First Meeting of G-20 Anti-Corruption Working Group: एक अवलोकन

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क्या है G-20


G-20 Anti-Corruption Working Group की पहली बैठक हाल ही में आयोजित हुई है, जिसमें कि केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री ने भी प्रतिभाग किया। भ्रष्टाचार के उन्मूलन की दिशा में भारत कितनी तत्परता के साथ आगे बढ़ रहा है, इस बैठक में उन्होंने इसे बड़े ही प्रभावी तरीके से रेखांकित किया। इसके लिए भारत की सराहना भी हुई। इस लेख में हम आपको इस बैठक से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।

इस लेख में आपके लिए है:

  • क्या है G-20 Anti-Corruption Working Group?
  • भ्रष्टाचार से कैसे निपट रहा जी-20?
  • G-20 Group के बारे में
  • भ्रष्टाचार को कैसे लगाम कस रही सरकार?

क्या है G-20 Anti-Corruption Working Group?

  • भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए जो दुनियाभर में प्रयास चल रहे हैं, उनमें जी-20 देश किस तरीके से व्यवहारिक तरीके से अपना कीमती योगदान दे सकते हैं, इसे लेकर यह समूह सलाह देने का काम करता है।
  • वर्ष 2010 में इसकी स्थापना तब हुई थी, जब टोरंटो शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ था।
  • भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए जाने वाले विभिन्न कदमों को लेकर दुनियाभर की कई संस्थाओं के साथ मिलकर G-20 Anti-Corruption Working Group काम कर रहा है, जिनमें मुख्य रुप से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल आदि शामिल हैं।
  • जी-20 सदस्य देश जो मिलकर अपने-अपने देशों में राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार को समाप्त करने की कोशिशों में लगे हुए हैं G-20 Anti-Corruption Working Group इनकी अगुवाई कर रहा है।

भ्रष्टाचार से कैसे निपट रहा G-20?

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो बीते कुछ समय में भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाए गए हैं और कई देशों में राष्ट्रीय स्तर पर भी जो इसके खिलाफ अभियान चलाए गए हैं, इन सभी में जी-20 की अहम भूमिका रही है।
  • भ्रष्टाचार की वजह से इसका अलग-अलग चीजों पर किस तरीके से प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इन सभी को जी-20 ने माना है। जी-20 के मुताबिक भ्रष्टाचार की वजह से बाजार बुरी तरीके से प्रभावित होते हैं और उनके अस्तित्व के लिए खतरा पैदा हो जाता है। भ्रष्टाचार की वजह से प्रतिस्पर्धा भी निष्पक्ष तरीके से नहीं हो पाती है।
  • जी-20 ने यह माना है कि संसाधनों की उपलब्धता भी भ्रष्टाचार के कारण बुरी तरीके से प्रभावित होती है। जी-20 के मुताबिक लोगों का विश्वास भी भ्रष्टाचार की वजह से डगमगाता है।
  • इसके अलावा जी-20 ने यह भी स्वीकार किया है कि कानून का शासन भी भ्रष्टाचार की वजह से असहाय हो जाता है।
  • जी-20 के जितने भी सदस्य देश हैं, वे भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली और प्रतिबद्धताओं को दुरुस्त करने में अपना सहयोग प्रदान करें, इसे सुनिश्चित करने के लिए जी-20 पूरी गंभीरता और ईमानदारी से काम कर रहा है।

G-20 Group के बारे में

  • वर्ष 1997 में पूर्वी एशियाई वित्तीय संकट पैदा हुआ था। इसी के बाद यूरोपियन यूनियन और दुनिया की 19 मजबूत अर्थव्यवस्था वाले जो देश थे, उनके केंद्रीय बैंकों के गर्वनरों एवं वित्त मंत्रियों ने एक फोरम का गठन 1999 में किया था। इसी को जी-20 के नाम से जाना गया।
  • जी-20 वास्तव में कोई संगठन न होकर यह केवल एक फोरम है। हर साल जी-20 के सदस्य देश अपने अध्यक्ष का चुनाव आपस में ही कर लेते हैं। इसके पास किसी तरह का कोई स्थाई सचिवालय नहीं है। इसके पास कोई स्थाई कर्मचारी भी नहीं है।
  • इस वक्त सऊदी अरब जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। इसे यह जिम्मेवारी पिछले साल 1 दिसंबर को मिली थी और आगामी 30 नवंबर तक यह इसे संभाल रहा है।
  • जी-20 में 20 देश शामिल हैं। इनकी अर्थव्यवस्था या तो पूरी तरीके से विकसित है या फिर विकासशील है।
  • जी-20 में जो देश शामिल हैं, उनके नाम हैं ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, चीन, कनाडा, अर्जेंटीना, फ्रांस, यूरोपीय संघ, भारत, जर्मनी, फ्रांस, जापान, इटली, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, रूस, मैक्सिको, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण कोरिया और ब्रिटेन।
  • जी-20 एक नए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे को आकार देने का प्रयास कर रहा है।
  • आर्थिक तौर पर दुनिया भर में स्थिरता बनी रहे और विकास निरंतर चलता रहे, इसके लिए सदस्य देशों के बीच एक संतुलन जी-20 समूह बनाए रखता है।
  • इसके अलावा यह आर्थिक जोखिम को घटाने की दिशा में और वित्तीय संकटों को पैदा होने से रोकने की दिशा में भी काम करते हुए वित्तीय विनियमन को बढ़ावा देने में लगा हुआ है।

भ्रष्टाचार पर कैसे लगाम कस रही सरकार?

  • प्रवर्तन निदेशालय को और मजबूत करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम को भी पिछले साल केंद्र सरकार ने संशोधित कर दिया।
  • वर्ष 2018 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में केंद्र सरकार ने संशोधन करते हुए रिश्वत लेने के साथ रिश्वत देने को भी अपराध घोषित कर दिया। जो कोई भी व्यक्ति या फिर कॉरपोरेट घराना भ्रष्टाचार से जुड़ी गतिविधियों का हिस्सा बनता है, इस संशोधित अधिनियम में इस पर लगाम कसने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं। ऐसे में अब बड़े संस्थानों में होने वाले भ्रष्टाचार की जांच करना और कॉरपोरेट घराने द्वारा रिश्वतखोरी आदि के खिलाफ ठोस कार्रवाई करना भी मुमकिन हो गया है।
  • फरवरी, 1964 में केंद्रीय सतर्कता आयोग की स्थापना के संथानम की अध्यक्षता वाली भ्रष्टाचार निरोधक समिति की सिफारिशों के मद्देनजर की गई थी, लेकिन इसे संवैधानिक मान्यता केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 के अंतर्गत मिली थी।
  • कानूनी कार्रवाई से खुद को बचाने के लिए जो लोग देश छोड़कर भाग जाते हैं, उस तरह के आर्थिक अपराधियों को रोकने के लिए वर्ष 2018 में भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 लागू किया गया था। इसके अंतर्गत जो भगोड़े आर्थिक अपराधी होते हैं, उन्होंने जो अपराध से आय एवं अन्य संपत्ति अर्जित की है, अधिकारी उसे जब्त कर सकते हैं।
  • देश में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त संस्था की व्यवस्था के लिए लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम, 2013 भी सरकार की ओर से लाया गया था।

निष्कर्ष

G-20 की First Meeting में यही चर्चा हुई कि दुनियाभर में आर्थिक गतिविधियां तेजी से विकसित हों और विकास भी तेजी से होता रहे, इसके लिए भ्रष्टाचार मुक्त माहौल का होना बहुत ही जरूरी है। सदस्य देशों ने अपने यहां इसे लेकर हो रहे प्रयासों से एक-दूसरे को अवगत कराया। साथ ही उन्होंने इस दिशा में और तत्परता से काम करने का आश्वासन भी दिया। उम्मीद की जा सकती है कि इससे जी-20 समूह के देशों में भ्रष्टाचार को कम करने में मदद मिलेगी।

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