शहरी क्षेत्र जितने विकसित हो गए हैं, देश के ग्रामीण क्षेत्रों में उतना विकास नहीं हो पाया है। इसके लिए सरकार की तरफ से ग्रामीण इलाकों में भी निवेश आदि पर बल दिया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं के कार्यान्वयन के साथ रणनीति बनाने एवं उन्हें मैनेज करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रोफेशनल्स की जरूरत पड़ रही है। ऐसे में रूरल मैनेजमेंट एक खास तरह का स्पेशलाइजेशन है, जिसे कि करियर के रूप में अपनाना फायदे का सौदा साबित हो सकता है। तभी तो career guidance के दौरान विशेषज्ञ भी स्टूडेंट्स को रूरल मैनेजमेंट कोर्स का चयन करने का सुझाव आजकल दे रहे हैं। इस लेख में हम आपको rural management career के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
इस लेख में आप पढ़ेंगे:
- रूरल मैनेजमेंट कोर्स के लिए योग्यता
- रूरल मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले गुणवत्तापूर्ण संस्थान
- रूरल डेवलपमेंट में मौजूद स्पेशलाइजेशन
- रूरल मैनेजमेंट में संभावनाएं
रूरल मैनेजमेंट कोर्स के लिए योग्यता
यदि आप career in rural management को गंभीर हैं, तो फिर आपको इसमें एडमिशन लेने के लिए योग्यता और प्रवेश परीक्षा आदि की संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए। इससे आप आगे चलकर अपने मनपसंद कॉलेज या यूनिवर्सिटी में दाखिला ले पाएंगे। एक नजर डालते हैं रूरल डेवलपमेंट कोर्स में एडमिशन लेने के लिए जरूरी योग्यताओं पर।
- यदि आप रूरल मैनेजमेंट में डिप्लोमा कोर्स करना चाहते हैं, तो इस फाउंडेशन कोर्स में एडमिशन के लिए आपका 10+2 यानी कि 12वीं में कम-से-कम 50% कुल अंकों के साथ उत्तीर्ण होना जरूरी है। रूरल मैनेजमेंट के डिप्लोमा कोर्स में नामांकन प्राप्त करने के लिए राज्यों की तरफ से प्रवेश परीक्षाएं ली जाती हैं। कॉमन एंट्रेंस फॉर्म के जरिए आप इसके लिए आवेदन ऑनलाइन कर सकते हैं।
- रूरल मैनेजमेंट के अंडर ग्रेजुएट कोर्स में यदि आप नामांकन लेने के इच्छुक हैं, तो न्यूनतम 50 प्रतिशत कुल अंकों के साथ आप किसी भी स्ट्रीम में 10+2 उत्तीर्ण होने चाहिए। देश के कई विश्वविद्यालयों में रूरल मैनेजमेंट का कोर्स करवाया जाता है, जिनमें एडमिशन के लिए कई विश्वविद्यालयों की तरफ से प्रवेश परीक्षाएं भी ली जाती हैं।
- रूरल मैनेजमेंट का पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स करने के लिए किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज या विश्वविद्यालय से आपका कम-से-कम 50% अंकों के साथ ग्रेजुएट होना जरूरी है। पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के लिए कई तरह की प्रवेश परीक्षाएं ली जाती हैं, जिनमें कैट, मैट, स्नैप, आईआरएमए, एनएमआईएमएस, सीमैट, इक्फ़ाई और एमएच-सीईटी आदि शामिल हैं।
- पीएचडी की डिग्री यदि आप रूरल मैनेजमेंट में हासिल करना चाहते हैं, तो इसके लिए एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त किसी भी कॉलेज या विश्वविद्यालय से रूरल मैनेजमेंट में आपके पास पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री होनी जरूरी है। संभव है कि इसके बाद आपको एंट्रेंस एग्जाम भी देना पड़े। संबंधित स्ट्रीम में यदि आप स्नातकोत्तर की डिग्री ले लेते हैं, तो आप इससे संबंधित किसी भी यूनिवर्सिटी में पीएचडी प्रोग्राम के लिए आवेदन भी कर सकते हैं।
रूरल मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले गुणवत्तापूर्ण संस्थान
Rural management career धीरे-धीरे लोकप्रिय होता जा रहा है। ऐसे में इससे संबंधित कोर्स की मांग भी लगातार बढ़ती जा रही है। अधिकतर कंपनी इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा विकास और मुनाफा कमाना चाहती है। इसके लिए वह इन चीजों का आकलन करना चाहती है। रूरल मैनेजमेंट एक ऐसा कोर्स है, जहां उम्मीदवारों को बहुत ही धैर्य रखना पड़ता है। साथ ही दृढ़ संकल्पित भी होना उनका जरूरी होता है। देश में कई अच्छे संस्थान मौजूद हैं, जहां रूरल डेवलपमेंट कोर्स मौजूद हैं। इन संस्थानों में आवेदन करके आप इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने का सपना साकार कर सकते हैं। ये संस्थान निम्नवत हैं:
- भारतीय प्रबंधन संस्थान, लखनऊ
- जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, भुवनेश्वर
- केरल कृषि विश्वविद्यालय केरल,
- भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद
- चंद्रशेखर अाजाद यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, कानपुर
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल मार्केटिंग, जयपुर
- जेवियर विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, आनंद, गुजरात
- जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सर्विसेज, झारखंड
- सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस, पुणे
रूरल डेवलपमेंट में मौजूद स्पेशलाइजेशन
- रूरल मार्केटिंग और मैनेजमेंट रूरल डेवलपमेंट कोर्स के अंतर्गत एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्पेशलाइजेशन है। विक्रेता अपने उत्पादों और अपनी सेवाओं की मार्केटिंग करने के लिए रणनीति तैयार करते हैं। यह रणनीति किस तरह से तैयार की जाती है, मार्केटिंग की सही तकनीक क्या होती है, इन सभी चीजों की पढ़ाई इस स्पेशलाइजेशन में होती है।
- देश के ग्रामीण इलाकों में भारतीय कानूनों और उनके प्रभाव का अध्ययन सोशल सिक्योरिटी प्रॉब्लम्स, पॉलिसीज एंड प्रोग्राम नामक स्पेशलाइजेशन के अंतर्गत होता है। इसमें यह पढ़ने के लिए मिलता है कि हमारी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए कानून और व्यवस्था किस तरह से महत्वपूर्ण होती है।
- रूरल डेवलपमेंट कोर्स में रूरल प्लैनिंग एंड डेवलपमेंट नाम का भी एक स्पेशलाइजेशन होता है, जिसमें ग्रामीण परिदृश्य से संबंधित जानकारी दी जाती है और कौशल का विकास किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र की प्रगति के लिए जो संसाधन उपलब्ध हैं, उनका सही उपयोग कैसे किया जाए, इसकी जानकारी इसमें मिलती है।
- रूरल मैनेजमेंट कोर्स के अंतर्गत एक और स्पेशलाइजेशन रूरल कम्युनिटी फैसेलिटीज एंड सर्विसेज के नाम से भी है, जिसमें यह पढ़ने के लिए मिलता है कि जल निकासी और स्वच्छता जैसी बुनियादी आधारभूत सुविधाएं ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए किस तरह से जरूरी हैं और इनका विकास किस तरह से होना चाहिए।
इन पदों पर मिल सकती है नौकरी
- रूलर डेवलपमेंट ऑफिसर
- सेल्स ऑफिसर
- सेल्स/बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर
- नेशनल सेल्स डेवलपमेंट मैनेजर
- बिजनेस डेवलपमेंट एग्जीक्यूटिव
- परचेज वेंडर डेवलपमेंट ऑफिसर
इन कंपनियों में मिल सकती है नौकरी
- गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन
- मदर डेयरी फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स प्राइवेट लिमिटेड
- इंडसइंड बैंक लिमिटेड
- गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड
- बिहार लाइवलीहुड प्रमोशन सोसायटी (जीविका)
- नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड
- आईटीसी लिमिटेड एग्रो बिजनेस डिविजन
- मुथूट फिनकॉर्प
- एडीएम एग्रो इंडस्ट्रीज
- मैक्रो फूड्स
- कैरा ज़िला सहकारी दूध उत्पादक संघ लिमिटेड
रूरल मैनेजमेंट में संभावनाएं
- भारत की अब भी दो तिहाई आबादी गांवों में ही बसती है। गांवों के विकास के लिए भी सरकार की तरफ से कई तरह की योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। इसलिए युवा यदि रूरल मैनेजमेंट कोर्स को अपने लिए चुनते हैं, तो इसकी पढ़ाई करके वे न केवल अपने लिए खुद का एक बेहतरीन करियर बना सकते हैं, बल्कि देश के विकास में भी वे अपना योगदान दे सकते हैं।
- इस क्षेत्र में काम करने वालों से अधिकतम योगदान देने की उम्मीद की जाती है। रूरल मैनेजमेंट का क्षेत्र निराश नहीं करता है। वह इसलिए कि यहां जहां एरिया एग्जीक्यूटिव को 4 से 5 लाख रुपये सालाना सैलरी के तौर पर मिल जाते हैं, वहीं मार्केटिंग एंड सेल्स मैनेजर की भी इतनी ही कमाई सालाना हो जाती है। यही नहीं, रिसर्च हेड सालाना 7 से 8 लाख रुपये, सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर 4 से 5 लाख रुपये और रूरल मैनेजर सालाना 1 से 3 लाख रुपये तक कमा लेते हैं।
चलते-चलते
इस लेख को पढ़ने के बाद आपको समझ आ गया होगा कि career in rural management के लिए यह वक्त कितना उपयुक्त है। ग्रामीण इलाकों का भी ठीक तरीके से विकास करने के लिए पेशेवरों की बड़ी जरूरत है, क्योंकि विभिन्न तरह की योजनाओं के सफलतापूर्वक कार्यान्वयन के लिए योग्य एवं जानकार लोगों की इस क्षेत्र में बड़ी जरूरत है। ऐसे में यदि आप रूरल मैनेजमेंट की डिग्री हासिल कर लेते हैं, तो इस क्षेत्र में रोजगार के जितने भी अवसर पैदा होंगे, उनके लिए आप पूरी तरीके से खुद को समर्थ पाएंगे। इस तरह से न केवल आपकी व्यक्तिगत तरक्की का द्वार खुलेगा, बल्कि गांवों के विकास में अपनी भूमिका निभाकर आपको आत्मसंतुष्टि भी नसीब होगी।