भारतीय संगीत का इतिहास

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भारत का संगीत इतिहास दुनिया में सबसे पुराना माना जाता है तथा ज्यादातर विशेषज्ञों का दावा है कि इसका जन्म वेदिक काल के दौरान हुआ था और इसकी जड़ें सामवेद में समाविष्ट हैं। चाहें भारतीय संगीत का इतिहास किसी भी समय या काल से क्यों न जुड़ा हुआ हो, इसमें कोई शक नहीं कि यह देश की समृद्ध सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

भारत का संगीत नृत्य के साथ-साथ, स्वर और वाद्य संगीत के संयोजन पर आधारित है और इन तीनों को संयुक्त रूप में संगीत के नाम से जाना जाता है।भारतीय संगीत के लिखित इतिहास के अनुसार, एक बेहतरीन प्रदर्शन इन तीन मूल तत्वों के संयोजन के साथ ही पूरा हो सकता है।प्राचीन काल में भारतीय संगीत का प्रदर्शन निम्नलिखित अवसरों के दौरान किया जाता था जैसे कि: शाही दरबार में आयोजित जलसों के दौरान, संगीत समारोहों और त्योहारों में,मंदिरों में, गांवों में आयोजित मनोरंजिक कार्यक्रमों के दौरान, इत्यादि।

भारतीय संगीत कई शैलीयों का संग्रह है जैसे कि: भारतीय शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, फिल्मी, और भारतीय पॉप।भारतीय शास्त्रीय संगीत के दो मुख्य शैलियां है: कर्नाटक संगीत, जो दक्षिण भारत के क्षेत्रों में मुख्य रूप से पाया जाता है, और हिंदुस्तानी संगीत, जो उत्तरी, पूर्वी और मध्य क्षेत्रों में पाया जाता है।हिंदुस्तानी संगीत पांच शास्त्रीय शैलियों में विभाजित है: ध्रुपद, धमार, कायल, तराना और सदरा तथा इसमें प्राचीन हिंदू संगीत के साथ जुड़ी परंपराऐं, ऐतिहासिक वैदिक शास्र,देशी भारतीय ध्वनियां और मुगल दरबारों में प्रदर्शित फारसी संगीत की झलक देखी जा सकती है।कर्नाटक संगीत का जन्म विजयनगर साम्राज्य के राज्य के दौरान 15वीं-16वीं सदी में हुआ था तथा इसके साथ जुड़े कुछ प्रसिद्ध शख़्सियतों का नाम इस प्रकार है: पुरन्दर दास, जिन्हें कर्नाटक संगीत का पिता माना जाता है तथा त्यागराज, श्यामा शास्त्री और मुथ्थूस्वामी दिकक्षितर, जिन्हें कर्नाटक संगीत की त्रिमूर्ति के नाम से जाना जाता है।

भारतीय संगीत युग दर युग विकसित होता रहा है तथा अभी तक इसका विकास जारी है।कुछ अर्द्ध-भारतीय शास्त्रीय संगीत शैलियां इस प्रकार हैं: ठुमरी, दादरा, गजल, चाएटी, कजरी और टप्पा और कव्वाली।यह निस्संदेह, हर भारतीय के जीवनशैली का एक अनिवार्य हिस्सा है चाहें वह देश में हो या विदेश में।वास्तव में विदेशियों की एक बड़ी संख्या है जो भारतीय संगीत के विभिन्न रूपों को सीखने के लिए इच्छुक है।भारतीय संगीत के इतिहास से यह स्पष्ट है कि संगीत धार्मिक प्रेरणा और अनुष्ठान, सांस्कृतिक और पारंपरिक अभिव्यक्ति की नींव रहा है और मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

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