चंद्रगुप्त मौर्य, बिन्दुसार और सम्राट अशोक का नाम हमारे सामने सबसे पहले आता है, जब हम भारत के मौर्य वंश के सम्राटों के बारे में बात करते हैं। मौर्य साम्राज्य की स्थापना का श्रेय चंद्रगुप्त को जाता है। उन्हीं चंद्रगुप्त के बेटे थे बिंदुसार। हालांकि, जितने लोकप्रिय बिंदुसार के बेटे सम्राट अशोक हुए, वे लोकप्रिय वे खुद न हो सके। फिर भी उनके बारे में कुछ जानकारियां बेहद अहम् हैं, जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए। यहां हम आपको बिन्दुसार के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के साथ उनके बारे में इतिहासकारों के मत और उनके शासनकाल के बारे में बता रहे हैं।
बिंदुसार के जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- चंद्रगुप्त के बाद बिंदुसार ने ही अपने पिता की जगह ली थी और सम्राट भी बने थे।
- आर्य मंजुश्री मूलकल्प की मानें तो सत्ता की बागडोर संभालने के वक्त बिंदुसार पूरी तरह से व्यस्क भी नहीं हुए थे।
- अमित्रोचेडस, अमित्राचेटस एवं अलित्रोचेडस नाम से यूनानी लेखकों द्वारा बिंदुसार को पुकारा गया है।
- दरअसल इन शब्दों का संस्कृत रूप अमित्रघात या फिर अमितत्रखाद है, जिसका आर्थ है दुश्मनों को विनाश करने वाला।
- वायु पुराण में बिंदुसार को मद्रसार नाम दिया गया है।
- जैन ग्रंथ राजवलिकथे में बिंदुसार का जिक्र सिंहसेन के नाम से मिलता है।
- बिंदुसार की मृत्यु के हजारों वर्षों के बाद जैन लेखक हेमचंद्र की रचना परिशिष्ट परवाना में बिंदुसार के बारे में जानकारी मिलती है।
- कई बुद्ध महामानवों ने भी बिंदुसार के बारे में लिखा है, लेकिन उनकी मृत्यु के हजारों वर्षों के बाद।
- इतिहास में बिंदुसार को ‘महान पिता का पुत्र और महान पुत्र का पिता’ भी कहा गया है। वह इसलिए कि वे चंद्रगुप्त के बेटे थे और महान सम्राट अशोक के पिता।
बिंदुसार के जन्म और परिवार के बारे में
- चंद्रगुप्त मौर्य के यहां बिंदुसार का जन्म हुआ था, मगर कब इसकी सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है।
- पुराण एवं महावंशा में बिंदुसार के बारे में जानकारी मिलती है।
- दुर्धरा उनकी माता थीं।
- दुर्धरा सेल्यूकस निकेटर की पुत्री थीं।
- दुर्धरा ही चंद्रगुप्त की पत्नी थीं, इसकी पुष्टि के लिए कोई ऐतिहासिक दस्तावेज वैसे उपलब्ध नहीं है।
- सेल्यूसिड्स से चंद्रगुप्त का विवाह हुआ था। ऐसे में इन कयासों को बल मिलता है कि बिंदुसार की माता ग्रीक नहीं थीं। हालांकि किसी ऐतिहासिक दस्तावेज के अभाव में कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता।
- अशोकवदान नामक किताब जो कि सम्राट अशोक पर लिखी गई थी, उसके मुताबिक बिंदुसार के तीन बेटे थे, जिनके नाम थे सुशीम, अशोक एवं विगताशोक।
- विगताशोक का जन्म बिंदुसार की दूसरी पत्नी सुभाद्रंगी से हुआ था।
बिंदुसार का शासनकाल
- जिस तरह से बिंदुसार के पिता चंद्रगुप्त ने राज्य को फैलाया था, वैसा फैलाव बिंदुसार के शासनकाल में नहीं दिखता।
- बिंदुसार ने तो पूर्व में अपने पिता के राज्य का अक्षुण्ण बनाये रखा। दक्षिण में उसने जरूरत बहुत दूर तक अपने राज्य का विस्तार कर लिया था।
- तक्षशिला प्रांत में विद्रोह भड़क गया, क्योंकि प्रांतीय अधिकारी ज्यादा ही अत्याचार कर रहे थे। बिंदुसार का बड़ा बेटा सुशीम इसे दबाने में नाकाम रहा तो बिंदुसार ने अशोक को भेजा।
- अशोक ने न केवल विद्रोह को दबा दिया, बल्कि वहां पूरी तरह से शांति भी स्थापित कर दी।
- बिंदुसार के शासनकाल में एक और विद्रोह भड़का था। यह स्वश यानी कि रवस्या राज्य में हुआ था।
- स्टीन ने लिखा है कि कश्मीर के दक्षिण पश्चिम में स्वश राज्य का विस्तार था। हालांकि कुछ इतिहासकारों ने इस राज्य को नेपाल के समीप भी बताया है।
अन्य देशों से मधुर संबंध
- बिंदुसार के बारे में बताया जाता है कि बाहरी मुल्कों से उसने बहुत अच्छे संबंध बना रखे थे।
- अच्छे संबंधों के कारण ही यूनान के राजा की ओर से राजदूत के रूप में डेइमेकस बिंदुसार के शासनकाल में उनके राज्य में थे।यही नहीं, मिस्र के राजा ने भी अपने राजदूत डायनीसियस को बिंदुसार के राज्य में भेज रखा था, ताकि दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध बना रहे।
- एक उल्लेख यह भी मिलता है कि बिंदुसार ने सीरिया के शासक एंटिओसक को चिट्ठी भेजकर मदिरा, सूखे अंजीर और एक दार्शनिक भेजने की अपील की थी, जिसके जवाब में सीरिया के राजा की ओर से कहा गया था कि पहली दो चीजें तो वह खुशी-खुशी भिजवा सकता है, मगर दार्शनिक उपलब्ध कराना संभव नहीं है, क्योंकि यह मुल्क के नियमों के खिलाफ है।
- इस तरह से यह चिट्ठी भी इस बात का प्रमाण है कि बिंदुसार के बाहरी मुल्कों के साथ अच्छे संबंध बने हुए थे।
- बिंदुसार ने पश्चिमी देशों के साथ व्यापारिक, सामाजिक और कूटनीतिक संबंध भी कायम रखे थे।
इस धर्म के थे बिंदुसार
- बिंदुसार ने हिंदू धर्म को अपनाया था। यह जानकारी बौद्ध ग्रंथ सामंतापसादिका और महावशा से मिलती है।
- तभी तो बिंदुसार को ब्राह्म्णा भट्टो भी कहा जाता है। इसका मतलब है ब्राह्म्णों की विजय।
- कहा जाता है कि चंद्रगुप्त यानी कि बिंदुसार के पिता ने अपनी मृत्यु से पूर्व जैन धर्म को अपना लिया था।
- वहीं, बिंदुसार के बेटे अशोक ने बौद्ध धर्म को स्वीकारा था।
- ऐसे में बिंदुसार के धर्म के बारे में इतिहास में दुविधा की स्थिति बनी हुई है।
बिंदुसार का राज
- पुराणों की मानें तो 25 वर्षों तक यानी कि 298 ईस्वी पूर्व से 273 ईस्वी पूर्व तक बिंदुसार ने शासन किया था।
- हालांकि पाली भाषा में जो पद्य महावंशा के नाम से लिखा गया है, उसके मुताबिक बिंदुसार ने 27 वर्षों तक राज किया था।
- वैसे, बिंदुसार की मृत्यु 273 ईसा पूर्व में ही बताई जाती है।
- इतिहासकार अनेल डेनीलोऊ जहां बिंदुसार की मौत 274 ईसा पूर्व मानते हैं, वहीं शैलेंद्र नाथ सेन के मुताबिक 273 या 272 ईसा पूर्व में बिंदुसार की मौत हुई थी और चार वर्षों तक कड़े संघर्ष के बाद अशोक 269 या 268 ईसा पूर्व में राजगद्दी को हासिल कर सके थे।
- जितने आक्रामक अन्य मौर्य शासक हुए, उनकी तुलना में बिंदुसार को बहुत ही कम आक्रामक देखा गया है।
- बिंदुसार के बारे में यह भी जानकारी मिलती है कि उसने अपना उत्तराधिकारी तो बड़े बेटे सुशीम को बनाया था, मगर उसे व एक अन्य भाई को मौत के घाट उतारकर खुद अशोक सम्राट बन बैठे थे।
बिंदुसार के बारे में इतिहासकारों का मत
- तारानाथ का मानना है दक्षिण भारत पर विजय बिंदुसार ने पाई थी। उसने और चाणक्य ने करीब 16 राजाओं को नष्ट करके पूर्वी और पश्चिमी समुद्रों के बीच के हिस्से पर साम्राज्य का विस्तार किया था।
- हालांकि जैन अनुश्रुति के मुताबिक बिंदुसार ने नहीं, बल्कि चंद्रगुप्त को इसका श्रेय जाता है।
- अशोक के नाम केवल कलिंग विजय का ही उल्लेख मिलता है। ऐसे में इस संभावना को बल मिलता है कि दक्षिण पर विजय पाने में बिंदुसार या चंद्रगुप्त की भूमिका ही रही होगी।
चलते-चलते
बिंदुसार के बारे में जो भी उल्लेख इतिहास में मिलता है, उससे यह तो साफ नजर आता है कि बिंदुसार को आक्रात्मकता कम पसंद थी और वे आनंद के साथ जीवन व्यतीत करने में यकीन रखते थे। शायद इसलिए वे अपने पिता चंद्रगुप्त और बेटे अशोक की तरह ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो सके। बिंदुसार के जीवन परिचय से बिंदुसार के चरित्र के बारे में क्या अंदाजा है आपका?
Bindusar ke bare me bahut kam info milta hai. Thanks. aapne accha likha hai.
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Thank you. Bindusar ke bare me maine pucha tha aapse ar apne info de bhi diyaa. Accha information hai.
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