16th October – World Food Day

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16th October - World Food Day

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दुनिया के कई हिस्सों में आज भी लोग भुखमरी की समस्या से जूझ रहे हैं। इस वजह से खाद्य सुरक्षा का महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाता है। इसी खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1945 में इसी दिन खाद्य एवं कृषि संगठन की संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थापना हुई थी। इसलिए इसी दिन को विश्व खाद्य दिवस मनाने के लिए चुन लिया गया। सबसे पहले विश्व खाद्य दिवस 1980 में मनाया गया था और उसके बाद से इसे मनाने की परंपरा लगातार चली आ रही है। इस वर्ष भी World Food Day 2019 के अवसर पर हम आपको इसके बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।

World Food Day का उद्देश्य

  • इस दुनिया में कोई भी भूखा न रहे।
  • भूख की वजह से दुनिया में किसी की जान न जाए।
  • दुनियाभर में खाद्यान्न का उत्पादन अधिक-से-अधिक हो।
  • कृषि की नई तकनीकों को बढ़ावा देकर विकासशील देशों से गरीबी का उन्मूलन कर भुखमरी को मिटाया जाए।

दुनियाभर में खाद्यान्न संकट

विश्व खाद्य दिवस को मनाते हुए तीन दशक से भी अधिक का वक्त बीत चुका है, मगर अब भी hunger के against fight चल ही रही है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन एवं विश्व खाद्य कार्यक्रम ने जो यूरोपीय संघ की मदद से बीते 2 अप्रैल को एक रिपोर्ट जारी किया था, उसके मुताबिक मौसमी परिवर्तन, युद्ध एवं आर्थिक गिरावट आदि की वजह से दुनियाभर में 113 मिलियन लोग इस वक्त खाद्यान्न संकट से जूझ रहे हैं।

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2018 में खाद्यान्न संकट का सबसे बुरा प्रभाव यमन पर पड़ा है, जहां लगभग 16 मिलियन लोगों को खाद्य सामग्री की जरूरत पड़ी थी। रिपोर्ट में इस वर्ष भी जलवायु परिवर्तन और संघर्ष की वजह से भुखमरी की समस्या बनी रहने की बात कही गई थी, जो अफ्रीका के दक्षिणी हिस्सों, लैटिन अमेरिकी देशों और कैरेबियाई देशों में देखने को मिला भी है। बांग्लादेश एवं सीरिया में शरणार्थियों व प्रवासियों के लिए भी खाद्य सामग्री की आवश्यकता का रिपोर्ट में जिक्र है।

खाद्यान्न उत्पादन की दर की तुलना में अब भी जनसंख्या वृद्धि दर कहीं अधिक है। विशेषकर कम विकसित देशों में यह ज्यादा है। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2030 तक दुनिया में खाद्यान्न की मांग दोगुनी हो सकती है। दुनियाभर में कई organizations hunger के against fight कर रहे हैं।

World Food Day 2022 की Theme- “Leave NO ONE Behind”

हालाँकि मानव ने बहुत प्रगति की है और एक बेहतर कल के निर्माण में वो निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है। लेकिन बहुत से ऐसे लोग है जो पीछे छूट गए हैं, ये लोग मानव विकास, नवाचार या आर्थिक विकास से लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।

आज ग्रह पर सभी को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन का उत्पादन किया जाता है। लेकिन दुनिया भर में लाखों लोग स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकते हैं, उन तक पौष्टिक भोजन तक पहुंच और उपलब्धता नहीं है। COVID-19 महामारी, संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, असमानता, बढ़ती कीमतों और अंतर्राष्ट्रीय तनाव सहित कई चुनौतियों के कारण ऐसे लोगों तक भोजन की आपूर्ति बाधित हो रही है।

ऐसे में हमारी और विश्व बिरादरी की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। ऐसे लोगों की खोजे और उन तक भोजन की पहुँच बनाये। वर्ल्ड फ़ूड डे 2022 का यही उद्देश्य है-“Leave NO ONE Behind” “कोई एक भी भूखा न रहे “।

अपने देश में खाद्य समस्या

खाद्यान्न संकट के लिहाज से देखा जाए तो भारत की भी स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती। दुनिया में सबसे अधिक कुपोषण से पीड़ित 23 करोड़ 30 लाख लोग इस वक्त भारत में ही हैं। ये लोग हर दिन के कर रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी ये है कि जिस तेजी से खाद्यान्न के मूल्यों में बढ़ोतरी हो रही है, उस अनुपात में इन गरीबों की आमदनी नहीं बढ़ रही है। खाद्य सुरक्षा विधेयक कानून में उन लोगों की नियमित रूप से समीक्षा करने को कहा गया है, जो गरीबी रेखा से नीचे की जिंदगी गुजर-बसर कर रहे हैं।

देश के गोदामों में हर साल करीब 50 करोड़ रुपये मूल्य के 10 लाख मीट्रिक टन अनाज नष्ट हो जाते हैं, जो कि हर साल करीब एक करोड़ लोगों की भूख मिटा सकते हैं। अनाज को सड़ने और नष्ट होने से बचाने के लिए उचित भंडारण जरूरी है। इसमें कोई शक नहीं कि सरकार के साथ कई गैर सरकारी organizations भी hunger के against fight कर रहे हैं, मगर इनकी सार्थकता तब तक साबित नहीं होगी जब तक वर्तमान में कुपोषण से जूझ रहे भारत के 47 फीसदी बच्चों की स्थिति नहीं सुधरती।

“If you can’t feed a hundred people, then feed just one.” Mother Teresa

World Food Day 2019 पर हमारा फर्ज

  • Word Food Day 2019 के अवसर पर हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम किसी भी सूरत में न तो अन्न की बर्बादी करेंगे और न ही किसी को करने देंगे। भोजन उतना ही पकाएंगे और ग्रहण करेंगे, जितने की आवश्यकता है। फिर भी यदि भोजन बच जाए तो उसे फेंकने की बजाय जरूरतमंदों तक पहुंचाकर उनका पेट भरेंगे।
  • हमें जैविक खेती को अपनाना चाहिए और दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए, क्योंकि इससे भूमि का उपजाऊपन बरकरार रहेगा और खाद्यान्न उपजाने में समस्या नहीं आयेगी।
  • हमें यह भी संकल्प लेना चाहिए कि हम सिर्फ जैविक खाद का ही फसलों को उगाने में इस्तेमाल करें।
  • साथ ही खेती के लिए वैसी ही तकनीकों को हम अपनाएं, जिससे प्रदूषण न फैले।

विश्व खाद्य दिवस के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q- 16 अक्टूबर को कौन सा दिवस मनाया जाता है?

  • 16 अक्टूबर को ‘विश्व खाद्य दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

Q- विश्व खाद्य दिवस क्यों मनाते हैं?

  • विश्वभर के लोगों को भुखमरी की समस्या के प्रति जागरूक बनाना तथा कुपोषण, भूख और गरीबी के जाल से निजात दिलाने हेतु विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है।

Q-विश्व खाद्य दिवस के उद्देश्य क्या हैं?

  • विश्व में कोई भूखा न रहे
  • भूख की वजह से किसी की जान न जाये
  • विश्व में खाद्य का उत्पादन अधिक से अधिक हो सके

Q- विश्व खाद्य दिवस 16 अक्टूबर को क्यों मनाया जाता है?

  • 16 अक्टूबर 1945 को “खाद्य एवं कृषि संगठन” (एफएओ) की स्थापना हुई थी।

Q- विश्व खाद्य दिवस पहली बार कब मनाया गया?

  • विश्व खाद्य दिवस को मनाने का प्रस्ताव नवंबर 1979 में हंगरी के पर्व कृषि एवं खाद्य मंत्री डॉ पाल रोमानी ने दिया था। संभवतः विश्व खाद्य दिवस मनाये जाने की शुरुआत साल 1980 से हुई थी।

Q-विश्व खाद्य दिवस 2022 की थीम क्या है ?

  • साल 2022 के लिए विश्व खाद्य दिवस की थीम -“Leave NO ONE behind” रखी गयी है।

Q- प्रथम विश्व खाद्य सम्मेलन कब हुआ?

  • प्रथम विश्व खाद्य सम्मेलन 1974 में रोम आयोजित हुआ था।

Q-विश्व खाद्य दिवस के संस्थापक कौन है?

  • विश्व खाद्य दिवस की संस्थापक एजेंसी “खाद्य एवं कृषि संगठन” (एफएओ) है।

Q-दुनिया में कितने लोग भूखे हैं?

  • साल 2021 तक क 828 मिलियन लोग भूख से प्रभावित थे, जोकि दुनिया की आबादी का 8% है।

Q-दुनिया में सबसे ज्यादा कौन सा खाना खाया जाता है?

  • दुनिया में सबसे ज्यादा खाया जाने वाला खाद्य चावल है।

Q-विश्व खाद्य दिवस कितने देश मनाते हैं?

  • दुनिया के 150 से अधिक देश विश्व खाद्य दिवस मनाते हैं।

Q-दुनिया में कुल कितने देश हैं?

  • कुल 195 देश , जिसमे से 193 देशों को संयुक्त राष्ट्र संघ की मान्यता प्राप्त है। ताइवान और वैटिकन सिटी ऐसे देश हैं जिन्हे मान्यता प्राप्त नहीं है।

निष्कर्ष

न केवल हमारे देश में, बल्कि दुनिया में भी कोई भूखा न रहे, ऐसी कामना हमें World Food Day 2019 के अवसर पर करनी होगी और खाद्यान्न की सुरक्षा एवं इसकी अहमियत को लेकर जागरुकता का प्रसार-प्रचार भी हमें करते रहना होगा।

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