दीवाली और इससे जुड़ी अनसुनी कथाएँ

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भारतीय व्रत और त्योहार हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीवाली मनाई जाती है । दीवाली को दीपावली भी कहा जाता है । दीवाली एक त्योहार भर न होकर, त्योहारों की एक श्रृंखला है। दीपावली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इससे जुड़ी कईं कथाएं और किवदंतियां हमारे धर्म ग्रंथों में हैं। हम आपको दीपावली से जुड़ी ऐसी ही पाँच कथाएं बता रहे हैं जो  कुछ इस प्रकार है :-

पहली कथा :

यह कथा पारंपरिक कथा उस घटना से जुड़ी है जिस दिन श्रीराम लंका विजय करके अयोध्या लौटे थे। धार्मिक ग्रन्थ रामायण में यह कहा गया कि जब लंका नरेश रावण का वध कर, चौदह साल का वनवास काट कर राम वापस अयोध्या आये थे तब अयोध्या वासियों ने अयोध्या को दीयों से सजा कर उनके वापस आने की ख़ुशी मनाई थी और तब से यह दिन दीपावली के रूप में हर वर्ष मनाई जाती है ।

दूसरी कथाः

इस कथा का संबंध उस घटना से जुड़ी है जब भगवान कृष्ण ने दीपावली से एक दिन पहले नरकासुर का वध किया था। नरकासुर एक दानव था और उसके पृथ्वी लोक को उसके आतंक से मुक्त किया था । इसी कारण बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रुप में भी दीपावली त्यौहार के रूप हर वर्ष मनाया जाता है।

तीसरी कथाः

दिवाली के त्यौहार से जुड़ी तीसरी कथा महालक्ष्मी से जुड़ी है।  इस दिन महालक्ष्मी बंधन से मुक्त हुई थीं पुराणों में वर्णित तथ्यों के अनुसार एक बार सनत्कुमार ने ऋषि-मुनियों की एक सभा में कहा कि कार्तिक मास की अमावस्या को सभी को भक्तिपूर्वक देवी लक्ष्मी के साथ ही अन्य देवताओं की भी पूजा करनी चाहिए ।

मुनियों ने पूछा कि लक्ष्मी पूजन के साथ अन्य देवी-देवताओं की पूजा का क्या कारण है। तब सनत्कुमार बोले कि- राजा बलि के यहां सभी देवता सहित देवी लक्ष्मी भी बंधन में थीं। कार्तिक अमावस्या के दिन ही भगवान विष्णु ने उन सभी को राजा बलि के बंधन से छुड़वाया था। इसीलिए इस दिन-रात के समय देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इसी धारणा के अनुसार दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन होता है ।

चौथी कथाः

इस कथा के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं। दीपावली पर माता लक्ष्मी की पूजा विशेष तौर पर की जाती है। इससे जुड़ी भी एक मान्यता प्रचलित है। ऐसा माना जाता है कार्तिक अमावस्या की रात देवी लक्ष्मी धरती पर आती हैं और प्रत्येक घर में भ्रमण करती हैं। जहां उन्हें साफ-सफाई, दीपों की रौशनी, स्वच्छता आदि दिखाई देती हैं, वहां वे ठहर जाती हैं और जहां ये सब नहीं होता, वहां से चली जाती हैं। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी दीपावली का उत्सव मनाया जाता है। ताकि सभी के घरों में लक्ष्मी का वास हो ।

पांचवी कथा :

दीपावली से जुड़ी पाँचवीं कथा के अनुसार इस दिन लक्ष्मी, देव धन्वंतरी व कुबेर प्रकट हुए। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार दीपावली के दिन ही माता लक्ष्मी दूध के सागर , जिसे केसर सागर के नाम से जाना जाता है, से उत्पन्न हुई थी ।  साथ ही समुंद्र मंथन से आरोग्य देव धन्वंतरी और भगवान कुबेर भी प्रकट हुए थे ।

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