Nehru’s Legacy: गर्व करना इसलिए है जरूरी

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Nehru's Foreign Policy

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री Jawaharlal Nehru का birthday 14 नवंबर को है। इसी दिन 1889 में चाचा नेहरु के नाम से भी लोकप्रिय इस महापुरुष का जन्म हुआ था। आजादी के बाद देश को विकास के रास्ते पर ले जाने में Nehru’s legacy की आखिर क्या भूमिका रही है, इस लेख में हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं।

खींचा विकास का खाका

अंग्रेजी हुकूमत के दौरान सोने की चिड़ियां कहे जाने वाले भारत को इस कदर लूटा गया कि यह एक तरह से खोखला ही हो गया था। आर्थिक स्वावलंबन का महत्वपूर्ण सवाल देश के समक्ष खड़ा हो गया था, जिस वक्त अंग्रेजों की दासता से भारत को मुक्ति मिली थी। देश की स्थिति ऐसी हो गई थी कि अपने दम पर यह सुई का उत्पादन तक कर पाने की हालत में नहीं था। ब्रिटेन और यूरोप से ही हर चीज का आयात करना पड़ रहा था। गरीबी और भुखमरी ने तो हर ओर अपने पांव पसारे हुए थे। शिक्षा की तो बात ही करना बेमानी है, क्योंकि देश की आबादी के केवल कुछ ही हिस्से की झोली में यह आ पा रही थी। ऐसे में अवसर की भी भारी कमी थी। नेहरु ने जब प्रधानमंत्री पद की जिम्मेवारी संभाली तो संसाधनों और सेना तक के अभाव की वजह से उनके लिए देश को विकास के पथ पर ले जाना आसान नहीं था, फिर भी अपनी सूझबूझ से उन्होंने देश के विकास का जो खाका खींचा, वह मिसाल बन गया।

यूं सुधारे हालात

सबसे पहले तो नेहरु ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए पहल की। इसके बाद उन्होंने विनिर्माण उद्योगों को बढ़ावा देना शुरू किया। Manufacturing Sector को प्रोत्साहित करने की वजह से लघु और कुटीर उद्योग विकसित हुए। धीरे-धीरे बड़े उद्योगों की भी नींव पड़ने लगी। इससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलना शुरू हो गया। मशीनों और कच्चे तेल के आयात पर जो भारी tax लगाने का फैसला नेहरु ने किया, उसकी वजह से उद्योग-धंधों का विकास तेजी से होने लगा। भाखड़ा नंगल बांध भी नेहरु की ही देन है। यह Jawaharlal Nehru की legacy की ही देन है कि भारत आज न केवल राजनीतिक और आर्थिक, बल्कि शैक्षणिक, सामाजिक एवं सामरिक मोर्चे पर भी पूरी मजबूती के साथ खड़ा है।

वैज्ञानिक सोच को किया प्रोत्साहित

वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करना Nehru’s legacy की एक महत्वपूर्ण खासियत रही है। जहां एक ओर आजादी मिलने के बाद भारत से अलग होकर बने मुल्क पाकिस्तान ने धर्म और आतंकवाद के रास्ते पर चलना शुरू किया, वहीं दूसरी ओर भारत के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर जवाहरलाल नेहरु ने शिक्षा एवं विकास के साथ वैज्ञानिक सोच को देश का आधार बना दिया, जिसके बूते कम समय में ही भारत ने विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में ऊंचाईयों को छूना शुरू कर दिया। विज्ञान के प्रति जो आकर्षण उन्होंने महसूस किया, उसकी वजह से उन्होंने विज्ञान को एक ऐसे जादू के तौर पर देखा जो देश का कायाकल्प करने में सक्षम था। इसलिए तो आईआईटी और इसरो जैसे संस्थानों की उन्होंने नींव रख डाली। इनके अलावा भी कई अहम संस्थानों को शुरू करने का श्रेय नेहरु को ही जाता है।

दुनियाभर में बढ़ाया भारत का मान

भारत के 26 जनवरी, 1950 को गणतंत्र घोषित होने के बाद नेहरु ने रुस के साथ भारत के रिश्ते मजबूत बनाये, जिससे भारत को औद्योगिक विकास के क्षेत्र में खासी मदद मिली। साथ ही चीन के साथ पंचशील का समझौता भी बेहद अहम रहा। इसके अलावा गुटनिरपेक्षता की शुरुआत करके नेहरु ने भारत की आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त किया। इस बेहतरीन और विद्वान वक्ता ने जिस तरह से खुद का भी सम्मान बढ़ाते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को पहचान दिलाई, उसके लिए Jawaharlal Nehru के birthday को बाल दिवस के रूप में मनाकर उन्हें आज भी याद किया जाता है।

चलते-चलते

जवाहरलाल नेहरु ने अपने 17 वर्षों के कार्यकाल में हमेशा संवैधानिक मार्ग पर चलते हुए देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाने का काम किया। देश के टूटकर बिखरने की आशंका के वक्त नेहरु लोगों को यह महसूस कराने में कामयाब रहे कि उनके बीच विभिन्नता होते हुए भी वे एक हैं। Jawaharlal Nehru की legacy वास्तव में ऐसी रही है, जिस पर इस देश के वासियों को हमेशा गर्व होता रहेगा।

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