गूगल फायरबेस क्या है ?

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Google Firebase, गूगल फायरबेस

गूगल ने समय-समय पर डिजिटल दुनिया और आभासी जगत में विभिन्न प्रकार की तकनीकों का विकास किया है। कभी इन तकनीकों का विकास गूगल के विशेषज्ञों ने स्वयं किया हो या कभी इन तकनीकों को स्टार्टअप कंपनियों से खरीद कर विकास किया गया हो, नाम तो अंत में गूगल का ही आता है। ऐसी ही एक तकनीक है फायरबेस। फायरबेस के बारे में जानने से पहले इसके इतिहास के बारे में जानना ज़रूरी है। आइये देखते हैं कि फायरबेस पहले क्या था और आज क्या है:

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फायरबेस का पहला स्वरूप:

वर्ष 2011 में एक कंपनी ने ‘एंवलोप’ नाम से इस एप्लिकेशन को बनाया जिसका प्रयोग एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस और ऑनलाइन चेट के बीच में संबंध स्थापित करने के लिए किया जाता था। यह कार्य केवल वेबसाइट पर ही उपलब्ध होता था। हालांकि पहले एंवलोप की मदद से लोग अपनी सूचनाओं और मेसेजिस के रूप में भेजते थे, लेकिन बाद में इस एप्लीकेशन में और अन्य फीचर भी जुडने लगे। इससे संदेश भेजने की प्रक्रिया में विभिन्नता भी आने लगी।

इसके बाद एंवोलप तकनीक का उपयोग ऑनलाइन गेम्स में भी होने लगा। इस तकनीक के कारण गेम डेवेलपर्स को ऑनलाइन गेम खेलने वालों की संख्या के बारे में पता लग जाता था। इसके अतिरिक्त इस तकनीक के विकासकर्ताओं ने ऑनलाइन चैट और रियल टाइम डेटा को अलग-अलग कर दिया था। इसके बाद अगले ही वर्ष में  इस एंवलोप को एक अलग कंपनी में बदल गिया गया और नया नाम ‘बास’ BASS’ रखा गया। यह Backend-as-a-Service का लघु रूप था। इसका काम केवल रियल डेटा प्रदान करना ही था। इस तकनीक की सफलता से प्रभावित होकर गूगल ने इसे अपने बेड़े में शामिल कर लिया और यह बन गया ‘गूगल फायरबेस’।

Google Firebase में क्या है:

गूगल कंपनी से जब ‘बास’ को क्रय किया तब इसमें अन्य विभिन्न प्रकार के फीचर भी जोड़ दिये। अब इसका प्रयोग मोबाइल एप्लिकेशन और वेब एप डेवलोपमेंट में किया जाने लगा। इसकी मदद से अब अच्छी गुणवत्ता वाले एप्स बनाए जाने संभव होने लगे और इनकी मदद से व्यवसायों में भी लाभ पहुंचाने में मदद मिलनी आसान होने लगी। व्यवसायी अपने एप को जब फायरबेस के साथ कनेक्ट कर देते हैं तब उन्हें एप और उसके प्रयोगकर्ता के संबंध में पूरी जानकारी आसानी से मिलने लगी। अब वे आसानी से जान सकते हैं कि उनका एप कितने यूजर प्रयोग कर रहे हैं और क्या किसी मोबाइल पर यह एप चलने में उन्हें परेशानी आ रही है, इसका पता भी आसानी से चल सकता है। फायरबेस से जुड़े होने के कारण आपके एप पर कितने यूजर ने साइन अप किया है, आसानी से पता लग सकता है।

इसके साथ ही एप निर्माता अपने यूजर को किसी प्रकार की सूचना भी भेजना चाहते हैं तो वह भी सरलता से किया जा सकता है। फायरबेस से जुड़े एप निर्माता अपने एप को आसानी से अपडेट करके इसकी सूचना भी यूजर के पास रियल डेटा के सिंक होने के कारण तुरंत भेज सकते हैं।

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फायरबेस से मिलने वाली सुविधाएं:

फायरबेस अपने एप निर्माताओं को निम्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान करता है:

  1. ऑनलाइन स्टोरेज:

फायरबेस सर्विस में इसके यूजर्स अपना पूरा डेटा जिसमें निजी और व्यावसायिक भी शामिल हो सकता है, स्टोर करके सुरक्शित रख सकते हैं।

  1. ऑनलाइन गतिविधि:

फायरबेस एप में यूजर बिना किसी रुकावट के कोई भी एक्टिविटी को रन कर सकते हैं।

  1. सुरक्षा:

फायरबेस में सुरक्शित डेटा को कोई भी हैकर, अपनी मर्ज़ी से हैक नहीं कर सकता है। इस प्रकार यहाँ इसके यूजर का डेटा बिलकुल सुरक्शित होता है।

  1. यूजर जानकारी :

इस सुविधा के अंतर्गत फायरबेस के एप निर्माता को पाने यूजर संबंधी पूरी जानकारी बिना किसी परेशानी और रुकावट के मिल जाती है।

  1. स्पीड में वृद्धि:

एपनिर्माता फायरबेस की मदद से अपने एप की स्पीड में भी वृद्धि कर सकते हैं और साथ ही जरूरत होने पर होस्टिंग भी दी जाती है।

  1. रुकावट की सूचना:

फायरबेस, एप निर्माता को किसी स्थान पर आने वाली रुकावट की न केवल जानकारी देता है बल्कि उसे दूर करने में भी सहायक होता है।

  1. मेसेज सुविधा:

एप निर्माता फायरबेस की मदद से अपने अधिकृत यूजर को आसानी से किसी भी प्रकार से मेसेज भेज सकते हैं।

  1. ऑनलाइन कान्फ़िग्रेशन:

एप निर्माता ऑनलाइन विधि से बिना वर्तमान यूजर को परेशान किए हुए अपने एप में किसी भी प्रकार से कान्फ़िग्रेशन कर सकते हैं।

  1. ऑनलाइन ट्रेफिक कंट्रोल:

फायरबेस से जुड़े एप निर्माता अपने एप के अधिकृत यूजर किस देश और किस स्थान से आ रहे हैं, इसका पता भी लगा सकते हैं।

गूगल के विभिन्न प्रोडक्ट की भांति गूगल फायरबेस भी आभासी दुनिया में एप निर्माता और वेब डेवलपर्स के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध हो रहा है।

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