महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध नारे एक नजर में

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हमारे महापुरुषों के कई महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध नारे हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो गए हैं और इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हैं।

भारतीय महापुरुषों और उनके नारे के बारे में जानना बेहद दिलचस्प है, क्योंकि जब-जब ये नारे उनके द्वारा दिए गए हैं, तब-तब इनके पीछे कोई-न-कोई ऐसी परिस्थिति अवश्य रही है, जिनका प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हमसे कोई-न-कोई सरोकार जरूर रहा है। इन महापुरुषों के नारे आज भी याद किए जाते हैं। साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इनसे संबंधित सवाल पूछे जाते हैं। इस लेख में हम आपको भारत के महत्वपूर्ण महापुरुषों एवं उनके नारों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

भारतीय महापुरुषों द्वारा दिए गए नारों में ज्यादातर स्वतंत्रता संग्राम के नारे हैं। तो चलिए दोस्तों अब हम शुरुआत करते हैं नारों से जुड़े इस बेहद दिलचस्प लेख की।

  1. आराम हराम है – जवाहर लाल नेहरू

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महान स्वतंत्रता सेनानी जवाहरलाल नेहरू, जो कि स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री भी बने, उन्होंने यह नारा इसलिए दिया था, क्योंकि उनका मानना था कि बिना कठोर परिश्रम के देश को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराना संभव नहीं है।

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  1. भारत छोड़ो – महात्मा गांधी

वर्ष 1942 में महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए भारत छोड़ो आंदोलन की वजह से यह नारा बेहद प्रसिद्ध हो गया और महात्मा गांधी के नाम से ही यह नारा विख्यात भी हुआ। हालांकि, भारत छोड़ो का नारा भारत की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे एवं इस आंदोलन में आगे-आगे चल रहे नेताओं में से एक युसूफ मेहर अली ने दिया था।

  1. जय हिंद – नेताजी सुभाष चंद्र बोस

भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के दौरान जय हिंद का नारा भी बेहद लोकप्रिय हुआ था। आज ज्यादातर लोग यही जानते हैं कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जय हिंद का नारा दिया था। हालांकि, जय हिंद का नारा वास्तव में क्रांतिकारी आबिद हसन सफ़रानी ने दिया था। आजाद हिंद फौज के गठन के बाद जब यह सवाल उठा था कि फौज के सैनिक आपस में अभिवादन करने के लिए किस भारतीय शब्द का इस्तेमाल करेंगे, तब हुसैन द्वारा दिए गए जय हिंद के नारे पर आम सहमति बन गई थी और 2 नवंबर, 1941 से आजाद हिंद फौज का युद्धघोष जय हिंद ही बन गया था।

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  1. वंदे मातरम – बंकिम चंद्र चटर्जी

वंदे मातरम न केवल आजादी के संघर्ष के दौरान क्रांतिकारियों की जुबां पर था, बल्कि आज भी राष्ट्रगीत के रूप में यह सम्मान प्राप्त करता है। बंकिम चंद्र चटर्जी ने वंदे मातरम की रचना की थी और सबसे पहले दिसंबर, 1905 में कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में वंदे मातरम को राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकार किया गया था।

  1. जय जवान जय किसान – लाल बहादुर शास्त्री

जब उन्हें 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जवानों एवं किसानों में नई जान फूंकने के लिए जय जवान जय किसान का नारा दिया था।

  1. स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे – बाल गंगाधर तिलक

मराठी भाषा में लोकमान्य तिलक ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान यह नारा दिया था कि “स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच।” यही स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे के रूप में प्रख्यात हो गया।

  1. करो या मरो – महात्मा गांधी

वर्ष 1942 में जब 8 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई थी, तब महात्मा गांधी ने अपने भाषण में करो या मरो का नारा दिया था और सभी भारतवासियों से इस आंदोलन को सफल बनाने की अपील की थी।

  1. सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है – राम प्रसाद बिस्मिल

भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के दौरान क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल द्वारा दिया गया यह नारा सभी क्रांतिकारियों के अंदर गजब का जोश भर देता था। देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए यह नारा हर किसी को प्रेरित करता था।

  1. तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा – नेताजी सुभाष चंद्र बोस

महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध नारे की बात हो रही है, तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा दिए गए इस नारे को कभी भी नहीं भुला जा सकता, जो कि उन्होंने रंगून के जुबली हॉल में अपने ऐतिहासिक भाषण के दौरान दिया था।

  1. वेदों की ओर लौटें – स्वामी दयानंद सरस्वती

सत्यार्थ प्रकाश की रचना करने वाले और वर्ष 1875 में आर्य समाज की स्थापना करने वाले महान समाज सुधारक एवं संस्कृत व वेदों के प्रकांड विद्वान स्वामी दयानंद सरस्वती ने वेदों की ओर लौटें का नारा दिया था।

  1. पूर्ण स्वराज – जवाहर लाल नेहरू

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 31 दिसंबर, 1929 को लाहौर में रावी नदी के तट पर पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पारित किया था। यहीं पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पूर्ण स्वराज का नारा दिया था। उन्होंने कहा था कि आजादी का मतलब सिर्फ विदेशी सत्ता से छुटकारा पाना ही नहीं, बल्कि राजा-महाराजाओं के भी चंगुल से मुक्त पूर्ण स्वराज्य को प्राप्त करना है।

  1. इंकलाब जिंदाबाद – भगत सिंह

भारतीय महापुरुषों और उनके नारे का जिक्र हो रहा हो, तो भारत के महान क्रांतिकारी भगत सिंह के इंकलाब जिंदाबाद के नारे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, जो कि उन्होंने दिल्ली की असेंबली में 8 अप्रैल, 1929 को बम फेंकते वक्त अपने क्रांतिकारियों के साथ बुलंद किया था।

  1. साइमन कमीशन वापस जाओ – लाला लाजपत राय

भारत के महान क्रांतिकारी लाला लाजपत राय ने साइमन कमीशन वापस जाओ का नारा तब दिया था, जब 3 फरवरी, 1928 को साइमन कमीशन भारत पहुंचा था। इसी का विरोध करते हुए 30 अक्टूबर, 1928 को पुलिस की लाठी से बुरी तरह से घायल होने की वजह से लाला लाजपत राय 17 नवंबर, 1928 को शहीद हो गए थे।

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  1. सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा – इकबाल

मशहूर दार्शनिक और कवि मोहम्मद इकबाल ने वर्ष 1905 में इसे लिखा था। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इकबाल द्वारा दिया गया यह नारा घर-घर में गूंज रहा था।

  1. दिल्ली चलो – सुभाष चंद्र बोस

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नारे में दिल्ली चलो का नारा भी बहुत ही प्रसिद्ध है, जिसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हॉल के सामने सेना को संबोधित करते हुए दिया था।

भारतीय महापुरुष और उनके नारे

  • हे राम – महात्मा गांधी
  • हू लिव्स इफ इंडिया डायज – जवाहरलाल नेहरू
  • साम्राज्यवाद का नाश हो – भगत सिंह
  • जय जगत – विनोबा भावे
  • हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान – भारतेंदु हरिश्चंद्र
  • मारो फिरंगी को – मंगल पांडे
  • दासता के हलवे से आजादी के सूखे चने कहीं अच्छे हैं – सुभाष चंद्र बोस
  • कश्मीर चलो – डॉ मुरली मनोहर जोशी
  • जन गण मन – रविंद्र नाथ टैगोर
  • विजयी विश्व तिरंगा प्यारा – श्याम लाल गुप्ता
  • संपूर्ण क्रांति – जयप्रकाश नारायण
  • कर मत दो – सरदार वल्लभभाई पटेल
  • काम अधिक बातें कम – संजय गांधी
  • देश की पूजा ही राम की पूजा है मदन लाल धींगरा
  • जय जवान जय किसान जय विज्ञान – अटल बिहारी वाजपेयी
  • देश बचाओ देश बनाओ – पीवी नरसिम्हा राव

चलते-चलते

महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध नारे हमें इस बात का एहसास कराते हैं कि भारत को आजादी दिलाने के लिए हमारे महापुरुषों ने किस तरह से लोगों के अंदर देशप्रेम की भावना भरने का प्रयास किया था। इन नारों को हम इसलिए भी नहीं भुला सकते, क्योंकि ये आज भी हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं।

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