Alpha Centauri Bb को एक गैर-सौरीय ग्रह के तौर पर जाना जाता है। नरतुरंग यानी कि सेंचुरियस तारामंडल में Alpha Centauri यानी कि मित्र तारा एक ऐसा तारा है, जो सबसे ज्यादा चमकता हुआ दिखता है। धरती से दिखने वाले तारों की बात करें तो यह चौथा ऐसा तारा है, जिसमें कि सबसे ज्यादा चमक होती है। Alpha Centauri Bb इसी की परिक्रमा करता है।
इस लेख में आप जानेंगे:
- Alpha Centauri B Planet से जुड़े तथ्य
- Alpha Centauri के तारों के बारे में
- Alpha Centauri B Planet पर एक नजर
Alpha Centauri B Planet से जुड़े तथ्य
- Alpha Centauri को जब हम धरती से देखते हैं तो यह एक ही नजर आता है, जबकि वास्तविकता यह है कि यह एक नहीं, बल्कि तीन तारों का एक समूह है। दो तारे इसमें से एक समूह बनाते हैं, जिन्हें की Alpha Centauri A और Alpha Centauri B कहते हैं, जबकि इसके समूह का जो तीसरा तारा है, वह इनसे थोड़ी दूरी पर स्थित है। इसे Alpha Centauri C के नाम से जाना जाता है। इसे प्रॉक्सिमा सेंचुरी भी कहते हैं।
- Alpha Centauri Binary Star System का ये तीनों तारे हिस्सा हैं।
- दूसरी सदी में दरअसल Alpha Centauri तारों की खोज हुई थी।
- Alpha Centauri Binary Star System का हिस्सा है, इस बात की पुष्टि वर्ष 1689 में जीन रिचर्ड ने की थी। यह दूसरा मौका था जब Alpha Centauri Binary Star System के तहत किसी तारे की खोज हुई थी।
- सूर्य को यदि छोड़ दें तो हमारी धरती के सबसे नजदीक का तारा प्रॉक्सिमा सेंचुरी ही है। धरती से इसकी दूरी 4.24 प्रकाश वर्ष की है। प्रॉक्सिमा सेंचुरी का आकार दरअसल इतना छोटा है कि इसे दूरबीन के बिना हम देख ही नहीं सकते।
- वैज्ञानिकों की ओर से 16 अक्टूबर, 2012 को यह घोषणा की गई कि सेंचुरियस तारामंडल के एक तारे Alpha Centauri B के आसपास एक गैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करते हुए नजर आया है। इसी ग्रह को Alpha Centauri Bb नाम दे दिया गया था।
- पृथ्वी से सबसे नजदीक के गैर-सौरीय ग्रह के रूप में Alpha Centauri Bb का ही नाम आता है, क्योंकि अब तक इसी के बारे में जानकारी मौजूद है। वैसे, अपने तारे के यह बहुत ही नजदीक है।
- Alpha Centauri को RIgil Kentaurus व Toliman नामों से भी जाना जाता है। अरबी भाषा के शब्द जुलमान से इसकी उत्पत्ति हुई है, जिसका मतलब शुतुरमुर्ग होता है।
Alpha Centauri के तारों के बारे में
अल्फा सेंचुरी में जो तीन तारे मौजूद हैं, उनके बारे में सबसे पहले आपको जानने लेना चाहिए।
Alpha Centauri A
- Alpha Centauri बी के साथ यह जुड़ा हुआ है और दूसरे समूह का हिस्सा है। इस समूह में इसे मुख्य तारा भी कहा जाता है।
- यह दरअसल G2V श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है, जिसका रंग पीला और सफेद है। सूरज के रंग से इसका रंग एकदम मिलता-जुलता है।
- द्रव्यमान की बात करें तो सूरज के द्रव्यमान से इसका द्रव्यमान कुछ ज्यादा है। यह लगभग 1.1 गुना है।
- चमक के मामले में भी यह सूर्य को मात देता है। सूर्य से यह ज्यादा चमकीला दिखता है। इसकी चमक सूर्य से 1.52 गुना है।
- सूर्य के व्यास से भी इसका व्यास अधिक है। यह 1.23 गुना है।
- अनुमानित आयु के भी मामले में यह सूर्य से कहीं आगे है। जहां सूर्य की अनुमानित आयु लगभग 25 करोड़ वर्ष से अधिक है, वहीं Alpha Centauri A की अनुमानित आयु लगभग 4.85 अरब वर्ष है।
Alpha Centauri B
- यह भी Alpha Centauri में दूसरे समूह का ही तारा है, जो कि यहां Alpha Centauri A से जुड़ा हुआ है। इसे Alpha Centauri A का छोटा साथी तारा भी कहते हैं।
- KIV श्रेणी का Alpha Centauri B दरअसल एक मुख्य अनुक्रम तारा है। रंग इसका नारंगी और पीला मिला हुआ है।
- सूर्य के द्रव्यमान की तुलना में इसका द्रव्यमान थोड़ा कम है। यह 0.91 गुना है।
- चमक के मामले में भी यह सूर्य से आधा है। यह 0.5 गुना है।
- Alpha Centauri B का व्यास भी सूर्य के व्यास से कम ही है। यह 0.87 गुना है।
- हालांकि, आयु के मामले में यह सूर्य से बहुत आगे है और Alpha Centauri A की तरह ही इसकी भी अनुमानित आयु लगभग 4.85 अरब वर्ष है।
Alpha Centauri C
M5Ve अथवा M5VIe श्रेणी का यह तारा है। इसे छोटा मुख्य अनुक्रम तारा भी कहते हैं, जो कि सूर्य से तुलना करने पर बेहद छोटा दिखता है।
Alpha Centauri B Planet पर एक नजर
- वैज्ञानिकों ने वर्ष 2012 के अक्टूबर में यह बताया था कि उन्होंने Alpha Centauri B तारे के चारों ओर एक गैर-सौरीय ग्रह को परिक्रमा करते हुए देखा था।
- Alpha Centauri Bb इसके बाद इसका नाम रख दिया गया था।
- इस ग्रह के आकार यानी कि द्रव्यमान और व्यास की बात करें तो यह पृथ्वी के लगभग बराबर दिखता है।
- हालांकि, अपने सूर्य से इसकी दूरी सिर्फ 60 लाख किलोमीटर की है। वहीं, पृथ्वी की सूर्य से दूरी 15 करोड़ किलोमीटर की है, जो कि इससे बहुत अधिक है।
- सूर्य से बेहद नजदीक होने के कारण इस ग्रह पर वैज्ञानिकों के मुताबिक तापमान बहुत ऊंचा हो सकता है। खगोलशास्त्रियों का यह अनुमान है कि इस ग्रह पर तापमान 12 डिग्री सेंटीग्रेड से भी ज्यादा हो सकता है। इसका अर्थ यह हुआ कि यहां जो पत्थर मौजूद हैं, वे लावा की तरह पिघली हुई अवस्था में होंगे।
- इस ग्रह की जो अपने सूर्य से इतनी नजदीकी है, उसकी वजह से सिर्फ 3.2 दिनों में ही यह अपने तारे की परिक्रमा आसानी से पूरी कर लेता है।
- वैसे, कई बार ऐसा पाया गया है कि जब इतने छोटे आकार के ग्रह मिलते हैं, तो उसी मंडल में और भी ग्रह मौजूद होते हैं। यही वजह है कि वैज्ञानिक यह अनुमान लगा रहे हैं कि इस तारे के और भी ग्रह मौजूद हो सकते हैं।
चलते-चलते
Alpha Centauri Bb नामक गैर-सौरीय ग्रह की खोज के बाद से खगोलशास्त्रियों को इस बात का यकीन हो गया है कि इस तरह के और भी ग्रह इसके आसपास मौजूद हो सकते हैं। ऐसे में उनकी तरफ से और भी ग्रहों की खोज का काम फिलहाल चल रहा है।