उल्लेखनीय है भारत में इन प्रांतीय राजवंशों की भूमिका

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Rajvansh


अलग-अलग शासकों ने भारत में अलग-अलग समय में अनेक प्रांतीय राजवंशों की स्थापना की। इन्होंने इमारतों के निर्माण से लेकर शासन व्यवस्था में व्यापक बदलाव तक के अनेक महत्वपूर्ण कार्यों को भी अंजाम दिया। यहां हम आपको ऐसे ही कुछ प्रांतीय राजवंशों के बारे में बता रहे हैं।

बंगाल

  • इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन अख्तियार खिलजी के दिल्ली सल्तनत में बंगाल को 12वीं शताब्दी के अंत में मिलाने के बाद इसके आजाद होने पर बलबन ने भी इसे फिर से दिल्ली सल्तनत में मिलाया, मगर उसके बेटे बुगरा खां ने इसे आजाद घोषित कर दिया, जबकि गयासुद्दीन तुगलक ने बंगाल को तीन भागों सतगांव, सोनारगांव और लखनौती में बांट दिया।
  • बंगाल मुहम्मद बिन तुगलक के अंतिम समय में फखरुद्दीन के विद्रोह से फिर से आजाद हुआ और बंगाल के विभाजन को खत्म कर शम्सुद्दीन इलियास शाह के नाम से वर्ष 1345 में हाजी इलियास यहां का शासक बन गया।
  • इलियास शाह (1342-1357 ई.) के बाद सिकंदर शाह (1357-1389 ई.) शासक बना। इसने अदीना मस्जिद पांडुआ में बनवाई।
  • अपनी न्यायप्रियता के लिए प्रख्यात गयासुद्दीन आजमशाह (1389-1409 ई.) सिकंदर शाह के बाद शासक बना।
  • गयासुद्दीन की 1410 ई. में हत्या के बाद 1415 ई. में हिंदू जमींदार राजा गणेश, उसके बाद उसका पुत्र जदुसेन इस्लाम धर्म को अपनाकर जलालुद्दीन के नाम से शासक बना।
  • जलालुद्दीन के बाद उसका बेटा शम्सुद्दीन अहमद गद्दी पर बैठा।
  • नसीरुद्दीन अबुल मुजफ्फरपुर महमूद (1442-1448 ई.) ने इलियास शाही राजवंश की स्थापना बंगाल में की।
  • गंगा के उत्तर में बरनर और दक्षिण में जैस्सोर खुलना तक राज्य की सीमाएं बढ़ाने वाला रुक्नद्दीन बारबक शाह (1759-1474 ई.) ने बंगाल में राज किया।
  • फिर अलाउद्दीन हुसैनशाह (1493-1519 ई.) ने बंगाल में शासन किया, जिनके समकालीन चैतन्य महाप्रभु भी थे।
  • अलाउद्दीन के बाद बेटे नुसरतशाह (1519-1532 ई.) ने शासन किया। इसने बंग्ला में महाभारत का अनुवाद करवाया।

कश्मीर

  • बड़े भाई अली शाह को हराकर उसका भाई शाही खां जून, 1420 में जैनुल आबदीन के नाम से शासक बन बैठा।
  • परोपकारी होने के साथ-साथ जैनुल उदार व बुद्धिमान भी था।
  • चोरी, डकैती जैसे अपराधों को कम करने के साथ उसने उत्पादों का मूल्य निश्चित करने और करों का बोझ घटाने का भी काम किया।
  • जैनुल बड़ा सहिष्णु भी था। हिंदी, तिब्बती और फारसी का भी वह अच्छा जानकार था।
  • कश्मीर के अकबर के रूप में भी जैनुल का वर्णन मिलता है।
  • वूलर झील के समीप उसने जैन उल-लंका का निर्माण करवाया था, जो कि बड़शाह के नाम से लोकप्रिय है।
  • जैनुल आबदीन की 1470 ई. में मौत के बाद उसके बेटे हैदरशाह ने राजगद्दी संभाली।

गुजरात

  • अलाउद्दीन ने 1297 ई. में गुजरात के शासक राजा कर्ण को हरा दिया और दिल्ली सल्तनत में इसे मिला दिया।
  • सुल्तान मुजफ्फरशाह की उपाधि हासिल करके 1407 ई. में जफर खां गुजरात का स्वतंत्र सुल्ता बन बैठा।
  • मुजफ्फरशाह की मृत्यु के बाद तातार खां के बेटे अहमद ने अहमदशाह की उपाधि धारण करके 1411 से 1443 ई. तक शासन किया।
  • मालवा, असीरगढ़ और राजपूताना जैसे कई राज्यों को उसने जीत लिया।
  • अहमदनगर की स्थापना असाबल के निकट अहमदशाह ने ही की थी।
  • बाद में उसने अपनी राजधानी पटना से अहमदनगर कर ली।
  • हिंदुओं पर इसने जाजिया कर थोपा था।
  • बदरुद्दीन दामामीनी नामक मिश्र के प्रसिद्ध विद्वान ने अहमदशाह के शासनकाल में ही गुजरात की यात्रा की थी।
  • जरबख्श (सोना दान करने वाला) व करीम के नाम से प्रसिद्ध अहमदशाह का बेटा मुहम्मदशाह उसके बाद शासक बना।
  • फिर कुतुबुद्दीन अहमद और उसके बाद बुल फतह महमूद की उपाधि हासिल कर महमूद बेगड़ा नाम से इतिहास में प्रसिद्ध फतह खां गुजरात का शासक बना।
  • गिरिनार के नजदीक मुस्तफाबाद की स्थापना बेगड़ा ने ही की थी।
  • अकबर ने 1572-1573 ई. में मुगल साम्राज्य में गुजरात को शामिल कर लिया।

मालवा

  • अलाउद्दीन ने 1310 ई. में मालवा पर अधिकार कर लिया।
  • दिलावर खां ने मालवा को 1401 ई. में आजाद बताकर वहां का शासक बन धार को अपनी राजधानी बना लिया।
  • दिलावर खां के बेटे अलप खां ने हुशंगशाह की उपाधि धारण कर 1408 से 1468 ई. तक मालवा पर शासन किया।
  • इसने धार की जगह मांडू को अपनी राजधानी बनाया।
  • महान सूफी संत शेख बुरहानुद्दीन का वह शिष्य था।
  • राजपूतों को भी इसने अपने शासन का हिस्सा बनाया था।
  • मुहम्मदशाह की उपाधि लेकर उसका बेटा गजनी उसके बाद शासक बना, मगर महमूद खां उसे हटाकर गद्दी पर बैठ गया।
  • मालवा में 1346 ई. में खिलजी वंश की नींव डालकर महमूदशाह खिलजी ने 1468 ई. तक यहां शासन किया।
  • मांडू में इसने सात मंजिला विजय स्तंभ बनवाया था।
  • हर साल यह युद्ध करता था।
  • महमूदशाह के बाद बेटे गयासुद्दीन ने 1469 से 1500 ई. तक राज किया।
  • आजम हुमायूं इस वंश का अंतिम शासक हुआ। मालवा का 1531 ई. में गुजरात में विलय हो गया।
  • अंत में बाजबहादुर से मुगलों ने मालवा को जीत लिया।

बहमनी राज्य

  • दक्कन का बहमनी राज्य बेहद ताकतवर था।
  • बहमनी साम्राज्य में राज्य चार सूबों गुलबर्गा, दौलताबाद, बरार और बीदर में बंटा हुआ था।
  • मुहम्मद शाह तृतीय के शासनकाल में इसका सर्वाधिक विस्तार हुआ।
  • मुहम्मद शाह के प्रधानमंत्री महमूद गवां ने बरार को गाविल व माहुर, गुलबर्गा को बीजापुर व गुलबर्गा, दौलताबाद को दौलताबाद एवं जुन्नार और बीदर को वारंगल व राजमुंदी में बांट दिया।
  • अरबी और फारसी विद्वानों को बहमनी शासकों की ओर से अपने राज्य में संरक्षण मिला।
  • इसके तहत उर्दू को बीजापुर की राजभाषा के रूप में स्वीकारने वाला इब्राहिम आदिलशाह द्वितीय पहला शासक बना।
  • फिरोजशाह बहमनी सबसे सशक्त शासक बना, जिसे तेलुगू, कन्नड़, मराठी, अरबी, फारसी और तुर्की भाषाओं की भी जानकारी थी। इसकी कई हिंदू पत्नियां भी थीं।

निष्कर्ष

प्रांतीय राजवंशों के तहत कई शासक ऐसे हुए, जिन्होंने अपने शासन चलाने के तरीकों से भारत के इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ दी। स्थापत्य कला में भी इनका योगदान उल्लेखनीय रहा है। इन प्रांतीय राजवंशों में आपके मुताबिक सबसे बेहतर राजवंश कौन रहा है?

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