इनसे पार पा ले तो दुनिया में चलेगा भारतीय अर्थव्यवस्था का सिक्का

[simplicity-save-for-later]
3558
Features of Indian Economy

भारतीय अर्थव्यवस्था इस वक्त दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गई है। भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) बीते साल 2.948 ट्रिलियन डॉलर का हो गया था। यदि क्रय मूल्य शक्ति के मुताबिक देखें तो इस वक्त भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। वहीं कुल जीडीपी की बात की जाए तो अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन के बाद इस वक्त भारत विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अर्थव्यवस्था की विकास की गति ऐसी है कि फ्रांस जैसा ताकतवर देश भी पिछड़ चुका है। अब तो भारतीय अर्थव्यवस्था से अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी जैसी अर्थव्यवस्थाओं को भी कड़ी टक्कर मिल रही है।

आर्थिक गतिविधियां

  • भारत में सार्वजनिक और निजी दोनों सेक्टरों की मौजूदगी है। वर्ष 1991 में उदारीकरण के बाद से यहां अन्य देशों के लिए भी कारखाने और उद्योग-धंधे स्थापित करने के रास्ते खुल गये हैं। जहां निजी सेक्टर में तेजी से प्रगति हो रही है, वहीं रेलवे, रक्षा और सड़क आदि से जुड़े उद्योगों को सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत रखा गया है।
  • प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों तरह से 70 फीसदी ग्रामीण आबादी वाले भारत की अर्थव्यवस्था पर कृषि का प्रभाव है। तभी तो देश का 30 फीसदी जीडीपी कृषि क्षेत्र से ही आता है। कृषि के तहत भारत में अनाज उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन और मत्स्य पालन जैसी चीजें भी शामिल हैं।
  • एक अच्छी चीज ये है कि यहां कृषि और औद्योगिक क्षेत्र के बीच का संतुलन लाजवाब है।
  • वैसे बहुत से क्षेत्र अब भी विकास की बाट जोह रहे हैं या फिर उनमें विकास तो हो चुका है, मगर रफ्तार धीमी है। इसी वजह से इसे उभरती हुई अर्थव्यवस्था कहा जा रहा है।
  • वर्ष 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था के जीडीपी के विकास प्रतिशत को देखें तो यह 7.3 फीसदी था। दुनिया के कई देशों के मुकाबले यह काफी बेहतर है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के आने वाले समय में काफी आगे निकलने की ओर इशारा कर रहा है।
  • अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और फ्रांस जैसी अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत अब भी भारतीय अर्थव्यवस्था में तकनीकों की जगह मानव जनित श्रम की ही अधिकता है। हालांकि, कृषि और उद्योग-धंधों में धीरे-धीरे तकनीकों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जाने लगा है।
  • अमीरों और गरीबों के बीच बन चुकी एक गहरी खाई की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में असमानता का बोलबाला है। देश का 53 फीसदी धन केवल एक प्रतिशत जनसंख्या के पास केंद्रित है।
  • चीन के बाद जनसंख्या के मामले में भारत दूसरा सबसे बड़ा देश है और यहां की आबादी करीब 135 करोड़ को भी पार कर चुकी है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है।

गरीबी

  • दुनिया के एक तिहाई गरीब लोग भारत में है।
  • करीब 30 करोड़ की जनसंख्या गरीबी में जीवन जी रही है, जो कि कुल जनसंख्या का करीब 27.5 फीसदी है।
  • गरीबी के मामले में ओडिशा अव्वल नंबर पर है, जहां 46 फीसदी जनसंख्या गरीबी में जीवन-यापन कर रही है।
  • रंगराजन समिति ने गांवों में रोजाना 32 रुपये खर्च करने वालों और कस्बों व शहरों में रोजाना 47 रुपये खर्च करने वालों को गरीब नहीं माना है।
  • रंगराजन समिति ने भारत की 29.5 फीसदी जनसंख्या को गरीबी रेखा से नीचे जिंदगी गुजर-बसर करते बताया है, जबकि 2009-10 में तेंडुलकर समिति ने इसे 21.9 फीसदी बताया था।

बेरोजगारी

  • भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक बेरोजगारी भी है।
  • देश की लगभग 135 करोड़ की आबादी में से करीब 60 फीसदी काम करने लायक यानी कि युवा हैं, मगर सभी को रोजगार नसीब नहीं है।
  • भारत में वर्ष 2017 में लगभग 1.77 करोड़ लोग बेरोजगार थे।
  • हाल ही में नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस की ओर से जारी सर्वे रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2017-18 के दौरान भारत में बेरोजगारी दर बीते 45 वर्षों में सबसे अधिक रही।

मानव विकास रिपोर्ट

  • किसी देश में इंसान के रहने के लिए स्थिति कितनी अनुकूल है, इसके आधार पर मानव विकास सूचकांक या मानव विकास रिपोर्ट भी आती रहती है।
  • भारत में मानव विकास सूचकांक मूल्य वर्ष 1980 में 0.369 से बढ़कर वर्ष 2013 में 0.586 हो गया।
  • इस तरह से औसत वार्षिक वृद्धि करीब 1.41 प्रतिशत की रही।
  • वर्ष 2018 में जन्म के समय भारत में औसत जीवन प्रत्याशा 68.8 वर्ष रही है।
  • सकल राष्ट्रीय आय 6,353 रुपए की रही है।
  • वर्ष 1990 की शुरुआत के वक्त 0.427 से मानव विकास सूचकांक मान वर्ष 2018 में 0.640 तक पहुंच गया है, जिसे सकारात्मक कहा जा सकता है।

गरीबी उन्मूलन के लिए कदम

  • समृद्धि लाने से ही गरीबी जायेगी, जिसके लिए अर्थव्यवस्था को गति देने की जरूरत है।
  • रोजगार सृजन कार्यक्रम, आवास योजना और आय समर्थन कार्यक्रमों के जरिये सरकार ने गरीबी उन्मूलन की दिशा में कदम उठाये हैं। प्रधानमंत्री जन धन योजना इसी प्रकार का एक कार्यक्रम है।
  • किसान विकास पत्र जमाकर्ताओं के पैसे 100 माह में दोगुने कर देता है।
  • दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना से गांवों तक निर्बाध बिजली आपूर्ति संभव हो सकी है।
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम से भी गरीबों के आय को बढ़ाने में मदद मिली है।
  • इंदिरा आवास योजना से ग्रामीण क्षेत्र में आवास सुविधाएं बेहतर हो सकी हैं और इसके जरिये घर बनाने में असमर्थ लोगों को सस्ती दरों पर ऋण मिलना मुमकिन हुआ है।
  • एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम के माध्यम से कौशल विकास करते हुए गरीबों को रोजगार मुहैया कराकर उनका जीवन स्तर सुधारने का प्रयास चल रहा है।
  • ग्रामीण श्रम रोजगार गारंटी कार्यक्रम, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम, शहरी गरीबों के लिये स्वरोजगार कार्यक्रम, राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना एवं राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजना आदि के जरिये भी गरीबी उन्मूलन के प्रयास किये जा रहे हैं।

निष्कर्ष

निश्चित तौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने सबसे बड़ी चुनौती गरीबी और उसके बाद बेरोजगारी है। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को यदि और गंभीरता से लागू किया जाए, तो इनका उन्मूलन संभव है। आप भारतीय अर्थव्यवस्था को और गति देने के लिए क्या सुझाव देंगे?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.