करीब आठ दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहे मुत्तुवेल करुणानिधि भारतीय राजनेता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री थे। डीएमके अध्यक्ष करुणानिधि ने ७ अगस्त २०१८ को चेन्नई के एक निजी अस्पताल कावेरी में अंतिम सांसें ली। अपने राजनीतिक करियर में कभी हार ना मानने वाले एम. करुणानिधि अपने अंतिम समय में बुखार और इंफेक्शन से जुझ रहे थे। तमिलनाडु के दो और दिग्गज राजनीतिज्ञों एमजी रामचंद्रन और जय जयललिता की तरह ही करुणानिधि ने भी राजनीति के लिए फिल्मों में अपना शानदार करियर छोड़ दिया था।
प्रारंभिक जीवन
३ जून साल १९२४ को तमिलनाडु के नागापट्टिनम जिले में एम. करुणानिधि का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम मुथुवेल और मां का नाम अंजुकम था। उनका संबंध ईसाई वेल्लालर समुदाय से था।
पटकथा लेखन और साहित्य
एम. करुणानिधि ने अपने करियर की शुरुआत तमिल फिल्मों में पटकथा और संवाद लेखक के तौर पर की थी। उन्होंने करीब ५० तमिल फिल्मों में पटकथा और संवाद लेखक के तौर पर काम किया। २० साल की उम्र में करुणानिधि ने तमिल फिल्म इंडस्ट्री की कंपनी ज्यूपिटर पिक्चर्स के लिए पटकथा लेखक के रूप में काम करना शुरु किया था। उन्होंने अपनी पहली फिल्म राजकुमारी से लोकप्रियता हासिल की। पटकथा लेखक के रूप में उनके हुनर में यहीं से निखार आना शुरु हुआ।
करुणानिधि तमिल साहित्य में भी अपने योगदान के लिए काफी मशहूर हैं। उनके योगदान में कविताएं, चिट्ठियां, पटकथाएं, उपन्यास, जीवनी, ऐतिहासिक उपन्यास, मंच नाटक, संवाद, गाने इत्यादि शामिल हैं। करुणानिधि के लिखे किताबों में रोमपुरी पांडियन, तेनपांडि सिंगम, वेल्लीकिलमई, नेंजुकू नीदि, इनियावई इरुपद जैसी कई किताबें शामिल हैं।
राजनीतिक सफर की शुरुआत
करुणानिधि की रुचि बचपन से ही राजनीति में थी। १४ साल की उम्र में वे जस्टिस पार्टी के अलगिरिस्वामी के एक भाषण से काफी प्रेरित हुए और राजनीति में प्रवेश किया। हिंदी विरोधी आंदोलनों में भी भाग लिया। उन्होंने द्रविड़ राजनीति का एक छात्र संगठन भी बनाया। इसके बाद करूणानिधि पहली बार १९५७ में तमिलनाडु के कुलिथालाई विधानसभा से विधायक बने। साल १९६२ में उन्हें राज्य विधानसभा में विपक्ष का उपनेता बनाया गया और 1967 में जब डीएमके सत्ता में आई तब वे सार्वजनिक कार्य मंत्री बने। करुणानिधि ने २७ जुलाई १९६९ में डीएमके के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली।
१९६९ में अन्नादुरई की मौत के बाद एम. करूणानिधि को तमिलनाडु का मुख्यमंत्री बनाया गया। करुणानिधि अपने राजनीतिक करियर में पांच बार तमिलनाडु के सीएम बने। उनका कार्यकाल १९६९–७१, १९७१–७६, १९८९–९१, १९९६-२००१ और २००६–२०११ के बीच था। इसके अलावे वे १३ बार विधानसभा का चुनाव लड़े और जीत हासिल की। अपने कार्यकाल में करुणानिधि ने पुलों और सड़कों के निर्माण कार्य में गहरी दिलचस्पी दिखाई और बहुत से लोकप्रिय कार्यक्रम भी शुरू किए।
अपने समर्थकों के बीच करुणानिधि कलईनार यानी कि कलाकार के नाम से पुकारे जाते हैं। करुणानिधि करीब बीते २ सालों से राजनीति में सक्रिय नहीं थे। अक्टूबर साल २०१६ से ही वे अपनी सेहत संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। उनके बेटे और राजनीतिक वारिस एम के स्टालिन ने साल २०१७ से उनका काम संभाला। करुणानिधि के अंत के साथ ही तमिलनाडु की राजनीति के एक दौर का भी अंत हो गया।