केरल में मनाए जाने वाले ओणम के त्योहार के पीछे क्या है पौराणिक मान्यता, आइए जानते हैं

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Story behind onam festival

भारत विविधताओं का देश है। यहां अलग- अलग जाति, धर्म और समुदाय के लोगों की अपनी अलग-अलग भाषा, रहन- सहन और प्रथाएं-मान्ताएं हैं। यहां हर राज्य की अपनी एक अलग संस्कृति देखने को मिलती है। ऐसे ही भारत का एक राज्य है केरल। जहां की एक अलग संस्कृति आपका मन मोह लेगी। वहीं केरल का एक प्रमुख त्योहार है ओणम। हालांकि ओणम की धूम आपको पूरे देशभर में भी देखने को मिल जाएगी, लेकिन केरल में ये त्योहार बड़े स्तर पर मनाया जाता है। जैसा कि हमारे देश में हर त्योहरों के पीछे कोई ना कोई पौराणिक कथा होती है, तो ऐसे ही केरल में मनाए जाने वाले पर्व ओणम के पीछे भी एक कहानी है। तो आइए जानते हैं कि आखिर केरल में क्यों मनाया जाता है ओणम का त्योहार।

केरल में क्यों मनाया जाता है ओणम

कहा जाता है कि राजा महाबलि केरल के राजा थे। वे अपनी प्रजा से बेहद प्यार थे। कहते हैं उनके राज में जनता बहुत ही खुश थी। दयालु के साथ- साथ वे बड़े ही शूरवीर और पराक्रमी भी थे। उन्होंने अपने पराक्रम के बल पर तीनों लोकों में विजय प्राप्त कर लिया था। इंद्रलोक भी महाबलि के ही अधीन हो गया था।

महाबलि भागवान विष्णु के भक्त थे, इसलिए उन्होंने भगवान विष्णु का आभार व्यक्त करने के लिए एक बार महायज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में भगवान विष्णु भी स्वयं प्रकट हुए, लेकिन वामन अवतार में। भगवान विष्णु के वामन अवतार में होने की वजह से महाबलि उन्हें पहचान नहीं पाए। भगवान विष्णु वामन अवतार में काफी छोटे कद के थे। यज्ञ के दौरान दान के वक्त महाबलि ने वामन से दान में कुछ मांगने को कहा तो वामन ने उनसे 3 पग जमीन मांगी। वामन की बात सुनकर महाबलि ने कहा ‘आप तो इतने छोटे हो, आप 3 पग में कितनी जमीन ले पाएंगे। आप कुछ और मांग लीजिए।‘ लेकिन वामन अपने बात पर डटे रहे।

उनकी हट के आगे महाबलि उन्हें तीन पग जमीन देने को तैयार हो गए। तभी वामन ने 3 पगों में तीनों लोकों को नाप लिया। तभी महाबलि समझ गए कि ये स्वयं भगवान विष्णु हैं। महाबलि भगवान विष्णु को अपना सबकुछ सौंप कर पाताल जाने लगे। लेकिन जाने से पहले उन्होंने साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती पर आने की अनुमति भगवान विष्णु से मांगी। तभी भगवान ने उन्हें साल में एक बार 10 दिनों के लिए धरती पर रहने की अनुमति दे दी।

बस तभी से ऐसी मान्यता है कि केरल में ओणम का पर्व राजा महाबलि के स्वागत में मनाया जाता है।

ओणम में क्या होता है खास

  • केरल में लोग राजा महाबलि के आने की खुशी में अपने घरों को फूलों से सजाते हैं। इन दिनों घर में फूलों की रंगोली बनाई जाती है। इस रंगोली को ‘ओणमपुक्कलम’ कहा जाता है। महिलाएं रंगोली बनाकर इसके बीच एक जलता हुआ दीया भी रखती हैं। महिलाएं घर के आंगन में महाबलि की मिट्टी की बनी त्रिकोणात्मक मूर्ति पर अलग-अलग फूलों से चित्र भी बनाती हैं। ओणम के इस पर्व में फूलों की रंगोली काफी मनमोहक होती है।
  • ओणम में महिलाएं लोक नृत्य भी करती हैं। घरों की औरतें एक जगह इकट्ठा होकर गोल बनाकर सामूहिक नृत्य करती हैं। नृत्य करने की इस परंपरा को ‘थप्पकली’ कहते हैं।
  • दस दिनों के इस पर्व में नौवें दिन घरों में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित की जाती है और इसकी पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं इसी दिन शाम को भगवान गणेश और श्रावण देवता की भी मूर्ति स्थापित की जाती है और इनके समक्ष घी का दीपक जलाया जाता है।
  • ओणम का आखिरी दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, इसदिन केरल के सभी घरों में तरह- तरह के पकवान बनाए जाते हैं। चावल के आटे सब्जियां मिलाकर अवियल बनाया जाता है, केले का हलवा, नारियल की चटनी, खिचड़ी समेत कुल 27 और 64 प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं।
  • ओणम के दौरान पुरुष नौका दौड़ और तैराकी में हिस्सा लेते हैं। साथ ही इस दिन पूरे राज्य में शेर नृत्य, कुचीपुड़ी, गजनृत्य, कुमट्टी काली, पुलीकली तथा कथकली जैसे लोकनृत्य किये जाते हैं।

निष्कर्ष

केरल में ओणम फसल पकने की खुशी में भी मनाया जाता है, इसलिए लोग ओणम में श्रावण देवता की भी पूजा करते हैं। ओणम हस्त नक्षत्र से शुरू होकर श्रवण नक्षत्र तक चलता है। ओणम एक सम्पूर्णता से भरा हुआ त्योहार है। इस साल ओणम 15 अगस्त से शुरू होकर 27 अगस्त तक चलेगा। लेकिन इस बार केरल में आई भयंकर बाढ़ ने ओणम का रंग फीका कर दिया है।

 

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