12 अक्टूबर 1999: 17 घंटों में परवेज मुशर्रफ ने कर दिया था नवाज शरीफ की सरकार का तख्तापलट

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Pervez Musharraf political history

History of 12th October: तारीख थी 12 अक्टूबर साल था 1999, भले ही ये तारीख आपको आम सी लगे। लेकिन इस तारीख के दिन ही पाकिस्तान की सियासत ने काला दिन देखा था। इसी दिन वहां पर सैन्य तख्तापलट हुआ था। इस तख्तापलट को अंजाम पूर्व पाकिस्तान के आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) ने दिया था।

आपको बता दें कि 12 October 1999 के दिन महज़ 17 घंटों के भीतर परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) ने तब के पाकिस्तानी तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) की सरकार के नीचे से ज़मीन ही खिसका दी थी।

इसके साथ ही आपको अवगत करा दें कि पाकिस्तानी पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) को नवंबर 2007 को देश में आपातकाल लगाने के जुर्म में मौत की सजा सुना दी गई है।  लेकिन इस तानाशाह के ऊपर बस आपातकाल लगाने का ही जुर्म नहीं है बल्कि उसके पहले ही इसने साल 1999 में पाकिस्तान की सियासत को कला करने का काम कर दिया था।

इस लेख के मुख्य बिंदु-

  • इस कहानी की शुरुआत करने से पहले हम जान लेते हैं कि आखिर कौन हैं परवेज मुशर्रफ?
  • 12 अक्टूबर 1999 को पाकिस्तान में हुआ था सैन्य तख्तापलट
  • नवाज़ शरीफ को हटाने का पूरा खेल कुछ ऐसा था
  • सरांश

इस कहानी की शुरुआत करने से पहले हम जान लेते हैं कि आखिर कौन हैं परवेज मुशर्रफ?

आपको संक्षेप में बता दें कि जनरल परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) करगिल युद्ध के समय पाकिस्तानी सेना के प्रमुख हुआ करते थे। कई रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया है कि परवेज मुशर्रफ करगिल युद्ध को लेकर तब के पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को धोके में रखा हुआ था। इसी के साथ आपको अवगत करा दें कि Pervez Musharraf ने साल 1999 में उस वक्त तख्तापलट को अंजाम दिया था। जिस वक्त Nawaz aharif श्रीलंका में थे। इस तख्तापलट के बाद परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) ने खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति भी घोषित कर दिया था।

12 अक्टूबर 1999 को पाकिस्तान में हुआ था सैन्य तख्तापलट

सैन्य तख्तापलट एक तरह की क्रान्ति ही थी। लेकिन इसे रक्तविहीन क्रान्ति भी कहा जाता है। इस तख्तापलट के दौरान तब के पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) के ऊपर श्रीलंका से लौट रहे परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) के विमान के अपहरण का इल्जाम लगा था।

  • इस आरोप के साथ उनको आतंकवाद फैलाने के इल्जाम पर गिरफ्तार भी कर लिया गया था।
  • इसके बाद नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) को उनके परिवार के साथ सऊदी अरब भेज दिया गया था।

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नवाज़ शरीफ को हटाने का पूरा खेल कुछ ऐसा था

बात कुछ ऐसी है कि पूर्व जनरल परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) श्रीलंका के दौरे पर थे। तभी उनके गोपनीय सूत्रों ने खबर दी थी कि नवाज़ शरीफ (Nawaz Sharif)  उन्हें पद से हटाना चाहते हैं। उन्हें ये भी पता चला था कि शरीफ और इंटेलिजेंस चीफ जनरल जियाउद्दीन की इस्लामाबाद में एक बैठक हो रही है।

  • तब तक परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) को ये भी पता चल गया था कि उनकी बर्खास्तगी को रिटायरमेंट घोषित किया जायेगा। उनके स्थान पर जियाउद्दीन को बैठाने का प्लान था।
  • परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) बिना देर किये हुए कोलंबो एयरपोर्ट से कराची की ओर निकल दिए थे।
  • वो दौर ऐसा था कि परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) के वफादार और आर्मी जवान एयरपोर्ट के पास इकट्ठा होने लगे थे।
  •  नवाज़ शरीफ (Nawaz Sharif)  ने भी अपना खेल दिखाया और उसी दोपहर जनरल जियाउद्दीन को नया सेना प्रमुख बनाने का ऐलान कर दिया था।
  • लेकिन नवाज के सामने दिक्कत ये थी कि कोई भी बड़ा अधिकारी उनकी बात मानने को तैयार नहीं हो रहा था।
  • सरकार के साथ-साथ आर्मी भी नवाज़ के विरोध में ही खड़ी हुई थी।
  • नवाज़ शरीफ (Nawaz Sharif)  की कोई भी योजना उनके मुताबिक़ काम नहीं कर रही थी।
  • लेकिन अभी ड्रामा और भी बाकी था। शरीफ और जनरल जियाउद्दीन ने मौके को देखते हुए ये फैसला किया कि परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) को पाकिस्तान लौटने ही ना दिया जाए।
  • अगले नौटंकी का चरम ये था कि नवाज़ शरीफ (Nawaz Sharif)  के कार्यालय से जनरल मुशर्रफ (Pervez Musharraf) के रिटायरमेंट की घोषणा कर दी गई।
  • इस ऐलान के बाद से ही आर्मी के अंदर बगावत भी शुरू हो गई थी। बगावती सुर इतने तेज हो चुके थे कि कोई भी प्रधानमंत्री को सुनना ही नहीं चाहता था। नवाज़ शरीफ की हालत उस धोबी की तरह हो गई थी। जिसका ना कोई घर था  और ना ही ठिकाना।
  • आर्मी का विरोध इतना तेज था कि  एक घंटे बाद ही 111 बिग्रेड की 10वीं कॉर्प्स इस्लामाबाद के लिए कूच कर चुकी थी। उनका एक ही लक्ष्य था कि या तो परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) के हांथों में देश की कमान होगी या फिर पाकिस्तान को जला के खत्म कर दिया जाएगा।
  • पाकिस्तानी आर्मी ने Nawaz Sharif के घर को चारों तरफ से घेर लिया था। इसके साथ ही वहां मौजूद सभी जवानों को भी बंदी बना लिया गया था।
  • नवाज़ शरीफ ने भी अपने फैसले को बदलने से मना कर दिया था। इसके बाद उन्हें एक गेस्ट हाउस में कैद करके रख दिया गया था।
  • आर्मी ने सभी प्रशासनिक इमारतों को कब्जा कर लिया था। इसके साथ ही पूरी कैबिनेट को भी हाउस अरेस्ट कर दिया गया था।
  • इन सबके बावजूद अभी तक Pervez Musharraf ने पाकिस्तान पर कदम नहीं रखा था।
  • परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) की फ्लाइट को एयरपोर्ट में लैंड करने की इजाजत नहीं दी जा रही थी। लेकिन फिर आर्मी ने ही पूरी व्यवस्था पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद ही परवेज मुशर्रफ की फ्लाइट को लैंड करवाया गया था।
  • फिर 12 अक्टूबर 1999 को रात के 10 बजकर 15 मिनट पर सरकारी चैनल पर नवाज़ शरीफ को निकालने का ऐलान भी कर दिया गया था।
  • अगली सुबह 12 अक्टूबर 1999 को परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान की जनता का संबोधन भी किया था और खुद को उनके राष्ट्रपति के तौर पर स्थापित भी कर दिया था।
  • पाकिस्तान के इतिहास में हमेशा ही परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) को सैन्य तानाशाह के रूप में याद किया जायेगा।

सरांश

साल 2007 में संविधान को निलंबित करने और आपातकाल लगाने के लिए परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) पर देशद्रोह का मुकदमा चला और उन्हें मौत की सजा भी सुना दी गई है। इसके बाद साल 2016 में  परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) ईलाज का बहाना बनाकर दुबई भाग गये। फिलहाल वो दुबई में ही हैं।

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