भारत में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के विचार को पुरातन काल से ही जीया जा रहा है। हमारे साहित्य में भी संगठित होकर रहने के महत्त्व को कहानियों के माध्यम से समझाया गया है। मानव समाज में आपसी एकजुटता की उपयोगिता को संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी समझा है तथा इसके महत्व और उद्देश्यों की पूर्ति हेतु वैश्विक रूप से अन्तर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस (International Human Solidarity Day) मनाये जाने की शुरुआत की। आज के इस लेख में हम अन्तर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस की प्रासंगिकता, महत्व , उद्देश्य आदि के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करने वाले हैं।
अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस का उद्देश्य
- अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस का उद्देश्य, लोगों को विविधता में एकता की अहमियत बताते हुए जागरूकता फैलाना हैं।
- विश्व के विभिन्न देश इस दिन अपनी लोगों के बीच शांति, भाईचारा, प्यार, सौहार्द और एकता के संदेश का प्रसार करते हैं।
- इस दिवस का उद्देश्य विभिन्न देशों के मध्य अंतराष्ट्रीय संधि और संगठनों के सम्मान को बनाये रखने के लिए जागरूक करना भी है।
- निरंतर विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के किये एकता की भावना को बढ़ावा देना।
- गरीबी उन्मूलन और सहयोग, समानता और सामाजिक न्याय की संस्कृति को बढ़ावा देना है, जो विशेष रूप से विकासशील देशों में मानव और सामाजिक विकास के लिए जाता है।
अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस कब मनाया जाता है?
संयुक्त राष्ट्र ने विविधता में एकता के महत्व को समझाने के लिए 22 दिसंबर 2005 को यह दिवस मनाने की घोषणा की थी। तब से अब तक हर साल 20 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस मनाया जा रहा है.
अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस मनाये जाने के पीछे उसका एक विस्तृत इतिहास रहा है। साल 2005 में इसकी घोषणा से पूर्व 20 दिसंबर, 2002 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प 57/265 द्वारा विश्व एकजुटता कोष की स्थापना की थी। जिसे आगे चलकर साल 2003, फरवरी में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के लिए ट्रस्ट फंड के रूप में जाना गया। इस फण्ड का उद्देश्य गरीबी पर अंकुश लगाना और विकासशील देशों में मानव और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना है। 22 दिसंबर 2005 से इसे एक दिवस के रूप में स्थापित किये जाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गयी थी।
अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस का महत्व
अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस के उद्देश्य में ही इसका महत्व छिपा हुआ है। चूँकि इस दिवस का उद्देश्य ही लोगों को विविधता में एकता के महत्व को बताते हुए जागरूकता फैलाना हैं। यह दिवस राष्ट्रों को एक साथ शांति, सौहार्द , भाईचारे ,मानवाधिकारों और सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।यदि हम अपने भारत देश के परिपेक्ष्य में बात करें तो, भारत ने सदैव ही देश और दुनिया को ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का मंत्र दिया है। हमारे हजारों साल पुराने शास्त्रों तथा पुराणों में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की महत्वता को बताया गया है।
वर्तमान के परिपेक्ष्य में बात की जाये तो, अन्तर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस की महत्वता और प्रासंगिकता अपने चरम पर है , क्योकि विश्व इस समय कोरोना, ग्लोबल वार्मिंग, ऊर्जा संकट, पीने योग्य जल संकट, पर्यावरणीय संकट तथा आतंकवाद जैसे वैश्विक संकटों से घिरा हुआ है। ऐसे समय में हमें आवश्यकता है की हम एकजुटकर इन समस्याओं का सामना करें और हल निकालें।
अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस की थीम
अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस की थीम हर साल एक समान रहती है। यह दिन विशेष रूप से विकासशील देशों में सहयोग, समानता और सामाजिक न्याय की संस्कृति को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
वैश्विक एकजुटता को परिभाषित करता है संयुक्त राष्ट्र संघ
- वैश्विक एकजुटता का तात्पर्य, वैश्विक रूप से एकजुट होकर ऐसे लोगों तक अपनी पहुँच को बढ़ाना है जो अभी भी गरीबी, भुखमरी और आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक रूप से पिछड़े हैं।
- संयुक्त राष्ट्र संघ का जन्म ही ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए हुआ है, जो वैश्विक रूप से व्याप्त हैं। ये मुद्दे वैश्विक शांति, सौहार्द, स्वास्थ्य, आतंकवाद, विकास, संस्कृति आदि से जुड़े रहते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र के निर्माण ने ही लोगों और राष्ट्रों को शांति, मानवाधिकारों ,सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक साथ कार्य करने को प्रेरित किया है।
- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र की स्थापना मूल आधार पर की गई थी। संगठन एक आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक या मानवीय चरित्र की अंतरराष्ट्रीय समस्याओं को हल करने में एकजुटता और सहयोग की भावना पर निर्भर करता है।
- संयुक्त राष्ट्र का जन्म द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उसके परिणामों की व्याख्या के परिणाम स्वरुप 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र अधिकारपत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुआ था।
- अपने जन्म के समय संयुक्त राष्ट्र संघ का उद्देश्य विश्व युद्ध जैसी संभावनाओं और देशों के मध्य व्याप्त तनावों को कम करना था। किन्तु इस संगठन की सफलता के परिणाम स्वरुप इसे बहुद्देश्यीय बना दिया गया।
- 50 देशों के संगठन के रूप में स्थापित हुआ संयुक्त राष्ट्र संघ आज अपने साथ 193 देशों को जोड़कर सबसे बड़े वैश्विक संगठन का संचालन करता है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्या रूप से महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक व सामाजिक परिषद, सचिवालय और अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय इन पांच भागों में बंटा हुआ है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना में संयुक्त राज्य अमेरिका, फ़्रांस, रूस और यूनाइटेड किंगडम का योगदान रहा था, ये राष्ट्र इसकी सुरक्षा परिषद् के सदस्य बने थे। बाद में चीन को भी इसकी सुरक्षा परिषद् का सदस्य बनाया गया और इन पांचों राष्ट्रों को वीटो पावर दी गयी है।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा का हर वर्ष सब सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ सम्मेलन होता है। इन प्रतिनिधियों में से एक को अध्यक्ष चुना जाता है। सभी महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों को इसी सभा में अंतराष्ट्रीय रूप से रखा जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय न्यूयोर्क, USA में स्थित है तथा इसका अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय हेग, नीदरलैंड में स्थित हैं, इसकी स्थापना 18 अप्रैल 1946 में की गयी थी।
- संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी और फ़्रांसिसी है। इसके प्रमुख पांच भागों के अलावा 14 अन्य वैश्विक संगठन भी हैं।
- संयुक्त राष्ट्र संघ से सम्बंधित संगठन में विश्व बैंक, WHO, यूनेस्को, यूनिसेफ और अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष आदि प्रमुख हैं।
चलते -चलते
भारत में राष्ट्रीय एकता की भावना को व्यवहार में लाने के लिए 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन हमारे देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल का जन्म हुआ था। सरदार पटेल लौह पुरुष के रूप में जाने जाते हैं, तथा उन्होंने आजादी के समय 600 रियासतों को एकजुट करके एक संघ का रूप दिया , जिसे हम भारत के नाम से जानते हैं। इसके अतिरिक्त भारत बहु-धर्मीय,बहु-सांस्कृतिक राष्ट्र है , यहाँ पर अनेक संस्कृति और धर्म के लोग आपसी सौहार्द और समभाव से रहते हैं, हम कह सकते है की भारत अनेकता में एकता का सटीक उदाहरण है। आप विश्व के किसी भी अन्य देश में इतनी सांस्कृतिक भिन्नताएं नहीं पाएंगे जितनी हमारे देश में हैं। आज हम अन्तर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस पर भारत की ओर से समस्त विश्व को इस लेख के माध्यम से यही सन्देश देना चाहेंगे कि ‘ अनेकता में एकता, यही है हमारी विशेषता, हम एक थे, एक हैं , एक रहेंगे और एकता का ही प्रसार करेंगे’, जय हिन्द !