Bihar Election 2020: आगामी बिहार चुनाव की हर बारीकी पर रहनी चाहिए आपकी नज़र

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Bihar Elections


सुनो भाई घुड़सवार, मगध किधर है,मगध से आया हूँ

मगध मुझे जाना है

किधर मुड़ूँ, उत्तर के दक्षिण या पूर्व के पश्चिम में?

लो, वह दिखाई पड़ा मगध,लो, वह अदृश्य

श्रीकांत वर्मा ने जब ये पंक्तियां कहीं थीं तो इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा था कि बंधुओं ये वो मगध नहीं है। जिसे तुमने किताबों में पढ़ा था बल्कि ये वो मगध है जिसे तुम मेरी तरह ही गवां चुके हो।

जी हां, आज आपसे बिहार की बात होगी, बिहार विधानसभा चुनाव 2020 (Bihar Elections 2020) की बात होगी। आसमान में हैलीकॉप्टर उड़ रहे हैं और नीचे किसान देख रहा है। मतलब साफ़ है कि चुनाव की तारीखों का ऐलान भी हो चुका है।

आपको बता दें कि बिहार (Bihar) में होने वाले विधानसभा चुनाव (Bihar Election Dates announce) के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों पर मुहर लगा दी है। इस बार बिहार में तीन चरणों में मतदान होंगे।

आज के दौर में बिहार की सियासत को समझने वालों के भीतर सबसे बड़ा मौजूद सवाल यही है कि इस बार बिहार में किसकी सरकार बनेगी?

इस लेख के मुख्य बिंदु-

  • किन-किन तारीखों में होंगे मतदान?
  • चुनाव की तारीखों के इस खेल को भी समझिये
  • एक नज़र इस तस्वीर पर भी
  • एक नज़र में साल 2015 बिहार विधानसभा चुनाव की तस्वीर
  • फिर आया 2017 और पूरी तस्वीर ही बदल गई थी
  • बिहार चुनाव 2020 के गठबंधन की फिल्म कुछ ऐसी है
  • एक चर्चित चेहरा पुष्पम प्रिया चौधरी का भी है
  • 15 सालों से सत्ता में हैं नीतीश कुमार
  • सरांश

किन-किन तारीखों में होंगे मतदान?

 आपको अवगत करा दें कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को होगा। दूसरे चरण का 3 नवंबर और तीसरे चरण का मतदान 7 नवंबर को होगा। इसी के साथ 10 नवंबर को सभी प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला भी हो जाएगा।

चुनाव की तारीखों के इस खेल को भी समझिये

  • आपको बता दें कि मतदान के पहले चरण में 16 जिलों की 71 सीटों पर वोटिंग होगी।
  • 3 नवंबर के दूसरे चरण में 17 ज़िलों की 94 सीटों के सियासतदारों के किस्मत का फैसला होगा।
  • 7 नवंबर को तीसरे चरण का मतदान होगा। इसमें 15 ज़िलों की 78 सीटों में वोटिंग होगी।
  • बिहार में इस बार कुल वोटरों की संख्या 7 करोड़ 30 लाख है।

एक नज़र इस तस्वीर पर भी

  • बिहार विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म होने वाला है। बता दें कि बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटों में चुनाव होने वाले हैं।
  • सरकार बनाने के लिए मैजिक नंबर 122 है।
  • अगर आप मौजूदा सरकार पर नज़र डालेंगे तो बिहार में इस समय जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन की सरकार है।
  • इस समय जनता दल यूनाइटेड के नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेता सुशील कुमार मोदी राज्य के उप-मुख्यमंत्री हैं।

एक नज़र में साल 2015 बिहार विधानसभा चुनाव की तस्वीर

सियासत का रुख उस दौर में ऐसा था कि नीतीश कुमार की अगुआई में जदयू की लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल से दोस्ती अपने शबाब पर थी। दोनों पार्टियों ने साथ में चुनाव लड़ा था। उस दौर में जदयू, राजद, कांग्रेस और अन्य दलों को मिलाकर एक महागठबंधन का निर्माण किया गया था। उस  महागठबंधन का सीधा मुकाबला मोदी लहर से था।

  • बिहार के 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की सरकार भी बनी थी। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री चुने गये थे।
  • तब लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव की किस्मत में उप-मुख्यमंत्री का पद आया था।

फिर आया 2017 और पूरी तस्वीर ही बदल गई थी

कहा जाता है कि राजनीति में ना ही कोई किसी का दोस्त होता है और ना ही दुश्मन। समय बदलता है और कुर्सी के लिए सियासी रिश्ते भी बदल जाते हैं। साल 2017 आते-आते बिहार ने भी कुछ ऐसा ही देखा था।

  • साल 2017 में नीतीश कुमार ने राजद से गठबंधन तोड़ लिया था।
  • इसी के साथ नीतीश कुमार अपने पुराने साथी बीजेपी से दोस्ती करते हुए फिर से सरकार भी बना ली थी।
  • उस समय बीजेपी के पास 53 विधायक थे।

बिहार चुनाव 2020 के गठबंधन की फिल्म कुछ ऐसी है

रंगमंच सज चुका है। नेता अपने-अपने किरदार में आ चुके हैं। कोई किसान बना हुआ दिखाई दे रहा है तो कोई गरीबों का मसीहा बन रहा है। इसलिए इस चुनावी माहौल को फिल्म का ही दर्जा दिया जा सकता है।

  • इस बार बिहार चुनाव में 4 गठबंधन मैदान में उतरे हुए हैं।
  • एनडीए और महागठबंधन के अलावा ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट और प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन भी चुनावी विगुल बजा चुके हैं।
  • ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट और प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन का जन्म चुनाव से ठीक पहले ही हुआ है।
  • भाजपा और जदयू को कुर्सी से हटाने के लिए राजद के महागठबंधन में इस बार वामपंथी दलों को भी शामिल किया गया है।
  • कांग्रेस भी महागठबंधन का ही साथ पकड़कर बिहार चुनाव लड़ रही है।
  • चुनाव में महागठबंधन की रूपरेखा कुछ ऐसी होगी- राजद 144 सीटों पर, कांग्रेस 70 सीटों पर और लेफ्ट पार्टियाँ 29 सीटों पर जनता के सामने वोट मांगने जायेंगी।
  • ऐसा नहीं है कि बदलाव सिर्फ महागठबंधन में देखने को मिल रहे हैं। बल्कि एनडीए में भी कुछ बदलाव हुए हैं।
  • आपको बता दें कि एनडीए में बीजेपी और जदयू के अलावा भी कुछ लोगों ने एंट्री मारी है। जैसे कि वीआईपी के मुकेश साहनी और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी एनडीए के साथ आ गये हैं।
  • इस चुनाव की ख़ास बात ये है कि दिवंगत राम विलास पासवान की लोजपा पार्टी इस बार के चुनाव में एनडीए का हिस्सा नहीं है।
  • अगर इस बार के बिहार आगामी चुनाव में एनडीए के रूपरेखा में नज़र डाली जाए तो पता चलता है कि जदयू 122 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और बीजेपी 121 सीटों पर अपनी किस्मत की बाज़ी खेलेगी।
  • इसी के साथ जदयू अपने हिस्से की 7 सीट जीतन राम मांझी की पार्टी को भी दे रही है।
  • मुकेश सहनी की वीआईपी को भारतीय जनता पार्टी अपने हिस्से की 11 सीटों को दे रही है।
  • ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट जिसे तीसरा गठबंधन कहा जा रहा है। इसे उपेंद्र कुशवाहा, बहुजन समाजवादी पार्टी की मायावती, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने बनाया है।

एक चर्चित चेहरा पुष्पम प्रिया चौधरी का भी है

इस बार के बिहार के विधानसभा चुनाव में पुष्पम प्रिया चौधरी कितना बदलाव ला पाएंगी। ये तो कहना सही नहीं होगा लेकिन इन्होने मीडिया की सुर्खियाँ तो काफी ज्यादा बटोरी हैं।

  • खुद को बिहार के अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी पटना के बांकीपुर और मधुबनी के बिस्फी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाली हैं।
  • आपको बता दें कि पुष्पम प्रिया चौधरी जदयू से एमएलसी रह चुके विनोद चौधरी की पुत्री हैं।
  • पुष्पम प्रिया ने 12वीं तक की पढ़ाई दरभंगा से ही की थी। इसके बाद आगे की पढ़ायी उन्होंने लंदन से की है।
  • लंदन से आने के बाद सीधे उन्होंने खुद को बिहार का अगला मुख्यमंत्री ही मान लिया है।

15 सालों से सत्ता में हैं नीतीश कुमार

बिहार का आगामी विधानसभा चुनाव कई मायनों में ख़ास है। इस बार के चुनाव में लालू यादव का चुनावी तड़का भी देखने को नहीं मिलेगा। पिछली बार के चुनाव में लालू यादव ही नीतीश कुमार को महागठबंधन में साथ लाये थे ।

  • सबकी नज़र इस बात पर भी है कि पिछले 15 सालों से सत्ता में काबिज़ नीतीश कुमार क्या सत्ता विरोधी लहर को झेल पायेंगे?
  • एक सवाल और भी है जिसपर सबकी नज़र रहने वाली है। वो ये है कि क्या होगा लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान का? ये चुनाव उनके राजनीतिक कैरियर के लिए भी काफी ज्यादा अहम् माना जा रहा है।

सरांश

केंद्र की सियासत में भी बिहार के महत्त्व की बात सबको पता है। वो दौर भी लोगों को याद है जब जय प्रकाश नारायण के आन्दोलन ने केंद्र की कांग्रेस सरकार की जड़ों को ध्वस्त कर दिया था। उस आन्दोलन की शुरुआत भी बिहार से ही हुई थी। अगर लोकसभा 2019 की बात करें तो एनडीए ने 40 में से 39 सीटों को अपने नाम किया था। अब सवाल उसके सामने वही खड़ा है कि क्या वो अपने प्रदर्शन को दोहरा पाएगी? कुछ भी हो इन सब सवालों का जवाब आने वाली 10 नवंबर को मिल ही जाएगा।

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