क्या होते हैं Removable Storage Devices?

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दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि जिन चीज़ों को हमे याद रखने में कठिनाई होती है उसे हम कंप्यूटर या मोबाइल में नोट्स बनाकर सेव कर लेते हैं पर कंप्यूटर या मोबाइल उसे कैसे याद रखते हैं ? हमारे दिमाग में मेमोरी सेल्स होती हैं जिसमे हमें चीज़ें याद रहती हैं लेकिन कंप्यूटर के पास ऐसा क्या है कि उसे सब याद रहता है ? हमें यदि किसी जानकारी को किसी के साथ शेयर करना होता है तो हम उसे बोल कर या लिख कर करते है लेकिन कंप्यूटर के पास ऐसी क्या devices है जिनके द्वारा उसका डाटा एक से दूसरे कंप्यूटर में ट्रांसफर होता है? आज हम इनके इन्हीं प्रश्नों का उत्तर देंगे।

Storage Device क्या है और कितने प्रकार के हैं?

कंप्यूटर के पास जो मेमोरी डिवाइस होती है उसे स्टोरेज डिवाइस (storage device) कहा जाता है। यह दो प्रकार की होती है।

1- प्राइमरी स्टोरेज डिवाइस (Primary Storage Device)

2- सेकंडरी स्टोरेज डिवाइस (Secondary Storage Device)

प्राइमरी स्टोरेज डिवाइस

ये कंप्यूटर की अस्थिर (Temporary) मेमोरी होती है । इन्हे वोलेटाइल मेमोरी भी कहते है क्यूंकि इस मेमोरी में डाटा तब तक ही सेव रहता है जब तक कंप्यूटर सिस्टम ON रहता है। एक बार सिस्टम OFF हो जाये तो इसकी मेमोरी डिलीट हो जाती है, जैसे RAM।

सेकंडरी स्टोरेज डिवाइस

ये कंप्यूटर की परमानेंट (parmanent) मेमोरी डिवाइस होती है। इसमें एक बार डाटा स्टोर करने के बाद उसे कभी भी पढ़ा जा सकता है, इसका कंप्यूटर के OFF हो जाने से कोई सम्बन्ध नहीं होता है। इसलिए इसे नॉन-वोलेटाइल मेमोरी भी कहते हैं। कंप्यूटर का सारा डाटा और प्रोग्राम इसी मेमोरी में स्टोर होता है। यह स्टोरेज डिवाइस प्रायः रिमूवेबल और नॉन रिमूवेबल दोनों प्रकार की हो सकती है।

इस स्टोरेज डिवाइस के अंतगर्त आज हम जानेगे ऐसे रिमूवेबल स्टोरेज डिवाइस के बारे में जिसके माध्यम से हम कंप्यूटर के डाटा को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में आसानी से ट्रांसफर कर सकते हैं। ऐसे ही कुछ डिवाइस है हार्ड डिस्क, SSD , पेन ड्राइव आदि। तो आईये जानते हैं कि removable storage device क्या होते हैं और ये कैसे काम करते हैं।

हार्ड डिस्क (Hard Disk)

  • हार्ड डिस्क यानि HDD, यह एक नॉन-वोलेटाइल प्रकार की मेमोरी डिस्क होती है। नॉन-वोलेटाइल का मतलब ऐसी डिस्क, जिसमे किसी कंप्यूटर डाटा को लम्बे समय तक स्टोर किया जा सकता है।
  • HDD में डाटा स्थायी रूप से स्टोर रहता है और डाटा को कभी भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • HDD की स्टोरेज क्षमता बहुत अधिक होती है, वर्तमान में 5TB तक क्षमता की HDD बाजार में उपलब्ध हैं। HDD का साइज 2.5” से 3.5” तक होता है। सबसे पहले 1956 में IBM द्वारा RAMAC (Random Access Method of Accounting and Control) HDD का निर्माण किया गया था जिसकी स्टोरेज क्षमता 5 MB और वजन करीब 250 Kg था।g था।
  • HDD में डाटा स्टोर एक गोल गतिमान चुम्बकीय डिस्क में किया जाता है। HDD की सबसे बड़ी विशेषता होती है इसका अपेक्षाकृत सस्ता होना, अधिक स्टोरेज क्षमता तथा विश्वसनीयता। HDD में कंप्यूटर डाटा 0 ,1 के फॉर्म में स्टोर होता ह। HDD कंप्यूटर के डिजिटल डाटा को चुंबकीय क्षेत्र के रूप में स्टोर करती है।ै।
  • HDD चुंबकीय डिस्क की रोटेशन स्पीड जितनी अधिक होगी, वह उतनी स्पीड से डाटा ट्रांसफर कर पायेगी। अधिकतर HDD की स्पीड 5400 RPM से 7200 RPM के मध्य होती है। HDD का डाटा ट्रांसफर रेट 150MB/s से 500MB/s तक हो सकता है। HDD 2 प्रकार की होती है।

PATA

Parallel Advanced Technology Attachment यानि PATA, यह प्रारंभिक प्रकार की एक HDD है। इसका डाटा ट्रांसफर रेट 133MB/s होता है। इसमें डाटा स्थान्तरण के लिए ATA interface standard तकनीक का प्रयोग होता है।

SATA

Serial Advanced Technology Attachment यानि SATA, वर्तमान में मौजूद सभी कंप्यूटर इकाइयों में SATA प्रकार की HDD प्रयोग की जाती है। इसका डाटा ट्रांसफर रेट 150MB/s से 500MB/s तक हो सकता है।

HDD कैसे कार्य करती है?

  • पहले हम जानेंगे HDD के मुख्य पार्ट्स के बारे में, मैग्नेटिक डिस्क, रीड/राइट हेड, रीड /राइट आर्म, एक्टुएटर और स्पिंडल या मोटर आदि इसके मुख्य पार्ट्स होते हैं। मैग्नेटिक डिस्क में, चुंबकीय पदार्थ की एक कोटिंग होती है जिसमे ट्रैक तथा सेक्टर होते हैं, जब स्पिंडल द्वारा डिस्क को घुमाया जाता है तब रीड /राइट आर्म, मैग्नेटिक डिस्क के ऊपर राइट से लेफ्ट खिसकने लगती है तथा उसका रीड/राइट हेड जिसमे एक छोटा चुम्बक होता है वह डाटा के रीड और राइट का कार्य करने लगता है। इस प्रकार से मैग्नेटिक डिस्क में डिजिटल डाटा स्टोर हो जाता है।
  • Hard Disk के प्रयोग में आने से पहले कंप्यूटर में जानकरी को स्टोरेज करने के लिए floppy disk का उपयोग किया जाता था परन्तु यह सिर्फ 3.14 MB तक ही data स्टोर कर सकती थी, जबकि HDD में terabytes data को स्टोर करने की क्षमता होती है।

SSD

  • SSD का पूरा नाम Solid State Drive होता है, यह भी एक नॉन वोलेटाइल मेमोरी है। इसका फॉर्म फेक्टर HDD के समान ही होता है लेकिन SSD की डाटा ट्रांसफर स्पीड काफी तेज होती है।
  • SSD में डाटा स्टोरेज के लिए मैगनेटिक चिप होती है। जैसा की इसके नाम से ही स्पष्ट है ये स्टैटिक होती है अर्थात इसमें HDD के जैसे मूविंग मैगनेट डिस्क नहीं होती है जिस वजह से इसकी स्पीड काफी तेज होती है।ै।
  • SSD की स्पीड 600Mb/s से 2Gb/s तक होती है। SSD साइज में HDD से छोटी होती है इसके साथ -साथ यह Low power कोन्सुमिंग, और वजन में हल्की होती है। SSD अपेक्षाकृत महँगी तथा 120GB, 240GB, 256GB, 500GB स्टोरेज के साथ मार्किट में उपलब्ध हैं। वर्तमान में SSD 1.8”,2.5”, और 3.5” साइज के साथ आपको बाजार में मिल जाएँगी। हम आपको ये भी बता दें कि SSD 4 प्रकार की होती है।

SATA SSD

इस प्रकार की SSD साइज में किसी सामान्य HDD के समान ही होती है। SATA SSD को आसानी से HDD के स्थान पर प्रयोग किया जा सकता है। इसका कनेक्टर टाइप एक HDD के समान ही होता है किन्तु यह हल्की, हाई स्पीड तथा low power consuming होती है। SATA SSD का प्रचलन काफी अधिक है क्यूंकि ये आसानी से HDD को replace कर देती है। इसके बाजार में आने से पुराने स्लो हो चुके कंप्यूटर और लैपटॉप में भी नयी जान आ गयी है।

mSATA SSD

mSATA SSD यानि micro SSD , यह SSD का विकसित या updated रूप है। इसका इस्तेमाल लैपटॉप में ज्यादा किया जाता है। यह RAM के जैसे दिखाई देती है और आम SSD से आकर में छोटी होती है तथा इसका फॉर्म फेक्टर भी SSD से अलग होता है। इसे केवल इसे उन्ही कंप्यूटर सिस्टम में लगाया जा सकता है जो mSSD सपोर्ट करते हों क्यूंकि इसकी कनेक्टिविटी के लिए कंप्यूटर सिस्टम में RAM एवं ग्राफ़िक कार्ड के जैसे jack होना ज़रूरी है।े है।

M.2 SSD

इस तरह की SSDs दिखने में तो mSATA की तरह ही होती हैं लेकिन यह इसका updated version है जो mSATA से फ़ास्ट तो है लेकिन छोटी होने के बावजूद भी यह दोनों तरह की कनेक्टिविटी को सपोर्ट करती है। इसका मतलब हुआ कि इसे आप नार्मल SATA केबल से भी कनेक्ट कर सकते हैं और mSATA से भी। mSATA एक PCI-E एक्सप्रेस पोर्ट की तरह ही होता है लेकिन यह थोड़े छोटे और specially इस तरह की SSDs को कनेक्ट करने में ही काम में लिए जाता है।

SSHD

SSD का सबसे updated वर्जन है SSHD, इसमें SSD और HDD की खूबियां होती है तथा इसे लैपटॉप एवं कंप्यूटर दोनों में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके कुछ हिस्से HARD DISK के बने होते हैं और कुछ SSD के बने होते हैं। इसमें कुछ मेमोरी SSD की होती है और कुछ Hard Disk की यानी यह Hard Disk और SSD दोनों की तरह होती है जिसे आजकल के Laptops में इस्तेमाल किया जाता है।

SSD कैसे काम करती है?

Hard Disk में एक मैग्नेटिक disk होती है जिसके घुमने की बजह से Hard Disk में डाटा ट्रान्सफर और एक्‍सेस होता है। SSD के अंदर सेमीकंडक्टर चिप्स होती है। इन सेमीकंडक्टर चिप्स में बहुत छोटे-छोटे माइक्रोप्रोसेसर होते हैं जो मेग्नेटिक चिप्स के मुकाबले डाटा स्टोर, रीड और राइट का कार्य बहुत स्पीड से करने की क्षमता रखते हैं। इन माइक्रोचिप के अंदर कंट्रोलर्स होते है है जो डाटा के रीड और राइट की प्रोसेस को नियंत्रित और क्रियान्वित करते है। एक अच्छा कंट्रोलर ही एक अच्छे SSD की असली पहचान है, जिस SSD का कंट्रोलर जितना अच्छा होगा वो उतनी ही कुशलता से कार्य कर पायेगी।

ऑप्टिकल डिस्क

मार्किट में उपलब्ध CD, DVD तथा Buleray disk ऑप्टिकल डिस्क के ही उदाहरण है। चूँकि इन पर डेटा लिखने-पढ़ने के लिए लेजर (Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation- LASER) तकनीक का प्रयोग किया जाता है इसलिए इन्हें ऑप्टिकल डिस्क भी कहा जाता है। यह प्लास्टिक की बनी हुई डिस्क होती हैं जिन में दोनों ओर एल्यूमीनियम की पतली परत लगी होती है। आईये इन डिस्क के बारे मे थोड़ा विस्तार से जानते हैं।

CD (Compact Disc)

ऑप्टिकल डिस्क का सबसे प्राथमिक एवं प्रचलित वर्जन है CD। इसमें केवल एक बार ही डाटा को राइट किया जा सकता है तथा बार-बार पढ़ा जा सकता है। इसका आकर गोल तथा इसकी स्टोरेज क्षमता 700 MB होती है। CD में Data को डॉट के फॉर्म में Save किया जाता है। CD Drive में लगा सेंसर CD के डॉट से Reflect लाइट को पढ़ता है और हमारे Device में Image को Create करता है।

DVD (Digital Versatile Disc)

DVD, CD का updated फॉर्म है, इसकी स्टोरेज क्षमता 4GB से 20GB तक हो सकती है। DVD तीन प्रकार की होती है – DVD-ROM , DVD-R तथा DVD-RW।

DVD-ROM में डेटा को सिर्फ पढ़ा जा सकता है, लिखा नहीं जा सकता। DVD-R में डेटा को सिर्फ एक बार रिकॉर्ड कर सकते हैं और उसके बाद यह DVD-ROM तरह हे कार्य करती है। DVD- RW में डेटा को कई बार रिकॉर्ड किया जा सकता है और मिटाया जा सकता है।

Blue-ray Disc

यह DVD का सबसे आधुनिक रूप है तथा इसकी स्टोरेज 128GB तक हो सकती है। इसका प्रयोग उत्तम क्वालिटी की वीडियो तथा ऑडियो प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसमें डाटा रीड करने के लिए blue लेज़र का प्रयोग किया जाता है जिस कारण से इसे bLue ray डिस्क कहते है।

ऑप्टिकल डिवाइस कार्य कैसे करता है ?

ऑप्टिकल डिस्क, सिल्वर और मेटेलिक कोटिंग की एक चमकदार परत से बनी होती है। इसके ऊपर पॉलीकार्बोनेट की परत चढ़ी होती है। इसमें ट्रैक बने होते हैं जिसमे 0 तथा 1 के रूप में डाटा स्टोर होता है। सरल शब्दों में कहा जाये तो ऑप्टिकल डिस्क की सतह में छोटे छोटे स्पॉट्स या गड्ढे बनाकर उसमे डाटा स्टोर किया जाता है। जब लेज़र बीम इन स्पॉट्स पर पड़ती है और रिफ्लेक्ट होती है तब ऑप्टिकल लेंस द्वारा डाटा रीड किया जाता है।

पेन ड्राइव या फ़्लैश ड्राइव

  • पारम्परिक हार्ड डिस्क से पृथक फ़्लैश या पेन ड्राइव आकर में छोटी तथा अल्ट्रा डाटा पोर्टेबल स्टोरेज डिवाइस होते है। इसे यूएसबी फ्लैश ड्राइव, डेटा स्टिक, पेन ड्राइव, मेमोरी यूनिट, किचेन ड्राइव और थंब ड्राइव के रूप में जाना जाता है।
  • यह बाजार में 4GB से लेकर 256GB तक स्टोरेज साइज में उपलब्ध है। इसके अंदर माइक्रोप्रोसेसर चिप होती है जिसमे electronically डाटा स्टोर रहता है।
  • वर्तमान समय में डाटा ट्रांसफर का सबसे लोकप्रिय तथा आसान माध्यम पेन ड्राइव ही है। इसका प्रमुख कारण इसका साइज में छोटा होना और मेमोरी स्टोरेज अधिक होना है।
  • जैसा कि नाम से स्पष्ट है USB ड्राइव, इसे कंप्यूटर से usb port द्वारा कनेक्ट किया जा सकता है। आपको यह भी बता दें कि पहली पेन ड्राइव सन 1999 में इजराइली कंपनी SanDisk के अमीर बान, डोव मोरन और ओरोन ओगदान द्वारा बनायी गयी थी।

पेन ड्राइव कैसे काम करती है?

पेन ड्राइव टेक्निकली गेट-स्टाइल में डाटा को ब्लॉक्स के रूप में स्टोर करती है। पेन ड्राइव में छोटे छोटे प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (PCB) होते है,जो microchips से जुड़े होते हैं। इन माइक्रो चिप्स में डाटा स्टोर होता है, microchips में डाटा को कट्रोलर द्वारा प्रोसेस किया जाता है। इस प्रकार से कम कीमत में अधिक से अधिक डाटा को स्टोर पेन drive द्वारा किया जाता है।

फ्लॉपी डिस्क

यह कंप्यूटर में Data डालने और उसे Secure रखने के लिए बनाया गया सबसे पहला Device है। लेकिन इसमे बहुत कम Data को Store किया जा सकता है, इसकी स्टोरेज क्षमता 1.44 MB से 2.88 MB तक होती है। कम स्टोरेज कि वजह से floppy का प्रचलन बंद हो गया है। Floppy Disk में Data गोलाकार चुम्बकीय प्लेट में Store होता है और यहीं से Floppy सारी जानकारी को लेकर पढ़ती और दिखाती है। यह प्लास्टिक की छोटी सी Audio कैसेट टेप होती है जिस पर धातु की परत चढ़ी होती है और इसमे Store Data को सिर्फ Floppy Disk Drive ही दिखा और पढ़ सकता है। ऑप्टिकल डिवाइस इसी के विकल्प के तौर पर मार्किट में आयी थी।

क्लाउड स्टोरेज

दोस्तों, आजकल डाटा स्टोर करने का एक नया कांसेप्ट मार्किट में आया है जिसे Cloud Storage कहते हैं। यह एक पारम्परिक स्टोरेज डिवाइस तो नहीं है, लेकिन आप इंटरनेट के माध्यम से क्लाउड मे अपना डाटा स्टोर कर सकते हैं, इस डाटा को आप कहीं से भी एक्सेस कर सकते है। इस जानकारी को यहाँ पर देना का उदेश्य केवल आपकी जानकरी बढ़ाना है। AMAZON S3 , Google Drive, ONE Drive आदि इसके उदाहरण हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि आपको कोई स्टोरेज डिवाइस अपने साथ रखने कि ज़रूरत नहीं। इसके साथ-साथ किसी भी प्रकार के नुकसान, डाटा खो जाने, डिवाइस ख़राब हो जाने आदि समस्यों से भी छुटकारा मिल जाता है। एक सीमित स्पेस आपको फ्री ऑफ़ कॉस्ट मिल जाता है, अधिक स्पेस के लिए आपको सर्विस purchase करनी पड़ती है।ै।

चलते चलते

दोस्तों, आज के इस लेख में हमने आपको रिमूवेबल स्टोरेज devices के बारे में पूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया है। इसके साथ-साथ हमने आपको अवगत कराया है क्लाउड स्टोरेज से। हम आगे भी टेक्नोलॉजी से सम्बंधित उपयोगी जानकारी आपके के लिए लाते रहेंगे , धन्यवाद्।

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