रामायण: तथ्यों की रौशनी में

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Ramayana facts

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राम-राम दोस्तों, आज के इस लेख को प्रभु श्रीराम के नाम के साथ शुरू करने का एक विशेष कारण है, आज के इस लेख में हम आपके साथ रामायण से जुड़े ऐसे रोचक तथ्यों को साझा करने जा रहे हैं, जिन्हे जानकर आपको बड़ी हैरानी होगी और आप कहने लगेंगे ‘राम से बढ़कर राम का नाम’। तो चलिए दोस्तों बिना देरी शुरू करते हैं आज का लेख – रामायण की बातें तथ्यों के आधार पर.

  • सबसे पहले हम समझते हैं रामायण शब्द का अर्थ क्या होता है। रामायण शब्द संस्कृत के ‘रामायणम्’ शब्द का तत्भव रूप है , जिसका अर्थ होता है – राम की जीवन-यात्रा अर्थात राम की जीवनी। यह सनातन धर्म का आदिकाव्य है,, जिसकी रचना आदिकवि वाल्मीकि ने की थी।
  • रामायण, प्रभु राम के जन्म से प्रारम्भ होती है और उनके जीवन के साथ ही अंत होती है। श्रीराम इक्ष्वाकु कुल मे पैदा हुए थे, उनके कुल के कुछ प्रमुख पूर्वजों की वंशवाली इस प्रकार से है – इक्ष्वाकु-भरत-सगर-दिलीप-भगीरथ-रघु-ययाति-दशरथ-राम। श्रीराम के बाद उनके पुत्र कुश को अयोध्या का राजा बनाया गया। उनके बाद की वंशावली इस प्रकार से है -श्रीराम -कुश -अतिथि – अग्निवर्ण, अग्निवर्ण इस वंश का अंतिम राजा माने जाते हैं। कालिदास की ‘रघुवंशम’ से इनकी वंशावलियों की जानकारी मिलती है।
  • विभिन्न स्रोत्रों और अध्ययनों के अनुसार- रामायण का काल आज से लगभग 9 हजार साल पहले का माना गया है तथा श्रीराम का जन्म 10 जनवरी 5114 ईसापूर्व दिन में 12 बजकर 30 मिनट में हुआ था।
  • भूवैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों के अनुसार, राम सेतु की चट्टानें 7000 साल से अधिक पुरानी हैं, जबकि सैंडबार लगभग 4,000 साल पुराने हैं।
  • आपको जानकर हैरानी होगी कि राम शब्द का जन्म श्रीराम के जन्म से पहले हो चुका था, श्रीराम से पहले परशुराम जी को भी राम के नाम से जाना जाता था। उनके परशु धारण करने के कारण ये परशुराम कहलाये थे।
  • राम शब्द का संस्कृत की दो धातुओं से मिलकर बना है – रम् और घम। ‘रम्’ का अर्थ होता है, रम जाना और ‘घमं’ का अर्थ है- ब्रहांड का खाली स्थान। अर्थात राम का शाब्दिक अर्थ होता है- वह जो ब्रहांड के कण -कण मे निहित है। शास्त्रों के अनुसार एक योगी ध्यान मे जिस अवस्था मे होता है वही राम है- “रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामं उच्यते”।
  • श्रीराम के तीन भाइयों के अतिरिक्त उनकी एक बड़ी बहन भी थी, जिसका नाम “शांता” था। वह अत्यंत सुन्दर और सुशील कन्या थी। वह वेद, कला तथा शिल्प में पारंगत थीं। राजा दशरथ ने किसी कारणवश उनका दान कर दिया था।
  • श्रीराम 12 कलाओं के साथ अवतरित हुए थे और श्रीकृष्ण 16 कलाओं के साथ, जबकि दोनों ही भगवान विष्णु के अवतार थे? रावण को वरदान था कि उसे केवल एक तपस्वी मानव ही मार सकता है। इसीलिए श्रीराम का जन्म 4 कम कलाओं के साथ हुआ था। कलाओं का तात्पर्य विद्या , गुणों और विशिष्टता से है। जैसे -श्री,भू ,कीर्ति, वाणी, लीला, कांति, विद्या, विमला, उत्कर्षिणि, विवेक, कर्मण्यता, योगशक्ति, विनय, सत्य,आधिपत्य,अनुग्रह।
  • कैकयी ने केवल चौदह वर्ष का वनवास ही क्यों माँगा? वो आजीवन वनवास भी मांग सकती थी। असल मे त्रेतायुग मे यदि कोई व्यक्ति चौदह वर्षों तक राजपाठ त्याग दे तो वह राजा बनने का अधिकार खो देता था। यही कारण था की कैकयी ने 14 वर्ष का ही वनवास माँगा था।
  • रावण और कुम्भकरण पूर्व जन्म मे हिरण्याक्ष और हिरणकश्यप नामक दो दैत्य थे, जिनका उद्धार भी भगवान विष्णु ने क्रमशः वराहवतार और नरसिंहवतार मे किया था। ये दोनों वैकुण्ठ लोक मे भगवान विष्णु के द्वारपाल थे, महर्षि नारद के श्राप के कारण इन्हे भूलोक मे राक्षस वंश मे जन्म लिया था।
  • रावण को दशानन ही क्यों कहते हैं, उसके सर केवल दस ही क्यों थे? ज्यादा या कम भी हो सकते थे। दरअसल रावण के दस सिर उसकी बुद्धिमत्ता और विद्वत्ता के प्रतीक थे। रावण के पास एक सामान्य मनुष्य से दस गुना अधिक बुद्धि थी। इसके साथ ही ये दस सिर उन दस बुराइयों के प्रतीक भी हैं जिन पर रावण ने विजय प्राप्त कर ली थी। जैसे -काम, मद, अहंकार, मोह: लोभ, क्रोध, जड़ता ,घृणा, भय, मात्सर्य।
  • रावण के पिता महर्षि विश्रवा की तीन पत्नियां थी -वरवर्णिनी, कैकसी और राका। वरवर्णिनी से कुबेर, कैकसी से रावण, कुम्भकरण, विभीषण और शूर्पणखा तथा राका से अहिरावण और महिरावण का जन्म हुआ था।
  • रावण से पूर्व लंका का स्वामी कुबेर था, रावण ने आसुरी प्रवृति के कारण कुबेर से लंका छीन ली थी। कुबेर को गंधर्वलोक मे निर्वासित होना पड़ा था। अहिरावण और महिरावण को पाताललोक का स्वामी बनाया गया था।
  • · रावण के तीन विवाह और सात पुत्र थे। पहली पत्नी मंदोदरी से मेघनाथ और अक्षय कुमार, दूसरी पत्नी धन्यमालिनी से अतिक्या और त्रिशिरार तथा तीसरी पत्नी से प्रहस्था, नरांतका और देवांतक नामक पुत्र पैदा हुए थे। इसके अलावा रावण की एक पुत्री भी थी, जिसका नाम स्वर्णमच्छा था।
  • रावण एक कुशल प्रशासक था, स्वर्ग मे युद्ध के लिए सेना ले जाने मे कठिनाई होती थी, इसीलिए उसने स्वर्ग तक सीढ़ी बनाने की योजना बनायीं थी। जिससे उसकी सेना और प्रजा आसानी से स्वर्ग पहुँच सके। इसके अतिरिक्त रावण स्वर्ण को सुगन्धित करने की इच्छा रखता था, जिससे उसकी लंका सदैव सुगन्धित रहे।
  • अद्भुत रामायण के अनुसार, रावण की मृत्यु के बाद उसका राजपाठ विभीषण को सौप दिया गया था। रावण की पत्नी मंदोदरी का विवाह विभीषण से कराया गया। मंदोदरी की गिनती पांच कन्याओं मे होती है – सीता , मंदोदरी, द्रौपदी, अहिल्या और तारा।
  • वर्तमान मे श्रीराम के वंशजों की खोज की गयी तो आमेर-जयपुर के सवाई जयसिंह के परिजन श्रीराम का वंशज होने का दावा पेश कर चुके हैं। उनके द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के अनुसार, ये लोग श्रीराम के पुत्र कुश से प्रारम्भ कुशवाहा वंश के 289वी पीढ़ी के वंशज हैं, जिसमे सवाई जयसिंह 289वे, भवानी सिंह 307वें तथा वर्तमान मे राजसमंद से भाजपा सांसद राजकुमारी दीयाकुमारी 308वीं पीढ़ी की वंशज है।

चलते -चलते

आइये चलते -चलते समझते हैं, कि अभिवादन के लिए राम-राम शब्द दो बार क्यों प्रयोग किया जाता है। आपको ज्ञात होगा की सनातन धर्म मे 108 अंक की विशेष महत्वता है। राम शब्द ‘र + ा +म’ मिलकर बना है, हिंदी वर्णमाला मे ‘र’ 27वे स्थान पर ‘ ा ‘दूसरे स्थान पर तथा “म’ 25वे स्थान पर है। इन सबका योग करे तो 27+2+25=54 आता है, इसी इस शब्द का दो बार प्रयोग करे तो 54+54=108 हो जाता है। तात्पर्य यह है कि राम -राम बोलने से एक माला जपने के बराबर पुण्य मिलता है।

दोस्तों आशा करता हूँ आपको हमारा आज का यह अंक पसंद आया होगा। इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करे और रामायण के तथ्यों को लोगों तक पहुंचाये। इसी के साथ आज का यह अंक यही समाप्त करते हैं , जय श्रीराम।

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