एक सशक्त अर्थव्यवस्था के निर्माण में World Bank की भूमिका

[simplicity-save-for-later]
3498
what is world bank

द्वितीय विश्व युद्ध से तबाह हुए देशों के पुनर्निर्माणके उद्देश्य से 1944 में इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट संस्था का गठन किया गया, जो जल्द ही वर्ल्ड बैंक के नाम से जाना जाने लगा।विश्व बैंक एक अंतरराष्ट्रीय वित्त-संबंधी बुनियाद है, जोमुख्यत: पाँच संस्थाओं का संगठित रूप हैं। यह दुनिया के देशों को पूंजीसंबंधीयोजनाओं के लिए ऋण प्रदान करता है।विश्व बैंक का मुख्यालयअमेरिकी शहर वाशिंगटन डीसी में है।

इन 70 सालों में विश्व के देशों के बदलते हुए अर्थव्यवस्था के साथ वर्ल्ड बैंक के स्वरूप में भी काफी बदलाव आया हैं। बीते समय के साथ, वर्ल्ड बैंक नेबुनियादी ढांचे जैसे बांधों, विद्युत ग्रिड, सिंचाई प्रणाली, और सड़कों के निर्माण को ओर जोर देने के साथ-साथ पुनर्निर्माण के विकास की ओर भी अपना ध्यान केंद्रित किया हैं। पिछले 70 वर्षों से लेकर अब तक वर्ल्ड बैंक ने 100 से अधिक विकासशील देशों को वित्तीय सहायता देकर इन्हें समायोजित करने में अपनी मुख्य भूमिका निभाई हैं। आइये हम वर्ल्ड बैंक द्वरा की जाने वाले मुख्य कार्यों के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।

World Bank द्वरा की जाने वाले मुख्य कार्य

एक सशक्त और स्थिर अर्थव्यवस्था की स्थापना

10 बिलियन डॉलर की पूंजी के साथ,वर्ल्ड बैंक के गठन का उद्देश ही इस संकल्पना पर आधारित हैं कि यह अपने सदस्य राष्ट्रों के युद्ध के कारण बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था को, एक सशक्त और स्थिर अर्थव्यवस्था में बदल दें। एक शांतिपूर्ण अर्थव्यवस्था की ओर इस संस्था का प्रायः वाकई में सराहनीय हैं।

पिछड़े और विकासशील देशों के पुनर्निर्माणमें सहायता

वर्ल्ड बैंक ने हमेशा उन राष्ट्रों की मदद की हैं, जो युद्ध या किसी आपदा के कारण वित्तीय संकट झेल रहे होते हैं।विश्व बैंक ऐसे राष्ट्रों के निर्माण व अन्य कार्यों में सहायताप्रदान करता है।वर्ल्ड बैंक ने हमेशा गरीब देशों के उत्थान पर अधिक जोर दिया हैं। यदि हम यह कहे कि गरीबी उन्मूलन की दिशा में एक स्थिर बदलाव , वर्ल्ड बैंक समूह का प्राथमिक लक्ष्य बन गया हैं, तो इसमें कोई अतियोशक्ति नहीं होगी।कोरोना जैसे संकट के काल मेंभी विश्व बैंक ने कई राष्ट्रो की मदद की हैं ।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रोत्साहन में सहयोग

वर्ल्ड बैंक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को लोकप्रिय बनाने में मदद करता है।वर्ल्ड बैंक से प्राप्त आर्थिक अनुदान की वजह सेअंतर्राष्ट्रीय व्यापारको दूसरे देशों में अपने पैर पसारने में मदद मिलती हैं।हम इस बात से भली-भांति परिचि हैं कि इस प्रकारव्यवसायके प्रसार से लोगों के जीवन की गुणवत्ता पर फर्क पड़ता है।लोगो के जीवन स्तरमेंपहले से कहीं अधिक वृद्धि होती हैऔर साथ ही शिक्षा और नौकरी के अवसरों में वृद्धि होती है।इस संदर्भ में हम कह सकते हैं कि लोगो के जीवन स्तर को उठाने में वर्ल्ड बैंक का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान हैं।

निवेश को प्रोत्साहित करना

विश्व बैंक मेंऐसे कई सदस्य राष्ट्र हैं जो कम उन्नत और पिछड़ेहुए हैं।वर्ल्ड बैंक ऐसे राष्ट्रों में पूंजी निवेश के लिए दूसरे देशों को प्रोत्साहित करती हैं। इसके पीछे वर्ल्ड बैंक का मुख्य इन राष्ट्रों को आर्थिक लाभप्रदान करना हैं, ताकि वे समय के साथ आगे बढ़ सकें।

सदस्य देशों के साथ समूहिक आयोजन

बैंक समूह के 180 से अधिक सदस्य देशों के साथ लंबे समय से संबंध हैं, और यह तेजी से वैश्विक स्तर पर विकास की चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को दृढ़ संकल्पित किया हुआ हैं।  जलवायु परिवर्तन, महामारी और जबरन पलायन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर, बैंक समूह एक अग्रणी भूमिका निभाता है क्योंकि यह अपने सदस्यों  देशों और भागीदारों की एक विस्तृत श्रेणी के बीच चर्चा को आयोजित करने में सक्षम है। यह दीर्घकालिक, स्थायी विकास के लिए नींव का निर्माण करते समय संकटों से निपटने में मदद करता हैं, साथ ही सदस्य देशों के मध्य ऋण संबंधी मतभेदों को भी सुलझता हैं।

विश्व बैंक और भारत

  • विश्व बैंक और भारत के बीच का सहयोग 1944 में अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास की नींव के साथ ही शुरू हो गया था। 44 देशों में से, एक भारत ने भी जून 1944 में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन के लिए एजेंडा तैयार किया था।
  • भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जेरेमी रायसन ने किया, जो भारत सरकार के वित्त सदस्य थे और उन्होंने ही “पुनर्निर्माण और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय बैंक” नाम प्रस्तावित किया था। विश्व बैंक ने भी भारत के विकास में अहम भूमिका निभाते हुए एक बड़ी पूंजी का निवेश इसके विभिन्न परियोजनाओं में किया है। इस कोरोना (Covid-19) संकट काल में भी विश्व बैंक ने भारत को 1 अरब डॉलर इमरजेंसी राशि प्रदान की है।

विश्व बैंक का संक्षिप्त इतिहास

  • द्वितीय विश्व युद्ध बड़ी स्तर पर तबाही ले कर आया था। लगभग विश्व के सभी देश युद्ध से होने वाले नकारात्मक प्रभाव को झेल रहे थे।
  • 1944 में संयुक्त राष्ट्र के ब्रेटनवुड्स सम्मेलनआयोजित किया गया जहां’आंतरिक मुद्रा कोष’ (IMF) और ‘आंतरिक निवेश और विकास बैंक’ (IBRD) की स्थापना का प्रस्तावना पास किया गया।
  • 1945 में इन संस्थाओं की स्थापना हुई।एक साथ गठित होने की वजह से इन्हें ब्रेटनवुडवुड ट्विन भी कहा जाता है। इनका मुख्य उद्देश्य विश्व युद्ध में बर्बाद हुए अर्थव्यवस्थाको फिर से संगठित करना था।
  • IBRD ने चार अन्य संसाधनों अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय कॉर्प (1956), अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (1960), निवेश संस्थान के निपटान के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (1966) और बहुपक्षीय निवेश स्टे एजेंसी (1988) के साथ मिलकर वर्ल्ड बैंक समूह बनायाऔर इस तरह वर्ड बैंक का अस्तित्व दुनिया के सामने आया।

वर्ल्ड बैंक का संगठनात्मक ढांचा

  • बैंक के कार्यकारिणी के सदस्यों में मुख्यत: बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, कार्यकारी निदेशक और अध्यक्ष आते हैं। गवर्नर की भूमिका के लिए जो चुनाव होता हैं, उसमें मुख्यत: सदस्य देशों के वित्त मंत्री अथवा सचिव भाग लेते हैं।
  • गवर्नस बोर्ड की बैठक साल में एक बार होती हैं। इस बैठक में वर्ल्ड बैंक के सभी संबन्धित संस्थाओं के काम-काज की समीक्षा होती हैं। इस बोर्ड की अधिकाश शक्तियाँ 24 कार्यकारी निदेशकों के पास होती हैं, जो अपनी बैठक, वर्ल्ड बैंक मुख्यालय में, महीने में एक बार अवश्य ही करते हैं।
  • ये निदेशक बैंक के जो सामान्य कामकाज होते हैं, उन के संचालन हेतु उत्तरदायी होते हैं। परंतु बैंक के जो विशिष्ट कार्य हैं, जैसे नये सदस्यों का प्रवेश, पूंजी स्टॉक किसी भी प्रकार का परिवर्तन तथा बैंक की शुद्ध आय के वितरण से सम्बंधित मामलों को, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को नहीं सौपा गया हैं।
  • फ़्रांस, जर्मनी, जापान, अमेरिका और ब्रिटेन ये पाँच देश वर्ल्ड बैंक के पूंजी स्टॉक में अधिकतम अंश रखते हैं। इन पांचों के द्वारा अलग से पाँच कार्यकारिणी निदेशक नियुक्त किए जाते हैं और शेष 19 निदेशकों का चुनाव सदस्य देशों के द्वारा किया जाता हैं।

निष्कर्ष

यह आश्चर्य की बात नहीं है कि यदि हम यह कहें कि वर्ल्ड बैंक इस मुद्दे पर एकराय बनाता हैं कि आर्थिक सहायता कैसे दी जाए और किसे दी जाए। देखा जाए, तो आज वर्ल्ड  बैंक समूह का कार्य लगभग हर क्षेत्र को छूता है,जो गरीबी से लड़ने, आर्थिक विकास का समर्थन करने और विकासशील देशों में लोगों के जीवन की गुणवत्ता में स्थायी लाभ सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।वास्तव में,वर्ल्ड बैंक द्वरा सहायता प्रदान करने के पीछे इस संस्था का मुख्य उद्देश्य यह रहता हैं कि सहायता लेने वाले देश ऋण का उपयोग कर किस प्रकार से अपने देश की आर्थिक नीतियों को बढ़ावा देते हैं और खुद को प्रगति की राह पर ले जाते हैं। हालांकि, कई विकासशील और गरीब राष्ट्र, वर्ल्ड बैंक द्वारा दिये हुए इस ऋण की वजह से  क़र्ज़ा और तंगहाली के दलदल में फंस गए हैं। इसे देखते हुए, हमें यह याद रखना होगा कि सहायता की प्रक्रिया भी एक विकासशील राज्य के समान ही होते है, जिसमें दाता और ग्रहणकर्ता दोनों को एक दूसरे को गरीबी-मुक्त दुनिया तक पहुंचने में मदद करनी चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.