‘डर! मैं अन्दर ही अन्दर कांप रहा था, रिचर्ड पर अगर ज़ाहिर कर देता तो तुम, पायलट और दूसरे सब लोग घबरा जाते। ’ ये पढ़कर आपको पता चलेगा की साहस क्या होता है, अपने डर को चेहरे पर ना आने देना ही साहस है, ये साहस था दक्षिण अफ्रीका के ‘मदीबा’ और दुनिया के लिए Nelson Mandela के अंदर और ऊपर लिखी पंक्ति उन्होंने टाइम मैगज़ीन के एडिटर रिचर्ड स्टेंगल से कही थी, इसके पहले जिस प्लेन से दोनों सफर कर रहे थे उस जहाज के पंखे पर लगे प्रोपेलर ने काम करना बंद कर दिया था। जिसका जिक्र उन्होंने ‘लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम’ में किया है।
आज आप पढ़ेंगे नेल्सन मंडेला के बारे और साथ ही जानेंगे रंगभेद का उनके जीवन में क्या प्रभाव रहा?
आर्टिकल में काम की बातें-
- नेल्सन मंडेला का जीवन
- उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट
- संघर्ष
- दक्षिण अफ्रीका की गोरी सरकार और रंग भेद
- 12 जून से मंडेला कनेक्शन
- आत्मकथा
- जेल से रिहाई और अश्वेत राष्ट्रपति
- सम्मान
- मृत्यु
Nelson Mandela का जीवन
एक कैदी से राष्ट्रपति बनने और फिर दुनिया के महानतम शख्सियत में शुमार होने वाले दक्षिण अफ्रीका के सबसे सम्मानित हस्ती की कहानी भी किसी फिल्म से कम नहीं है। साउथ अफ्रीका में ऑरेंज फॉर्म के लिए बच्चे जब सुबह अपने कदम निकालते हैं तो उन्हें पता होता है कि वो किस महान शख्सियत के पदचिन्हों में चलने वाले हैं। नेल्सन मंडेला ने अपने आजादी की कुर्बानी देकर उनको आजादी दिलाई। इन्हें इनका देश वापस दिलवाया।
- तारीख थी 18 जुलाई 1918 जब दुनिया से रंगभेद को उखाड़कर फेक देने की मुहीम शुरू करने वाले ‘मदीबा’ यानी नेल्सन मंडेला का जन्म हुआ था।
- नेल्सन होलिसाजा मंडेला का जन्म दक्षिण अफ़्रीका के ईस्टर्न केप में हुआ था।
- उनके पिता का नाम गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा था।
- गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा की तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी थीं।
- नेक्यूफी नोसकेनी ही नेल्सन मंडेला की मां थीं।
- उनकी याद में इस दिन को नेल्सन मंडेला डे के तौर पर याद किया जाता है।
- जन्म के समय मंडेला का नाम होलीसाजा मंडेला रखा गया था।
- उनके नाम में नेल्सन एक टीचर ने जोड़ा था,उस दौर में वो स्कूल की पढ़ाई कर रहे थे।
- तब से दक्षिण अफ्रीका के लोग उन्हें नेल्सन होलीसाजा मंडेला के रूप में जानने लगे थे।
- नेल्सन मंडेला अपने जीवन के पदचिन्हों पर महात्मा गांधी के बड़े अनुयायी थे।
- एक दिलचस्प बात ये भी है कि नेल्सन मंडेला को दक्षिण अफ्रीका का ‘गांधी’ भी कहकर संबोधित किया जाता है।
नेल्सन मंडेला को दक्षिण अफ्रीका के लोग प्यार से ‘मदीबा’ कहकर बुलाते हैं, क्योंकि नेल्सन का ताल्लुक उस खतरनाक ‘मदीबा’ जनजाति से था जो 300 सालों से अपने राजा को ब्रिटिश, जुलो और दक्षिण अफ्रीकी हमलों से बचाती रही।
मंडेला जब छोटे थे तभी उनके पिता की गरीबी और बीमारी से मौत हो गई थी। मासूम मंडेला को उनकी मां नोसकेनी ने अपने पति की ख्वाइश के मुताबिक़ एक शाही कबीले में पहुंचा दिया था, यही वो जगह थी जहां मदीबा ने कबीलाई पंचायत में भाग लेना शुरू किया था, और लीडरशिप की पहली सीढ़ी भी उनहोंने यही चढ़ी थी , काले रंग का होने का क्या मतलब होता है मंडेला को पहली बार इसी जगह पता चला था। Nelson Mandela के अंदर एक क्रांतिकारी का जन्म हो चुका था। नेल्सन मंडेला जिस कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे उसे सिर्फ अश्वेतों के लिए बनाया गया था। कॉलेज के दिनों में ही सरकार की आलोचना करने के कारण मंडेला को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। मां को जब भनक लगी कि बेटा क्रांति की राह पर है तो उन्होंने उसकी शादी फिक्स कर दी थी। शादी की बात से नाराज मंडेला घर से भागकर जोहानसबर्ग पहुंच गए थे। लंबे भटकाव के बाद सबसे पहले सोने की खदान में चौकीदारी की नौकरी करने लगे थे।
- नेल्सन मंडेला अपनी मां नोसकेनी की पहली संतान थे।
- नेल्सन मंडेला के पिता की 13 संताने थीं जिसमे वो तीसरे नंबर के थे।
- जोहानसबर्ग में नेल्सन की मुलाकात अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के नेता वॉल्टर से हुई थी। फिर मंडेला अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस (ए। एन। सी) में शामिल हो गए थे।
- मंडेला और वॉल्टर को लगने लगा था कि ये दोनों अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस की मदद से अश्वेतों को जुल्मों से मुक्त करवा सकते हैं।
- साल 1955 में सरकार ने अश्वेतों को उनकी कॉलोनियों से भगाना शुरू कर दिया था, रंगभेद के नाम पर हो रहे इस जुल्म ने मंडेला को अंदर से झकझोर दिया। तब मंडेला इतने परेशान हो गए थे कि उन्होंने ऐलान कर दिया कि हिंसा का जवाब हिंसा है। तब एएनसी ने मंडेला को बाहर कर दिया था। तब मंडेला ने आंदोलनकारियों की लीडरशिप अपने हाथों में ले ली थी।
- साल 1957 आया नेल्सन मंडेला की मुलाक़ात विनी नामक लड़की से हुई, दोनों आंदोलन में अग्रसर थे। दोनों साथी बने फिर जीवनसाथी। 40 साल के मंडेला ने 23 साल की विनी के साथ शादी कर ली थी।
- नेल्सन मंडेला की शादी के बाद तीन संतानों का जन्म हुआ।
- पहली शादी मंडेला की चल नहीं पाई, साल आया 1957 और इसी साल मंडेला का तलाक हो गया था।
- फिर एक साल बाद 1958 में, नेल्सन मंडेला ने दूसरी शादी की, इस बार लड़की का नाम माडीकिजेला था।
- माडीकिजेला ने ही नेल्सन मंडेला को जेल से छुडवाने में मुख्य किरदार अदा किया था।
- साल 1960, दक्षिण अफ्रीका की गोरी सरकार ने एक कानून बनाया था कि कोई भी काला आदमी बिना परमीशन के श्वेत बस्ती में नहीं जा सकता था। इस क़ानून का विरोध नेल्सन मंडेला ने किया था। इस दमन में 69 लोगों की जान गई थी। अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस भी अब समझ चुकी थी कि हथियार ही अंतिम रास्ता है, तब एएनसी की मिलिट्री विंग बनाई गई और इसका जिम्मा नेल्सन मंडेला को दिया गया था।
- मंडेला तीन महीनो के लिए भूमिगत थे, इस बीच उन्होंने ‘प्रिंसेज ऑफ़ वॉर’ नाम की किताब को पढ़ा और रंग भेदी व्यवस्था को उखाड़ फेकने के लिए ताना-बाना बुना।
Nelson Mandela के जीवन का टर्निंग पॉइंट
नेल्सन मंडेला की ऑटोबायोग्राफी ‘लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम’ पढ़िए तो पता चलता है कि मंडेला के पिता का फेफड़े के कैंसर से निधन हो गया था, यही घटना उनके जीवन की टर्निंग पॉइंट बनकर आती है।
- उस समय दक्षिण अफ्रीका में थेम्बु समुदाय के प्रमुख जोंगिंताबा जेलिनजायेबो हुआ करते थे।
- जब नेल्सन मंडेला के पिता का देहांत हुआ तो उसके बाद जोंगिंताबा जेलिनजायेबो ने ही उन्हें गोद लिया था।
- फिर उसके बाद ही क्लार्कबरी बोर्डिंग इंस्टिट्यूट और वेजलियन कॉलेज जैसे प्रसिद्ध संस्थान में नेल्सन को पढ़ने का मौका मिला।
- इसके साथ ही उन्होंने बॉक्सिंग और ट्रैक रनिंग भी सीखी थी, साथ ही लीडरशिप की कला भी उनको सीखने को मिली थी।
12 जून और Nelson Mandela के जीवन का कनेक्शन-
12 जून 1964 को आखिर ऐसा क्या हुआ था कि ये तारीख नेल्सन मंडेला के जीवन में छाप छोड़ गई? नेल्सन मंडेला फाउंडेशन की वेबसाइट के अनुसार 12 जून साल 1964 को ही नेल्सन मंडेला के साथ 7 अन्य लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। Nelson Mandela पर हिंसक गतिविधि का आरोप लगाया गया था।
- जेल के अंदर जब नेल्सन मंडेला थे तभी उनकी मां का निधन भी हो गया था।
- उसी अंतराल में उनके बड़े बेटे का निधन भी हुआ था।
- समय का कुछ ऐसा सितम था कि नेल्सन मंडेला को अपनी मां और बेटे के अंतिम संस्कार तक में जाने की अनुमति नहीं दी गई थी।
आत्मकथा-
नेल्सन मंडेला 1962 से 90 तक जेल में थे, इस दौरान उन्होंने गुप्त तरीके से आत्मकथा भी लिख डाली थी।
- बुक का नाम था ‘लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम’।
- ये जीवनी साल 1994 में प्रकाशित भी हुई।
जेल से रिहाई और पहले अश्वेत राष्ट्रपति –

तारीख थी 11 फ़रवरी और साल था 1990, कारावास में 27 साल गुजारने के बाद रिहाई हुई विश्व के सबसे बड़े क्रांतिकारी नेल्सन मंडेला की, जिन्हें दक्षिण अफ्रीका में राष्ट्रपिता के रूप में लोग बहुत प्यार करते हैं।
- रिहाई के बाद सबसे बड़ा सवाल था कि अब क्या करेंगे नेल्सन मंडेला?
- इसका जवाब उन्होंने लोकतांत्रिक अफ्रीका की नींव रखकर दिया।
- फिर साल 1994 में रंगभेद रहित चुनाव हुए, अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62 प्रतिशत मत प्राप्त किये और बहुमत के साथ सरकार बनी।
तारीख आई 10 मई 1994 दक्षिण अफ्रीका अपने लिए एक नया इतिहास बनाने जा रहा था, इसी दिन नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति चुने गए थे।
सम्मान-
नेल्सन मंडेला फाउंडेशन की वेबसाइट के अनुसार-
नेल्सन मंडेला ने रंगभेद के खिलाफ पुरजोर तरीके से लड़ाई लड़ी थी, जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने नवंबर 2009 में 18 जुलाई को ‘मंडेला दिवस’ घोषित किया था।
- 1993 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति फ़्रेडरिक विलेम डी क्लार्क के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 23 जुलाई 2008 को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- नेल्सन मंडेला को 9 जुलाई, 2002 में राष्ट्रपति जॉर्ज बुश द्वारा
Presidential Medal of Freedom से सम्मानित किया गया। - नेल्सन मंडेला को ऑर्डर ऑफ लेनिन से भी सम्मानित किया गया था।
मृत्यु-
नेल्सन मंडेला ने 95 साल की उम्र में 5 दिसंबर 2013 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया, और अपने पीछे छोड़ गए जीवन का सार कि –
‘जब तक काम ना किया जाए तो असंभव ही लगता है’। नेल्सन ने बता दिया कि मंडेला कभी मर नहीं सकते वो हमेशा लोगों के दिलों में ‘मदीबा’ बनकर जिंदा रहेंगे।
सारांश-
नेल्सन मंडेला ने कहा था कि ‘शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है, जिसका इस्तेमाल दुनिया को बदलने के लिए किया जा सकता है’। इसी शिक्षा के कारण ही नेल्सन मंडेला दुनिया के लिए एक प्रतिबिंब छोड़कर गए हैं। इसी के साथ ये बताकर गए हैं कि –
‘बड़े गर्व की बात कभी न गिरने में नहीं है बल्कि हर बार गिर कर उठने में है’ इसलिए ही इस विश्व के इतिहास में एक महात्मा गांधी और एक ही नेल्सन मंडेला हुए हैं, इतना आसान नहीं किसी का ‘मदीबा’ हो जाना।
बेहतरीन लेख और लेखन।
Well researched and Informative Engaging writing style.
Well Done.
Aisa laga jaise film chal rahi ho.
Best Informative Article
Thanks to Writer and Open naukri platform for this one.
Kaafi samay baad kuch mast padhne ko mila, ise share bhi kar raha hoon.
Keep writing
Pls improve ur language sir
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Best Article Sir
Research based report
उम्दा लेख, बेहद आकर्षक ढ़ंग से समझाए हैं सर ।
ओपन नौकरी प्लेटफॉर्म सराहनीय ।
Exceptional well written open naukri
Thank you so much for this feedback Vishal. Don’t miss on our newsletter, subscribe today!
Shandar, knowledge based article
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Thanks Shubham, keep visiting and share your valuable feedback.
Well written article with proper research
Please write on political topics also.