वर्ष 2011 का भूकंप: भारत, नेपाल और तिब्बत का हुआ था जब तबाही से सामना

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Earthquake in India की जब भी बात होती है, तो 18 सितंबर, 2011 को भारत नेपाल और तिब्बत में आए इस भूकंप की याद आ ही जाती है, जिसमें जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ था। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.8 मापी गई थी। भारत के साथ नेपाल, भूटान, तिब्बत और बांग्लादेश में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।

इस लेख में आपके लिए है:

  • क्या हुआ था उस दिन?
  • Earthquake of 2011: दो दशकों में उत्तर पूर्व का सबसे बड़ा भूकंप
  • नेपाल व तिब्बत को भी पहुंचा था बड़ा नुकसान
  • Earthquake of 2011: भारत में प्रभाव
  • ऑपरेशन मदद की भूमिका

क्या हुआ था उस दिन?

  • भूकंप जिस दिन आया था, वह रविवार का दिन था। नेपाल की राजधानी काठमांडू में ब्रितानी दूतावास की दीवार भी गिर गई थी। इसमें 3 लोग मारे गए थे।
  • सिक्किम की राजधानी गंगटोक से लगभग 60 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित मंगन में इसका केंद्र पाया गया था। हालांकि, भूकंप के झटके राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, बिहार, पश्चिमी बंगाल, त्रिपुरा, असम, मेघालय, राजस्थान, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और झारखंड में भी महसूस किए गए थे।
  • बताया जाता है कि भूकंप में 66 लोगों की मौत हो गई थी। सौ भी अधिक लोग इसमें घायल हुए थे।
  • भूकंप शाम के वक्त आया था और अंधेरा घिर जाने की वजह से तब राहत और बचाव कार्य में भी खासी मुश्किलें हुई थीं। टेलीफोन व्यवस्था तक ठप हो गई थी, जिसकी वजह से सुदूरवर्ती इलाकों से कोई सूचना तक प्राप्त नहीं हो पा रही थी।
  • जलपाईगुड़ी से सिक्किम की राजधानी गंगटोक को जो सड़क जाती है, उसमें कई जगह दरार उभर आई थीं, तो कई जगह यह ध्वस्त भी हो गया था।

Earthquake of 2011: दो दशकों में उत्तर पूर्व का सबसे बड़ा भूकंप

  • Himalayan plates में उथल-पुथल की वजह से वर्ष 2011 में जो यह भूकंप आया था, इसे पिछले दो दशकों में उत्तर-पूर्व के सबसे बड़े भूकंप के रूप में रिकॉर्ड किया गया था। शाम के वक्त लगभग 6:15 बजे इस भूकंप के आने के बाद 10 से 15 सेकंड तक इसके झटके महसूस किए गए थे।
  • सिक्किम के भू-विज्ञान विभाग के तत्कालीन सचिव शैलेश नायक ने बीबीसी के साथ बातचीत में बताया था कि सिक्किम के कई इलाके ऐसे थे, जहां 30 सेकंड से लेकर 1 मिनट तक भी भूकंप के झटके महसूस होते रहे थे। इसके बाद और भी कई झटके सिक्किम में तब महसूस किए गए थे।
  • सिक्किम के तत्कालीन मुख्य सचिव कर्मा ज्ञात्सो ने तब बताया था कि सिक्किम में हो रही तेज बारिश के कारण राहत और बचाव कार्य के लिए सेना की मदद ली गई थी। बिजली और टेलीफोन व्यवस्था राज्य में पूरी तरीके से ठप हो गई थी और जगह-जगह भूस्खलन होने की वजह से सड़कें भी बंद हो गई थीं।
  • बिहार के तत्कालीन डीजीपी अभयानंद ने भी राज्य में भूकंप से हुए नुकसान की जानकारी देते हुए बताया था कि नालंदा जिले में स्थित हरनौद गांव में एक घर की दीवार ढह गई थी, जिसके नीचे दबकर एक बच्ची की मौत हो गई थी। इसके अलावा तरोनी गांव में भी भूकंप की वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
  • सिक्किम की राजधानी गंगटोक एवं पश्चिम बंगाल के शहर दार्जिलिंग में कई ऊंची इमारतों में जबरदस्त दरारें पड़ गई थीं। कई इमारतों के शीशे भी टूट गए थे और बड़ी संख्या में लोग घबरा कर अपने घर से बाहर निकल गए थे।
  • पेंगोंग में भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की दो इमारतों को भी तब नुकसान पहुंचा था।

नेपाल व तिब्बत को भी पहुंचा था बड़ा नुकसान

  • Earthquake of 2011 ने नेपाल में भी काफी तबाही मचाई थी। भूकंप की वजह से नेपाल में लगभग 20 लोगों के मारे जाने की खबर तब सामने आई थी। बहुत से लोग नेपाल में घायल भी हो गए थे।
  • भूकंप आने के बाद इमारतों से बहुत से लोग कूद गए थे, जिसकी वजह से भी वे घायल हुए थे।
  • तिब्बत को भी इस भूकंप की वजह से तब व्यापक पैमाने पर नुकसान झेलना पड़ा था।
  • चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के हवाले से यह खबर दी गई थी कि यादोंग काउंटी में भूकंप की वजह से सैकड़ों स्थानों पर भूस्खलन हुआ था। इसकी वजह से ट्रैफिक ठहर गया था और जरूरी सामान की आपूर्ति भी बाधित हो गई थी।
  • सड़कों को साफ करने के लिए भारी मशीनें भी भेजी गई थीं। इसके साथ राहत सामग्री और कर्मचारी भी भेजे गए थे।

Earthquake of 2011: भारत में प्रभाव

  • Himalayan plates में हुए बदलाव की वजह से पश्चिमी बंगाल का जलपाईगुड़ी कुछ समय के लिए संचार व्यवस्था की दृष्टि से देश से कट गया था।
  • बिहार की राजधानी पटना के साथ बिहार के दरभंगा, नवादा, समस्तीपुर, मधुबनी और मुंगेर आदि जिलों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
  • पड़ोसी राज्य झारखंड के गिरिडीह और साहिबगंज जिले में भी लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए थे।
  • इन सबके अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान भी भूकंप के झटकों से अछूते नहीं रह गए थे।

ऑपरेशन मदद की भूमिका

  • सिक्किम में भूकंप आने के बाद राहत व बचाव कार्य तेजी से शुरू कर दिए गए थे। सेना ने इसे ऑपरेशन मदद का नाम दिया था।
  • लगभग 6000 से भी अधिक पुलिसकर्मी और सैनिक राहत के कार्य में लगा दिए गए थे। दूर-दराज के गांव जो मुख्य मार्गों से कट गए थे, वहां राहत पहुंचाने के लिए सेना के जांबाज सिपाहियों ने एड़ी-चोटी एक कर दी थी।
  • भारत तिब्बत सीमा पुलिस की भी राहत कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। भूकंप के बाद दो दर्जन विदेशी सैलानियों के साथ 300 से भी अधिक गांव वालों को सिक्किम के प्रभावित इलाकों से सुरक्षित बाहर निकाला गया था।

निष्कर्ष

Earthquake in India का लंबा इतिहास रहा है, लेकिन वर्ष 2011 में जो भूकंप आया था, उसने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के साथ नेपाल और तिब्बत में जो तबाही मचाई थी, उसकी वजह से उसकी यादें आज भी लोगों के शरीर में सिहरन पैदा कर देती हैं। हालांकि, इसके बाद साल 2015 में नेपाल में इससे भी विनाशकारी भूकंप आया था, जिसकी वजह से भारत के इस पड़ोसी मुल्क में बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान हुआ था।

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