देश में जब भी कहीं चुनाव होते हैं तो उससे पहले आप Model code of conduct के बारे में सुनते होंगे। हाल ही में जब लोकसभा चुनाव हुए तब भी Model code of conduct 2019 काफी ट्रेंड कर रहा था। आखिर यह Model code of conduct किस बला का नाम है, इसे कौन लागू करता है और इसके नियम-कायदे क्या है, ये बहुत से ऐसे सवाल हैं, जिनका उत्तर बहुत से लोग नहीं जानते हैं। यहां हम आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
Model Code of Conduct For General Election
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जहां निष्पक्ष चुनाव कराना बहुत ही जरूरी है, वैसे में model code of conduct जिसे कि आदर्श आचार संहिता के नाम से भी जानते हैं, उसे चुनाव आयोग द्वारा लागू किए जाने के बाद सभी राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार आदि में एक तो बराबर का मौका मिलता है और दूसरा कोई भी राजनीतिक दल सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग नहीं कर पाता है। साथ ही model code of conduct for general election के लागू रहने से उम्मीदवारों का आचरण और व्यवहार भी निर्धारित होता है। सभी राजनीतिक दलों की सहमति से यह बना और विकसित भी हुआ है। इसी महीने उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में विधानसभा उपचुनाव और महाराष्ट्र व हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में हमें model code of conduct for state assembly election अब फिर से देखने को मिल रहा है।
Model Code of Conduct First Time
- वर्ष 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के समय भारत में Model code of conduct first time देखने को मिला था, जिसमें यह बताया गया था कि क्या करना है और क्या नहीं। चुनाव आयोग की ओर से वर्ष 1962 के लोकसभा चुनाव में Model code of conduct first time को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों के बीच वितरित किया गया। इसके 5 वर्षों के बाद 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में राज्य सरकारों से पहली बार यह अनुरोध किया गया कि राजनीतिक पार्टियों से वे इसका पालन करने के लिए कहें। उन्होंने ऐसा किया भी, जिसके बाद से लगभग सभी चुनावों में Model code of conduct का पालन होना शुरू हो गया।
- राजनीतिक दलों से इस संबंध में चुनाव आयोग चर्चा करता रहता है, ताकि इसमें और सुधार की गुंजाइश बनी रहे। वर्ष 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया था कि कामचलाऊ सरकार कोई बड़ा नीतिगत निर्णय नहीं ले सकती है। उसे केवल रोजाना का काम करना है। इससे चुनाव आयोग को यह अधिकार मिल गया कि समय से पहले यदि विधानसभा का विघटन हो जाए तो आदर्श आचार संहिता लागू की जा सकती है। इसके तहत केंद्र व राज्य की कामचलाऊ सरकार कोई नहीं योजना या परियोजनाओं की घोषणा नहीं कर सकती है।
आदर्श आचार संहिता की विशेषताएं
- Model code of conduct लागू हो जाने पर सरकार और प्रशासन पर कई तरह का अंकुश लग जाता है। साथ ही सरकारी कर्मचारी चुनाव जब तक पूरा नहीं होता, निर्वाचन आयोग के अंतर्गत आते हैं।
- इस दौरान मंत्री और सरकारी पदों पर तैनात लोग सरकारी दौरे में चुनाव प्रचार नहीं कर सकते हैं। विज्ञापन जारी करने के लिए सरकारी पैसे का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
- साथ ही चुनाव प्रचार के दौरान ना तो किसी की निजी जिंदगी के बारे में बात की जा सकती है और ना ही सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने वाले बयान दिए जा सकते हैं।
- किसी भी तरह का जुलूस निकालने या फिर रैली आयोजित करने के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी अनिवार्य हो जाती है। सरकारी गेस्ट हाउस, मीटिंग ग्राउंड, सरकारी और सार्वजनिक जगहों पर सभी उम्मीदवारों को समान रूप से अधिकार दिया जाता है।
- उदाहरण के लिए बीते लोकसभा चुनाव में जब model code of conduct 2019 लागू हुआ था तो सरकारी मशीनरी और सुविधाओं का इस्तेमाल कोई भी मंत्री या अधिकारी चुनाव प्रचार के लिए नहीं कर पा रहे थे।
Model Code of Conduct पर सुप्रीम कोर्ट का नजरिया
वर्ष 2001 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक महत्वपूर्ण फैसला दिया गया, जिसमें कहा गया कि जिस दिन से चुनाव आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी कर देगा, उसी तारीख से Model code of conduct को लागू मान लिया जाएगा। इसके बाद से इसकी तारीख से जुड़े विवाद हमेशा के लिए खत्म हो गए। विधानसभा चुनाव के वक्त model code of conduct for state assembly election और लोकसभा चुनाव के समय model code of conduct for general election सभी राजनीतिक दलों, उसके उम्मीदवारों और संबंधित राज्य सरकारों के साथ केंद्र सरकार पर भी लागू होते हैं।
Advanced Techniques Used in Model Code of Conduct
- चुनाव आयोग की ओर से जो advanced techniques used in model code of conduct को अपनाया गया है, उसमें कुछ वक्त पहले लांच किया गया cVIGIL ऐप बेहद महत्वपूर्ण है, जिसमें कोई model code of conduct के उल्लंघन की एक फोटो या 2 मिनट का वीडियो अपलोड कर सकता है। साथ ही GPS के माध्यम से जहां उल्लंघन हुआ है, वहां की जानकारी मिल जाती है। शिकायतकर्ता की पहचान गुप्त रहती है और उसे एक यूनिक आईडी मिलती है। शिकायत सही पाए जाने पर तय समय के अंदर कार्यवाही भी होती है।
- साथ ही इंटीग्रेटेड कॉन्टैक्ट सेंटर, सुगम, सुविधा नेशनल कंप्लेंट सर्विस और One way electronically transmitted postal balot जैसी एडवांस तकनीकों को भी चुनाव आयोग ने अपनाया हुआ है।
आगे की राहें
चुनाव आयोग ने जिस तरह से advance techniques used in model code of conduct को अपनाया है, उससे चुनाव प्रक्रिया काफी हद तक निष्पक्ष तरीके से संचालित हो रही है। model code of conduct का उल्लंघन होने पर अब कार्रवाई भी की जा रही है। ऐसे में इस बात के पूरे आसार हैं कि आने वाले समय में चुनाव प्रक्रिया को इसके जरिए और सुगम बनाया जा सकेगा।
निष्कर्ष
विधानसभा चुनावों और उपचुनावों के लिए वर्तमान में Model code of conduct 2019 ट्रेंड कर रहा है। इसमें कोई शक नहीं कि एक लोकतांत्रिक देश के लिए चुनाव में यह सबसे जरूरी चीज है। तो बताएं, Model code of conduct के उल्लंघन की कोई घटना जो आपको याद हो।