस पद पर उनका कार्यकाल तीन वर्षो तक रहा था।

● अगस्त 2012 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक डॉ श्रीकुमार बनर्जी को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पहले चांसलर के रूप में नियुक्त किया गया था।

● डॉ बनर्जी ने कई विदेशी  संस्थानों में  अतिथि प्रोफेसर के रूप में व्याख्यान दिए थे , जो इस प्रकार से हैं – ससेक्स विश्वविद्यालय, ब्राइटन, इंग्लैंड, मैक्स-प्लैंक-इंस्टीट्यूट फर मेटलफोर्सचुंग, विश्वविद्यालयसिनसिनाटी और ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए।

साल 1989 में ‘विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी’ के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें  शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार’ तथा साल 2005 में भारत सरकार ने इन्हे पद्म श्री’ से सम्मानित किया था।

साल 2010 में कलकत्ता विश्वविद्यालय ने डॉ बनर्जी को  डॉक्टर ऑफ साइंस’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया था।

परमाणु ऊर्जा आयोगक्या है?

● भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना 10 अगस्त 1948 को वैज्ञानिक अनुसंधान विभाग के स्थान पर की गई थी।

● भारत सरकार का परमाणु ऊर्जा आयोग परमाणु ऊर्जा विभाग के अन्तर्गत एक महत्वपूर्ण शासी निकाय है। इसका प्रभार सीधे प्रधानमंत्री के पास होता है।

● भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के निम्न कार्य हैं –

  1. देश में परमाणु विज्ञान में अनुसंधान का आयोजन
  2. देश में परमाणु वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करने के लिए
  3. भारत में आयोग की अपनी प्रयोगशालाओं में परमाणु अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए
  4. पूर्वेक्षण करने के लिए भारत में परमाणु खनिजों का और औद्योगिक पैमाने पर उपयोग के लिए ऐसे खनिजों         को निकालने के लिए।

● देश के निम्न पांच परमाणु अनुसधान केंद्र , भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के अंतरगर्त आते हैं।

  1. भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), मुंबई
  2. राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (RRCAT), इंदौर
  3. चर ऊर्जा साइक्लोट्रॉन केंद्र (VECC), कोलकाता
  4. इंदिरा गाँधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR), कलपक्कम (तमिलनाडु)
  5. अन्वेषण और अनुसंधान के लिए परमाणु खनिज निदेशालय (एएमडी), हैदराबाद

● भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के प्रथम अध्यक्ष होमी जहांगीर भाभा’ थे। उन्होंने 1948  से लेकर 1966  तक इस संगठन की बागडोर संभाली थी।

● वर्तमान में भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष  K.N. Vyas हैं। भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग का मुख्यालय मुंबई में स्थित है।

परमाणु ऊर्जा विभागक्या है?

● ‘परमाणु ऊर्जा विभाग’ की स्थापना 3 अगस्त 1954 को राष्ट्रपति के शासनादेश के द्वारा की गयी थी। इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है तथा ये विभाग प्रधानमंत्री के अंतगर्त कार्य करता है।

● परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना का उद्देश्य प्रौद्योगिकी, अधिक संपदा के सृजन और अपने नागरिकों को बेहतर गुणवत्ता का जीवन स्तर उपलब्ध कराने के माध्यम से भारत को और शक्ति संपन्न बनाना है।

● ‘परमाणु ऊर्जा विभाग के  अन्तर्गत 5 अनुसन्धान केन्द्र, 3 औद्योगिक संगठन, 5 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, तथा 3 सेवा संगठन हैं।

● ‘परमाणु ऊर्जा विभाग के दो बोर्ड भी हैं जो नाभिकीय क्षेत्र एवं इससे सम्बन्धित क्षेत्रों में मूलभूत अनुसन्धान को प्रोत्साहित करते हैं एवं उसके लिए फण्ड प्रदान करते हैं।

● ‘परमाणु ऊर्जा विभाग’ के कार्य निम्न प्रकार से हैं –

  • स्वदेशी प्रौद्योगिकियों तथा अन्य प्रमाणित प्रौद्योगिकियों के विस्तार तथा साथ ही संबद्ध ईंधन चक्र सुविधाओं के  साथ द्रुत प्रजनक रिएक्टरों एवं थोरियम रिएक्टरों के विकास के माध्यम से नाभिकीय विद्युत के योगदान को बढ़ाना।
  • रेडियोआइसोटोपों के उत्पादन के लिए अनुसंधान रिएक्टरों का निर्माण और प्रचालन करना तथा चिकित्सा, कृषि एवं उद्योग के क्षेत्रों में विकिरण प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।
  • कण त्वरकों, लेजरों, सुपर कंप्यूटरों, उन्नत पदार्थों और यंत्रीकरण का विकास करना तथा सम्बन्धित प्रौद्योगिकियों का अन्तरण करके उद्योगों को प्रोत्साहित करना।
  • नाभिकीय ऊर्जा तथा नाभिकीय विज्ञान के संबद्ध अग्रणी क्षेत्रों में मूलभूत अनुसंधान करना, विश्वविद्यालयों तथा शैक्षणिक संस्थानों के साथ आपसी व्यवहार करना, परमाणु ऊर्जा विभाग के कार्यक्रम से संबंधित अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को सहायता देना और अनुसंधान के संबद्ध प्रगत क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सहकार को बढ़ावा देना, तथा
  • भारत की सुरक्षा में योगदान देना।

● ‘परमाणु ऊर्जा विभाग की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं तथा इसका सचिव वही व्यक्ति होता है, जो वर्तमान में ‘परमाणु ऊर्जा आयोग’ का अध्यक्ष है। इसके वर्तमान सचिव Dr. K.N.व्यास हैं।

सार

दोस्तों , वैज्ञानिक किसी भी क्षेत्र का हो , उसके द्वारा किये गए वैज्ञानिक अनुसन्धान हमेशा से ही मानव समाज का कल्याण ही करते आये  हैं। श्रीकुमार बनर्जी के विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में योगदान को हमने इस लेख में जाना है, ऐसे ही एक वैज्ञानिक थे –  ‘होमी जहाँगीर भाभा’  ये भी एक  परमाणु वैज्ञानिक थे , जिन्होंने भारत को परमाणु राष्ट्र का सपना दिखाया और उस सपने को पूरा किया। ‘होमी भाभा’ भारत में परमाणु युग के युगनिर्माता हैं। ऐसे ही एक और वैज्ञानिक थे ‘विक्रम साराभाई‘ जिन्होंने भारत को अंतरिक्ष में उड़ने की क्षमता से सुसज्जित किया। ‘मिसाइल मैन’ एपीजे अब्दुल कलाम साहब को कौन भूल सकता है , उन्होंने भारत को मिसाइल टेक्नोलॉजी में आत्मनिभर्रता प्रदान की। ऐसे बहुत वैज्ञानिक हैं जो दिन -रात लेबोरेटरी में कड़ी मेहनत करके देश को प्रगति और उन्नति में योगदान दे रहें हैं। इन वैज्ञानिको से हमें एक सीख मिलती है – ईमानदारी,कड़ी मेहनत से देश के लिए समर्पित भाव से कार्य करते रहना चाहिए। देश के प्रति ईमानदारी का भाव भी देशभक्ति का एक प्रमाण है।

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