ताजमहल – प्यार की निशानी या इतिहास की कहानी

5820

भारत का आगरा मानचित्र पर भले ही एक छोटा सा शहर हो, लेकिन यहाँ सात अजूबों में से एक स्थित है। इस शहर में बना हुआ विश्व प्रसिद्ध खूबसूरत इमारत ताजमहल विश्व धरोहर है जिसे देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग देखने आते है।  इसके इतिहास को वहाँ के पत्थर बहुत शान से बताते हैं;

प्यार का तोहफा:

मुगल शासक शाहजहाँ के हरम में अनेक रानियाँ थीं लेकिन उसे सबसे अधिक प्रिय मुमताज़ बेगम थीं। इसी कारण 1631 के आस-पास जब एक प्रसव में उनकी मृत्यु हो गयी तो शाहजहाँ, जिसने अनेक युद्ध जीते थे, एक साधारण प्रेमी के रूप में इस जुदाई को सह नहीं सका। अपनी प्रिय बेगम के अस्तित्व को जिंदा रखने के लिए शाहजहाँ ने 1632 में इस प्रेम की इमारत का निर्माण शुरू करवा दिया।

सफ़ेद मोती कैसे बना :

शाहजहाँ द्वारा जिस इमारत को प्यार की निशानी के रूप में बनाना था उसके निर्माण कार्य 11 वर्ष की अवधि में 1643 में पूरा हो गया था। इस के निर्माण में बगदाद से एक विशेष कारीगर को बुलवाया था जिसे पत्थरों पर नक्काशी करते हुए लिखने की कला आती थी। इसका साथ देने के लिए एक दूसरा कारीगर बुखारा शहर से बुलवाया गया जिसे पत्थरों को फूलों में बदलना आता था। इमारतों के बुलंद गुंबदों को बनाने के लिए तुर्की के इस्तांबुल के विशेष कारीगरों को आगरा बुलाया गया था। इस तरह दुनिया भर से अपने-अपने फन में माहिर 37 दक्ष कारीगर एकत्रित किए गए और उनकी देख-रेख में बीस हजार मजदूरों ने दिन रात काम करके प्यार की इस इमारत का निर्माण किया था। ताजमहल जिसके लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है वो संगमरमर राजस्थान के मकराना से आया था। दूसरे कीमती पत्थर और रत्न विश्व के दूसरे हिस्सों जैसे बगदाद, अफगानिस्तान, ईरान, तिब्बत, इजिप्त और रूस आदि देशों से मँगवाए गए थे। इस प्रकार फारसी, तुर्की, इस्लामी और भारतीय कला और संस्कृति का संगम यह टैगोर के शब्दों में समय के गाल पर गिरा एक सफ़ेद मोती है जिसका कोई सानी नहीं है।

मकबरा या निशानी:

शाहजहाँ ने इस इमारत का निर्माण करवाते समय इसके मुख्य कक्ष में अपनी और अपनी बेगम मुमताज़ महल की कब्रों का स्थान रखवाया। यह कब्रें ऊपर नकली हैं और इमारत के सबसे नीचे के तल में असली कब्रें हैं। इस इमारत को मकबरे का रूप देने के लिए इसके ऊपर बहुत बड़ा गुंबद बनवाया गया इसके अतिरिक्त इस मकबरे को विशेषता देने के लिए इसके आसपास बनी छतरियाँ, मीनारें और किरीट कलश भी हैं जिनके निर्माण में कारीगरों ने सर्वश्रेष्ठ कला का प्रदर्शन किया है। कहते हैं की इसके चारों ओर जो चार मीनारें बनाई गई हैं उनका झुकाव बाहर की ओर है जिससे कभी अगर यह गिरें तो इससे मुख्य इमारत को कोई नुकसान न हो।

विश्व मानचित्र में यह कहाँ है:

ताजमहल की स्थापत्य कला का आदर करते हुए युनेस्को ने 1993 में इसे विश्व धरोहर का स्थान दिया था। इसी क्रम में वर्ष 2007 में ताजमहल को दुनिया के सात आश्चर्यों में फिर से शामिल कर लिया गया

शाहजहाँ ने इस इमारत का निर्माण करने वाले मजदूरों के हाथ कटवा दिये थे जिससे दुनिया में दूसरी इमारत और कोई न बना सके। उसने ठीक ही सोचा था।

Leave a Reply !!

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.