Russian President Vladimir Putin: रूस की ‘सियासत’ को बदल देने वाला ‘सियासतदार’

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Vladimir Putin term


आज सियासत में बैठे उस सियासतदार की बात होगी जो पिछले 20 सालों से सियासत के शिखर पर काबिज है। जिसने बता दिया है कि साल 2024 तक वही राष्ट्रपति रहने वाले हैं। आज भारत के करीबी दोस्त रूस के मौजूदा राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) की बात होगी।

7 अक्टूबर 1952 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) का जन्म हुआ था। 

आपको बता दें कि व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) काफी समय से रूस की सत्ता में काबिज हैं। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक की भूमिका निभाई है। 

साल 2018 के मार्च में हुए आम चुनाव में उन्होंने चौथी बार चुनाव में जीत हासिल की थी। साल 2024 तक वो राष्ट्रपति के पद पर बने रहेंगे।

अगर आप रूस के संविधान पर नज़र डालेंगे तो आपको पता चलेगा कि संविधान के अनुसार चौथा कार्यकाल पूरा करने के बाद व्लादिमीर पुतिन वहां की सत्ता में काबिज नहीं हो सकते हैं।

लेकिन व्लादिमीर पुतिन उस शख्सियत के धनि हैं जिन्हें संविधान की ये शर्त मंज़ूर नहीं थी। इसलिए ही अगर हम India Today की रिपोर्ट पर नज़र डालते हैं तो हमें पता चलता है कि जनवरी 2020 में ही ये खबर निकलकर आई थी कि पुतिन रूस के संविधान को बदलना चाहते हैं।

रूस में व्लादिमीर पुतिन कुछ चाहें और वो हो ना ऐसा कम ही देखने को मिलता है।रूस की संसद ने संविधान में संशोधन को मंजूरी दे दी है।अब शायद, व्लादिमीर पुतिन और लंबे समय के लिए रूस की सियासत पर काबिज रहेंगे।

व्लादिमीर पुतिन बस वैसे ही शख्स नहीं हैं जो संविधान बदलना चाहते हों बल्कि अपने शुरूआती दिनों में इन पर जासूसी का ऐसा खुमार चढ़ा हुआ था कि ये उनके दफ्तर में घुस गये थे और अधिकारियों से सवाल किया था कि मुझे आप जैसा बनने के लिए क्या करना होगा? 

आज आप कहानी उसी व्लादिमीर पुतिन की पढ़ेंगे जिन्होंने एक जासूस से लेकर राष्ट्रपति तक का सफर तय किया है।

इस लेख के मुख्य बिंदु

  • “व्लादिमीर पुतिन” (Russian President Vladimir Putin) जासूस से राष्ट्रपति बनने तक का सफर
  • व्लादिमीर पुतिन ने की थी सलाहकार के तौर पर सियासी सफर की शुरुआत
  • आखिर एंतोली सोबचाक थे कौन?
  • साल 1996 से पहली बार राष्ट्रिय सियासत के पॉवर तक का सफर
  • साल 1999 आया और व्लादिमीर पुतिन बन गए रूस के प्रधानमंत्री
  • सरांश

“व्लादिमीर पुतिन” (Russian President Vladimir Putin) जासूस से राष्ट्रपति बनने तक का सफर-

7 अक्टूबर 1952  में व्लादिमीर पुतिन का एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म हुआ था।तब रूस सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था।उनके पिता सोवियत नेवी के लिए काम करते थे।पुतिन की मां भी एक फैक्ट्री में वर्कर थीं।

  • व्लादिमीर पुतिन अपना ग्रेजुएशन खत्म करने के बाद रूस की खुफिया एजेंसी ‘केजीबी’ के लिए विदेश में जासूस के रूप में काम करने की शुरुआत की थी।
  • आपको बता दें कि पुतिन ने ‘केजीबी’ के लिए 15 वर्षों तक काम किया था।
  • इन 15 वर्षों में उन्होंने 6 सालों तक जर्मनी के ड्रेस्डेन में भी खुफिया अधिकारी के रूप में पदस्थ थे।
  • साल 1990 का वो दौर आया जब पुतिन ने ‘केजीबी’ से रिटायरमेंट ली, उस दौरान वो लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक पर काबिज़ थे।
  • रिटायरमेंट के बाद पुतिन ने लेनिनग्राड स्टेट यूनिवर्सिटी को ज्वाइन किया था।इस यूनिवर्सिटी में पुतिन प्रॉक्टर की भूमिका में थे।

व्लादिमीर पुतिन ने की थी सलाहकार के तौर पर सियासी सफर की शुरुआत

  • लेनिनग्राड स्टेट यूनिवर्सिटी को छोड़ने के बाद व्लादिमीर पुतिन ने एंतोली सोबचाक को सलाहकार के तौर पर ज्वाइन किया था।
  • कहा जाता है कि यहीं से पुतिन के अंदर राजनेता बनने की खुमारी छाई थी।

आखिर एंतोली सोबचाक थे कौन?

आपके मन में सवाल आया होगा कि पुतिन ने एंतोली सोबचाक का सलाहकार बनना क्यों स्वीकार किया था? आखिर एंतोली सोबचाक थे कौन ?

  • आपको बता दें कि एंतोली सोबचाक सेंत पीटरबर्ग के पहले चुने हुए मेयर थे।इनसे व्लादिमीर पुतिन ने राजनीति के कई महत्वपूर्ण गुण सीखे हुए हैं।
  • हमने ऊपर आपसे कहा था कि यहीं से पुतिन के अंदर भी राजनेता बनने की खुमारी छाई थी।अब हम आपको बताते हैं कि ऐसा हमने क्यों कहा था?
  • BBC की रिपोर्ट के अनुसार पुतिन ने अपनी काबिलियत से (Vladimir Putin qualities) एंतोली सोबचाक का विश्वास जीत लिया था।
  • विश्वास भी ऐसा जीता (Vladimir Putin qualities) कि साल 1994 में सेंट पीटरबर्ग के पहले डिप्टी मेयर (Vladimir Putin came to power) व्लादिमीर पुतिन चुने गये थे।
  • HISTORY.COM की रिपोर्ट में नज़र डालें तो पता चलता है कि पुतिन को पॉवर (Vladimir Putin power) में लाने का श्रेय भी एंतोली सोबचाक को ही जाता है।

साल 1996 से पहली बार राष्ट्रिय सियासत के पॉवर तक का सफर

साल 1996 आते-आते व्लादिमीर पुतिन मॉस्को आ चुके थे।वहां पहुँचने के बाद पुतिन ने राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के प्रशासन स्टॉफ को ज्वाइन किया था।

  • फिर आया साल 1998, बोरिस येल्टसिन ने व्लादिमीर पुतिन को एक तोहफा दिया था।ये तोहफा उनको फेडरल सिक्योरिटी सर्विस का निर्देशक बनाकर दिया गया था।
  • इस कदम के बाद से पुतिन का रास्ता और आसान हो चुका था।
  • निर्देशक पद में बैठने के बाद से ही पुतिन कॉन्टेक्ट्स बनाने का काम शुरू कर दिया था।
  • व्लादिमीर पुतिन को इस बात का अंदाजा था कि अगर उन्हें राष्ट्रीय सियासत में कुछ बड़ा करना है तो यहां उन्हें अपना प्रभाव छोड़ना ही पड़ेगा।
  • हुआ भी कुछ ऐसा ही, पुतिन ने अपनी काबिलियत से सभी को काफी ज्यादा प्रभावित किया था।

साल 1999 आया और व्लादिमीर पुतिन बन गए रूस के प्रधानमंत्री

साल 1999 आते-आते पुतिन ने अपना वर्चस्व इतना बना लिया था कि उन्होंने चुनाव में जीत हासिल कर ही ली और रूस के प्रधानमंत्री के रूप पर चुन लिए गये।इसके बाद बाकी सब इतिहास है।उन्होंने लगातार चुनाव जीता और रूस की सत्ता के शीर्ष पर काबिज़ रहे।

  • 9 अगस्त 1999 को व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin term) की नियुक्ति पहली बार तीन प्रथम उप-प्रधानमंत्रियों में से एक के रूप में हुई थी।
  • 31 दिसम्बर 1999 को पुतिन पहली बार कार्यवाहक राष्ट्रपति के तौर पर चुने गये थे.
  • पूर्णकालिक राष्ट्रपति के तौर पर पुतिन ने  7 मई 2000 को राष्ट्रपति कार्यालय का कार्यभार संभाला था।
  • मौजूदा दौर में व्लादिमीर पुतिन का राष्ट्रपति के तौर पर चौथा कार्यकाल चल रहा है.

सरांश

व्लादिमीर पुतिन दुनिया की सियासत में एक ऐसा नाम है।जो अधिकांश ही वर्ल्ड मीडिया की सुर्ख़ियों में बना रहता है।पुतिन बस सियासत में ही माहिर नहीं हैं।बल्कि निशानेबाजी से लेकर घुड़सवारी तक का हुनर व्लादिमीर पुतिन को आता है।अमेरिका की नज़रों में पुतिन हमेशा से समस्या ही रहे हैं क्योंकि पुतिन का रूस अमेरिका को टक्कर ही नहीं बल्कि कई मायनों में उसे पीछे भी छोड़ता हुआ नज़र आ रहा है।

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