जब किसी भी कार्य में मेहनत के साथ एकाग्रता मिलती है तो उस कार्य का सफल होना निश्चित है। आज के माहौल में, शोर और चिंता के बीच, अपनी एकाग्रता बनाये रखना बहुत ही कठिन है। अगर आप भी यही मानते है तो आप के लिए एक बहुत ही सरल और माना हुआ नुस्खा हमारे पास है। प्राचीन समय से भारत के ऋषि मुनि अपनी एकाग्रता बढ़ाने के लिए योग का सहारा लेते आ रहे है। आधुनिक विज्ञान भी यह सिद्ध कर चुका है की रोज २० मिनट योग करने से हमारी एकाग्रता या ध्यान केंद्रिंत करने की क्षमता बढ़ जाती है। योग हमारे मन को शांत बनता है और ध्यान बंटाने वाली चीज़ो को मन से हटाने की शक्ति देता है। इस लेख में 5 ऐसे आसान योगासन बताएं गए है, जो आपकी एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करेंगे। यह आसन आप हर रोज कर सकते है और वो भी बहुत ही कम समय में।
पद्मासन : अपने पैरो को मोड़ कर पालथी बनाए। यदि आपके जोड़ों में दर्द है तो आप कुर्सी पर बैठ कर भी यह आसान कर सकते है। अब अपने हाथों को नमस्कार की मुद्रा में जोडें। अब आँखें बंद कर के लम्बी साँसे लें। अपनी आँखों को ज्यादा जोर से बंद ना करें और किसी भी और चीज़ के बारे में ना सोचें। सिर्फ अपनी साँसों पर ध्यान दें। हर रोज यह आसन सिर्फ ५ मिनट तक दोहराए। आप को अपनी एकाग्रता में फर्क जल्द ही दिखाई देने लगेगा।
गरुड़ासन: इस आसन को करने के लिए शारीरिक संतुलन और मानसिक एकाग्रता की आवश्यकता है। यह आसन आप को खड़े रहकर करना है। खड़े रहकर अपने दाहिने पैर को मोड कर अपने बाएँ पैर पर लपेट लें । इसी अवस्था में अपने दाहिने हाथ को अपने बाएँ हाथ पर लपेट लें। याद रखे इस स्थिति में अपने हाथ शारीर के आगे रखने है।अपनी पीठ को सीधा और नजर सामने की और रखें। धीरे धीरे और लम्बी सांस ले। यह आसन दूसरे हाथ और पैर से भी करें। इस से आपके शरीर का तनाव काम और एकचित्त होने में सहायता मिलती है।
पश्चिमोत्तासन 2 : इस आसन में आपको जमीन पर बैठकर पैरों को सीधा आगे की और रखना है। पैरो के अंगूठे ऊपर की और रहे उस स्थिति में पैरो के पंजो को रखे। अब एक लम्बी सांस लेते हुए पीठ को सिधा करें और यही सांस छोड़ते हुए आगे की और झुकें। प्रयत्न करें कि अपने हाथों से पैरों के अंगूठों को पकड़ सकें। यह शुरुआत में मुश्किल हो सकता है आपके लिए। इस लिए आप शुरुआती दिनों में अपने हाथ को पैरो के पंजो के ऊपर के भाग पर रख सकते है। उसके बाद फिर से अपनी शुरूआती स्थिति में आ जाएँ।
नाड़ी शोधन प्राणायाम: यह हररोज करने से मन शांत, निर्मल और एकाग्र बनता है। इसे करने के लिए सर्व प्रथम एक शांत जगह पर आराम से जमीन पर बैठें। अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से अपने दाहिने नथुने को दबाए और बांए नथुने से लम्बी सांस ले। जब पूरी सांस ले ले उसके बाद, अपने बांए नथुने को बंद कर के दाहिने नथुने से बहार निकालें। यही प्रक्रिया बार बार 3 मिनट तक दोहराएँ। तुरंत ही आपको अपने श्वसन प्रक्रिया और मानसिक तनाव में फर्क नज़र आयेगा।
वीरासन: यह आसन आपने कार्य के बीच में थोड़ा सा समय निकाल कर भी कर सकते है। इसे करने के लिए अपने घुटनों के बल बैठ जाएँ। आपकी पैरों की उंगलियां, घुटने और टखने जमीन को छूने चाहिए। अपने हाथ इस समय घुटनों पर रखें। अपना शरीर सीधा रखें और लम्बी साँस ले। अब अपना बांया पैर अपने दाहिने घुटने के पास रखे। अपनी दाहिनी कोहनी को बाएँ घुटने पर रखे और अपनी ठोड़ी को अपने बाएँ हाथ में रखें। दाहिना हाथ दाहिनी जाँघ पर रखे। अब इसी स्थिति में अपने मन को सामने के कोई एक बिंदु पर एकाग्र करें। यही प्रक्रिया दूसरी ओर से भी दोहराएं।
अगर आप इन आसनों को अपनी जिंदगी का भाग बन लेते है तो थोड़े ही समय में आपकी एकाग्रता में बहुत ज्यादा बदलाव देख सकेंगे।