क्यों मनाएं 23 December को Kisan Diwas?

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Chaudhary Charan Singh


भारत जैसे कृषि प्रधान देश में कृषि का बड़ा ही महत्व है, क्योंकि यहां की अधिकांश आबादी प्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। कृषि के बिना देश के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। जाहिर सी बात है कि भारत में कृषि पूरी तरह से यहां के कृषकों यानी कि किसानों पर निर्भर है। देश का किसान यदि खुश ना रहे, देश का किसान यदि हमेशा विपत्तियों व आपदाओं का सामना करता रहे तो इससे ना केवल किसान का नुकसान होता है, बल्कि देश को भी इससे बड़ी क्षति पहुंचती है। ऐसे में यह बहुत ही जरूरी है कि जो किसान दिन-रात मेहनत करके खेतों में हमारे लिए अन्न उपजाते हैं, उन किसानों की दशा पर ध्यान दिया जाए और उनके जीवन को भी संवारने के लिए उचित कदम उठाए जाएं। यही वजह है कि भारत में इन कृषकों के सम्मान में राष्ट्रीय किसान दिवस मनाने की शुरुआत की गई। हर वर्ष 23 December को Kisan Diwas के रूप में मनाया जाता है।

History of Kisan Diwas

भारत में Kisan Diwas की history पर गौर करें तो इसे मनाने के पीछे जो नाम उभर कर आता है, वह है देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का। जी हां, चौधरी चरण सिंह केवल 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक ही भारत के प्रधानमंत्री रहे, लेकिन उन्होंने भारत में किसानों को लेकर जो कदम उठाया, उसकी वजह से किसानों के बीच वे बेहद लोकप्रिय हुए और उनकी बनाई गई नीतियों की वजह से किसानों के हितों की रक्षा सुनिश्चित हो पाई। चौधरी चरण सिंह ने अपने छोटे से कार्यकाल के दौरान ही किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए बहुत सी नीतियां बनाईं और उन्हें एकजुट करने का भी काम किया। इनकी बनाई गई नीतियों के कारण ही किसान एकजुट होकर जमीदारों के खिलाफ लड़ने में कामयाब हो सके। देश के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था। चौधरी चरण सिंह के बारे में कहा जा सकता है कि वास्तविक रूप में उन्होंने ही इसका अनुसरण किया था। एक प्रधानमंत्री के अलावा चौधरी चरण सिंह लेखक भी रहे और अपनी किताबों में उन्होंने किसानों की समस्याओं की ओर सभी का ध्यान आकृष्ट किया। चूंकि वे खुद एक किसान रहे थे, ऐसे में उन्होंने किसानों के जीवन को अच्छी तरह से समझा और उनके जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए अनेक प्रयास किए। चौधरी चरण सिंह की लोकप्रियता इसी वजह से किसानों के बीच अधिक रही और उनकी जयंती को किसान दिवस के रूप में इस देश में निर्धारित कर लिया गया। यही वजह है कि 23 December को भारत में Kisan Diwas के रूप में मनाया जाता है। चौधरी चरण सिंह की जयंती के उपलक्ष्य इस दिवस पर भारतीय किसानों का सम्मान किया जाता है।

Kisan Diwas का उद्देश्य

भूमंडलीकरण के इस दौर में कृषि की इस वक्त क्या स्थिति रह गई है, यह किसी से छिपी नहीं है। कृषि को यदि इसी तरह से नजरअंदाज किया जाता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब खाद्यान्न संकट की स्थिति पैदा हो जाएगी। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि कृषि एवं इसे करने वाले किसानों के प्रति आज की और आने वाली पीढ़ी को संवेदनशील बनाया जाए। किसान बड़ी मेहनत करके खेतों में अन्न उपजकर हमारा भरण-पोषण करते हैं। उनकी वजह से ही खाद्यान्न के साथ फल और सब्जियां हमारे पास पहुंच पाती हैं। इसके बावजूद हम पाते हैं कि भारत में किसानों का स्तर उस तरीके से नहीं उठ सका है, जिसकी दरकार है। वे अब भी देश के बहुत बड़े हिस्से में पिछड़ों की जिंदगी जी रहे हैं। कई जगह से भारी कर्ज और अन्य समस्याओं की वजह से किसानों द्वारा आत्महत्या की खबरें भी सामने आती रहती हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि 23 December को Kisan Divas की तरह भारतीय किसानों को समर्पित दिवस मनाकर उन्हें देश और समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाए। साथ ही उन्हें वह सम्मान भी दिया जाए, जिसके वे हकदार हैं। कृषि के लिए जो भी उपकरण और नई तकनीकों की आवश्यकता है, उन्हें भी किसानों तक पहुंचाना बहुत ही जरूरी है। साथ ही किसानों का शिक्षित होना भी आवश्यक है, ताकि वे देश की जरूरत के मुताबिक अनाज उगाएं और वे अपने फसलों की प्रतिकूल परिस्थितियों से रक्षा भी कर सकें। किसान दिवस मनाकर इसी प्रकार की जागरूकता फैलाई जानी जरूरी है।

चौधरी चरण सिंह के बारे में

एक जाट परिवार से नाता रखने वाले चौधरी चरण सिंह किसानों के नेता माने जाते हैं। उन्होंने किसानों की जिंदगी में सुधार लाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। सबसे बड़ी बात उनके बारे में यह रही कि प्रधानमंत्री के रूप में चौधरी चरण सिंह कभी लोकसभा में नहीं पहुंचे। जब मोरारजी देसाई की सरकार थी, तब भी उन्होंने उप प्रधानमंत्री के तौर पर काम किया था। विधानसभा में चौधरी चरण सिंह ने प्रख्यात बाजार विधेयक पेश किया था, जिसका लक्ष्य जमीदारों के लालच एवं उनके अत्याचार के खिलाफ किसानों की रक्षा करना था। साथ ही जमीदारी उन्मूलन अधिनियम भी उन्हीं के द्वारा शुरू किया गया था और उन्होंने ही इसे लागू भी करवाया था। किसान दिवस के अवसर पर 23 दिसंबर को बड़ी संख्या में किसान नई दिल्ली में प्रसिद्ध किसान घाट पर जमा होकर चौधरी चरण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

कैसे मनाते हैं Kisan Diwas?

23 दिसंबर को किसान दिवस के अवसर पर कृषि के संबंध में जागरूकता फैलाने के लिए प्रदर्शनी, कार्यशाला और सेमिनार आदि का तो आयोजन होता ही है, साथ ही इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिक गांव का दौरा भी करते हैं और कृषकों से मुखातिब होकर उनकी समस्याओं के बारे में जान कर उनका समाधान भी उपलब्ध कराते हैं। किसान दिवस के अवसर पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की ओर से भी किसानों को लेकर कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं की जाती हैं, जिनसे उनका कल्याण हो सके।

निष्कर्ष

धरती के देवता किसानों के हितों का ख्याल रखते हुए धरतीपुत्र चौधरी चरण सिंह की जयंती के अवसर पर 23 December को Kisan Divas मनाना हर भारतीय का नैतिक कर्तव्य होना चाहिए।

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