6G टेक्नोलॉजी क्या है और क्यों है यह महत्वपूर्ण?

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6G technology की सुगबुगाहट हमारे देश में शुरू हो चुकी है, जबकि अब तक 5G ने भी यहां दस्तक नहीं दी है। वर्ष 2030 तक 6G टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भारत में शुरू हो सकता है।

What is 6G technology यह सवाल आज इसलिए पूछा जा रहा है, क्योंकि 6G technology के बारे में चर्चा खूब हो रही है। भले ही 5G टेक्नोलॉजी जिसका इस्तेमाल दुनिया के कई देशों में शुरू हो चुका है, लेकिन भारत से यह अभी भी दूर है, फिर भी भारत में इसे लेकर लोगों के बीच कौतूहल का वातावरण बनने लगा है। कई ऐसे रिसर्च ग्रुप हैं, जो 6G टेक्नोलॉजी पर दुनियाभर में अनुसंधान कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अगले 10 साल के अंदर हम अपने देश में भी 6G technology को प्रयोग में लाना शुरू कर देंगे।

इसमें कोई शक नहीं कि 5G technology से 6G technology काफी एडवांस और बेहतर होने वाली है। देखा जाए तो 6G technology के बारे में फिलहाल ज्यादा जानकारी कहीं पर भी मौजूद नहीं है। फिर भी इस लेख में हम काफी रिसर्च करके आपके लिए 6G technology के बारे में कुछ ऐसी जानकारी लेकर आए हैं, जिससे इस वायरलेस टेक्नोलॉजी के बारे में आपका ज्ञान एकदम पुख्ता हो जाएगा।

क्या है 6जी तकनीक | What is 6G technology?

6G technology क्या है, आपके यह जानने से पहले हम आपको यह बता देते हैं कि 6G का फुल फॉर्म 6 Generation Communication है। वास्तव में 6G ने अब तक मूर्त रूप तो नहीं लिया है, लेकिन 5G के आने के बाद टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में यह एक क्रांतिकारी बदलाव लेकर आने वाला है।

  • फिनलैंड की University of Oulu में इस वक्त 6G technology पर शोध का काम चल रहा है। यहां वायरलेस टेक्नोलॉजी से संबंधित शोध होते रहते हैं।
  • 6G technology की विशेषता यह होगी कि अलग-अलग तरह के नेटवर्क को खुद से समाहित कर पाने में यह समर्थ होगा। यह विशेषता वैसे तो 5G टेक्नोलॉजी में भी मौजूद होगी, लेकिन 6G technology में खुद से यह चीज बहुत ही आसानी से हो जाएगी।
  • 6G का नेटवर्क इस मायने में बेहद अलग होगा कि इसे इस बात की जानकारी होगी कि उसे प्रयोग में लाया जा रहा है। यूजर्स किसी खास मौके पर इसे सही तरीके से प्रयोग में ला पाएंगे।
  • साथ ही 6G नेटवर्क की यह खासियत होगी कि यह अपने संसाधनों को फिर से व्यवस्थित कर सकता है। इसे यदि और ज्यादा संसाधनों की जरूरत होगी, तो यह उसके बारे में भी बताएगा, ताकि काम में किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं हो।
  • 6G नेटवर्क द्वारा इसके लिए एक स्वायत्त प्रणाली विकसित की जाएगी। यह खुद से सीखने में और उचित अनुमान लगाने में सक्षम होगी। इतना ही नहीं, एक प्रभावी योजना भी विकसित करने में यह समर्थ होगी।
  • 6G technology दरअसल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स को मिलाकर बनाई जा रही है, जो कि स्वायत्त यानी कि ऑटोनॉमस तरीके से काम करने में सक्षम होगी।

6G technology के लिए हमारी तैयारी

  • 6G technology दरअसल terahertz आधारित 6जी वायरलेस तकनीक होगी। निकट भविष्य में जो 5G टेक्नोलॉजी आने वाली है, यह उसकी जगह लेगी। इस बात की पूरी संभावना है कि अगले एक दशक में व्यवसायिक तौर पर इस्तेमाल के लिए यह तकनीक उपलब्ध हो जाएगी।
  • फिनलैंड की University of Oulu में 6G टेक्नोलॉजी के विकास पर जो काम चल रहा है, उससे इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले समय में हमें वायरलेस तकनीक का एक बिल्कुल ही अलग स्वरूप देखने के लिए मिलने वाला है।
  • आठ वर्षों के एक शोध कार्यक्रम को फाइनेंस करने की एकेडमी ऑफ फिनलैंड द्वारा वर्ष 2018 में घोषणा की गई थी। यह शोध कार्यक्रम सेंटर फॉर वॉयरलैस कम्युनिकेशंस की देखरेख में चलने वाला था। वर्तमान में इस प्रोग्राम के तहत बड़ी संख्या में शोधकर्ता 6G कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी को व्यावसायिक स्वरूप में आकार देने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।
  • 6G वायरलेस तकनीक की शुरुआती विकास की योजना पर काम भी शुरू हो चुका है। नई रेडियो तकनीक पर सेंटर फॉर कन्वर्ज्ड टेराहर्ट्ज कम्युनिकेशंस एंड सेंसिंग (ComSenTer) द्वारा काम भी चल रहा है, जिसके जरिए 6G technology का सपना साकार होगा।
  • यदि यह प्रयोग पूरी तरीके से कामयाब रहता है तो आने वाले समय में 1000 गीगाबाइट्स प्रति सेकंड की गति से 6G तकनीक का इस्तेमाल हम कर पाएंगे।
  • 100 गीगाहर्ट्ज से लेकर 1 टेराहर्ट्ज रेंज वाली उच्च फ्रीक्वेंसी को टेराहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी के नाम से जानते हैं।

6G technology का विकास और भारत

  • 6जी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के लिए हमें अपनी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए, क्योंकि वर्चुअल वातावरण के रूप में यह तकनीक बहुत जल्द हमारे सामने आ सकती है।
  • हाल ही में केंद्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी भारत में 6G के बुनियादी ढांचे के बारे में बातचीत की थी। उन्होंने यह बताया था कि स्वदेशी रूप से इसे हमारे यहां विकसित किया जा रहा है। यह अगली पीढ़ी की संचार प्रौद्योगिकी है। इसे विकसित करने की दिशा में अपने देश में भी तेजी से काम चल रहा है।
  • भले ही पूरी दुनिया में 6G तकनीक के कई वर्षों के बाद आने की बात चल रही है, लेकिन हमारे संचार मंत्री के मुताबिक वर्ष 2023 के अंत में या फिर वर्ष 2024 की शुरुआत में इसे जारी किया जा सकता है।
  • जिस 6G technology पर इस वक्त काम चल रहा है, उसकी यह एक बड़ी विशेषता है कि यह वर्चुअल एनवायरमेंट यानी कि आभासी वातावरण और मानव एवं भौतिक वातावरण को एक साथ ले आएगा। इसके लांच हो जाने से निश्चित रूप से डिजिटल स्पेस में एक नई क्रांति आ जाएगी। इसके अलावा इंटरनेट के इस्तेमाल का जो पारंपरिक तरीका है, वह भी बहुत हद तक बदल जाएगा।
  • 6G टेक्नोलॉजी में कृत्रिम बुद्धिमता का इस्तेमाल होने वाला है। साथ ही मशीन लर्निंग भी इसमें उपयोग में लाई जाएगी। इस तरह से भौतिक दुनिया के साथ यह एक नई चीज जुड़ जाएगी।
  • 6G technology के सबसे महत्वपूर्ण पहलू की हम बात करें तो वह यह है कि यह इस मामले में सक्षम होगी कि यह पर्यावरण, यहां रहने वाले लोगों एवं वस्तुओं को अच्छी तरह से समझ पाएगी।

6G technology का महत्व

  • 6G technology का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि इसकी वजह से डिजिटल दुनिया में काम करना बहुत ही आसान हो जाएगा। साथ ही इसकी वजह से अब तक बेहद जटिल माने जाने वाले शोध एवं अनुसंधान कार्य भी बहुत ही आसानी से संपन्न किए जा सकेंगे।
  • 6G नेटवर्क इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके आ जाने के बाद अंतरिक्ष संबंधी खोजों में भी काफी मदद मिलेगी। 6G नेटवर्क अपने पहले के सभी नेटवर्क की तुलना में काफी मजबूत होगा। साथ ही इसमें ढेरों विविधताएं भी देखने के लिए मिलेंगी।
  • वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी का इसमें मिश्रण तो देखने के लिए मिलेगा ही, साथ में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) का इसमें ज्यादा बेहतर तरीके से इस्तेमाल होगा।
  • इन सबके अलावा भी कई अन्य प्रकार की उन्नत तकनीकों के साथ भी 6G technology सामंजस्य बैठाने की क्षमता रखती है।

6G technology पर काम कर रहे देश

  • 6G technology पर भारत सहित दुनिया के कई देशों में इस वक्त काम चल रहा है। सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी 6G तकनीक पर काम कर रही है। उसी तरीके से जापान की ओसाका यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक भी 6G technology पर शोध करने में जुटे हुए हैं।
  • बीते वर्ष इन दोनों यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा यह बताया गया था कि उन्होंने टेराहर्ट्ज तरंगों के लिए एक चिप तैयार किया है, जिसका इस्तेमाल 6G technology में किया जा सकेगा।
  • उसी तरह से बीते वर्ष 6 नवंबर को चीन द्वारा 6G technology के लिए एक उपग्रह को सफलतापूर्वक एक रॉकेट का इस्तेमाल करके लांच किया गया था।

और अंत में

6G technology ही डिजिटल दुनिया का भविष्य है, यदि यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इस लेख में दी गई जानकारी यदि आपको काम की लग रही हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करना न भूलें।

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