भारत पहले अंग्रेजों के अधीन था, ये तो हम सब जानते हैं। लेकिन अंग्रेजों के भारत आने से पहले भी भारत देश कई विदेशियों के अधीन रह चुका है। भारत ने बाहर से आए कई आक्रमणकारियों का दंश झेला है। यहां बाहर से आए कई लोगों ने एक- दूसरे से युद्ध किया और भारत की सत्ता हासिल कर वर्षों तक यहां अपना साम्राज्य स्थापित किया। उन्हीं बाहरी शासकों में से एक था Khilji Vansh.
खिलजी राजवंश मुख्य रुप में तुर्किस्तान का था। खिलजी वंश मध्यकालीन भारत का राजवंश था। दिल्ली की सल्तनत में काबिज होने वाला ये दूसरा मुस्लिम राजवंश था। हत्या, लूट, निर्दयता और बर्बरता से भरे खिलजी वंश का शासन दिल्ली पर 1290 ई. से 1320 ई. तक रहा। दिल्ली की सल्तनत पर खिलजी वंश के चार सुल्तानों ने राज किया। तो आइए जानते हैं कि आखिर कैसे हुआ खिलजी वंश का अंत और कौन था खिलजी साम्राज्य का अंतिम शासक।
- Khilji Vansh के प्रथम शासक जलालुद्दीन खिलजी की हत्या कर उसके दामाद और भतीजा अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली की सल्तनत पर अपना कब्जा कर लिया।
- अलाउद्दीन खिलजी की मौत के बाद उसके सेनापति मलिक काफूर ने अलाउद्दीन के सबसे छोटे बेटे शिहाबुद्दीन उमर खिलजी को गद्दी पर बिठा दिया। जिस वक्त शिहाबुद्दीन को सत्ता सौंपी गई , उस वक्त वो केवल 6 साल का था। ऐसे में पीछे से सत्ता की सारी बागडोर मलिक काफूर के हाथ में ही थी.
- मलिक काफूर ने अलाउद्दीन खिलजी की मौत के बाद उसकी विधवा पत्नी से शादी कर ली और बाद में उसके दो पुत्रों को अंधा कर के उसकी मां मल्लिका-ए-जहां के साथ ग्वालियर के किले में कैद करवा दिया।
- साथ ही मलिक काफूर ने अलाउद्दीन ने एक और बेटे कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी को राजधानी सीरी के किले में कैद करवा दिया।
- लेकिन बड़ी ही चतुरता से मुबारक खिलजी ने कैद में रहते हुए ही मलिक काफूर की हत्या करवा दी और अपने ही छोटे भाई शिहाबुद्दीन उमर खिलजी को अंधा बना कर कैद करवा दिया।
- इसके बाद मुबारक खिलजी ने 1316 से लेकर 1320 ई. तक सफलतापूर्वक राज किया। मुबारक खिलजी अब मुबारक खां के नाम से जाना जाने लगा।
- सत्ता हासिल होते ही मुबारक खां ने अलाउद्दीन खिलजी के कई नियमों को हटाकर राज्य में अपने नियम लागू किए।
- मुबारक खां के वजीर (प्रधानमंत्री) खुसरो खां (नासिरुद्दीन खुसरोशाह) ने 1320 में उसकी हत्या कर दी। इस तरह खिलजी वंश का अंत हो गया।
- खुसरो खां हिंदू से मुस्लमान बना था। खिलजी की हत्या के बाद खुसरो खां महज 12 दिन (15 अप्रैल- 27 अप्रैल) ही गद्दी का सुख भोग सका।
- उसके बाद तुगलक वंश के प्रथम शासक गयासुद्दीन तुगलक ने उसकी हत्या कर दी और तुगलक वंश की स्थापना की।