Global Climate Risk Index 2021, जिसे कि हाल ही में जारी किया गया है, इसमें जलवायु परिवर्तन की मार जिन देश ने 2019 में सबसे अधिक झेली है, उन देशों की सूची में भारत को सातवां स्थान मिला है। इसे वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक के नाम से भी जानते हैं। इस लेख में हम आपको Global Climate Risk Index 2021 के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।
इस लेख में आप जानेंगे:
- क्या है Global Climate Risk Index?
- Global Climate Risk Index 2021 एकं नजर में
- Global Climate Risk Index 2021 में भारत की स्थिति
क्या है Global Climate Risk Index?
- जर्मनी का एक गैर सरकारी संगठन जर्मनवाच, जिसका मुख्यालय जर्मनी के बान में स्थित है, यह वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक को जारी करता है। इसमें मौसम से जुड़ी घटनाओं जैसे कि बाढ़, सूखा, लहरें, ताप और तूफान आदि के असर को कम करने में दुनिया के अलग-अलग देशों की क्षमता कितनी है, इसका विश्लेषण किया जाता है। यही नहीं, इन सभी का इन देशों में जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ा है और इससे प्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान कितना रहा है, इन सभी का भी विश्लेषण इसमें होता है।
- वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक को सरल शब्दों में परिभाषित करें तो इसका मतलब यह होता है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से दुनिया का कौन-सा देश इस वक्त कितने खतरे में है, इसकी ओर यह इशारा करता है। जलवायु परिवर्तन की वजह से जो खतरा दुनिया के कई देशों के लिए उत्पन्न हो गया है, इस मामले में भारत की स्थिति जानकर आपको हैरानी होगी, क्योंकि हमारा देश इन देशों की सूची में शीर्ष 10 में शामिल है।
- Global Climate Risk Index इस तरह से इन देशों को आगाह करता है कि निकट भविष्य में उन्हें पर्यावरण से जुड़ीं विनाशकारी घटनाओं और आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है, जिनसे निबटने लिए उन्हें अभी से अपनी तैयारी कर लेनी चाहिए।
Global Climate Risk Index 2021 एक नजर में
- इस साल जो सूचकांक जारी किया गया है, यह इसका 16वां अंक है। वर्ष 2019 के अलावा वर्ष 2000 से 2019 के दौरान के जलवायु और पर्यावरण आपदाओं संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण इसमें दिखाया गया है।
- वर्ष 2019 में जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक असर मोजाम्बिक पर पड़ा है। यह अफ्रीकी देश इस सूची में पहले स्थान पर मौजूद है। जिंबाब्वे और बहामास जैसे देशों पर भी जलवायु में हुए बदलावों का खासा असर पड़ा है, क्योंकि ये दोनों देश क्रमशः इस सूची में दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
- वर्ष 2019 में जलवायु परिवर्तन की वजह से सर्वाधिक प्रभावित हुए देशों में चौथे स्थान पर जापान और पांचवें स्थान पर मलावी है। अफगानिस्तान को इस सूची में छठा स्थान मिला है, जबकि भारत सातवें स्थान पर है। सूची में दक्षिण सूडान आठवें स्थान पर, नाइजर नौवें स्थान पर और बोलिविया दसवें स्थान पर है।
- वहीं वर्ष 2000 से 2019 के दौरान सबसे अधिक प्रभावित 10 देशों की बात करें, तो इस सूची में सबसे पहले स्थान पर प्यूरिटो रिको और दूसरे स्थान पर म्यामार है। इस सूची में तीसरा स्थान हैती, चौथा स्थान फिलीपींस और पांचवां स्थान मोजांबिक को मिला है। बहामास इस सूची में छठे स्थान पर, भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश और पाकिस्तान का क्रमशः सातवें और आठवें स्थान पर, जबकि थाईलैंड नौवें और नेपाल 10वें स्थान पर है।
- अफ्रीकी देश मोजांबिक, जो इस सूची में पहले स्थान पर है, यहां जलवायु से संबंधित आपदाओं की वजह से वर्ष 2019 में 700 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। वहीं, दूसरे स्थान पर मौजूद जिंबाब्वे में इन आपदाओं की वजह से 347 लोगों की मौत हो गई।
- इंडेक्स में बताया गया है कि वर्ष 2000 से 2019 के दौरान जलवायु संबंधी आपदाओं की संख्या 11 हजार से भी अधिक रही, जिनमें 4 लाख 75 हजार से भी अधिक लोग काल के गाल में समा गए। इंडेक्स के मुताबिक इस दौरान हुआ नुकसान 2 लाख 56 हजार करोड़ डॉलर यानी कि 1 करोड़ 86 लाख 63 हजार 40 करोड़ रुपये का रहा।
Global Climate Risk Index 2021 में भारत की स्थिति
- वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक 2021 में 7वें पायदान पर मौजूद भारत पिछले साल जारी किये गए इंडेक्स में 5वें स्थान पर मौजूद था। इस तरह से इस बार भारत की स्थिति में थोड़ा सुधार देखने के लिए मिला है।
- इंडेक्स बताता है कि वर्ष 2019 के दौरान भारत में जलवायु से संबंधित आपदाओं की वजह से 2 हजार 267 लोगों की मौत हो गई थी। इंडेक्स के अनुसार आर्थिक नुकसान 6 हजार 881.2 करोड़ डालर यानी कि 5 लाख 1 हजार 659 करोड़ रुपये का रहा था।
- इंडेक्स में जो सबसे ज्यादा 10 देश प्रभावित दिखाए गए हैं, इन सभी देशों में सबसे अधिक नुकसान भारत को ही झेलना पड़ा था। वर्ष 2019 में मानसून का असर सामान्य से एक महीना अधिक रहा था।
- जून से सितंबर के तक यहां औसत से 110 फ़ीसदी बारिश ज्यादा हुई थी। वर्ष 1994 के बाद से यह सबसे अधिक रहा था। इसी वजह से इस वर्ष भारत के 14 से भी अधिक राज्य बाढ़ की चपेट में आ गए थे, जिसके कारण 1800 से भी अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी और 18 लाख से भी अधिक लोगों को पलायन करना पड़ा था।
- वर्ष 2019 में उत्तरी हिंद महासागर में आठ उष्णकटिबंधीय चक्रवात आए थे। चक्रवात के मामले में वर्ष 2019 सबसे ज्यादा सक्रिय रहा था। आठ में से छः उष्णकटिबंधीय चक्रवात बेहद गंभीर श्रेणी के रहे थे। सबसे ज्यादा विनाशकारी इन सब में ‘फानी’ रहा था, जिसकी वजह से भारत और बांग्लादेश में 90 लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे थे और 2 करोड़ 80 लाख लोग इससे प्रभावित हुए थे।
- मानसून की वजह से पूरे देश में 1 करोड़ 18 लाख से भी अधिक लोग प्रभावित हुए थे और देश को 1000 करोड़ यानी कि 72 हजार 902.5 करोड़ रुपये से भी अधिक का नुकसान सहना पड़ा था।
चलते-चलते
Global Climate Risk Index 2021 ने जलवायु परिवर्तन की वजह से संभावित खतरों के प्रति भारत के साथ अन्य संवेदनशील देशों को भी आगाह कर दिया है। ऐसे में वक्त रहते इन सभी देशों को अपनी तैयारी कर लेनी चाहिए, ताकि भविष्य में बड़े पैमाने पर जानमाल के नुकसान से बचा जा सके।