चलिए जानते हैं रक्षाबंधन के त्योहार से जुड़ी पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं

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Story behind Raksha bandhan


क्षाबंधन का त्योहार पूरे भारत में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत के अलावा भी जो भारतीय भाई- बहन विदेशों में रहते हैं, वे भी इस पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। रक्षाबंधन हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और ताउम्र हर परिस्थिति में भाई से अपने रक्षा करने का प्रण लेती है। Rakshabandhan हर साल सावन महिने के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

कहा जाता है कि रक्षाबंधन के पर्व का रिवाज सदियों से चला आ रहा है। हमारे देश में रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है, इसके कारण तो बहुत सारे हैं, लेकिन अब तक किसी एक पर सभी की राय नहीं बन पाई है। जी हां, रक्षाबंधन का त्योहार मनाए जाने के पीछे कई तरह की ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। तो आइए जानते हैं कि आखिर क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन।

रक्षाबंधन से जुड़ी ऐतिहासिक कथाएं

रानी कर्णावती और हुमायूं

कहते हैं कि पुराने जमाने में जब राजपूत लड़ाई पर जाते थे, तब महिलाएं उनकी रक्षा के लिए उनके माथे पर कुमकुम का तिलक और हाथ में रेशमी धागा बांधती थीं। ऐसे ही चितौड़ की रानी कर्णावती और हुमायूं के बीच की कहानी रक्षाबंधन के इतिहास में काफी महत्वपूर्ण है। कहते हैं कि चितौड़ के राजा की विधवा रानी कर्णावती को गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के हमले की सूचना मिली तो उन्होंने अपनी सेना को युद्ध के लिए भेजा। लेकिन जब उन्होंने देखा कि उनकी सेना गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह की सेना से नहीं लड़ पा रही है तो, उन्होंने अपनी प्रजा को बचाने के लिए मुगल बादशाह हुमायूं को खत लिखा। खत के साथ- साथ रानी कर्णावती ने रेशमी धागे की एक राखी भी भेजी। कर्णावती की राखी पाकर हुमायूं ने उन्हें बहन का दर्जा दिया और उनकी रक्षा के लिए चितौड़ आ गए।

रोक्साना और पोरस

300 ईसा पूर्व में जब सिकंदर भारत पर आक्रमण करने आया था। तब उसका सामना पोरस से हुआ था। सिकंदर की पत्नी रोक्साना ने पोरस को राखी बांधी और उससे सिकंदर को ना मारने का वचन लिया। पोरस ने राखी का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवन दान दे दिया।

रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक कथाएं

मां लक्ष्मी और राजा बलि

भगवत पुराण और विष्णु पुराण के आधार पर ये माना जाता है कि राजा बलि ने यज्ञ कर के भगवान विष्णु को प्रसन्न किया था। तब भगवान विष्णु ने वामन रुप धारण कर के राजा बलि से तीन पग जमीन मांगी थी। जिसमें उन्होंने राजा बलि से तीन लोक ले लिया। राजा बलि ने खुशी- खुशी भगवान विष्णु को सब दे दिया और पाताल जाने की बात कही। लेकिन राजा बलि ने विष्णु से एक वरदान मांगा कि वो भी उनके साथ पाताल चले। भगवान विष्णु राजा बलि की ये बात मान गए और पाताल लोक में ही निवास करने लगे। भगवान विष्णु के पाताल लोक चले जाने से मां लक्ष्मी बहुत परेशान हो गई। तभी मां लक्ष्मी एक बूढ़ी महिला का वेष लेकर पाताल लोक गई और वहां जाकर राजा बलि को रक्षासूत्र बांधा और भगवान विष्णु को बैकुंठ वापस ले जाने को कहा। बहन की बात रखने के लिए राजा बलि ने भगवान विष्णु को बैकुंठ भेज दिया।

द्रौपदी और भगवान कृष्ण

कहा जाता है कि महाभारत में भगवान कृष्ण ने शिशुपाल का वध अपने चक्र से किया था। लेकिन शिशुपाल का वध करने के बाद जब चक्र वापस भगवान कृष्ण के पास आया तो उस समय भगवान कृष्ण की उंगली कट गई। उंगली कटने की वजह से खून बहने लगा। यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का किनारा फाड़ कर भगवान कृष्ण की उंगली मे बांधा था। द्रौपदी के ऐसा करने के बाद भगवान कृष्ण ने उनकी रक्षा करने का वचन दिया। इस ऋण को चुकाने के लिए दुःशासन द्वारा चीरहरण करते समय भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की लाज रखी।

निष्कर्ष

भाई- बहन का रिश्ता ऐसा अटूट रिश्ता है, जिसमें झगड़े भी हैं, तो अपार प्यार भी। लड़ना–झगड़ना इस रिश्ते की सबसे खूबसूरत पहलू है। रक्षा-बंधन का त्योहार भाई- बहन के अटूट प्यार की निशानी है। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 26 अगस्त रविवार को मनाया जा रहा है। राखी बांधने का शुभ मूहुर्त इस बार सुबह 5:59 बजे से शाम 5:25 बजे तक बताया गया है।

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