हमारा देश भारत 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश राज से स्वतंत्र हुआ लेकिन भारत गणराज्य के नवगठित संविधान के तहत पहले आम चुनाव 1951-52 में हुए। इन चुनावों के अनुसार पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। उनकी सरकार ने नेहरूवादी या मिश्रित आर्थिक नीति को लागू करना शुरू किया।
कैसे बढ़े भारत की राजनीति के कदम
1964 में नेहरू के निधन के बाद कांग्रेस को इंदिरा गांधी के राजनीति में आने तक नेतृत्व संकट का सामना करना पड़ा। इंदिरा से पहले जो एक उल्लेखनीय राष्ट्रीय स्तर के नेता सामने आये वो थे -लाल बहादुर शास्त्री, जिनको अभी तक उनके प्रसिद्ध ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे के लिए याद किया जाता है। शास्त्रीजी के अयूब खान (पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति) के साथ संघर्ष विराम के ताशकन्द घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद, वहीं ताशकंद में उनका शंकास्पद स्थिति में निधन हुआ। उसके बाद इंदिरा गांधी कांग्रेस की प्रमुख नेता बनीं।
इंदिरा गांधी अपने ठोस निर्णयों के कारण एक मजबूत नेता के तौर पर जानी गयीं। 1970 के दशक के दौरान हरित क्रांति और ऑपरेशन फ्लड भारत में शुरू किया गया। इस से खाद्यान्न और दूध में आत्म निर्भरता की ओर भारत एक और कदम आगे बढ़ा। हालांकि, आजादी के बाद जब आपातकाल घोषित किया गया, वह समय भारत के लिए एक मुश्किल दौर था। इस दौर के बाद भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ और मोरारजी देसाई पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने।
इसके उपरान्त 1980 के दशक में स्वर्ण मंदिर में खालिस्तान उग्रवादियों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन ब्लूस्टार ने आम लोगों में दहशत फैलाई, जिसके बाद इंदिरा गांधी की हत्या और 1984 के कुख्यात सिख विरोधी दंगे हुए। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद यह विरासत उनके बेटे राजीव गांधी ने 1984 में सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बनकर संभाली।
दूसरे गैर कांग्रेसी नेता, जनता दल के वी. पी. सिंह को मंडल आयोग को लागू करने के लिए जाना जाता है। 1991 में राजीव गांधी के बाद पी. वी. नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने। उन्हें 1990 में हुए बाबरी मस्जिद के विध्वंस के लिए भी जाना जाता है।
मई 1996 में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गयी और अटल बिहारी वाजपेयी सिर्फ 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने। इस राजनीतिक रूप से अस्थिर समय के दौरान, एच.डी. देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल ने भी कमान संभाली।
1998 में अटल बिहारी वाजपेयी फिर से प्रधानमंत्री बने जिसके बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA ने 2004 में सत्ता संभाली और 10 वर्षों तक शासन किया। फिर 2014 में भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में निर्णायक जीत हासिल की जिन्होंने अच्छे दिन के वादे पर सत्ता में अपनी पकड़ बनाई।