Elections in India: लोकसभा से लेकर राज्यसभा तक चुनाव का पूरा गणित

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Elections in India


सियासत और राजनीति के क्षितिज में एक पहलू साफ़ तौर पर नज़र आता है. वो है ‘चुनाव’. इस देश की राजनीति के लिए चुनाव का उतना ही महत्त्व है. जितना एक भूखे के लिए रोटी. हो भी क्यों ना? भारत एक लोकतांत्रिक देश है. इस देश की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए चुनाव होना बहुत ज़रूरी है.

देश में सरकार का गठन लोगों के द्वारा ही किया जाता है. सरकार का काम भी लोगों के लिए ही होता है. लेकिन क्या आपको मालुम है कि देश में चुनाव कितने प्रकार के होते हैं? या फिर यूं कहें कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव को छोड़कर और कितने महत्वपूर्ण चुनाव इस देश  में होते हैं? क्या आपको इस देश के चुनावी संघीय ढ़ांचा के बारे में जानकारी है?

आज आपको इस लेख में भारत गणराज्य के चुनावी प्रक्रिया के बारे में ही जानकारी दी जायेगी.

इस लेख के मुख्य बिंदु

  • चुनाव को लेकर बेसिक जानकारी
  • भारत में सरकार की संरचना (Government structure in India)
  • भारत की सियासत के प्रमुख चुनाव (Types of elections in India)
  • ऐसे होता है लोकसभा चुनाव
  • सरकार बनाने के लिए अधिकतम कितनी सीटों की जरूरत होती है?
  • इस वजह से हो सकती है लोकसभा की सीट खाली
  • लोकसभा सदस्य बनने की योग्यता
  • विधानसभा चुनाव (Vidhan sabha election)
  • विधायक पद के लिए प्रमुख योग्यता
  • अब जानते हैं कैसे चुने जाते हैं राज्यसभा के सदस्य?
  • राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग का तरीका
  • यह होता है फॉर्मूला
  • क्या है हेयर फ़ॉर्मूला?

चुनाव को लेकर बेसिक जानकारी-

  • भारत में राज्य और केंद्र सरकार के गठन के लिए हर 5 साल में चुनाव होते हैं. इन चुनावों में बहुमत के आधार पर सरकारों का गठन किया जाता है.
  • राज्यों में सरकार के गठन के लिए होने वाले चुनाव को विधानसभा चुनाव कहते हैं.
  • देश में सरकार के गठन के लिए होने वाले चुनाव को लोकसभा चुनाव कहा जाता है.
  • विधानसभा में चयनित प्रतिनिधियों को विधायक अथवा लोकसभा में चयनित प्रतिनिधियों को सांसद कहा जाता है.

भारत में सरकार के गठन के लिए होने वाले चुनाव को समझने से पहले हम एक नज़र भारतीय सरकार की सरंचना पर भी डाल लेते हैं.

भारत में सरकार की संरचना (Government structure in India)

भारत में देश को चलाने के लिए केंद्र सरकार का गठन होता है. इसी के साथ अलग-अलग राज्यों को चलाने के लिए उनकी अपनी राज्य सरकार भी होती है. अब हम केंद्र और राज्य सरकारों के प्रमुख स्तम्भ के बारे में समझने की कोशिश करते हैं.

केंद्र सरकार की संरचना-

  • भारत सरकार के मुख्यतः तीन स्तंभ हैं. इन तीनों स्तंभ की अपनी-अपनी उपयोगिता है.
  • एग्जीक्यूटिव – देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और कैबिनेट मिनिस्टर्स एग्जीक्यूटिव अंतर्गत ही आते हैं. इनका काम देश की संसद में बने कानूनों को पास करना होता है.
  • विधान मंडल- लोकसभा, राज्यसभा और प्रधानमंत्री इसके अंतर्गत आते हैं. इनका काम देश के हित के लिए क़ानून बनाना होता है.
  • ज्यूडीशरी – ज्यूडीशरी का काम एग्जीक्यूटिव और लेजिस्लेचर के बीच समंव्यय स्थापित करना होता है. इसके साथ ही साथ ये देश के कानून व्यवस्था का भी ख्याल रखती है.

राज्य सरकार की सरंचना-

आपको बता दें कि केंद्र सरकार की ही तरह राज्य सरकार की भी अपनी एक व्यवस्था है. इसी व्यवस्था के अंतर्गत विभिन्न प्रदेशों की राज्य सरकारें काम करती हैं. आइये एक नजर राज्य सरकारों के प्रमुख स्तंभों पर भी डाल लेते हैं.

  • विधानसभा- पहला स्तंभ होती है विधानसभा. इसके अंतर्गत विधानसभा चुनाव में चुने गये वो सभी विधायक आते हैं. जिनको जनता द्वारा विधानसभा चुनाव में मतदान के द्वारा चुना गया है.
  • गवर्नर – प्रत्येक राज्य में गवर्नर को देश के राष्ट्रपति द्वारा चुना जाता है.
  • विधान परिषद् – देश के 7 राज्यों में विधान परिषद हैं. ये राज्य हैं : उत्तरप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, जम्मू- कश्मीर, आसाम, आन्ध्र प्रदेश और कर्णाटक है. विधान परिषद के सदस्यों को एमएलसी कहा जाता है.

केंद्र शासित प्रदेश की रूपरेखा-

  • इनकी संख्या 7 है.
  • इन केन्द्रशासित प्रदेशों के नाम है : दिल्ली, पांडिचेरी, दमन और दिउ, दादरा और नागर, चंडीगढ़, लक्षद्वीप तथा अंडमान- निकोबार है.
  • दिल्ली और पोंडिचेरी को आंशिक रूप से राज्य का दर्जा मिला हुआ है. इन केंद्र शासित प्रदेशों के निर्वाचित मुख्यमंत्री होते हैं. अगर किसी विशेष परिस्थिति में मुख्यमंत्री की मौजूदगी नहीं रहती है तो राज्य का कार्यभार लेफ्टिनेंट गवर्नर संभालते हैं.
  • इन दोनों प्रदेशों के अलावा बाकी सभी केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्र सरकार के द्वारा चलाया जाता है. इन प्रदेशों को सही ढ़ंग से चलाने के लिए भारत के राष्ट्रपति के द्वारा किसी आईएएस अथवा सांसद की नियुक्ति की जाती है.

पंचायत राज की व्यवस्था-

  • भारतीय लोकतंत्र की सबसे छोटी ईकाई व्यवस्था को पंचायत राज कहा जाता है. इसके अंतर्गत तीन मुख्य भाग आते हैं.
  • ग्राम पंचायत
  • तालुका अथवा तहसील
  • ज़िला पंचायत
  • सरपंच ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है.

भारत की सियासत के प्रमुख चुनाव (Types of elections in India)

यहां प्रमुख शब्द के उपयोग से आपको ऐतराज हो सकता है. इसके पीछे का कारण ये है कि चुनाव तो कॉलेज की राजनीति का भी प्रमुख ही होता है. भारत की सियासत को कॉलेज की राजनीति ने कई बड़े राजनेता दिए हैं. उस पर हम फिर कभी विस्तार से बात करेंगे. आज पहले बात करते हैं. इस देश के दो मुख्य चुनाव की- 1. लोकसभा चुनाव और 2. विधानसभा चुनाव

ऐसे होता है लोकसभा चुनाव-

 भारत की संसद को ही लोकसभा कहा जाता है. इस संसद में जो जनता के द्वारा चुनकर आते हैं उन्हें सांसद कहा जाता है. लोकसभा का चुनाव डायरेक्ट होता है. इसके चुनाव में सीधे तौर पर देश की जनता की हिस्सेदारी होती है. आपको अवगत करा दें कि 1947 से अब तक 16 बार लोकसभा का गठन हो चुका है.

  • लोकसभा के क्षेत्र निर्धारित रहते हैं. जहाँ से कई पार्टियों और गठबंधनो के उम्मीदवार खड़े होते हैं. हर एक सीट से एक उम्मीदवार जीतकर संसद पहुँचता है.
  • सांसद को 5 सालों के लिए चुना जाता है.
  • हर 5 सालों के अंतराल में लोकसभा चुनाव होता है.
  • लोकसभा में 552 सीटें होती हैं.
  • इन 552 सीटों में से 530 सीटों के प्रतिनिधि देश के विभिन्न प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते है.
  • बाकी सीटों को केंद्र शासित प्रदेश और राष्ट्रपति के द्वारा नामित सदस्यों से भरा जाता है.
  • आज के दौर में लोकसभा में 545 सीटें हैं. जिनमे से 2 सीटों को एंग्लो भारतीय समुदाय के लिए आरक्षित किया गया है.

सरकार बनाने के लिए अधिकतम कितनी सीटों की जरूरत होती है?

किसी भी पार्टी को देश में सरकार बनाने के लिए लोकसभा की आधी से ज्यादा सीटों पर जीत चाहिए होती है. इस समय बहुमत का आंकड़ा 273 सीटों का है.

  • इसी के साथ संसद के नियमों के अनुसार बड़ी  विपक्षी पार्टी बनने के लिए कुल सीटों का 10 फीसदी यानी 55 सीटें होनी चाहिए.

इस वजह से हो सकती है लोकसभा की सीट खाली-

  • अगर सांसद अपना इस्तीफ़ा स्पीकर को दे दे.
  • अगर सांसद बिना किसी नोटिस के 60 दिनों तक सदन से अनुपस्थित रहे.
  • ‘दलबदल विरोधी कानून’ के तहत अगर सांसद पार्टी बदल लेता है तो उस सीट को खाली कर दिया जाता है.
  • अगर सांसद की मृत्यु हो जाती है.

लोकसभा सदस्य बनने की योग्यता-

  • भारत का नागरिक होने के साथ ही साथ 25 वर्ष या उससे अधिक की आयु होनी चाहिए.
  • किसी भी तरह का क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए.
  • देश के किसी भी हिस्से की मतदाता सूची में नाम होना चाहिए.

विधानसभा चुनाव (Vidhan sabha election)

विधानसभा कहिये या वैधानिक सभा या फिर कई राज्यों में तो इन्हें निचला सदन या सोल हाउस भी कहा जाता है. 7 द्विसदनीय राज्यों में उपरी सदन को विधानपरिषद कहा जाता है.

  • विधानसभा के सदस्य राज्यों की जनता के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते हैं. क्योंकि सदन के सदस्यों का चुनाव जनता के द्वारा ही होता है. जिस भी राज्य में विधानसभा का चुनाव होता है. वहां के 18 वर्ष के ऊपर के लोग अपने मतों का प्रयोग करके सदस्यों को चुनते हैं.
  • लोकसभा की ही तरह विधानसभा का भी चुनाव निर्वाचन आयोग की देख रेख में हर 5 सालों के अंतराल में अलग-अलग राज्यों का अलग-अलग चुनाव होता है.
  • भारत के संविधान के द्वारा इसके अधिकतम आकार को निर्धारित किया गया है जिसमें 500 से अधिक व् 60 से कम सदस्य नहीं हो सकते हैं.
  • हालाँकि विधान सभा का आकार 60 सदस्यों से कम हो सकता है.

विधायक पद के लिए प्रमुख योग्यता-

  • विद्यायक का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार की आयु कम से कम 25 वर्ष की होनी ही चाहिए.
  • उम्मीदवार के खिलाफ कोई भी अपराधिक मामला दर्ज नहीं होना चाहिए.
  • मानसिक तौर पर स्वस्थ होना चाहिए.
  • भारतीय नागरिक होने के साथ ही साथ मतदान की लिस्ट में भी नाम होना अनिवार्य है.

अब जानते हैं कैसे चुने जाते हैं राज्यसभा के सदस्य?

  • राज्यसभा भारतीय संसद की ऊपरी और स्थायी सदन है. स्थायी इसलिए है क्योंकि ये कभी भंग नहीं होती है.
  • राज्यसभा में 245 सदस्य होते हैं. जिनमे से 12 को राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाता है. यानी 233 सदस्य चुनकर आते हैं.
  • हर राज्यसभा सांसद का कार्यकाल 6 सालों का होता है.
  • हर दो सालों में एक तिहाई सीटों के लिए मतदान होता है.
  • राज्यसभा के सभापति उपराष्ट्रपति होते हैं.

प्रत्यक्ष नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष तरीके से होते हैं राज्यसभा के चुनाव-

जैसा कि इसके पहले हमने लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बारे में जाना था. वो डायरेक्ट इलेक्शन होते हैं. जहाँ पर जनता सीधे तौर पर वोटिंग करते हुए अपने प्रतिनिधि को चुनती है. लेकिन राज्यसभा के चुनाव में सीन पूरा पलट जाता है. ये चुनाव अप्रत्यक्ष होते हैं. यहां जनता नहीं बल्कि जनता के द्वारा चुने गये विधायक वोटिंग करते हुए राज्यसभा के सांसदों का चुनाव करते हैं.

  • चुनाव में जनता की अप्रत्यक्ष भागीदारी होती है.
  • हर राज्य को कितनी सीटें दी जाएँगी ये उसकी जनसंख्या पर डिपेंड करता है. जिन राज्यों की जनसंख्या अधिक होती है. वहां की राज्यसभा सीटें भी अधिक रहती हैं.
  • इसी के साथ राज्य के छोटे-बड़े होने पर भी इन सीटों पर फर्क पड़ता है.

राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग का तरीका-

  • हर चुनाव की कुछ ना कुछ विशेषता होती है. इस चुनाव की ख़ास बात ये है कि इस चुनाव में विधायक हर सीट के लिए अलग-अलग वोट नहीं डाल सकते हैं.
  • क्योंकि अगर ऐसा होता तो हर सीट पर सत्तारूढ़ पार्टी की ही जीत हो जाती.
  • वोटिंग के समय प्रत्येक विधायक को एक लिस्ट दी जाती है. इस लिस्ट में हर विधायक को राज्यसभा चुनाव के लिए अपनी पहली, दूसरी और तीसरी पसंद लिखना पड़ता है.
  • जब ये प्रक्रिया हो जाती है. तो उसके बाद एक विशेष सूत्र की मदद से ये तय किया जाता है कि कौन सा प्रत्याशी जीता है.

यह होता है फॉर्मूला-

  • राज्य की कुल विधानसभा सीटों में जितनी सीटों पर राज्यसभा चुनाव होना है उससे एक अधिक से भाग देते हैं और जो फल आता है उसमें एक जोड़ देते हैं.
  • उदाहरण के लिए समझते हैं. मान लीजिये किसी राज्य में कुल विधानसभा सीट 400 हैं. इसी के साथ उस राज्य में 3 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. तो फिर 400 को 4 से भाग देंगे जिसका नतीजा 100 आएगा. उसमें 1 जोड़ देंगे. यानी जो प्रत्याशी 101 मूल्य का वोट पा जायेगा. वही विजेता होगा.

क्या है हेयर फ़ॉर्मूला?

आपको बता दें कि राज्यसभा चुनाव में उपयोग किये जाने वाले फ़ॉर्मूला को ही हेयर फ़ॉर्मूला कहा जाता है.

  • इस फ़ॉर्मूला को हेयर फ़ॉर्मूला इसलिए कहा जाता है क्योंकि 1857 में ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थॉमस हेयर ने इसे तैयार किया था.
  • भारत में इस फ़ॉर्मूला का उपयोग राज्यसभा के चुनाव के अलावा राष्ट्रपति के चुनाव और विधानपरिषद के सदस्य को चुनने के लिए किया जाता है.
  • भारत के अलावा अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में हेयर फ़ॉर्मूला का उपयोग किया जाता है.

सरांश-

 किताब ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ में रामचंद गुहा ने लिखा है कि देश का पहला आम चुनाव यानी लोकसभा चुनाव, बाकी बातों के अलावा जनता का विश्वास हासिल करने की भी जंग था. साल 1952 में भारत के पहले आम चुनाव हुए थे. वो घटना ना सिर्फ इस देश के लिए बड़ी थी बल्कि उस घटना के ऊपर पूरे विश्व की नज़र टिकी हुई थी. इसके पीछे का रीजन साफ़ था कि भारत ने सदियों तक राजशाही देखी थी. तब यहां का शिक्षा का स्तर भी मात्र 20 प्रतीशत ही था. ऐसे में विश्व की निगाह इस बात पर टिकी थी कि बरसों राजशाही वाला देश जब लोकतंत्र बनेगा तो क्या फैसला लेगा? भारत ने अपने कई फैसलों की छाप विश्व के ऐतिहासिक पटल पर छोड़ी है. उसी में से एक था इस देश का पहला लोकसभा चुनाव. एक बात और ख़ास थी वो ये कि भारत के गणतंत्र बनने के एक दिन पहले ही इस देश के चुनाव आयोग का गठन किया गया था. इसी के साथ सुकुमार सेन को पहला मुख्य चुनाव आयुक्त चुना गया था.

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